अनुभवजन्य सिद्धान्त: Carl Rogers Theory of Experiential Learning In Hindi

कार्ल रोजर्स का अनुभवजन्य सिद्धान्त 

दोस्तों इस पोस्ट में हम कार्ल रोजर्स का अनुभवजन्य सिद्धांत (Carl Rogers Theory of Experiential Learning In Hindi) अध्ययन करेंगे। कार्ल रोजर्स एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे। जिन्होंने अधिगम से संबंधित अनुभवजन्य सिद्धांत दिया। इस सिद्धांत में  उन्होंने यह बताया कि यह सिद्धांत स्वयं अनुभव करके सीखने पर बल देता है।अधिगम की मूल प्रकृति क्या है, इसका पता लगाने के लिए रोजर्स ने अधिगम को दो प्रकार में बांटा – संज्ञानात्मक अधिगम और अनुभवजन्य अधिगम

प्रवर्तक –  कार्ल रोजर्स

अन्य नाम – आनुभाविक अधिगम सिद्धांत 

Carl Rogers Theory of Experiential Learning In Hindi

  • कार्ल रोजर्स अमेरिकी वैज्ञानिक थे।  
  • यह  सिद्धांत स्वयं अनुभव करके सीखने पर बल देता है। 
  •  इस सिद्धांत के अनुसार बालकों को पुस्तकों के बोझ से नहीं लादना चाहिए, बल्कि उन्हें स्वतंत्रता पूर्वक अधिगम करने देना चाहिए। 
  •  अध्यापकों को बालक को क्या पढ़ाना है, कैसे पढ़ाना है, कितना पढ़ाना है, आदि बातों को थोपना नहीं चाहिए।  बल्कि विद्यालय में सेमिनार, कार्यशाला, परिचर्चाएं,  शैक्षिक भ्रमण आदि कार्य नीति का आयोजन करना चाहिए ताकि बालक स्वयं अनुभव करके सीख सके क्योंकि अनुभव करके सीखा हुआ ज्ञान स्थाई होता है। 
  • व्यक्ति के भीतर प्राकृतिक तौर पर सीखने की अद्वितीय क्षमता होती है। व्यक्ति किसी भी कार्य को अपनी इच्छा से सीखता है 
  •  सीखने की प्रक्रिया self Initiative कहलाती है। 
  • इस सिद्धांत में ऐसा वातावरण उपस्थित किया जाता है, कि व्यक्ति अधिक से अधिक सक्रिय रहे। वह स्वतंत्र होकर उपचारक के सम्मुख अपने भावों, इच्छाओं  तथा तनाव संबंधी अनुभूतियों का अभिव्यक्तिकरण करें, उद्देश्य, प्रयोजन को समझें और संरक्षण के लिए दूसरे पर आश्रित न रह जाए। 
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अधिगम की मूल प्रकृति क्या है, इसका पता लगाने के लिए रोजर्स ने अधिगम को दो प्रकार में बांटा है। 

(1) संज्ञानात्मक अधिगम (Cognitive Learning)

(2) अनुभवजन्य अधिगम (Experiential Learning)

1. संज्ञानात्मक अधिगम (Cognitive Learning) – जब तक इसे उपयोग में ना लाया जाए निरर्थक होता है।  इसका उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति मात्र है। जैसे शब्द ज्ञान, ऐतिहासिक तथ्य, भौगोलिक सूत्र, भौगोलिक तथ्य आदि। 

2. अनुभवजन्य अधिगम (Experiential Learning) – यह विधि व्यक्ति को करके सीखने पर जोर देती है।  इसमें व्यक्ति की रुचि पाई जाती है। इसके लिए व्यक्ति द्वारा पहल की जाती है। जैसे किसी इंजीनियर के द्वारा किसी मशीन के पुरुषों का ज्ञान प्राप्त करना। 

शैक्षिक महत्व

    •  इसमें बालक को सीखने का उचित वातावरण प्राप्त होता है। 
    •  सीखने संबंधी स्त्रोत से लिखा गया ज्ञान स्थिर होता है। 
    •  सीखने की प्रक्रिया उद्देश्य पूर्ण होती है। 

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