Famous Dargah and Mazar in Haryana: प्रमुख दरगाह,मस्जिद एवं मकबरे (हरियाणा-GK*)

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हरियाणा की प्रमुख दरगाह,मस्जिद एवं मकबरे  (Famous Dargah and Mazar in Haryana)

 इस आर्टिकल में हरियाणा की प्रमुख दरगाह,मस्जिद एवं मकबरे (Famous Dargah and Mazar in Haryana)  से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस आपको इस आर्टिकल में प्राप्त होगी  इसमें हरियाणा की दरगाह मकबरे एवं मस्जिद

से संबंधित सभी जानकारी जैसे कि इनका निर्माण किसके शासनकाल में हुआ। एवं  किसके द्वारा इनका निर्माण कराया गया जैसी सभी उपयोगी व महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी ।

Famous Dargah and Mazar in Haryana 

प्रमुख दरगाह और मजार

स्थान

पीर मुबारक शाह की दरगाह चरखी दादरी
बाबा साहब  कमाल की मजार कैथल
पीर जमाल की मजार गोहाना( सोनीपत)
मामा भांजा की दरगाह सोनीपत 
बू अली शाह कलंदर दरगाह पानीपत
गौस अलीशाह की मजार पानीपत
अल्ताफ हुसैन हाली की दरगाह पानीपत
शेख आलम अल्ला की मजार पानीपत
शेख जुनैद की मजार हिसार
चार कुतुब की दरगाह हांसी( हिसार)
शेख चिल्ली का मकबरा कुरुक्षेत्र
शेख मूसा की मजार मेवात

हिसार में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा (Famous Dargah and Mazar in Haryana)

 (1) शेख जुनैद की मजार 

हिसार की रहने वाली शेख जुनैद भी सूफीसंत परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी थे। इनकी मजार नागौरी गेट के दक्षिण में स्थित है।

(2) चार कुतुब दरगाह

 हरियाणा के हिसार में स्थित चार कुतुब दरगाह का अर्थ है।  वह विद्वान जो समाज का मार्गदर्शन करें एवं लोगों को सही दिशा प्रदान करें।  हांसी में स्थित इन चार कुतुब दरगाह में प्रमुख चार सूफी संतों की मजार स्थित है। 



वह चार सूफी संत इस प्रकार है। 

1.  शेख कुतुब जलालुद्दीन अहमद (1188-1263)

2. शेख कुतुब मौलाना बुरहानुद्दीन (1261-1300) 

3. शेख कुतुबुद्दीन मुनव्वर(1352)

4. हजरत कुतुबुद्दीन  नूरुद्दीन(1325-1397) 

3.  मीरा  साहब की मजार

बाबा मीरा साहब का पूरा नाम “हजरत नियमित उल्लाह  वली उर्फ मीरा साहब” था। हरियाणा के हांसी के प्राचीन दुर्ग के ऊपर  उत्तर दिशा में स्थित बाबा मीरा साहब की मजार लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है। 

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पानीपत में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा        (Famous Dargah and Mazar in Haryana)

(1)  बू -अलीशाह कलंदर दरगाह

 हरियाणा में चिश्ती संप्रदाय की स्थापना शेख फरीद ने की थी।  बू अली शाह कलंदर भी चिश्ती संप्रदाय के प्रमुख सूफी संत थे। पानीपत में स्थित बू अली शाह कलंदर की दरगाह शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। 

(2) कबीर-उल-औलिया हजरत शेख जलालुद्दीन की दरगाह 

शेख जलालुद्दीन पानीपत के प्रमुख सूफी संत हुए हैं यह बू अली कलंदर के समकालीन ही थे। 

(3)  सैयद रोशन अली साहिब की दरगाह

 सैयद रोशन अली शाह साहब की दरगाह भाईचारे की मिसाल है।  यहां पर हर धर्म के लोग भाईचारे के लिए दुआ करने पहुंचते हैं। 

(4) अल्ताफ हुसैन हाली की कब्र

 अल्ताफ हुसैन हाली उर्दू, फारसी, अरबी एवं अंग्रेजी के अच्छे ज्ञाता थे। उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए कई हजार रुपए इकट्ठे करके एक पुस्तकालय बनवाया था साथ ही बाद में एक छोटा सा स्कूल शुरू करने में जुट गए।  जो बाद में हाली हाई स्कूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

(5) इब्राहिम लोदी की कब्र

 यह ऐतिहासिक मकबरा पानीपत के तहसील कार्यालय के निकट स्थित है।सन 1526 में इब्राहिम लोदी ने बाबर के साथ युद्ध किया था। जिसमें उसे पराजय हुई थी और वह मारा गया था।  युद्ध स्थल पर ही इब्राहिम लोदी को दफना दिया गया और यहां पर ही उसकी कब्र बना दी गई थी। 


(6) काबुली बाग मस्जिद

 हरियाणा के पानीपत के निकट काबुली बाग में एक मस्जिद तथा तालाब बना हुआ है।  यह बाग बाबर ने पानीपत की प्रथम लड़ाई में विजय की खुशी तथा सबसे प्रिय रानी  मुसम्मत मत काबुली बेगम की याद में बनवाया था। 

(7) जामा मस्जिद

 इस नगर की मुख्य मस्जिद को जामा मस्जिद कहते हैं।  यह नगर के मध्य में और नगर की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। 

(8) हजरत ख्वाजा समसुद्दीन का मकबरा 

यह पानीपत के प्रमुख संत हुए हैं। जो बू अली कलंदर के समकालीन थे। तथा साथ ही शेख अलीमुद्दीन साबरी के अनुयाई थे। 

(9)  सलार फकरुद्दीन व हाफिज जमाल का मकबरा

 यह मकबरा बू अलीकलंदर के माता-पिता का मकबरा है। .

(10) मुकर्रब  खान का मकबरा

मुकर्रब  खान का वास्तविक नाम शेख हसन था। यह जहांगीर के समय के प्रसिद्ध हकीम हुआ करते थे। 

(11) शेख अनामअल्लाह की मजार

(12)  हाली की दरगाह

(13) ख्वाजा अस्ताक अली की दरगाह

(14)  गौस अलीशाह की मजार

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रोहतक में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  लाल मस्जिद

 रोहतक नगर की एक मनोहर व प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक लाल मस्जिद है।  भिवानी स्टैंड पर स्थित इस मस्जिद को 1939 में नगर की एक बहुत ही प्रसिद्ध व्यापारी हाजी अली के द्वारा बनवाया गया था। 

(2 )सीसे वाली मस्जिद

 इस मस्जिद का प्रवेश द्वार संगमरमर के द्वारा निर्मित किया गया है।  रोहतक की चमेली बाजार में स्थित यह एक विशाल मस्जिद है। 

(3)  दीनी मस्जिद

रोहतक की दिनी मस्जिद एक ऐतिहासिक प्राचीन मस्जिद है।  अलाउद्दीन के शासनकाल में इस मंदिर को मस्जिद का रूप दे दिया गया था परंतु सन 1947 के बाद इसको फिर से मंदिर का रूप दे दिया गया।    

(4) काजी की मस्जिद

 रोहतक से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मस्जित है।  इस मस्जिद की मीनार 60 फुट की है। जिसमे गोल सीढियां कुतुब मीनार की तरह बनी हुई है।  इस मस्जिद को सफेद पत्थरों से बनाया गया है।


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सोनीपत में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(Famous Dargah and Mazar in Haryana : जीके )

(1)  ख्वाजा खिजर  का मकबरा 

 सोनीपत शहर में स्थित ख्वाजा खिज्र का मकबरा इब्राहिम लोदी ने अपनी शासनकाल में ख्वाजा खिज्र की याद में बनवाया था। 

(2) पीर जमाल की मजार

 सोनीपत के गोहाना में स्थित पीर जमाल की मजार हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मानी जाती है।

(3) मामू -भांजा दरगाह 

 हरियाणा के सोनीपत में स्थित मामू भांजा की दरगाह में इमाम नसरुद्दीन और उनके भांजे इब्राहिम अब्दुल्ला की मजारे स्थित है।  यह दरगाह एक शिव मंदिर में स्थित है। जो की हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक अनूठी मिसाल पेश करती है। 

कैथल  में स्थित प्रमुख दरगाह,मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  रजिया सुल्तान का मकबरा

 कैथल नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरूर रोड पर  रजिया सुल्तान का मकबरा स्थित है। इल्तुतमिश की पुत्री रजिया और उनके पति का कत्ल उसी के सरदारों के द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था। 

(2)  बाबा शाह कमाल कि मजार 

(3) पिर चेतन शाह कि मजार

 फतेहाबाद में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  फतेहाबाद की मस्जिद

 शेरशाह सूरी से पराजित होकर हुमायूं अपनी जान बचाने के लिए फतेहाबाद- सिरसा मार्ग से अमरकोट जा रहा था।  उसी समय फतेहाबाद में शुक्रवार को इबादत करते हुए यहां पर एक मस्जिद बनाने की घोषणा की थी यह वही मस्जिद  है। 

(2) मीर शाह मजार

 फतेहाबाद में सूफी संत मीर शाह की मजार स्थित है।  इस मजार के प्रांगण में एक पत्थर पर बादशाह हुमायूं का अभिलेख भी उत्कीर्ण है। 

(3) बाबा फरीद  टोम्ब

ऐसी अवधारणा मानी जाती है कि सूफी संत बाबा फरीद ने फरीदाबाद नगर की स्थापना की थी।  यह गुबंद स्थानीय लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल है। 

(4) ख्वाजा की सराय

 फरीदाबाद जिले के गांव सराय ख्वाजा के लगभग 300 वर्ष पुरानी एक सराय है।  इस सराय के नाम पर ही गांव का नाम सराय ख्वाजा पड़ गया था। यह सराय पीर ख्वाजा के द्वारा बनवाई गई थी। 

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रेवाड़ी में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  इब्राहिम 12 हजारी की मस्जिद

 इब्राहिम 12 हजारी मोहम्मद गौरी का एक जनरल था।  उसने रेवाड़ी के चौहान सरदार को हराकर यहां पर मुस्लिम धर्म का आधिपत्य कायम किया था। 

(2)  लाल मस्जिद

 रेवाड़ी की पुरानी कचहरी के समीप एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मस्जिद स्थित है। 1570 के आसपास इसका निर्माण अकबर के शासन काल में कराया गया था। 

(3) मुफ्ती निजामुद्दीन

 मुफ्ती निजामुद्दीन रेवाड़ी  कुतुबपुर के रहने वाले थे। सन 1857 की क्रांति के दौरान राजा राव तुलाराम की सेना की पलटन  नंबर 1 एजुकेटेड थे। अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए नसीबपुर के युद्ध में 16 नवंबर को यह वीरगति को प्राप्त हो गए। 

महेंद्रगढ़ में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  इब्राहिम खान का मकबरा

 नारनौल  शहर के दक्षिण में घनी आबादी के बीच स्थित इब्राहिम खान का मकबरा एक विशाल गुंबद के आकार का है।  इसका निर्माण इतिहास के प्रसिद्ध सम्राट शेरशाह सूरी ने अपने दादा इब्राहिम खान की याद में करवाया था। 

(2) शाह विलायत का मकबरा

 शाह विलायत का मकबरा इब्राहिम खान के मकबरे की एक और स्थित है।  यह मकबरा आकार में बड़ा और इसे तुगलक से लेकर ब्रिटिश काल तक की परंपरागत वास्तु कला से सजाया गया है।  फिरोजशाह तुगलक के शासन काल में यह मकबरा और इसके निकट के स्थल बनाए गए थे। 

(3) हमजा पीर दरगाह

नारनौल  से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम धरसूं में स्थित संत हमजा पीर की दरगाह भी काफी प्रसिद्ध मानी जाती है।  हमजा पीर का पूरा नाम हजरतसाह कलमुद्दीन हमजा पीर हुसैन था। यहां पर रूढ़ीवादी मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का प्रवेश वर्जित माना जाता है। 

मेवात में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1) शेख मूसा की मजार

 मेवात की धरती पीर फकीर तथा ऋषि मुनियों की धनि भी रही है।  हजरत शेख मूसा का संबंध ईरान से बताया जाता है। दिल्ली के प्रसिद्ध सूफी हजरत निजामुद्दीन औलिया के मुरीद थे।  हजरत शेख मूसा की दरगाह पल्ला गांव में पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है। यह दरगाह मुगल बादशाह अकबर के द्वारा बनवाई गई थी। 

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झज्जर में स्थित प्रमुख मस्जिद 

(1)  कांच की मस्जिद

 रोहतक से 22 किलोमीटर की दूरी पर झज्जर मार्ग पर स्थित ग्राम दुजाना में निर्मित यह प्राचीनतम मस्जिद है।  आज से लगभग 200 साल पहले सैयद हाफिजजुद्दीन नामक एक काजी ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। 

करनाल में स्थित प्रमुख दरगाह, मस्जिद एवं  मकबरा

(1)  कच्ची  समाधि

 यहां पर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कच्ची समाधि स्थित है।  जो शुरुआती समय से आज तक भी कच्ची ही है। यह स्थल बाबा सिमरण दास की  दशकों पुरानी कच्ची समाधि है। 

(2)  दरगाह कलंदर शाह

 इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के सुपुत्र की खिजान खान और शादी खान के द्वारा कराया गया था।  बू अली शाह कलंदर, सलाद फकिरुदिन का पुत्र था। एक अनुमान के अनुसार उनका जन्म 1190 ईसवी में हुआ था। 

(3) पांच पिरों की मजार

(4 ) मिरा साहब की मजार 

कुरुक्षेत्र में स्थित प्रमुख मकबरा

(Famous Dargah and Mazar in Haryana)

(1) शेख चिल्ली का मकबरा

 यह मकबरा सूफी संत शेख चिल्ली का है जो मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में ईरान से चलकर भारत में हजरत कुतुब अलाउद्दीन से मिलने थानेसर आए थे।   उन्होंने यहां पर अलाउद्दीन से भेंट की। थानेश्वर नगर के उत्तर पश्चिम कोण पर संगमरमर से बना हुआ यह मकबरा बहुत ही खूबसूरत मकबरा माना जाता है। शेखचिल्ली की मृत्यु थानेसर में ही हो गई और उन्हें यहां दफना दिया गया।  इसी कारण शेखचिल्ली के मकबरे को हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है। 

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