Environment and biodiversity Notes(पर्यावरण अध्ययन एवं जैव विविधता) For CTET,MPTET,UPTET

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पर्यावरण एवं जैव विविधता (Environment and biodiversity)

आज के इस आर्टिकल में हम पर्यावरण अध्ययन  के नोट्स (environmental studies notes) आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं। इस आर्टिकल में पर्यावरण अध्ययन एवं जैव विविधता (Environment and biodiversity Notes) के अंतर्गत जैव विविधता(biodiversity), I.U.C.N की Red List ,Hot Spot ,कार्टा जेना प्रोटोकॉल, आद्र भूमि,Ramsar Convention 1971,Montrer Recard ,पारिस्थितिक तंत्र,प्रवाल भित्ति, मैंग्रोव वनस्पति के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। पर्यावरण अध्ययन (Paryavaran adhyayan) से संबंधित प्रश्न कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे – CTET, TET, UPTET, MPTET,RTET  एवं अन्य सभी महत्वपूर्ण  प्रतियोगी परीक्षाओंमें पूछे जाते हैं। तो आपके लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। कि पर्यावरण अध्ययन(environmental studies ) के इन सभी टॉपिक्स को आप अच्छे से अध्ययन कर लें ताकि आने वाली सभी परीक्षाओं में आपको पर्यावरण (paryavaran notes)से संबंधित प्रश्नों में किसी भी प्रकार की  कोई दिक्कत ना हो।

पर्यावरण किसे कहते हैं?(What is the environment called?)

पृथ्वी तथा उस पर स्थित वनस्पति एवं जीव जंतु एवं वायु मंडल  को सम्मिलित रूप से पर्यावरण कहा जाता है। A.G टांसले नहीं पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना की जिसके अनुसार इन सभी का एक अनुवांशित संबंध है।  किसी वृक्ष को काटने पर ना सिर्फ पक्षी और कीड़े का आश्रय स्थल नष्ट होता है। अपितु ऑक्सीजन का स्रोत तथा कार्बन सिंक भी नष्ट होता है।वृक्ष कार्बन सिंक के रूप में Co2 का अवशोषण करते हैं एक शोध के अनुसार जिन जंगलों में भाग नहीं है वहां हिरणों की मृत्यु दर बढ़ जाती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था U.N.E.P. (United Nations environment programme) पर्यावरण के लिए कार्य करने वाली शीर्षस्थ संस्था है।1972 में इसकी स्थापना की गई थी। यह ऐसी अकेली प्रमुख संस्था है जिसका मुख्यालय भूमध्य रेखा के दक्षिण के नैरोबी( केन्या) में है।

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जैव विविधता (Biodiversity)

biodiversity

एक ब्रिटिश संस्था के अनुसार संसार में 87  लाख प्रकार के जीव है जिनमें से सर्वाधिक जीव जलचर है जीवन में कीड़ों की संख्या सर्वाधिक है।

  • 1948 में जनेवा में I.U.C.N ( International Union for conservation of nature) की स्थापना की गई इसके 160 सदस्य देश हैं।
  • 1966 से ही I.U.C.N  red Data Book का प्रकाशन कर रही है इसमें संकटापन्न प्रजातियों को शामिल किया जाता है।  
  • 1962 में  जेनेवा ( स्विजरलैंड) में World Wide Fund की स्थापना की गई जो जल संरक्षण के लिए प्रयासरत है इसका प्रतीक चिन्ह Giant Panda है।
  • 1980 में Peaple For Ethical Treatment of anomal (PETA) की स्थापना की गई।  इसका मुख्यालय वर्जीनिया(USA) में है। इसकी कुल 2 करोड़ सदस्य हैं PETA शाकाहार को प्रोत्साहित करता है तथा ऐसे उत्पादों का बहिष्कार करता है जो जानवरों को मारकर प्राप्त किए गए  हो।

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  I.U.C.N की Red List (I.U.C.N’s Red List)

  I.U.C.N की Red List मैं कोई 64000 प्रजातियों को समाहित किया गया है।  इसमें 30000 प्रजातियां खतरे में है जिनमें से 4000 प्रजातियां अत्याधिक खतरे में है।  प्रतिवर्ष 40000 प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं। रेड डाटा बुक(read data book) में इन प्रजातियों को 9 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जिनमें से कुछ श्रेणियां इस प्रकार है।

1 Indangered Species 

वह प्रजातियां जिनकी संख्या वर्तमान में कम है परंतु भविष्य में लुप्त हो सकती है इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

2 Vulnerable Species 

इस श्रेणी के अंतर्गत वह प्रजातियां जिनकी संख्या वर्तमान में तो कम नहीं है परंतु भविष्य में वह कम हो सकती है वह इसके अंतर्गत आते हैं।

3 Rare Species

वह प्रजातियां जो कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है तथा भविष्य में यह लिप्त हो सकती है इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

4 Threatened Species

उपरोक्त तीनों में से किसी भी श्रेणी में शामिल प्रजातियों को इस श्रेणी में  रखा जाता है।

5 Extinct Species (विलुप्त प्रजाति) 

वह प्रजाति जो विगत 40 वर्षों से अपने मूल निवास में नहीं पाई जाती उन्हें विलुप्त कहा जाता है जैसे कि मॉरीसन का डोडो पक्षी तथा चीता।

Red List  मे शामिल कुछ प्रमुख जीव (Some major creatures included in the Red List)

घड़ियाल हंस गीदड़ दो सींग वाला गैंडा
गोह बत्तख लोमड़ी जंगली गधा
भारतीय अजगर सारस जंगली कुत्ता दलदली हिरण
अंडा खाने वाला सांप  हार्न  बेल हिमालय भालू कस्तूरी मृग
समुद्री जा हरा

कछुआ

निकोबार कबूतर लाल पांडा चीतल
सियार गिब्बन बाघ भेड़िया
कछुआ नीलगिरी लंगूर शेर नीलगाय
 दलदली कछुआ  सिह पूछ  बंदर तेंदुआ एक सींग वाला गैंडा

Hot Spot (जैव विविधता हॉटस्पॉट in india)

जेपी दत्ता की दृष्टि से कुछ स्थलों को अत्यंत समृद्ध माना जाता है, जिन्हें Hot Spot कहा जाता है ऐसे कुछ 25 स्थलों को चिन्हित किया गया है।

  1. मध्य अमेरिका
  2. कैलिफोर्निया
  3. कोलंबिया
  4. पश्चिम इक्वाडोर
  5. ब्राजील का अटलांटिक तट
  6. पश्चिमी अमेजेनिया
  7. मध्य चिली
  8. आइवरी कोस्ट
  9.  तजीनिया
  10. पूर्वी मेडागास्कर
  11. केप वर्डे
  12. पश्चिमी  घाट
  13. पूर्वी हिमालय
  14. पश्चिमी श्री लंका

जैव विविधता संरक्षण के लिए किए गए कुछ उपाय (Some Tips for Biodiversity Conservation)

1973 में यूनेस्को ने   man and biosphere project  प्रारंभ में किया जिसके तहत विश्व में 669 BSR  चिन्हित किए गए इसमें10 BSR भारत में भी हैं भारत में कुल 18 BSR है National Park और अभ्यारण  भी Flora और Fana की रक्षा के लिए स्थापित किए गए हैं 1972 में Wild life projection act भारत में लागू किया गया
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कार्टा जेना प्रोटोकॉल(Cartagena protocol ) 

1999 में जैव विविधता के संरक्षण के लिए यह प्रोटोकॉल अस्तित्व में आया वर्ष 2000 में  मॉन्ट्रियल में 135 देशों में इसका अनुमोदन कर दिया।

आद्र भूमि(Wet Land) 

वह भूमि जहां जल सतह के निकट अथवा जो जल में डूबी हुई है उसे आद्र भूमि कहा जाता है जैसे नदी,, झील, तालाब, लैगून, तथा सिंचित क्षेत्र इसी श्रेणी में आते हैं।

Ramsar Convention 1971 

ईरान के Ramsar  मैं यह Convention अस्तित्व में आया 158 देशों के1758  स्तनों को आद्र भूमि के रूप में चिन्हित किया गया इसमें 26 Wet Land भारत के हैं।

Montrer Recard   

Ramsar Convention के तहत उन Wet Land  को Montre Recard मैं रखा जाता है। जिसका अस्तित्व खतरे में है, तथा जिन्हें विशेष देखरेख की आवश्यकता है, Ramsar Convention मैं भारत की Wet Land शामिल है।

  • भीतर्कणिका (उड़ीसा)
  • चिल्का (उड़ीसा)
  • हरिके बैराज पंजाब
  • कोलेरू झील( आंध्र प्रदेश)
  • लोकटक झील(मणिपुर)
  • सांभर झील( राजस्थान)
  • बेम्बानाड (केरल)
  • वूलर झील( जम्मू कश्मीर)
  • ऊपरी गंगा नदी
  • भोजसर( मध्य प्रदेश)
  • Kevladev ghana sanctuary

भारत के पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem of India)

भारत में 7 पारिस्थितिक तंत्र है।

    1. हिमालय पारिस्थितिकी  तंत्र
    2. जलोढ़ मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र
    3. उष्ण मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र
    4. समुद्र तटीय प्राकृतिक तंत्र
    5. पठारी पारिस्थितिकी तंत्र
    6. उत्तर पूर्वी पारिस्थितिकी तंत्र
    7. मैदानी पठार सीमांत पारिस्थितिकी  तंत्र

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मूंगे की चट्टानें या प्रवाल भित्ति(Coral reefs)

  • यह दुनिया  उथले समुद्र में पाई जाती है।
  • यह  सिलेंटेट्रा नामक जीव के आवरण है जो कैलशियम कार्बोनेट से निर्मित है।
  • यह अत्यंत मजबूत  चट्टाने है जो समुद्री जीव का आश्रय स्थल है।
  • प्रवाल भित्ति या समुद्र में कुल क्षेत्रफल के 1% भाग पर है परंतु कुछ समुद्री जीवो का 25% यही शरण पाता है ।
  • ऑस्ट्रेलिया के उत्तर पूर्वी में ग्रेट बैरियर रीफ प्रवाल भित्ति का सबसे बड़ा उदाहरण है।
  • भारत में प्रवाल भित्ति के संरक्षण के लिए चार क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है।
  1. लक्ष्यदीप
  2. अंडमान निकोबार
  3. कच्छ की खाड़ी
  4. मन्नार की खाड़ी

मैंग्रोव वनस्पति (Mangrove vegetation)

खारे पानी में उगने वाली बनस्पति को मेट्रो वनस्पति कहा जाता है।  कच्छ के रण में इस की अधिकता के कारण कच्छ वनस्पति भी कहते हैं। सुंदरी, नारियल, केवड़ा, कोमिज  इसी प्रकार की वनस्पति है। यह बनस्पति ना सिर्फ मजबूत इमारती लकड़ी प्रदान करती है, अपितु सुनामी से भी हमारी रक्षा करती है।

आधुनिकीकरण  की होड़ में कच्छ वनस्पति को हानि पहुंचाई जाती है। पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में झारखाली विश्व का पहला  मैंग्रोव जू स्थापित किया गया। 1960 में भारत सरकार ने कच्छ वनस्पति संरक्षण एवं प्रबंधन की योजना प्रारंभ की इसके तहत 29 कच्छ वनस्पति  को चिन्हित किया गया जिनमें से कुछ प्रमुख नीचे दी गई है।

  • उत्तरी अंडमान और निकोबार
  • सुंदरबन( सबसे बड़ी)
  • भीतर र्कणिका (उड़ीसा)
  • तोरिगा (आंध्र प्रदेश)
  • इच्छावरम
  • point कोलिंबो (तमिलनाडु)
  • कच्छ की खाड़ी
  • कुंडापुर( कर्नाटक)
  • रत्नागिरी( महाराष्ट्र)
  • वेंबनाड( केरल)

EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) Notes

Topic-1 – पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं क्षेत्र (Concept and scopes of Evs): click here

Topic-2 –  पर्यावरण अध्ययन का महत्व एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Significance of Evs, Integrated Evs):  click here

Topic- 3 –  पर्यावरण अध्ययन(Environmental studies),पर्यावरण शिक्षा: click here

Topic- 4 –  अधिगम के सिद्धांत (Learning principles): click here

Topic- 5 – अवधारणा प्रस्तुतीकरण के उपागम (Approaches of Presenting Concepts): click here

Topic- 6 – पर्यावरण अध्ययन की शिक्षण अधिगम की विधियां(environment teaching method in Hindi) : Click here

Topic – 7 – EVS Pedagogy Activities (क्रियाकलाप) click here

Topic -8 & 9 – Practical Work And Steps In Discussion  Click here

Topic – 10  पर्यावरण अध्ययन में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन(C.C.E in Evs) Click here

इस पोस्ट में हमने पर्यावरण अध्ययन Environmental Studies Notes (ctet के लिए ईवीएस सवाल) के महत्वपूर्ण वन लाइनर्स Environmental studies Notes for CTET Exam के अंतर्गत आप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!!

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