ExamBaaz https://exambaaz.com News, Govt. Jobs, Exam Notes, TET Guide & More Wed, 22 Jan 2025 10:13:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://exambaaz.com/wp-content/uploads/2020/08/cropped-exambaaz-fevi-150x150.jpg ExamBaaz https://exambaaz.com 32 32 जीवन कौशल प्रबंधन एवं अभिवृत्ति notes : Sikshak Bharti/CTET/REET/DSSSB https://exambaaz.com/jeevan-kaushal-prabandhan-evam-abhivrudhi/ https://exambaaz.com/jeevan-kaushal-prabandhan-evam-abhivrudhi/#comments Wed, 22 Jan 2025 10:13:05 +0000 https://exambaaz.com/?p=1847 Jeevan Kaushal Prabandhan Evam abhivrudhi In Hindi  आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ जीवन कौशल प्रबंधन एवं अभिवृत्ति ...

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Jeevan Kaushal Prabandhan Evam abhivrudhi In Hindi 

आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ जीवन कौशल प्रबंधन एवं अभिवृत्ति (Jeevan Kaushal Prabandhan Evam Abhivrudhi Notes) के महत्वपूर्ण नोट्स शेयर कर रहे हैं, जो विशेष रूप से उन सभी अभ्यर्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, जो शिक्षक भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं, Sikshak Bharti, CTET, REET, DSSSB, TGT, BTC, B.Ed और अन्य टीचर एग्जाम में जीवन कौशल से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं।

इसलिए, इस आर्टिकल में हम जीवन कौशल (Life Skills) से संबंधित विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाएंगे और इससे जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों और उत्तरों का भी जिक्र करेंगे। जीवन कौशल में संचार कौशल, निर्णय लेने की क्षमता, आत्मविश्वास, समस्या सुलझाने की कला, समय प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण योग्यताओं का समावेश होता है, जो न केवल शिक्षक बनने के लिए, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए जरूरी हैं।

इस पोस्ट में, हम इन सभी जीवन कौशल से संबंधित टॉपिक्स को विस्तारपूर्वक कवर करेंगे, ताकि आपकी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी मजबूत हो सके और आप इन्हें सही तरीके से समझ सकें। तो आइए, इस पोस्ट को पढ़ें और अपनी परीक्षा को सफलता की ओर अग्रसर करें!

जीवन कौशल/ प्रबंधन एवं अभिवृत्ति

(Jeevan Kaushal Prabandhan Evam abhivrudhi)

1.  जीवन कौशल

2.  व्यावसायिक आचरण एवं नीति

3.  प्रेरणा/ अभिप्रेरणा

4 .  शिक्षक की भूमिका

5 . संवैधानिक और मानवीय मूल्य

6 . दंड एवं पुरस्कार व्यवस्था का प्रभावी प्रयोग

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जीवन कौशल शिक्षा क्या है?

(What is life skill education?)

“जीवन कौशल के व्यवहारिक योग्यताएं हैं। जो मानव को आत्म ज्ञान, प्रभावी संप्रेषण,  रचनात्मक सोच, निर्णय लेने की क्षमता, भावनाओं में संतुलन स्थापित करना आदि को परिपक्व करने में मदद करती है ।जीवन कौशल वह क्षमता है, जो व्यक्ति को रोजमर्रा की जिंदगी की चुनौतियों और मांगों को पूरा करने में मदद करती है। शिक्षा के स्तर पर देखा जाए तो जीवन कौशल शिक्षा स्कूल शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों को पूर्ण करती है, एवं बच्चों को उनके जीवन के लिए तैयार करती है।” 

1. जीवन कौशल से संबंधित प्रश्न 

प्रश्न1   दोहरा कारक सिद्धांत  किसके द्वारा दिया गया?

उत्तर-   फ्रेडरिक हर्जवर्ग

प्रश्न2  भूख, सोना और प्यार  किस के प्रेरक है?

उत्तर-  जन्मजात प्रेरक

प्रश्न3 RTE.Act – 2009  देश में कब लागू हुआ?

उत्तर-  अप्रैल 2010

प्रश्न4  भारतीय रेडक्रास सोसायटी की स्थापना कब हुई?

उत्तर-  1920

प्रश्न5  शिक्षा मनोविज्ञान के पिता है?

उत्तर- हबर्ट

प्रश्न6 वुड डिस्पैच कब आया?

उत्तर- 1854

प्रश्न7 UGC  की स्थापना कब हुई?

उत्तर- 1953

प्रश्न8 “ प्रेरणा का प्रश्न क्यों का प्रश्न है” किसने कहा?

उत्तर-  क्रचफील्ड  एवं क्रंच ने

प्रश्न9 ” मूल्य व हैं जिनके लिए मनुष्य जीते हैं” किसने कहा था?

उत्तर-  ओटावे

2. व्यवसायिक आचरण एवं नीति से संबंधित प्रश्न

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प्रश्न1  भारत में किस वर्ष व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ हुई?

उत्तर-  1906 ईस्वी में

प्रश्न2  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना कब हुई?

उत्तर- 1953  ई में

प्रश्न3 ” शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम दक्षता पर आधारित होना चाहिए” किसने कहा?

उत्तर-  आचार्य राममूर्ति समिति

प्रश्न4  व्यावसायिक सिद्धांतों में सामाजिक अनुबंध के सिद्धांत  का किसने समर्थन किया?

उत्तर-  थॉमसन डोनाल्डसन एवं थामस डफी

प्रश्न5  गांधीजी ने आधारित शिक्षा का संप्रत्यय का सर्वप्रथम प्रयोग कहां किया था?

उत्तर-  टेलस्टाय फॉर्म में

Read Also : Jivan Kaushal Important Questions For UPTET,CTET

प्रश्न6 व्यावसायिक नैतिकता कितने प्रकार की होती है?

उत्तर-  दो प्रकार की(  वर्णनात्मक एवं प्रमाणिक)

प्रश्न7  किसने कहा था” एक अध्यापक की कथनी और करनी में अंतर होना चाहिए”?

उत्तर- महात्मा गांधी ने

प्रश्न8  किसने कहा था कि” बच्चों का सर्वोत्तम शिक्षक वही है जो स्वयं भी एक बच्चे की तरह हो”?

उत्तर-   मेन्कन

प्रश्न9  शिक्षा मनोविज्ञान के पिता माने जाते हैं?

उत्तर-    हर्बर्ट

प्रश्न10 ” फूल बच्चों की जन्मजात प्रगति है”  किसका कथन है?

उत्तर-  मैक्डूगल

प्रश्न11  राष्ट्रीय शिक्षा से   संबंध ” राष्ट्रीय कमेटी” (1937) का अध्यक्ष कौन था?

उत्तर-  जाकिर हुसैन

प्रश्न12  किस आयोग की राय में प्राथमिक स्तर पर बच्चों को स्कूल जाने के लिए अधिकतम 1 किलोमीटर का रास्ता  होना चाहिए?

उत्तर-  कोठारी आयोग

(Jeevan Kaushal Prabandhan Evam abhivrudhi)

प्रश्न13  किस आयोग ने 10+2+3 शिक्षा प्रणाली की सिफारिश की थी?

उत्तर-  कोठारी आयोग ने

प्रश्न14  भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में इस बात का वर्णन है कि बच्चे को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करनी चाहिए?

उत्तर- 350 -A(अनुच्छेद)

प्रश्न15  राष्ट्रभाषा हिंदी को प्रोत्साहन कौन सा अनुच्छेद करता है?

उत्तर-  अनुच्छेद 351

प्रश्न16 “ छात्र क्रियाकलापों” का सिद्धांत किसने दिया?

उत्तर-   कमेनियस

प्रश्न17  किस ने समूचे राष्ट्र में” महिलाओं की शिक्षा पर अधिक बल दिया”?

उत्तर-  स्वामी दयानंद सरस्वती

 प्रश्न18 N.C.E.R .T का मुख्यालय कहां पर है?

उत्तर-  दिल्ली में

प्रश्न19  शांतिनिकेतन की स्थापना किसके द्वारा की गई?

उत्तर-  टैगोर जी नहीं

प्रश्न20  किसने कहा था कि” शिक्षा से मेरा अभिप्राय बच्चों एवं वयस्कों के तन, मन तथा आत्मा का विकास”?

 उत्तर-  गांधी जी ने

प्रश्न21  नवोदय विद्यालय  मैं कौन सी कक्षा के विद्यार्थी पढ़ते?

उत्तर-  कक्षा-6 से  कक्षा- 12

प्रश्न22 NAAC  का मुख्यालय कहां है?

उत्तर-  बेंगलुरु

प्रश्न23  राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के तहत कितनी आयु वर्ग तक के लोगों को शिक्षा दी जाती है?

उत्तर-  15 वर्ष से 35 वर्ष तक

प्रश्न24  मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सृजन कब हुआ?

उत्तर-  सितंबर 1985

प्रश्न25  वर्धा शिक्षा योजना कब बनाई गई?

उत्तर-  1937 में महात्मा गांधी के द्वारा?

प्रश्न26  यह किसका कथन है कि” प्रोत्साहन छात्र के मन में रूचि उत्पन्न करने की कला है”?

उत्तर-  थॉमसन

प्रश्न27  किंडर गार्डन पद्धति की शुरुआत किसने की?

उत्तर-  फ्रोबेल

प्रश्न28  नवोदय विद्यालयों की स्थापना का सुझाव किसके द्वारा दिया गया ?

उत्तर-  राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986

प्रश्न29  वुड डिस्पैच कब आया ?

उत्तर- 1854   ई मे

प्रश्न30   शिमला शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया?

उत्तर- 1901  मैं

प्रश्न31  भारतीय विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति कब हुई?

उत्तर- 1902  में

प्रश्न32  किस समिति ने सर्वप्रथम अपव्यय और अवरोधन को परिभाषित किया?

उत्तर- हटार्ग समिति ने

Read also :NCF-2005: राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 नोट्स

3. प्रेरणा/ अभिप्रेरणा से संबंधित प्रश्न

प्रश्न1 ” अभिप्रेरणा” शब्द किस शब्द से बना है?

उत्तर- MOTUM

प्रश्न2  अभिप्रेरणा के कितने प्रकार होते हैं?

उत्तर-  आंतरिक तथा  बाह्य

प्रश्न3  अभिप्रेरणा के कितने घटक है?

उत्तर-  4( आवश्यकता,  चालक, प्रोत्साहन, अभिप्रेरक)

प्रश्न4  अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले दो कारक कौन-कौन?

उत्तर-  पुरस्कार एवं सफलता

प्रश्न5  कौन सा प्रेरक वातावरण में जाने से विकसित होता है?

उत्तर-  अर्जित प्रेरक

प्रश्न6  अभिप्रेरणा के कुल कितने सिद्धांत है?

उत्तर-  6

प्रश्न7  बाह्य प्रेरक कौन कौन से है?

उत्तर-   दंड, पुरस्कार, प्रशंसा, प्रोत्साहन, निंदा, सम्मान

प्रश्न8  वह कारक जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है?

उत्तर-  अभिप्रेरणा

प्रश्न9  अपनी स्वयं की इच्छा से कार्य करने वाले बालक में कौन सी अभिप्रेरणा होती है?

उत्तर-  सकारात्मक अभिप्रेरणा

प्रश्न10 “प्रेरणा का प्रश्न, क्यों का प्रश्न है” यह कथन किसके द्वारा दिया गया है?

उत्तर-  क्रंचफील्ड एवं  क्रैच

प्रश्न11  अभिप्रेरक कब उत्पन्न होते हैं ?

उत्तर-  जन्म से

प्रश्न12  पुरस्कार की व्यवस्था किस प्रकार की अभिप्रेरणा से संबंधित है?

उत्तर-  बाह्य अभिप्रेरणा

प्रश्न13 छात्र केंद्रित शिक्षा का क्या आशय है?

उत्तर-  प्रत्येक छात्र की आवश्यकता का ध्यान रखना

 प्रश्न14  अनुवांशिकता पैटर्न  सिद्धांत के प्रतिपादक हैं?

उत्तर –  लोरेंज

प्रश्न15  अभिप्रेरणा का वह कौन सा सिद्धांत है, जो संकल्प शक्ति पर बल देता है?

उत्तर-  ऐच्छिक सिद्धांत

प्रश्न16  विद्यालय में पुरस्कार को क्या लाभ है?

उत्तर-  उत्साह, आनंद एवं मनोबल में वृद्धि

प्रश्न17  किस विद्वान ने” अभिप्रेरणा को सीखने का राज मार्ग बताया है”?

उत्तर- स्किनर ने

प्रश्न18   कृतिम अभिप्रेरणा के कुछ उदाहरण बताइए?

उत्तर-  पुरस्कार, प्रशंसा, दंड , प्रोत्साहन

प्रश्न19 नकारात्मक प्रेरणा क्या होती है?

उत्तर-  पुरस्कार, लालच, ईर्ष्या

प्रश्न20 “दोहरा कारक सिद्धांत” किस विद्वान द्वारा प्रतिपादित किया गया?

उत्तर-  फ्रेडरिक हर्जवर्ग

प्रश्न21 कुछ व्यक्तिगत प्रेरक बतलाइए?

उत्तर-  रुचि, लक्ष्य, आदत, विश्वास, अभिवृत्ति

प्रश्न22 वह कौन से प्रेरक है जो कि जन्मजात होते हैं?

उत्तर-   भूख, प्यास , नींद

प्रश्न23 अभिप्रेरणा का मनोविश्लेषण सिद्धांत किसने दिया?

उत्तर-   सिगमंड फ्रायड  ने

प्रश्न24  सामुदायिक तक इस तरह का अभी प्रेरण है?

उत्तर-  अर्जित सामाजिक उत्प्रेरक/ अभी प्रेरक

4. शिक्षक की भूमिका से संबंधित प्रश्न

प्रश्न1  किंडर गार्डन  स्कूल सबसे पहले किस देश में खोले गए?

उत्तर-  जर्मनी

प्रश्न2  डाल्टन विधि को किसने प्रारंभ किया?

– उत्तर-  Allen Park hamster

प्रश्न3  प्रयोजनवाद के जनक कौन है?

 उत्तर-    विलियम जेम्स

प्रश्न4  किस विद्वान ने शिक्षक प्रशासन  के 7 कार्यों का उल्लेख किया?

उत्तर-  लूथर गुलिक

 प्रश्न5  छात्र शिक्षक का अनुकरण कब करेंगे?

उत्तर-  जब शिक्षक आदर्श रूप से कार्य करेगा

प्रश्न6  शिक्षा का केंद्रीय घटक कौन होता है?

उत्तर-  विद्यार्थी

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प्रश्न7 ” यदि गलत व्यवहार हेतु शिक्षक अभिभावक को दंडित नहीं किया जाता है तो छात्र उनको सीख लेता है” किसने इस तथ्य की पुष्टि की है?

उत्तर-  क्रीड, ब्लैक और  चांडलर

प्रश्न8 ” खेल बालक की जन्मजात प्रवृत्ति है” किसने कहा?

उत्तर-  मेक यू गूगल

प्रश्न9  अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर-  तीन प्रकार के

  •  प्रभावात्मक
  • मुक्तयात्मक
  • दमनात्मक

प्रश्न10  किस विद्वान ने शिक्षा को एक मनोवैज्ञानिक आवश्यकता माना है?

उत्तर-  डेवी ने

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5.संवैधानिक एवं मानवीय मूल्य से संबंधित प्रश्न

प्रश्न1  किसी व्यक्ति में कौन-कौन से मूल्य होने चाहिए?

उत्तर-  संवैधानिक एवं मानवीय मूल्य

प्रश्न2  छात्रों को किस बात की स्वतंत्रता होनी चाहिए?

उत्तर-  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

प्रश्न3  मूल्यो के अनुसार विद्यालय क्या है?

उत्तर-    डीवी के अनुसार- विद्यालय, समाज का लघु रूप है?

प्रश्न4  कल्याणकारी राज्य का क्या उद्देश्य है?

उत्तर-  कमजोर वर्गों के कल्याण का उद्देश्य

प्रश्न5   शांति की स्थापना के लिए किन मूल्यों की आवश्यकता होती है?

 उत्तर-  संवैधानिक मूल्यों  की

प्रश्न6 संविधान में कितने मूल कर्तव्य है?

उत्तर- 11

 प्रश्न7  संविधान कितने भागों में विभाजित है?

उत्तर- 22  भाग

प्रश्न8  संविधान के कितने मूल अधिकार है?

उत्तर- 6

प्रश्न9 भ्रम की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

उत्तर-   सत्य के अभाव में

प्रश्न10 भारतीय संविधान के मूल अधिकार क्या कहलाते हैं?

उत्तर-  भारतीय संविधान  का मैग्नाकार्ट

प्रश्न11  कोई बालक अराजक कब बन सकता है?

 उत्तर-  स्वतंत्रता के अभाव में

प्रश्न12 शिक्षण संस्थाओं में धर्म के प्रति कैसा भाव विकसित किया जाना चाहिए?

उत्तर- सभी धर्मों के प्रति आदर का भाव

प्रश्न13  धर्म विहीन शिक्षा के प्रति महात्मा गांधी के क्या विचार हैं?

उत्तर-  धर्म विहीन शिक्षा अंततः निरर्थक सिद्ध होती है

प्रश्न14  स्नेह के गुण मैंने कौन-कौन से गुण समाहित है?

उत्तर- समर्पण, दया, अनुराग,   क्षमाशीलता

प्रश्न15 14 वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा हेतु प्रबंधन एवं उनकी देखभाल संविधान का कौन सा अनुच्छेद करता है?

उत्तर-  अनुच्छेद 45

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You Can Also Read :Environmental studies Notes for CTET Exam 2019*

6. दंड एवं  पुरस्कार व्यवस्था से संबंधित प्रश्न

प्रश्न1 ”   अनिच्छुक उद्दीपन द्वारा किसी व्यवहार के लिए की जाने वाली प्रशासनिक क्रिया  दंड है”

किसने कहा?

उत्तर- हरलॉक

प्रश्न2 ” पुरस्कार व्यक्ति में अच्छे कार्य करने की प्रेरणा भरते हैं”  यह कथन है?

उत्तर-    रॉबनी

प्रश्न3 ” पुरस्कार एक संतोषजनक व्यवहार है, जो किसी व्यवहार के कारण उत्पन्न होता है और किसी साधन के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है” प्रस्तुत कथन है?

उत्तर- C.V Good

 प्रश्न4  पुरस्कार कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर-  दो प्रकार के( भौतिक एवं सामाजिक)

प्रश्न5  पुस्तकें, मेडल ,Troffy  पुरस्कार के कैसे स्वरूप है?

उत्तर-   भौतिक स्वरूप

प्रश्न6  प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति, सम्मान आदि पुरस्कार के कैसे स्वरूप है?

उत्तर- सामाजिक

प्रश्न7    किसने कहा था कि”पुरस्कार की प्रेरणा बालक को सीखने में सहायता करती है“?

उत्तर-  थार्नडाइक
प्रश्न8  किसने कहा था कि “ जब केवल पुरस्कार प्राप्त करना ही मुख्य लक्ष्य हो जाए तो सीखने की प्रक्रिया खत्म हो जाती है”?

उत्तर-  जॉन्स एवं  सिंपसन

प्रश्न9 “ सफलता से बड़ी कोई उपलब्धि नहीं और असफलता से बड़ी कोई निराशा नहीं” यह कथन किसके द्वारा कहा गया है?

उत्तर-  लाहे तथा ड्रेबमैन

प्रश्न10 ” पुरस्कार  वह सामान्य घटना है, जो संतोष व आनंद प्रदान करती है” यह कथन किसने दिया?

उत्तर- A.S रैबर

प्रश्न11  सिगमंड फ्रायड के अनुसार मानव में कितनी मूल प्रवृत्तियां होती है?

उत्तर-  दो( मृत्यु मूलक एवं जीवन  मूलक)

प्रश्न12  दंड देते समय कैसी मुद्रा होनी चाहिए?

उत्तर-  गंभीर मुद्रा

प्रश्न13  वर्तमान समय में दंड को किस प्रकार के साधन के रूप में देखा जा रहा है?

उत्तर-  सुधारात्मक

प्रश्न14  पुरस्कार हानि कब पहुंचाता है?

उत्तर-  जब वह पक्षपात पूर्ण हो

ये भी जाने :शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक/मनोविज्ञान की विधियां,सिद्धांत: ( Downoad pdf)

प्रबंधन एवं अभिव्रत्ति

(Jeevan Kaushal Prabandhan Evam abhivrudhi) 

Important question answer

प्रश्न1  समाज के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास का उत्तर दायित्व किस पर होता है?

उत्तर-  शिक्षक पर

प्रश्न2 किस कारण छात्र शिक्षक का अनुकरण करने के लिए प्रेरित होते हैं?

उत्तर- पुनर्बलन के कारण

प्रश्न3  पुनर्बलन छात्रों को कब प्रभावित करता है?

उक्त-  शिक्षक की भूमिका प्रभावी होने पर

प्रश्न4 एक शिक्षक का विश्वसनीय होना क्यों आवश्यक है?

उत्तर- छात्रों से बेहतर संवाद हेतु

प्रश्न5  परामर्शदाता के प्रमुख गुण बताइए?

उत्तर- 1  मैत्रीपूर्ण व्यवहार

          2 विश्वसनीय व्यक्तित्व

           3 अनुशासित

          4 नैतिक रूप से जागरूक

           5 बौद्धिक कुशाग्र ता

            6 भावनाओं में एकरूपता

प्रश्न6 एक शिक्षक होने के नाते आ सामाजिक लोगों के साथ आपका व्यवहार कैसा होना चाहिए?

उत्तर- एक समाज सुधारक के रूप में

प्रश्न7  एक शिक्षक में नेतृत्व की शक्ति का होना क्यों आवश्यक होता है?

उत्तर-  जिसमें कि वह अपने छात्रों को पाठ्य सहगामी प्रिया विषयों पर विचार विमर्श, शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में भाग लेने हेतु तथा अनुशासन हेतु तैयार कर सके

प्रश्न8  एक शिक्षक के लिए सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है?

उत्तर-  छात्रों का विश्वास

प्रश्न9 इच्छा की कौन सी छमता छात्रों में अनुशासन को बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है?

उत्तर- कक्षा में प्रबंधन की क्षमता

 प्रश्न10  यदि आप कक्षा में पढ़ा रहे हैं और किसी छात्र ने आपकी गलती पकड़ ली, इस स्थिति में आप क्या करेंगे?

उत्तर- अपनी गलती स्वीकार कर उसका सुधार करेंगे

प्रश्न11  शिक्षक के किस को को छात्र सर्वाधिक पसंद करते हैं?

उत्तर- समानता के गुणों को

प्रश्न12  छात्रों के लिखित कार्य को कब जांच ना चाहिए?

उत्तर-   लिखित कार्य पूरा होने के बाद

प्रश्न13 अनुशासनहीनता का प्रमुख कारण क्या है?

उत्तर-  शिक्षकों में जिम्मेदारी का अभाव होना

प्रश्न14 किसी व्यक्ति को आहत किए बगैर अपनी बात रखना क्या कहलाता है?

उत्तर- प्रभावी संप्रेषण

प्रश्न15   डेल्फी की विधि के द्वारा इसकी पहचान होती है?

उत्तर- जीवन कौशल के महत्वपूर्ण अंगों

प्रश्न16 किस विद्वान ने कहा है” जिसमें कुछ करने की शक्ति हो, कुछ करता है जो कुछ नहीं करता, पढ़ता है।”

उत्तर-  जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

प्रश्न17  दैनिक जीवन में निर्णय लेने के लिए जीवन कौशल की कौन सी विशेषता सहायक है?

उत्तर- विश्लेषणात्मक सोच

प्रश्न18  जब मानव जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए साथ साथ दूसरे की समस्या को समझने में समर्थ हो तो वह क्या कहलाता है?

उत्तर-  आत्म जागरूक

प्रश्न19  दूसरे व्यक्तियों की अनुभूतियों एवं परेशानियों को समझना क्या कहलाता है?

उत्तर-  सहानुभूति

प्रश्न20 निर्णय लेते वक्त कौन सी मनोदशा से दूर रहना चाहिए?

उत्तर-   भावुकता

प्रश्न21 भावनात्मक समाज को किस प्रकार सीखा जाता है?

उत्तर-  अभ्यास के द्वारा

प्रश्न22  रूढ़िवादी शिक्षा का स्थान किस ने ले लिया है?

उत्तर-  तकनीकी शिक्षा में

प्रश्न23  जीवन कौशल शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम का संचालन भारत सरकार का कौन सा मंत्रालय करता है?

उत्तर- अल्पसंख्याक कार्यों का मंत्रालय

प्रश्न24  हर्वर्ट अपने अधिगम के कितने स्तर बताएं हैं?

उत्तर-  5

प्रश्न25  किस शिक्षा शास्त्री ने कहा है कि बच्चों का मन कोरी स्लेट के समान होता है?

उत्तर-   प्लेटो ने

प्रश्न26 “ शिक्षा का कार्य मानव को सुख संस्कृत बनाना है” किसका कथन है?

उत्तर-  श्री अरविंदो घोष

 प्रश्न27 पढ़ते समय पुस्तक को कितनी दूर रखना चाहिए ?

उत्तर-  12 इंच

प्रश्न28  त्रिभाषा फार्मूला किस  आयोग ने दिया?

उत्तर-  मुदालियर आयोग

प्रश्न29  भावनात्मक समझ से किस प्रकार के व्यवहार का विकास होता है?

उत्तर-  सकारात्मक

प्रश्न30   डर, गुस्सा , चिंता, घृणा, ईर्ष्या आदि को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?

उत्तर-  जीवन कौशल शिक्षा

प्रश्न31 “प्रेरणा छात्रों में रुचि उत्पन्न करने की कला है” किसने कहा?

उत्तर-   थॉमसन ने

प्रश्न32 ” अनुवांशिक पैटर्न सिद्धांत ” के प्रतिपादक हैं?

उत्तर-  लॉरेंज

प्रश्न33  लघु सोपान सिद्धांत किसे कहते हैं?

उत्तर- विभाजन का सिद्धांत

प्रश्न34  भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी का अध्यक्ष है?

उत्तर-  राष्ट्रपति

प्रश्न35  बालक की प्रारंभिक पाठशाला किसे कहते हैं?

उत्तर  परिवार

प्रश्न36  विद्यालय में अभिलेख कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर- पांच प्रकार

दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना जीवन कौशल प्रबंधन एवं अभिवृत्ति notes(jeevan kaushal prabandhan evam abhivrudhi notes) के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर  अगर आप शिक्षक भर्ती से संबंधित अन्य नोट्स या Study material प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अवश्य  बताएं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!!

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EVS Pedagogy Notes in Hindi: अवधारणा प्रस्तुतीकरण के उपागम और अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक्स https://exambaaz.com/evs-pedagogy-notes-in-hindi/ https://exambaaz.com/evs-pedagogy-notes-in-hindi/#respond Wed, 22 Jan 2025 10:10:03 +0000 https://exambaaz.com/?p=2168 EVS Pedagogy In Hindi (पर्यावरण पेडगॉजी notes) EVS Pedagogy Notes in Hindi: आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ ...

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EVS Pedagogy In Hindi (पर्यावरण पेडगॉजी notes)

EVS Pedagogy Notes in Hindi: आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ पर्यावरण पेडागोजी (EVS Pedagogy Notes in Hindi) के एक बेहद महत्वपूर्ण टॉपिक अवधारणा प्रस्तुतीकरण के उपागम (Avdharna Prastutikaran ke Upagam) पर चर्चा करेंगे। यह टॉपिक पर्यावरण अध्ययन (EVS) के शिक्षण दृष्टिकोण को समझने में मदद करता है। हमने इस आर्टिकल में EVS Pedagogy Notes के टॉपिक 6 को विस्तार से समझाया है, जिसमें शामिल हैं:

  • क्रिया आधारित अधिगम (Activity-based Learning)
  • सहयोगी अधिगम के नियम (Cooperative Learning Rules)
  • क्रिया आधारित अधिगम हेतु चार चरण (Four Stages of Activity-based Learning)
  • सहयोगी अधिगम के उपयोग (Application of Cooperative Learning)

इन सभी पहलुओं पर हमने गहराई से जानकारी दी है, ताकि आप बेहतर तरीके से इन शिक्षण विधियों को समझ सकें और इन्हें अपनी परीक्षा में उपयोग कर सकें। इसके अलावा, पर्यावरण पेडागोजी के अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक्स की लिंक भी आपको नीचे दी गई है, जिससे आप अन्य विषयों का भी गहराई से अध्ययन कर सकें।

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जैसा कि आप सभी को पता होगा कि(पर्यावरण पेडगॉजी notes) EVS pedagogy शिक्षक भर्ती परीक्षा में (हिंदी में ctet पर्यावरण अध्ययन नोट्स pdf) विशेष रूप से पूछी जाती है। आने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक हो जाता है । इसी को ध्यान में रखते हुए हमने आप सभी के साथ इस आर्टिकल को शेयर किया है।  आशा है यह आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा। 


अवधारणा प्रस्तुतीकरण के उपागम (Approaches of Presenting Concepts)

     Topic-6

NCF-2005 शिक्षा तथा अधिगम से रचनात्मक बाल केंद्रित, अधिगम केंद्रित एवं  अनुभावनात्मक दर्शनों पर जो देता है

1   क्रिया आधारित अधिगम(Activity based learning)

  • प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन इसलिए रखा गया है ताकि सभी बच्चों में पर्यावरण की गुणवत्ता एवं प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन हेतु सुग्राही एवं संवेदनशील  लगाव का विकास किया जा सके इसीलिए अध्यापकों को चाहिए कि बच्चों को उनके आसपास के परिवेश से घुलने मिलने के अवसर प्रदान करें।
  • क्रिया आधारित उपागम बच्चों को उनके अपने अनुभवों पर आधारित ज्ञान के निर्माण तथा पुनः निर्माण में व्यस्त करती है।

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एक  शैक्षिक क्रिया निम्न प्रकार की होनी चाहिए। 

  • पर्यावरण अध्ययन के अधिगम उद्देश्य से स्पष्ट ता से जुड़ी हुई।
  • वास्तविक जीवन आधारित तथा बच्चों के लिए सुखद या आनंददायक हो।
  • बच्चों के लिए सुरक्षित हो।
  • पूरा होने में अधिक समय ना लगे।  लंबी क्रिया को मध्यत्तर देकर छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जा सके।
  • बच्चों के आयु के अनुसार उचित हो।
  • ऐसी हो जो बच्चों में रुचि एवं जिज्ञासा जगाए एवं सार्थक सूचना का प्रदान करें।
  • बच्चों के अनुभवों पर केंद्रित हो व सभी बच्चों को सम्मिलित करें।

ये भी जाने : शिक्षण विधियाँ एवं उनके प्रतिपादक/मनोविज्ञान की विधियां,सिद्धांत: ( Download pdf)



क्रिया आधारित शिक्षण अधिगम का आयोजन कराना

क्रिया आधारित अधिगम हेतु चार चरण होते हैं जो इस प्रकार है।

(1)  नियोजन(Planning)

  • अधिगम उद्देश्य की पहचान कर ली जाए जो नियोजित क्रिया द्वारा प्राप्त किए जाएंगे।
  • विभिन्न संसाधनों की सूची बनाएं तथा प्रबंध  करें- सामग्री, संसाधन( अधिगम), स्वयंसेवक आदि।
  • प्रिया के बाद संक्षिप्त चर्चा की योजना भी आपके द्वारा बनाई जानी चाहिए।  आपको इस बात का भी अंदाजा होना चाहिए कि आप किस प्रकार के मूल्यांकन करेंगे । विद्यार्थियों का एवं   क्रिया के प्रभाव का।

(2)  क्रिया को संचालित करना(Operate the activity)

  • क्रिया को शुरू करना –  बच्चों को क्रिया से अवगत कराएं तथा उनके अर्थ एवं उद्देश्य के बारे में बताएं।  उनकी भूमिका के बारे में, कितना समय लगेगा, मूल्यांकन कैसे होगा।
  • क्रिया करवाएं – क्रिया  शुरू होने के बाद देखे कि बच्चे क्रिया  करने में सार्थक रूप से योग्य है या नहीं सब बच्चों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • क्रिया का समापन कराएं-  बच्ची अपने अनुभवों के बारे में विचार-विमर्श करें तथा पर्यावरण अध्ययन से जुड़ी हुई  सीख उनमें से निकले।

 (3) कार्य का मूल्यांकन(Evaluation)

  • एक अध्यापक होने के नाते आपको कार्य का मूल्यांकन भी करना है ताकि यह पता चल सके कि जिन शैक्षिक उद्देश्यों को आप क्रिया के द्वारा प्राप्त कराना चाहते थे उनकी प्राप्ति हो पाई या नहीं।  
  • जब बच्चे क्रिया कर रहे होते हैं उस दौरान उनका ध्यान से अवलोकन किया जाना चाहिए।
  • जब पुनर्निवेशन  की आवश्यकता है। उसी समय दिया जा सकता है, और प्रगति की जांच   निर्माणात्मक मूल्यांकन द्वारा की जानी चाहिए।
  • अंत में क्रिया  संकलित मूल्यांकन करें ताकि हर बच्चेकी क्रिया में भागीदारी का मूल्यांकन हो पाए।

(4)  प्रक्रिया  पर पुनर्विचार करना(Reconsider the activity)   

  • कुछ समय इस बात पर विचार करें कि क्या अच्छा रहा और क्या नहीं और क्यों?
  • पुनः विचार भविष्य में आपको किसी भी क्रिया को बेहतर रूपरेखा देने, योजना बनाने एवं क्रिया  मैं आवश्यक सुधार करने में सहायता करेंगे।

क्रिया आधारित अधिगम उपागमो के उपयोग   

    • अमूर्त अवधारणाओं को प्रयोगात्मक अनुभव या निदर्शन द्वारा स्पष्ट करने में सहायता करते हैं।
    • बहु ज्ञानेंद्रियों को प्रयोग करने का अवसर प्रदान करते हैं।  जैसे कि देखना, सुनना, छूना, सुघना एवं स्वाद इत्यादि। इस प्रकार जो सीखा जाता है अधिक समय तक बना रहता है।
    • विषय वस्तु सिखाने के अलावा कई जीवन कौशल सिखाए जाते हैं।
    • बच्चों की दृष्टिकोण से सीखने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है।  ना कि बड़ों के दृष्टिकोण से।
    • समस्याएं एवं समाधान ओं को ढूंढने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाता है।  जिससे आत्म सम्मान का विकास होता है।
    • “हाथ से काम करके सीखना” तथा “करके सीखना” पर बल देती है।
    • विज्ञान, गणित इत्यादि के नियमों को बच्चों की परीक्षित परिस्थितियों से जोड़कर अच्छी समझ विकसित करने में सहायता करते हैं।
    • इसमें सृजनात्मकता तथा लचीलापन को बढ़ावा मिलता है।
    • बच्चे को शारीरिक एवं मानसिक दोनों पक्षों को प्रयोग करने का अवसर प्रदान होता है।




 पर्यावरण अध्ययन की एक क्रिया का उदाहरण
  • अपने  कचरे को अलग करें   

उद्देश्य-  अलग-अलग प्रकार के कपड़े की पहचान, अलग करने का महत्व बता सके।

सहयोगी अधिगम उपागम(Associate learning approach)   

परिभाषाएं (Definition)   

(1) बरोड़ी तथा डेविस के अनुसार – “सहयोगी अधिगम शिक्षण उपागम है, जो पढ़ने के अनेकों तरीकों को जन्म देती है, जो सभी बच्चों को एक ही उद्देश्य की और समूहों में काम करने,   कार्य को बांटने की और लगाते हैं। इस प्रकार से कि वह ऐसा व्यवहार करें जिससे परस्पर निर्भरता दिखती हो तथा प्रत्येक बच्चे की भागीदारी तथा प्रयास भी नजर आते हो।”

(2) जी. जैकबज के अनुसार – ” सहयोगी अधिगम समूह में काम करने के मूल्य को बढ़ावा देने वाली अवधारणा एवं तकनीक है। “ सहयोगी अधिगम में समूहों में काम करना होता है।  पर्यावरण अध्ययन में यह महत्वपूर्ण अंतर्निहित मूल्य है, कि इकट्ठे सीखना चाहिए।

सहयोगी अधिगम शिक्षकों को निम्नलिखित के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  • “मूल्य” सीखने सिखाने की  पारंपरिक आदर्श सोच से निकलने के लिए।
  • बच्चों को सहयोग की भावना समझने में सहायता करने के लिए।
  • यह समझने के लिए कि व्यक्तियों में अंतर होते हैं तथा   भिन्नताए लोकतंत्र हेतु आवश्यक है।
  • बच्चों के सामाजिक संदर्भ का महत्व समझने के लिए।

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ये भी जाने : जीवन कौशल प्रबंधन एवं अभिवृत्ति नोट्स

सहयोगी अधिगम के नियम

सहयोगी अधिगम के तीन अति महत्वपूर्ण सिद्धांत निम्न है।

(1)  सकारात्मक रूप से एक दूसरे पर निर्भरता

इसमें शामिल है समूह का एक सांझा उद्देश्य हो,सभी के संसाधन सांझा हो, एक समूह की एक पहचान बनाई जाए( जैसे समूहों नाम)।  इसके द्वारा सकारात्मक भावनाओं एवं मनोवृत्ति यों पर जोर दिया जाता है।

(2) व्यक्तिगत जिम्मेदारी

 यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक बच्चों को कुछ ना कुछ काम दिया जाए तथा कुछ कार्य समूह के सभी सदस्य इकट्ठे होकर करें।

(3) सामान स्तर पर सहक्रियाएं  

समूह के सदस्यों के बीच समान स्तर पर सहक्रियाएं  समूह के सहज कार्य हेतु आवश्यक होती हैं। शिक्षक का कार्य होगा कि शिक्षार्थी एक दूसरे के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करें। समाधि स्थल की सहक्रियाएं  के लिए आवश्यक है कि शिक्षक प्रत्येक शिक्षार्थी को जानते हो।

सहयोगी अधिगम के उपयोग

  • सहयोगी अधिगम बच्चों में दूसरों के दृष्टिकोण एवं विचारों को समझने की योग्यता को बढ़ाता है।
  • बच्चों की एक दूसरे के साथ घुलने मिलने के कौशलों को विकसित करने में सहायता करता है।
  • समस्याओं को सुलझाने के आपात स्थिति को संभालने के तथा फैसले करने को कौशल का विकास करता है।
  • सहयोगी अधिगम बच्चों को अलग प्रकार से लेकिन परिस्थिति के अनुसार उचित प्रक्रिया करने में योग्य बनाता है।
  • सहयोगी अधिगम परिस्थितियां बच्चों को इस प्रकार के अवसर देती है कि वे  बहुआयामी विचारों की छानबीन कर सके तथा प्रतीक बच्चे से संबंधित संभावनाओं एवं परिणामों का अंदाजा लगा सके तथा उन पर तर्क वितर्क कर सके।
  • पर्यावरण अध्ययन शिक्षण अधिगम विश्लेषणात्मक सोच तथा समस्याओं के समाधान से संबंधित है।  सहयोगी अधिगम काफी हद तक शिक्षार्थियों में इन कौशलों का विकास करने में सहायता कर सकता है।

सहयोगी अधिगम की चुनौतियां

    •  सहयोगी अधिगम सत्र की आवश्यकता और फिर उद्देश्य वर्णन करना बहुत महत्वपूर्ण है पाठ्यक्रम के साथ इस क्रिया की कड़ियां जोड़ने सत्र से पहले तथा बाद शिक्षक द्वारा चर्चा आदि की योजना बनाने में काफी समय तथा क्रिया योजना चाहिए खासतौर पर प्रत्येक बच्चे के मूल्यांकन से संबंधित।
    • एक शिक्षक होने के नाते आप को छानबीन करने, प्रश्न करने, रास्ते ढूंढ कर  निकाल तो रहने, बच्चों को अर्थपूर्ण ढंग से समूह कार्य द्वारा सीखते रहने में सहायता करना है।
    • एक प्रभावी सहयोगी अधिगम समूहों  को बनाने के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षक अपने शिक्षार्थियों से भलीभांति परिचित हो।
    • बच्चों को अलग-अलग समूह में रखना एक कठिन प्रक्रिया है जो ध्यान पूर्वक किया जाना चाहिए।
    • सहयोगी समूह  बनाते समय विभिन्न अधिगम कौशल संस्कृति पृष्ठभूमि, व्यक्तित्व तथा लिंग का भी ध्यान रखना पड़ेगा।




EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) Notes

Topic-1 – पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं क्षेत्र (Concept and scopes of Evs): click here
Topic-2 –  पर्यावरण अध्ययन का महत्व एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Significance of Evs, Integrated Evs): click here
Topic- 3 –  पर्यावरण अध्ययन(Environmental studies),पर्यावरण शिक्षा: click here
Topic- 4 –  अधिगम के सिद्धांत (Learning principles): click here

इस पोस्ट में हमने पर्यावरण पेडगॉजी notes (Avdharna prastutikaran ke Upagam) आप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!! 

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EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) In Hindi For CTET & All TET Exams: शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण नोट्स https://exambaaz.com/environment-pedagogy-in-hindi/ https://exambaaz.com/environment-pedagogy-in-hindi/#respond Wed, 22 Jan 2025 10:01:54 +0000 https://exambaaz.com/?p=2132 Environment Pedagogy In Hindi(EVS Pedagogy Notes) EVS Pedagogy Notes: दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए पर्यावरण पेडागोजी ...

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Environment Pedagogy In Hindi(EVS Pedagogy Notes)

EVS Pedagogy Notes: दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए पर्यावरण पेडागोजी (EVS Pedagogy Notes in Hindi) के नोट्स लेकर आए हैं। यदि आप किसी भी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि पर्यावरण अध्ययन (Environment Pedagogy) एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है, जो अधिकांश शिक्षक पात्रता परीक्षाओं जैसे CTET, TET, UPTET, MPTET में पूछा जाता है।

इन सभी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए हम आपके साथ पर्यावरण पेडागोजी के संपूर्ण नोट्स शेयर कर रहे हैं, जो न केवल आपके ज्ञान को बढ़ाएंगे, बल्कि आपकी परीक्षा में सफलता की संभावना को भी बढ़ाएंगे। पर्यावरण पेडागोजी के विभिन्न पहलुओं को समझने के साथ, आप कक्षा में प्रभावी शिक्षण और सतत विकास के सिद्धांतों को भी जान सकेंगे। इस लेख में दिए गए नोट्स आपकी परीक्षा तैयारी को और भी मजबूत करेंगे और आपको किसी भी प्रकार के पर्यावरण अध्ययन से संबंधित प्रश्नों में कोई दिक्कत नहीं होगी।

इस पोस्ट में हम जानेंगे पर्यावरण अध्ययन से संबंधित निम्न टॉपिक्स-

Topic-1 – पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं क्षेत्र (Concept and scopes of Evs)

Topic-2 –  पर्यावरण अध्ययन का महत्व एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Significance of Evs ,Integrated Evs)

Topic- 3 –  पर्यावरण अध्ययन(Environmental studies),पर्यावरण शिक्षा

Topic- 4 –  अधिगम के सिद्धांत (Learning principles)

  •    थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत(Thorndike’s theory of learning)
  • अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत(Classical conditioning theory)
  • स्किनर का सिद्धांत
  • प्रबलन सिद्धांत (Reinforcement Theory)
  • सूझ अंतर्दृष्टि का सिद्धांत (Insight Theory)


Concept and scopes of Evs (पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं क्षेत्र)

Environment Pedagogy In Hindi

Introduction (परिचय)

पर्यावरण अध्ययन (Environment)का अध्यापन राष्ट्रीय पाठ्यचर्या समिति ने 1975 के नीतिगत दस्तावेज” 10 वर्षीय स्कूल के लिए पाठ्यक्रम: एक रूपरेखा” अर्थात(The curriculum for the 10 year school: a framework)मैं सिफारिश की थी, कि एक एकल विषय पर्यावरण अध्ययन(evs)  प्राथमिक स्तर पर पढ़ाया जाना चाहिए।

  • पहले 2 वर्ष में( कक्षा 1-2 ) पर्यावरण अध्ययन प्राकृतिक और सामाजिक वातावरण दोनों को देखेगा, जबकि कक्षा 3 – 4  में सामाजिक अध्ययन और सामान्य विज्ञान के लिए अलग से होंगे Evs part 1 और Evs part 2 ।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National policy of education)1986 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF)1988  में भी प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन के शिक्षण के लिए यही दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
  • NCF 2000मैं सिफारिश की थी कि पर्यावरण अध्ययन को एक एकीकृत पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाए, प्राथमिक स्तर( कक्षा 3 -4 ) पर विज्ञान और सामाजिक अध्ययन के लिए अलग-अलग विषय ना बढ़ाए जाएं।
  • वर्तमान एनसीएफ 2005 में पर्यावरण अध्ययन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को निरंतरता आगे मजबूत बनाने का आह्वान किया है।

पर्यावरण का अर्थ है वाह्य आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।  अतः पर्यावरण से अभिप्राय उन सभी भौतिक दशाएं तथा तथ्यों से लिया जाता है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।

पर्यावरण शिक्षा निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है अतः प्राथमिक स्तर से ही इसका शिक्षण आवश्यक है।

Read : EVS Pedagogy Quiz In Hindi/English

पर्यावरण अध्ययन की संकल्पना(NCF2005)Concept of environmental studies-

  • बच्चों को प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण के बीच संबंधों का पता  लगाने और उन्हें समझने के लिए प्रशिक्षित करना।
  • अवलोकन और चित्रों के आधार पर समझ विकसित करने के लिए अनुभव के माध्यम से उन में भौतिक, जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू की  समझ प्राप्ति की ओर अग्रसर करना।
  • बच्चो  को सामाजिक घटनाओं के प्रति जिज्ञासु बनाने हेतु संख्यात्मक क्षमता पैदा करने के लिए परिवार से शुरुआत कर पूरे संसार की समझ विकसित करते हुएआगे बढ़ाना।
  • पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता विकसित करना।
  • बुनियादी संख्यात्मक और मनो प्रेरणा कौशल(Psychomotor Skills) प्राप्त करने के लिए बच्चे को खोजपूर्ण और हाथों की गतिविधियों में संलग्न कराना अर्थात अवलोकन, वर्गीकरण आदि द्वारा।
  • विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय मुद्दे जैसे- लिंगभेद, उत्पीड़न के मुद्दे, प्रदूषण, अनैतिक व्यवहार आदि को मूर्त घटनाओं से संबंधित कर उन्हें समझने की क्षमता का विकास कराना ताकि उनमें मानवीय अधिकारों, समानता और न्याय  मूल्यों के लिए सम्मान विकसित हो।
  • उन्हें इस योग्य बनाने की समानता, न्याय, मानव की गरिमा और अपने अधिकारों संबंधी मुद्दों को हल करने में सक्षम हो सके।
  • पर्यावरण संरक्षण क्यों आवश्यक है?  प्रदूषण क्या है? इसका समाधान कैसे हो सकता है? इन प्रश्नों के उत्तर  की समझ विकसित करने के लिए पर्यावरण अध्ययन को प्राथमिक स्तर पर शामिल किया जाना आवश्यक है ।
  • पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि ना हो इसलिए इससे संबंधित अच्छी आदतों का विकास करने हेतु पर्यावरण अध्ययन आवश्यक है।

पर्यावरण अध्ययन विषय को बाल केंद्रित एवं एकीकृत करने के लिए इसमें लगभग 6 सामान्य विषयों का समावेश किया गया है जो इस प्रकार है।

1  परिवार और मित्र(Family and friends)

2 भोजन(Food)

3  आश्रय( shelter)

4  पानी( water)

5  यात्रा( travel)

6 चीजें जो हम बनाते हैं और करते हैं (Things we make and do)

पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005(NCF 2005) बच्चों  के स्कूली जीवन को बाहर के जीवन से जोड़ने का समर्थन करती है।
  • पर्यावरण अध्ययन के विषय में तो यह पूरी तरह से सही है, क्योंकि पर्यावरण अध्ययन का ध्येय मात्र ज्ञान का अर्जन ही नहीं ,बल्कि इससे जुड़े सामाजिक, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर एक संपूर्ण रूप से समझ बनाते हुए आवश्यक कौशलों के  विकास द्वारा पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान करना भी है।
  • पर्यावरण अध्ययन में पर्यावरण विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान का समावेश है । यह इन विषयों के सार को संकलित करके प्राकृतिक वातावरण तथा उसके भौतिक, रासायनिक एवं जैविक तत्व की पारस्परिक क्रियाओं को व्यवस्थित रूप से समझने तथा संचालित करने में सहायता करता है।
  • पर्यावरण शब्द फ्रांसीसी फ्रेंच शब्द “इंवीरोनर”से लिया गया है जिसका अर्थ है पूरा परिवेश।

पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र (Scop of EVS)

1 पर्यावरण अध्ययन में हम प्राकृतिक आपदाओं जैसे  बाढ़, भूकंप, भूस्खलन चक्रवात आंधी के कारण एवं परिणाम को समझने एवं प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के उपाय का अध्ययन करते हैं।

2  इसमें हम वनस्पति एवं जंतु के प्रकारों एवं  उनकी सुरक्षा के बारे में अध्ययन करते हैं।

3 प्राकृतिक संपदा एवं उनकी समस्याओं का संरक्षण एवं सुरक्षा इसमें जल, मृदा, वन, खनिज, बिजली एवं परिवहन शामिल है।

4  पर्यावरण के अध्ययन क्षेत्र में ना सिर्फ पृथ्वी वरन अंतरिक्ष भी सम्मिलित है

5  मानव पर्यावरण संबंध पर्यावरण मुद्दों से संबंधित नीति एवं कानून का अध्ययन करते हैं ।

6  मौसम संबंधी अनेक कारण जैसे कि तापमान,, पवन, दाब, वर्षा, ओलावृष्टि, हिमपात ,पाला पड़ना भी पर्यावरण के जैविक घटकों को प्रभावित करते हैं जलवायु परिवर्तन के कारण आज अनेकों समस्याएं हमारे सामने प्रगट हो रही हैं, जिन्हें समझने तथा उनके निवारण हेतु मौसम विज्ञान के बारे में हम पर्यावरण अध्ययन में पढ़ते हैं ।

7 पर्यावरण का क्षेत्र काफी व्यापक होता है पर्यावरण अध्ययन को 3:00 व्यापक नियमों के अनुसार संचालित किया जाता है।

  • पर्यावरण के बारे में सीखना।
  • पर्यावरण के लिए सीखना।
  • पर्यावरण के माध्यम से सीखना।

8 पर्यावरण अध्ययन का विस्तार पर्यावरण को सीखने के माध्यम  की तरह प्रयोग करने से लेकर, इसकी सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए क्या किया जा सकता है इस की विषय वस्तु की व्यवस्था बच्चे के आसपास के परिचित अनुभवों से शुरू होकर बाहरी अपरिचित दुनिया की तरफ चलती है ।

9 पर्यावरण अध्ययन का क्षेत्र सिर्फ बच्चों को अपने पर्यावरण की खोज करके समझा ना ही नहीं बल्कि-

  • सकारात्मक   अभिवृत्तियो , मूल्यों एवं प्रथाओं जैसे कि धरती पर जीवन की रक्षा, प्यार, अपने और दूसरों की देखभाल, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, सामूहिक अधिगम की प्रशंसा, अपनेपन का भाव, सामाजिक दायित्व,  संस्कृति के महत्व को समझने का विकास भी करना है।
  • पर्यावरण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सकारात्मक तथा अनुकूल क्रियाओं की शुरुआत करना।
  • संरक्षण की नीतियों को बढ़ावा देना तथा पर्यावरण को बढ़ावा देने वाले स्वभाव एवं आदतों को अपनाना ।

पर्यावरण अध्ययन का महत्व एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Significance of Evs ,Integrated Evs)

पर्यावरण नोट्स pdf

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  • पर्यावरण अध्ययन अपने आप में अलग से कोई विषय नहीं है।  इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों सामाजिक अध्ययन, विज्ञान, पर्यावरण शिक्षा (Science, social science, Environmental education) की अवधारणाओं का उपयोग करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में इसकी आधार भूमि तैयार की जाती है।
  • प्रत्येक विषय के शिक्षण का अपना उद्देश्य है अपना महत्व है एवं इससे विषय के सीखने की प्रक्रिया जुड़ी है।     

पर्यावरण अध्ययन का महत्व Significance of Evs

1 संपूर्ण शिक्षा का उद्देश्य बच्चों की मानसिक, भावनात्मक, सृजनात्मक, सामाजिक, शारीरिक आदि क्षमताओं का विकास करना है, यह सिर्फ कक्षाओं में रट्टा मार कर पढ़ने से नहीं होता बल्कि पर्यावरण के साथ जुड़ाव तथा अनुभव से होता है।

2  पर्यावरण अध्ययन के मुख्य केंद्र बिंदुओं में से एक है।  बच्चों को वास्तविक संसार जिसमें वह रहते हैं से परिचित कराया जाए पर्यावरण अध्ययन की परिस्थितियां तथा अनुभव उन्हें अपने प्राकृतिक एवं मानव निर्मित प्रति देश की छानबीन करने तथा उससे जुड़ने में सहायता करते हैं।

3 हम अपने अस्तित्व एवं जीवन की निरंतरता के लिए अपने पर्यावरण पर निर्भर हैं।  इस संदर्भ में प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा एवं संरक्षण करें ऐसा  करने के लिए इस बात की समझ अत्यंत आवश्यक है, कि हमारे पर्यावरण की संरचना क्या है, तथा इसका महत्व क्या है पर्यावरण अध्ययन इसमें सहायक  होता है।

4 पर्यावरण अध्ययन बच्चों को पर्यावरण में होने वाली अनेक घटनाओं एवं क्रियाकलापों के बारे में अपनी समाज का विकास करने में सहायता करता है इसके द्वारा इन्हें सीखने के लिए प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान किए जाते हैं।

5  पर्यावरण अध्ययन बच्चों को यह समझ प्रदान करता है कि हम किस प्रकार से अपने भौतिक, जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रियाकलाप करते हैं तथा उसके द्वारा प्रभावित होते हैं।

6  पर्यावरण अध्ययन का मुख्य लक्ष्य की बच्चों को इस योग्य बनाना ताकि वह पर्यावरण से संबंधित सभी मुद्दों को जानने समझने और संबंधित समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सके।

7 यह बच्चों को कक्षा में सकारात्मक माहौल प्रदान करता है तथा सीखने के लिए प्रेरित करता है।

8  पर्यावरण अध्ययन शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने में सहायक है क्योंकि यह करके सीखने पर बल देता है।

9  पर्यावरण अध्ययन पाठ्यक्रम में हाथों से काम करने के महत्व और विरासत में प्राप्त शिल्प परंपराओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर बल दिया गया है।

10 पर्यावरण अध्ययन NCF 2005  की चिंताओं में से एक को कम करने में भी मदद करता है, पाठ्यक्रम के बोझ को घटाना।

11  इसके अध्ययन से बच्चे गहनता से  सोचते एवं सीखते हैं तथा अनुभवों का विश्लेषण करते हैं।

12 इस प्रकार के अनुभव बच्चों में सामूहिक कौशलों का विकास करने में सहायता करते हैं।  यह उन्हें दल के साथ घुलने मिलने के कुछ प्राथमिक कौशलों का विकास करने में सहायता करते हैं, जैसे की दल के साथ काम करना, उनकी बात सुनना तथा उनसे बात करना सीखना आदि।

13 इसी के साथ बच्चों में दूसरों के दृष्टिकोण एवं विश्वासों के प्रति भावनाओं का विकास होता है।  विचारों, अनुभवों लोगो, भोजन, भाषा, पर्यावरण तथा सबसे अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक रिवाजों एवं आस्थाओं की कदर करना सीखते हैं।

14 अपने शुरुआती वर्षों में बच्चों के ऐसे अनुभव उन्हें बड़े होकर लोकतांत्रिक देश के अच्छे नागरिक बनने में सहायता करते हैं ।

15 अधिगम इर्द गिर्द के पर्यावरण, प्रकृति, वस्तु एवं लोगों के साथ क्रियाओं एवं भाषा के द्वारा संपर्क बनाने से होता है।  खोजना तथा खुद काम करना, प्रश्न करना सुनना तथा सहक्रिय करना मुख्य क्रियाए हैं जिसके माध्यम से अधिगम होता है, पर्यावरण अध्ययन  इसमें सहायक है । 
Read Also : child centered education notes

एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Integrated Evs)

1 हमारी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा( 1975, 1988, 2000, 2005) इस बात को ध्यान में रखकर बनाई गई है कि पर्यावरण की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

2  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में” पर्यावरण के बचाव” को केंद्र में रखकर ही राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के विकास की बात कही गई है अर्थात यह संपूर्ण शिक्षा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

3  राष्ट्रीय स्तर पर N.C.E. R.T द्वारा विकसित सब्जी पाठ्यचर्या में इस पर ध्यान देने पर विशेष बल दिया गया है।

4 1975 की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या(NCF 1975) प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाने की थी।  इसमें यह प्रस्तावित किया गया था कि पर्यावरण अध्ययन के रूप में प्राथमिक कक्षाओं में कक्षा 1 और कक्षा दो में प्राकृतिक और सामाजिक दोनों को सम्मिलित पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए एवं कक्षा 3 व 4 तक इसमें दो विषय के रूप में अर्थात पर्यावरणीय अध्ययन 1 ( प्राकृतिक विज्ञान) और पर्यावरण अध्ययन 2 ( सामाजिक विज्ञान) पढ़ाया जाना चाहिए ।

5 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 तथा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 1988(NCF 1988) में भी पर्यावरण अध्ययन के बारे में उपयुक्त व्यवस्था को ही मंजूर किया गया था।

बोझ रहित अधिगम ( शिक्षा: राष्ट्रीय सलाहकार समिति की रिपोर्ट 1993)

ईश्वर भाई पटेल समीक्षा समिति 1977,NCERT कार्य समूह( 1984) और शिक्षा के लिए समीक्षा समिति पर राष्ट्रीय नीति(1990) ने सीखने के कार्य को आसान करने के लिए छात्रों पर शैक्षणिक बोझ को कम करने के लिए कई सिफारिशें की लेकिन कम होने के बजाय समस्या और अधिक तीव्र हो गई ,और इसीलिए संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों पर शैक्षणिक  बोझ बढ़ाने की समस्या की जांच करने के लिए 1992 में एक राष्ट्रीय सलाहकार समिति की स्थापना की( भारत सरकार 1993)

इसके उद्देश्यों में शामिल है-” जीवन भर स्वयं सीखने और कौशल तैयार करने के लिए क्षमता सहित की गुणवत्ता में सुधार करते हुए सभी स्तरों पर छात्रोंप्  पर भार को कम करने के लिए तरीके और साधन सूझाना”

इस समिति ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की( 1993) “ बोझ रहित शिक्षण”  – पर्यावरण शिक्षा पाठ्यक्रम पर निर्णय को काफी हद तक इसके द्वारा निर्देशित किया गया था।

NCF -2000 (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2000)

NCF -2000  ने पहली बार सुझाव दिया की विभिन्न विषयों के विचारों और अवधारणाओं को एकीकृत किया जाए । जैसे-  भारत की संस्कृति विरासत पर्यावरण की सुरक्षा, परिवार प्रणाली, कानूनी साक्षरता, मानव अधिकार शिक्षा, वैज्ञानिक सोच का पोषण इत्यादि।

NCF -2000 मैं पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में प्रथक प्रथक ना कर एकीकृत रूप में पढ़ने की सिफारिश की गई थी इसके अनुसार-

  • कक्षा 1 व 2 ने इसे पाठ्यक्रम के अलग से विषय के रूप में नहीं रख कर इसे भाषा और गणित विषयों के साथ एकीकृत कर पढ़ाने के लिए कहा गया गणित की सामग्री बच्चे के नजदीक पर्यावरण के चारों ओर बनाई जानी है।
  • कक्षा 3 व 4 में बच्चों को पर्यावरण एवं उसके प्राकृतिक और सामाजिक रूप में विभक्त ना करते हुए एक संपूर्ण विषय के रूप में पढ़ने के लिए कहा गया।

NCF -2005 (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005)

  • NCF -2005 मैं भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को एक रत रूप में ही सशक्त रूप से  पढ़ने पर बल दिया गया।
  • कक्षा 1 व कक्षा 2 में पर्यावरण संबंधी कौशल एवं सरोकारों को भाषा एवं गणित के माध्यम से संबोधित करने की संस्तुति दी गई।
  • कक्षा 3 बा 4 तक अलग विषय के रूप में पढ़ाए जाने की संस्तुति दी गई।

पर्यावरण अध्ययन को एकीकृत करने की आवश्यकता-

ऐसा माना जाता है, कि बच्चा टुकड़े टुकड़े में खंडित बातों की बजाय संपूर्णता मैं बातों को आसानी से समझता है।  जैसे कि बच्चा पेड़ को एक संपूर्ण पेड़ के रूप में पहचानता है। वह पेड़ को घर का पेड़ या बाहर का पेड़ के रूप में पहचानता है।  वह मूर्त बातों को ही देखता हैऐसे में हम यदि उसे अमूर्त और अनुभव से परे की बात बताने लगे तो वह उन्हें अपने अनुभवों से जोड़ नहीं पाएगा और सूचनाओं को रटने लगेगा  अपनी पर्यावरण के प्रति सार्थक समझ विकसित नहीं कर पाएगा।

NCERT  द्वारा कक्षा 3- 5: तक पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को एकीकृत, स्वरूप प्रदान करने के लिए 6 विषय क्षेत्रों  की पहचान की जिसमें बहु विशेयकता को एकीकृत किया गया इन्हें ”थीम” अर्थात प्रकरण कहां गया।

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  1. परिवार एवं मित्र( संबंध, जानवर, पौधे, कार्य एवं खेल)
  2. भोजन
  3. आश्रय\ आवाज
  4. पानी
  5. यात्रा
  6. चीजें जो हम बनाते और करते हैं

 1 “परिवार एवं मित्र” प्रकरण की भाग के रूप में

  • “पौधे” एवं” जानवर” : “पौधे” एवं” जानवर परिवार एवं मित्र  प्रकरण में सोच समझकर शामिल किए गए हैं । यह स्पष्ट करने के लिए कि मानव पौधे और जीव जंतुओं के साथ प्रगाढ़ संबंध रखते हैं तथा हमें उनके बारे में पूर्ण एवं संगठित वैज्ञानिक एवं सामाजिक नजरिए से पढ़ने की आवश्यकता है।
  • “रिश्ते\ संबंध” :  इस  उपप्रकरण में, वे अपने रिश्तेदारों के बारे में चर्चा करते हैं जो उनके साथ रहते हैं और जो कहीं और चले गए हैं जिससे उनके रिश्ते और घरों में क्या बदलाव आए हैं।  उसका ज्ञान मिलता है वह सोचते हैं कि अपने रिश्तेदारों में कौन-कौन प्रशंसा के पात्र हैं एवं किन किन गुणों या कौशलों के कारण संबंध तथा परिवारों से बच्चों में अपनेपन तथा प्रेम की भावना का विकास होता है।
  • “ काम तथा खेल” :  इस उपप्रकरण से  उन्हें यह पता चलता है, कि परिवार या पड़ोस में कुछ लोग काम करते हैं या कुछ काम नहीं करते हैं।  इससे उन्हें लिंग भेज दो पर आधारित भूमिकाओं को भावात्मक रूप से समझने में सहायता प्राप्त होती है।
  •   वे जो खेल खेलते हैं उनका विश्लेषण करने का अवसर मिलता है किस प्रकार पारंपरिक खेल तथा खिलौने से वह अलग है यह समझ मिलती है।

 Environmental studies and environmental education (पर्यावरण अध्ययन एवं पर्यावरण शिक्षा)

environmental studies topics For CTET

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पर्यावरण अध्ययन(EVS) (Environmental studies)

पर्यावरण अध्ययन परिवेश के सामाजिक और भौतिक घटकों की अंतर क्रियाओं का अध्ययन है।  अतः जब हम अपने परिवेश, अर्थात इर्द-गिर्द उपस्थित उपरोक्त सामाजिक और बौद्धिक घटकों को समझने का प्रयास करते हैं, तो वहीं पर्यावरण अध्ययन कहलाता है।

सामाजिक घटक- भाषा, मूल्य, संस्कृति

भौतिक घटक-  वनस्पति, पशु पक्षी, हवा, पानी

पर्यावरण शिक्षा(environmental education)

पर्यावरण शिक्षा में लोगों को बताया जाता है कि प्राकृतिक पर्यावरण के तरीके पर प्रदूषण मुक्त पर्यावरण को बनाए रखने के लिए परिस्थितिकी तंत्र को कैसे व्यवस्थित रखना चाहिए?

अर्थात पर्यावरण के विविध पक्षों इसके घटकों एवं मानव के साथ अंतः संबंध है । परिस्थितिक तंत्र, प्रदूषण विकास, नगरीकरण, जनसंख्या आदि का पर्यावरण पर प्रभाव आदि की समुचित जानकारी देना। .

उद्देश्य-

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्रदान  कराने के साथ साथ जागरूकता पैदा करना, चिंतन का एक दृष्टिकोण पैदा करना और पर्यावरणीय चुनौतियों को नियंत्रित करने के आवश्यक कौशल को प्रदान करना है।

आज के बच्चे आंतरिक खेलों और इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों को खेलने में व्यस्त रहते हैं।  जिससे उन्हें अपनी प्राकृतिक दुनिया के बारे में जानने के अवसर नहीं मिलते छात्रों को अपने परिवेश से परिचित कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए,  और इसलिए पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना आवश्यक है।

पर्यावरण अध्ययन के उद्देश्य(NCF 2005) Objectives of environmental studies)

  • बच्चों का  उनके वास्तविक संसार( प्राकृतिक एवं सामाजिक- सांस्कृतिक) से परिचित करवाना, पर्यावरण का ज्ञान एवं समझ विकसित करना।
  • प्रकृति में पारस्परिक निर्भरता तथा संबंधों का ज्ञान कराना तथा समाज का विकास कराना।
  • पर्यावरण से संबंधित विषयों को समझने में उनकी सहायता कराना।
  • पर्यावरण के अनुकूल मनोवृति ओ तथा मूल्यों को प्रोत्साहित एवं  पोषितकरना।
  • अवलोकन, रचनात्मक कौशल तथा सकारात्मक क्रियाओं को बढ़ावा देना।
  • पिछले और वर्तमान पर्यावरण के मध्य तुलना विद्यार्थी कर सकें कि अतीत से अब में पर्यावरण में क्या परिवर्तन आया है।
  • पर्यावरण मुद्दों के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक होना।
  • पर्यावरण के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रभावी  कार्रवाई का महत्व बताना।
  • प्रश्न उठाने की क्षमता एवं उनका स्तर देने के लिए परिकल्पना(Hypothese) बनाने की क्षमता का विकास कराना।
  • परिकल्पना ओं की जांच के तरीके सोच पानी एवं उन तरीकों को काम में लेने के लिए आवश्यक क्षमताओं का विकास करना।
  • निष्कर्ष निकालने एवं चिंतन की क्षमता का विकास  करना।
  • बच्चों  को करके सीखने का अवसर मिले, खोज करने के लिए पर्याप्त स्थान मिले।
  • भौतिक और सामाजिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना।

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अधिगम(Learning)

learning principles of evs

अधिगम\ सीखना एक व्यापक सतत एवं जीवन पर्यंत चलने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।  मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है।  इसे ही अधिगम कहते हैं।

अधिगम के सिद्धांत (Learning principles)

अधिगम के भी कुछ नियम है अधिगम की प्रक्रिया इन्हीं नियमों के अनुसार चलती है कुछ लेखकों ने  इन नियमों को “ सिद्धांतों” ( principles)की संज्ञा दी है।

अधिगम क्रिया को बालक आभास या अनुभूति के फल स्वरुप संपन्न कर पाता है।

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1  थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत(Thorndike’s theory of learning)

इस सिद्धांत को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है जो कि इस प्रकार है।

1  थार्नडाइक का संबंध वाद का सिद्धांत(Connectionist theory)

2  उद्दीपन- प्रतिक्रिया सिद्धांत(Stimulus-reaction(R-S) theory)

3   सीखने का संबंध सिद्धांत(Bond theory of learning)

4 प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत (Trial & Error learning )

इस सिद्धांत के अनुसार-  जब व्यक्ति कोई कार्य सीखता है।  तब उसके सामने एक विशेष स्थिति या उद्दीपक होता है, जो एक विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है।  इस प्रकार एक विशिष्ट उद्दीपक का एक वशिष्ठ प्रतिक्रिया से संबंध स्थापित हो जाता है। जिससे”उद्दीपक प्रतिक्रिया संबंध”(S-R Bond)द्वारा व्यक्त किया जा सकता है।

थार्नडाइक ने अपने सीखने के सिद्धांत का परीक्षण बिल्ली पर किया थार्नडाइक ने संबंध बाद के सिद्धांत में सीखने के क्षेत्र में प्रयास तथा त्रुटि को विशेष महत्व दिया है उन्होंने कहा है, कि जब हम किसी काम को करने में तृतीय भूल करते हैं,और बार-बार प्रयास करके त्रुटियों की संख्या कम या समाप्त की जाती है, तो यह स्थिति प्रयास एवं त्रुटि द्वारा सीखना कहलाती है।

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इस सिद्धांत का शैक्षणिक महत्व

  • शिक्षक इस सिद्धांत से समझते हैं कि बालक विभिन्न कौशलों को सीखने की प्रक्रिया में गलतियां कर सकते हैं।
  • इसके आधार पर बार-बार के अभ्यास से बालक की गलतियों को कम किया जा सकता है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार बालक को सीखने के लिए अभी प्रेरित करने पर जोर दिया जाता है।
  • यह सिद्धांत” करके सीखने” पर बल देता है।

1 थार्नडाइक का अधिगम के नियम(Tharndike’s Lows of  learning)

इन नियमों को 2 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

1  मुख्य नियम(Primary Lows)
  • तत्परता का नियम( law of Readiness)
  • अभ्यास का नियम(law of Exercise )
  • प्रभाव का नियम(law of effect )
2 गौण नियम (Secondary laws)
  • बहु अनु क्रिया का नियम (law of multiple response)
  •  मानसिक स्थिति का नियम(law of mental set)
  • आंशिक क्रिया का नियम (law of partial  activity)
  • सादृश्य अनुक्रिया का नियम( law of similarity of Analogy)

थार्नडाइक ने सीखने के लिए पुनर्बलन को आवश्यक माना क्योंकि सीखी गई अनुप्रिया को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए पुनर्बलन आवश्यक होता है।

2 अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत(Classical conditioning theory)

इस सिद्धांत के प्रतिपादक रुचि  शरीर शास्त्री “I.P पावलव” थे इन्होंने कुत्ते पर अपना प्रयोग किया था।

  • इस सिद्धांत को संबंध प्रत्यावर्तन का सिद्धांत भी कहा जाता है, एवं इसे शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत भी कहा जाता है।
  • इसके अनुसार- सीखना\ अधिगम एक अनुकूलित अनुक्रिया है।
  • यह माना जाता है, कि उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया करना(S-R)मानव की प्रवृत्ति है जब मूल उद्दीपक के साथ एक नवीन उद्दीपक प्रस्तुत किया जाता है, तथा कुछ समय पश्चात जब मूल उद्दीपक को हटा दिया जाता है।  तब नवीन उद्दीपक के साथ अनुकूलित होजाती है जो मूल उद्दीपक से होती है। इस प्रकार अनुक्रिया उद्दीपक के साथ अनुकूलित हो जाती है।

इस सिद्धांत का शिक्षा में महत्व

  • बालक ओं के समक्ष उचित एवं आदर्श व्यवहार प्रस्तुत करके उन्हें अनुकूलित अनुक्रिया द्वारा उन्हें उचित अभिवृत्ति का विकास किया जा सकता है।
  • इस सिद्धांत के आधार पर उचित स्वभाव व आदत को आसानी से उत्पन्न किया जा सकता
  • अनुकूलन तथा अभ्यास द्वारा बालक को में संवेगात्मक स्थिरता विकसित की जा सकती है।  मानसिक उपचार में भी इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
  • इस सिद्धांत द्वारा बाला को में सामाजिकरण की प्रक्रिया तथा अनुकूलन कराकर  बालको का सामाजिकरण किया जा सकता है।

3 स्किनर का सिद्धांत

इस सिद्धांत को निम्न नामों से भी जाना जाता है।

  • कार्यात्मक और प्रतिबद्धता का सिद्धांत
  • सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
  • क्रिया प्रसूत का अनुबंध सिद्धांत

स्किनर ने अपने प्रयोग चूहे एवं कबूतर की क्रियाओं पर किए  हैं।

इस सिद्धांत के अनुसार-  हम वह व्यवहार करना सीख जाते हैं । जिसमें परिणाम सकारात्मक होते हैं, और हम वह व्यवहार करना छोड़ देते हैं, जो हमें नकारात्मक परिणाम देते हैं इस प्रकार के व्यवहार को क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत कहते हैं ।

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इस सिद्धांत का शिक्षा में महत्व

  • इस सिद्धांत में पुनर्बलन का अत्यधिक महत्व है पुनर्बलन के अनेक रूप हो सकते हैं, जैसे दंड, पुरस्कार, परिणाम का ज्ञान आदि।
  • इस सिद्धांत के आधार पर पाठ्य वस्तु को छोटे-छोटे भागों में बांटने पर बल दिया जाता है ,जैसे अधिगम शीघ्र तथा प्रभाव कारी हो जाता है।
  • छात्रों के व्यवहार को वांछित स्वरूप तथा दिशा प्रदान करने में यह सिद्धांत शिक्षकों की सहायता करता है।  यह सिद्धांत बताता है कि यदि अपने छात्रों को उनके प्रयासों के परिणाम का ज्ञान करा दिया जाए तो विद्यार्थी अपने कार्य में अधिक उन्नति कर सकते हैं।  

4 प्रबलन सिद्धांत (Reinforcement Theory)

प्रतिपादक – सी .एल .हल (अमेरिका)

Book –  principles of behaviour

यह सिद्धांत थार्नडाइक तथा पावलव के सिद्धांत पर आधारित था इस सिद्धांत के अनुसार- ” प्रत्येक मनुष्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने का प्रयत्न करता है सीखने का आधार की आवश्यकता की पूर्ति की प्रक्रिया है मनुष्य या पशु उसी कार्य को सीखता है जिस कार्य से उसकी इसी आवश्यकता की पूर्ति होती है”

हल का कथन- “सीखना आवश्यकता की पूर्तिकी प्रक्रिया द्वारा होता है”

  • यह सिद्धांत बालक ओं के शिक्षण में प्रेरणा पर अत्याधिक बल देता है  बालक को को प्रेरित करके ही पढ़ाया जा सकता है।
  • स्किनर इस सिद्धांत को सीखने का सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत मानते हैं।
  • वास्तव में सीखने का सिद्धांत” चालक न्यूनता का सिद्धांत” (Drive Reduction Theory)है।
  • हल्के अनुसार, जब किसी जीवधारी की कोई आवश्यकता पूरी नहीं होती तब उसमें असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।

Ex. 1 बिल्ली  – क्रियाशील     – भोजन प्राप्त

       (भूखी)        भूख( चालक)

      2 बिल्ली की भूख की आवश्यकता संतुष्ट हो जाती है।  परिणाम स्वरूप भूख से चालक शक्ति बंद हो जाती है।

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शैक्षणिक महत्व-

1 यह सिद्धांत इस बात पर बल देता है कि विद्यालय की विभिन्न क्रियाओं में बालकों की आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिया जाए।

2  यह सिद्धांत शिक्षा में प्रेरणा को महत्व देता है।

3  यह सिद्धांत कहता है कि कक्षा में पढ़ाई जाने वाले तथ्यों के उद्देश्य को स्पष्ट करना परम आवश्यक है।

4  इस सिद्धांत की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें बालकों की क्रियाओं और आवश्यकताओं से संबंधित की स्थापना पर विशेष बल दिया जाता है।

5 यह सिद्धांत बताता है कि पाठ्यक्रम का निर्माण बालकों की विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए।

5  सूझ अंतर्दृष्टि का सिद्धांत (Insight Theory)

इस सिद्धांत के प्रतिपादक–  कोहलर

  • अंतर्दृष्टि या सूझ के सिद्धांत के प्रमुख समर्थक ”गेस्टाल्टवादी” है। 
  • उनके मतानुसार व्यक्ति या प्राणी “संबंध प्रतिक्रिया तथा प्रयत्न और भूल से ना सीख कर सूझ(Insight) द्वारा सीखते हैं।”
  • सर्वप्रथम प्राणी अपने आसपास की परिस्थिति के विभिन्न अंग में पारस्परिक संबंधों की स्थापना करता है ,और संपूर्ण परिस्थिति को समझने का प्रयास करता है तत्पश्चात उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया करता है। 
  • अन्य शब्दों में सूझ  द्वारा सीखने का तात्पर्य परिस्थिति को पूर्णतया समझकर सीखना है। 

कोहलर का प्रयोग – सूझ   द्वारा सीखने के सिद्धांत का प्रतिपादन करने के लिए कूलर ने 6 वनमानुष ओं की एक कमरे में बंद कर दिया कमरे की छत पर खेलों का एक गुच्छा लटका दिया और कमरे के कोने में एक बॉक्स रख दिया

वनमानुष के समान मनुष्य भी सूझ  के आधार पर सीखते हैं प्रत्येक कार्य  या क्रिया के सीखने में हमें सूझ का प्रयोग करना पड़ता है।  विभिन्न समस्याओं का हल भी सूझ  के माध्यम से होता है। 

सूझ  को प्रभावित करने वाले कारक –  बुद्धि, समस्या की रचना, अनुभव। 

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शिक्षा में महत्व-

  • अध्यापक द्वारा कुछ समस्या छात्रों की समक्ष समग्र रूप से प्रस्तुत की जानी चाहिए किसी भी समस्या में उस समय तक सूझ  उत्पन्न नहीं होगी जब तक कि वह समग्र रूप मैं छात्र के समक्ष प्रस्तुत ना हो जाए। 
  • बालकों का ध्यान समस्या में केंद्रित करने के लिए आवश्यक है कि अध्यापक द्वारा सीखने में बालकों की जिज्ञासा को बताएं रखा जाए बिना जिज्ञासा केसूझ  का विकास संभव नहीं है। 
  • सूझ   द्वारा सीखने में अनुभव का अधिक योगदान रहता है अध्यापक और छात्र के पूर्व अनुभव के संगठन द्वारा ध्यान देना चाहिए। 
  • सूझ  के विकास के लिए आवश्यक है ,कि विद्यालय का कार्य छात्र को सूझ  के अनुकूल होना चाहिए
  • अंतर्दृष्टि का विकास तभी संभव है । जबकि उद्देश्य छात्रों को स्पष्ट होंगे तथा छात्रों के लिए उपयोगी होंगे उद्देश्यों का दृष्टिकोण करके अध्यापक बालकों को प्रेरित कर सकता है। 

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इस पोस्ट में हमने पर्यावरण pedagogy Notes (EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) In Hindi) आप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!!

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EVS Pedagogy (पर्यावरण पेडागोजी ) Important Notes For CTET | TET परीक्षा के लिए EVS Pedagogy Important Notes https://exambaaz.com/evs-pedagogy-important-notes/ https://exambaaz.com/evs-pedagogy-important-notes/#respond Wed, 22 Jan 2025 09:52:48 +0000 https://exambaaz.com/?p=1918 (EVS) Paryavaran Pedagogy Notes EVS Pedagogy Important Notes: आज के इस आर्टिकल में हम EVS Pedagogy (पर्यावरण पेडागोजी) के महत्वपूर्ण नोट्स ...

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(EVS) Paryavaran Pedagogy Notes

EVS Pedagogy Important Notes: आज के इस आर्टिकल में हम EVS Pedagogy (पर्यावरण पेडागोजी) के महत्वपूर्ण नोट्स आपके साथ साझा कर रहे हैं। इस आर्टिकल में पर्यावरण अध्ययन (Environmental Pedagogy) से जुड़ी अहम जानकारी दी गई है, जो शिक्षण से संबंधित मुद्दों पर आधारित है। पर्यावरण पेडागोजी से संबंधित प्रश्न कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे CTET, TET, UPTET, MPTET, RTET में पूछे जाते हैं, जो इसे आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।

यदि आप इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो पर्यावरण अध्ययन के इन सभी टॉपिक्स का गहन अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल आपको परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी, बल्कि पर्यावरण पेडागोजी के मूल सिद्धांतों और शिक्षण दृष्टिकोणों को भी समझने का अवसर मिलेगा। इस लेख में, हम आपको इन टॉपिक्स के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि आने वाली सभी परीक्षाओं में आपको पर्यावरण से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

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पर्यावरण पेडागोजी (Environmental pedagogy in Hindi)

“ राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2005 के अनुसार प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य अवलोकन मापन और भविष्यवाणी करने के कौशलों का विकास करना है।” प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा बच्चों की बहुत सारी खोज करने की प्रवृत्ति, कौशल एवं अवधारणाओं को विकसित करने के लिए आवश्यक है।  

  • पर्यावरण अध्ययन अपने परिवेश के सामाजिक और बौद्धिक घटकों की  अंतः क्रियाओं का अध्ययन है।
  • इसके सामाजिक घटक :  संस्कृति, भाषा, मूल्य, दर्शन।
  • भौतिक घटक :  हवा, पानी, जंगल, खनिज इत्यादि।
  • पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकों में अभ्यास एवं गतिविधियों को इकाई के अंत में उपलब्ध  कराना चाहिए ।
  • बच्चे अपने आसपास के परिवेश, माहौल आदि की चर्चा करते हैं एक पर्यावरण शिक्षक के रूप में आपको उनके दृष्टिकोण को स्वीकार करना चाहिए एवं उन्हें सम्मान देना चाहिए।
  • पर्यावरण अध्ययन की कक्षा में छात्रों के वास्तविक जीवन को पाठ्य पुस्तक से जोड़कर शिक्षा प्रदान करना ही सबसे प्रभावशाली शिक्षा है उदाहरण के लिए- EVS  के पुस्तक में रेल टिकट की तस्वीर शामिल करके उसका वास्तविक सूचना देना।
  • पाठ्य पुस्तक के माध्यम से प्राप्त ज्ञान बच्चों के अवलोकन से प्राप्त ज्ञान से उत्तम नहीं होना चाहिए।
  • पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकों में वर्ग पहेली को भी शामिल किया जाना चाहिए इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में तर्ककात्मक क्षमता, रचनात्मक क्षमता एवं जिज्ञासु पन को विकसित करना है।
  • पाठ्य पुस्तक में समझाया गया सबक या विषय छात्र द्वारा सर्वोत्तम आत्मसात तब किया जा सकता है ।
  • पर्यावरण अध्ययन की कक्षा बारहवीं संसार से छात्रों को जोड़ने हेतु अनुभव को साझा करता है।
  • जब भी अपने व्यक्तिगत अवलोकन के साथ इस प्रक्रिया से जुड़े हुए हो क्योंकि NCF-2005  मैं भी करके सीखने पर बल दिया गया है।
  • पर्यावरण अध्ययन की शिक्षा शास्त्र के अच्छे ज्ञान से शिक्षक बच्चों को पर्यावरण शिक्षा को वास्तविक जीवन से जोड़कर शिक्षा दे सकता है  जो कि प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।
  • एक शिक्षक के रूप में छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रों के अनुभवों को स्वीकार करने के साथ  उनकी गलतियों को सुधारना चाहिए ।
  • पर्यावरण अध्ययन का एक शिक्षक विषय शुरू करने से पहले छात्रों से एक सवाल पूछता है-  जो की शिक्षा नीति से संबंधित होता है जैसे ज्ञात- अज्ञात की ओर उस सवाल के माध्यम से  शिक्षक को छात्रों की पूर्व ज्ञान का पता चल जाता है और इससे विषय वस्तु के प्रति छात्रों में दिलचस्पी भी बह जाती है।
  • प्राथमिक स्तर के पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक में निम्न बातें शामिल की जानी चाहिए।
  •   कुछ ऐसी शिक्षण विधियां हैं जिन्हें प्राथमिक स्तर पर शामिल किया जाना चाहिए जैसे समग्र से आंशिक की ओर, सरल से जटिल तक, ज्ञात- अज्ञात की और आदि।
  • पर्यावरण ऐसा विषय है, जो कि ऐसी अवधारणाओं से भरा हुआ है जो व्यावहारिक ज्ञान से ही बेहतर समझा जा सकता है।  पर्यावरण अध्ययन की शिक्षा के दौरान छात्रों के क्रियाशील रहने की आवश्यकता होती है।

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EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) Notes

Topic-1 – पर्यावरण अध्ययन की अवधारणा एवं क्षेत्र (Concept and scopes of Evs): click hereTopic-2 –  पर्यावरण अध्ययन का महत्व एवं एकीकृत पर्यावरण अध्ययन(Significance of Evs, Integrated Evs):  click here

Topic- 3 –  पर्यावरण अध्ययन(Environmental studies),पर्यावरण शिक्षा: click here

Topic- 4 –  अधिगम के सिद्धांत (Learning principles): click here

Topic- 5 – अवधारणा प्रस्तुतीकरण के उपागम (Approaches of Presenting Concepts): click here

Topic- 6 – पर्यावरण अध्ययन की शिक्षण अधिगम की विधियां(environment teaching method in Hindi) : Click here

Topic – 7 – EVS Pedagogy Activities (क्रियाकलाप) click here

Topic -8 & 9 – Practical Work And Steps In Discussion  Click here

Topic – 10  पर्यावरण अध्ययन में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन(C.C.E in Evs) Click here

Topic – 11 & 12 पर्यावरण शिक्षण की समस्याएं एवं शिक्षण सहायक सामग्री\साधन Click here 

लेकिन पर्यावरण के पाठ्य पुस्तक में प्राथमिक स्तर पर अमूर्त अवधारणाओं की परिभाषा और स्पष्टीकरण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए यह एक तरह  की उच्च शिक्षण नीति है।

इस पोस्ट में हमने पर्यावरण अध्ययन Environmental Pedagogy Important Studies Notes (EVS Pedagogy Important Notes) के महत्वपूर्ण वन लाइनर्स Environmental Pedagogy Notes आप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!!

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मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाएं एवं संप्रदाय – for ALL TET Exams https://exambaaz.com/manovigyan-ki-pramukh-shakhayen/ https://exambaaz.com/manovigyan-ki-pramukh-shakhayen/#respond Wed, 22 Jan 2025 09:47:02 +0000 https://exambaaz.com/?p=3770 Manovigyan ki Pramukh Shakhayen: मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक अध्ययन है जो मानव मस्तिष्क, विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने के लिए ...

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Manovigyan ki Pramukh Shakhayen: मनोविज्ञान एक वैज्ञानिक अध्ययन है जो मानव मस्तिष्क, विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से काम करता है। टीचर एलीजीबिलिटी टेस्ट (TET) जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए मनोविज्ञान की समझ बेहद जरूरी है, क्योंकि यह बच्चों के मानसिक विकास, कक्षा प्रबंधन और शिक्षाशास्त्र से जुड़ा हुआ है।

इस लेख में हम मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाओं और संप्रदायों पर चर्चा करेंगे, जो TET परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं। इनमें विकासात्मक मनोविज्ञान, सामाजिक मनोविज्ञान, कॉग्निटिव मनोविज्ञान, क्लिनिकल मनोविज्ञान, और शैक्षिक मनोविज्ञान जैसी प्रमुख शाखाएं शामिल हैं। प्रत्येक शाखा का अपना विशिष्ट महत्व और अनुप्रयोग है, जो छात्रों और शिक्षकों के बीच बेहतर संवाद और समझ को बढ़ावा देता है।

TET परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए मनोविज्ञान की इन शाखाओं को अच्छी तरह से समझना और इनसे जुड़ी प्रमुख अवधारणाओं पर ध्यान देना जरूरी है। इस लेख में हम इन शाखाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आपकी परीक्षा की तैयारी और भी सशक्त बन सके।

मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाएं (School) एवं संप्रदाय(Scope)

मनोविज्ञान के क्षेत्र में सन 1912 ईस्वी के आसपास संरचनावाद, क्रियावाद, व्यवहारवाद, गेस्टाल्टवाद, मनोविश्लेषण आदि मुख्य मुख्य शाखाओं का विकास हुआ। व्यवहार विषयक नियम की खोज ही मनोविज्ञान का मुख्य ध्येय था । सैद्धांतिक स्तर पर विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए गए। फ्रायड ने मनोविश्लेषणवाद, की स्थापना द्वारा यह बताने का प्रयास किया कि हमारे व्यवहार के अधिकांश कारण अचेतन प्रक्रियाओं द्वारा निर्धारित होते हैं।

मनोविज्ञान के संप्रदाय (manovigyan ke samprdaay)

  • 1879, प्रयोगात्मक मनोविज्ञान, संरचनावाद – डब्ल्यू वूंट
  • 1896 मनोविश्लेषण-  सिगमंड फ्रायड
  • 1913, व्यवहारवाद – जॉन ब्रॉडस वाटसन 
  • 1954, रेशनल इमोटिव बिहेविअरल थिरैपी – अल्बर्ट एलिस
  • 1960, संज्ञानात्मक चिकित्सा – आरोन t-back
  • 1967, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान – उलिक नाइजर
  • 1962, मानव वादी मनोविज्ञान अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़  ह्यूमनस्टिक साइकोलॉजी
  • 1940, गेस्टाल्ट बाद – फ्रीटज पल्स

ये भी जाने : बुद्धि के सिद्धांत (Theory of intelligence Notes in Hindi)

आधुनिक मनोविज्ञान में इन सभी “वादों” का अब एकमात्र ऐतिहासिक महत्व रह गया है। इनके स्थान पर मनोविज्ञान में अध्ययन की सुविधा के लिए विभिन्न शाखाओं का विभाजन हो गया है।

मनोविज्ञान की प्रमुख शाखाएं [Branches of psychology]

मनोविज्ञान की प्रमुख 23 शाखाए नीचे दी गई है

  • असामान्य मनोविज्ञान (abnormal psychology)
  •  जीव वैज्ञानिक मनोविज्ञान (biological psychology)
  • नैदानिक मनोविज्ञान (clinical psychology)
  • संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (cognitive psychology)
  • सामुदायिक मनोविज्ञान (community psychology)
  • तुलनात्मक मनोविज्ञान (comparative psychology)
  • परामर्श मनोविज्ञान (counseling psychology)
  • आलोचनात्मक मनोविज्ञान (critical psychology)
  • विकासात्मक मनोविज्ञान (development psychology) 
  • आपराधिक मनोविज्ञान (forensic psychology) 
  • शैक्षणिक मनोविज्ञान (educational psychology)
  • वैश्विक मनोविज्ञान (global psychology) 
  • स्वास्थ्य मनोविज्ञान (health psychology)
  • औद्योगिक एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान (industrial and organisational psychology (I/O)
  • विधिक मनोविज्ञान (legal psychology) 
  • व्यावसायिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान (occupational health psychology (OHP)
  • व्यक्तित्व मनोविज्ञान (personality psychology)
  • संख्यात्मक मनोविज्ञान (quantitative psychology)
  • मनोमिति (psychometrics)
  • गणितीय मनोविज्ञान (mathematical psychology)
  • सामाजिक मनोविज्ञान (social psychology)
  • पर्यावरणीय मनोविज्ञान (environmental psychology)
  • योग मनोविज्ञान (yoga psychology)

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Rajasthan Gk Sichai Pariyojna: राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं और उनका प्रभाव https://exambaaz.com/rajasthan-ki-sichai-pariyojna/ https://exambaaz.com/rajasthan-ki-sichai-pariyojna/#respond Wed, 22 Jan 2025 09:13:23 +0000 https://exambaaz.com/?p=18253 Rajasthan Gk Sichai Pariyojna: राजस्थान, जो अपनी शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, हमेशा पानी की उपलब्धता से ...

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Rajasthan Gk Sichai Pariyojna: राजस्थान, जो अपनी शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए प्रसिद्ध है, हमेशा पानी की उपलब्धता से संबंधित चुनौतियों का सामना करता रहा है। इन चुनौतियों से निपटने और कृषि गतिविधियों को समर्थन देने के लिए राज्य ने कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को लागू किया है। ये परियोजनाएं न केवल राजस्थान की कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान करती हैं।

इस आर्टिकल में, हम राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं पर चर्चा करेंगे, जिनमें इन परियोजनाओं का ऐतिहासिक महत्व, प्रमुख विशेषताएँ और जिन क्षेत्रों को ये लाभ पहुँचाती हैं, उन सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी देंगे। परियोजनाएँ जैसे इंदिरा गांधी नहर परियोजना, रावी-बियास लिंक परियोजना, और कृषि सिंचाई योजना राजस्थान की कृषि के विकास में मील का पत्थर साबित हुई हैं।

राजस्थान की सभी सिचाई परियोजनाए- List of Irrigation projects in Rajasthan

परियोजना का नामसंबंधित नदीसंबंधित राज्य एवं जिला 
नारायण सागर परियोजनाखारी नदीअजमेर
बंध बरेठा परियोजनाककुंद नदी भरतपुर
नाकोड़ा बांधलूनी नदीबाड़मेर
नंद समंद बांधबनासराजसमंद
मनोहर थाना परियोजनापरवनबाराँ
सुकली सेलवाड़ा परियोजनासुकली नदीसेलवाड़ा ( सिरोही)
भीम सागर परियोजना उजाड़ नदीझालावाड़
गरदडा परियोजनामंगली, डूंगरी, गणेशनालाबूंदी
अडवान बांधमान्सी नदीशाहपुर
बाँकली बांधसुकड़ी नदीजालौर
गंगनहर परियोजनासतलज नदीश्री गंगानगर
गुड़गांव नहर परियोजनायमुना नदीभरतपुर
ताखली सिंचाई परियोजनाताखली नदीकोटा
चाकण सिंचाई परियोजनाचाकण नदीबूंदी
सोम कागदर परियोजनासोम नदीउदयपुर
इंदिरा लिफ्ट परियोजनाचंबल नदीसवाई माधोपुर
बिलास सिंचाई परियोजनाबिलास नदीकोटा
पार्वती परियोजनापार्वती नदीधौलपुर
मोरेल बांध परियोजनामोरेल नदीसवाई माधोपुर
मेजा बांध परियोजनाकोठारी नदीभीलवाड़ा
छापी सिंचाई परियोजनाछापी नदीझालावाड़
सिद्धमुख नोहर परियोजनारावी व व्यास नदीहनुमानगढ़
चंबल परियोजनाचंबल नदी राजस्थान, मध्य प्रदेश
जवाई बांध परियोजनाजवाई नदीपाली
भाखड़ा नांगल परियोजनासतलज नदीराजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश
बीसलपुर परियोजनाबनास नदीटोंक
नर्मदा परियोजनानर्मदा नदीराजस्थान, गुजरात,  मध्य प्रदेश
व्यास परियोजनासतलज,रावी, व्यासराजस्थान, पंजाब, हरियाणा
माही – बजाज सागर परियोजनामाही नदीराजस्थान, गुजरात
जाखम परियोजनाजाखम नदीप्रतापगढ़
सोम कमल अंबा परियोजनासोम  कमला नदीडूंगरपुर
पीपलदा लिफ्ट सिंचाई परियोजनाचंबल नदीसवाई माधोपुर 
irrigation project of Rajasthan stat

ये भी पढ़ें: राजस्थान के अतिमहत्वपूर्ण जीके नोट्स यहा देखें

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NIACL AO Syllabus [PDF]: Prelims & Mains Exam Pattern – Download Now https://exambaaz.com/niacl-administrative-officer-syllabus-download/ https://exambaaz.com/niacl-administrative-officer-syllabus-download/#respond Wed, 22 Jan 2025 08:33:12 +0000 https://exambaaz.com/?p=17123 New India Assurance NIACL Assistant Recruitment Syllabus: The New India Assurance Company Limited (NIACL) is set to conduct the recruitment ...

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New India Assurance NIACL Assistant Recruitment Syllabus: The New India Assurance Company Limited (NIACL) is set to conduct the recruitment process for Assistant positions in 2024, offering an excellent opportunity for candidates aspiring to build a career in the insurance sector. To excel in this competitive exam, it is essential to understand the NIACL Assistant Recruitment 2024 Syllabus in detail.

The selection process for NIACL Assistant includes two key stages—Preliminary Exam and Mains Exam—both requiring a strong command over subjects like Reasoning, Quantitative Aptitude, and English Language. A thorough understanding of the syllabus and exam pattern is crucial to devising an effective preparation strategy.

In this article, we will provide the complete syllabus for the NIACL Assistant Recruitment 2024, along with important details about the exam pattern and preparation tips. With the right approach and consistent effort, you can enhance your chances of securing a position in one of the most prestigious organizations in the insurance sector.

Selection Procedure: NIACL Administrative Officer recruitment selection process is given below.

Phase-I: Preliminary Examination
A preliminary Examination consisting of Objective Tests for 100 marks will be
conducted online. This would consist of 3 sections (with separate timings for
each section) as follows:

S. No.Name of TestNo. of QuestionsMaximum MarksLanguageDuration
1.English Language3030English20 minutes
2.Reasoning Ability3535English/Hindi20 minutes
3.Numerical Ability3535English/Hindi20 minutes
 Total100100  60 minutes

Candidates have to qualify for each test/section by securing passing marks to be
decided by the Company. The adequate number of candidates in each category as
decided by the Company (approximately 15 times the numbers of vacancies
subject to availability) will be shortlisted for the Main Examination.

Phase – II: Main Examination
Main Examination will consist of Objective Tests for 200 marks and Descriptive
Test for 30 marks. Both the Objective and Descriptive Tests will be online.
Candidates will have to answer the Descriptive Test by typing on the computer.
Immediately after completion of the Objective Test, Descriptive Test will be
administered.
(I) Objective Test: The Objective Test of 2.5 hours duration will be as follows.
There will be separate timing for every section.

S. No.Name of the TestNo. of QuestionsMaximum MarksLanguageDuration
1.Reasoning Ability5050English/HindiComposite time of 120 minutes
2.English Language5050English
3.General Awareness5050English/Hindi
4.Quantitative Aptitude5050English/Hindi
 Total200200 

Descriptive Test: Descriptive Test will be 30 minutes for 30 marks test.

Name of ExamMarks
Letter Writing10 marks
Essay Writing20 marks

Interview Process: The candidates qualifying for both Prelims & Mains exam will be called for an Interview round.

NIACL Administrative Officer Syllabus- Prelims

English

The questions of this section will be assessing the candidate’s knowledge about the English language and the questions will be of English language only. 

  1. Reading Comprehension
  2. Cloze Test
  3. Fill in the blanks
  4. Multiple Meaning / Error Spotting
  5. Paragraph Complete / Sentence Correction
  6. Para jumbles
  7. Miscellaneous

Quantitative Aptitude

The questions of this section are more calculation and formula-based, therefore the candidates are advised to learn tricks to learn the concepts of solving the questions of this section. 

  1. Simplification
  2. Ratio & Proportion, Percentage
  3. Number Systems
  4. Profit & Loss
  5. Mixtures & Alligations
  6. Simple Interest & Compound Interest & Surds & Indices
  7. Time & Distance
  8. Work & Time
  9. Sequence & Series
  10. Permutation, Combination & Probability. Data Interpretation
  11. Mensuration – Cylinder, Cone, Sphere

Reasoning Ability 

The topics of Reasoning Ability are the same in both Prelims & Mains, however, the difference lies in the difficulty level of the questions. Check the topics of Reasoning Ability of NIACL Prelims Exam 2021.  

  1. Coded Inequalities
  2. Seating Arrangement
  3. Puzzle Tabulation
  4. Logical Reasoning
  5. Ranking/Direction/Alphabet Test
  6. Data Sufficiency
  7. Syllogism
  8. Blood Relations
  9. Input-Output
  10. Coding-Decoding
  11. Alphanumeric Series

NIACL Administrative Officer Syllabus- Mains

Reasoning Ability

Though the topics of this section seem to be easy, you must know the shortcuts to solve these tricky questions. Check the topics of the Reasoning section asked in NIACL AO Mains Exam from here. 

  1. Coded Inequalities
  2. Seating Arrangement
  3. Puzzle Tabulation
  4. Logical Reasoning
  5. Ranking/Direction/Alphabet Test
  6. Data Sufficiency
  7. Syllogism
  8. Blood Relations
  9. Input-Output
  10. Coding-Decoding
  11. Alphanumeric Series

Quantitative Aptitude

Check the topics covered in the Quantitative Aptitude Section below and prepare accordingly for the NIACL AO Exam. The questions of this section are calculation based, therefore advised to learn tricks to solve these questions quickly. 

  1. Simplification
  2. Ratio & Proportion, Percentage
  3. Number Systems
  4. Profit & Loss
  5. Mixtures & Alligations
  6. Simple Interest & Compound Interest & Surds & Indices
  7. Time & Distance
  8. Work & Time
  9. Sequence & Series
  10. Permutation, Combination & Probability. Data Interpretation
  11. Mensuration – Cylinder, Cone, Sphere
  12. English Language Reading Comprehension
  13. Cloze Test
  14. Fill in the blanks
  15. Multiple Meaning / Error Spotting
  16. Paragraph Complete / Sentence Correction
  17. Para jumbles
  18. Miscellaneous

General Awareness

For this section, the candidates have to prepare for the below topics at the national and international levels. This section requires proper discipline and frequency of learning the topics daily.   

  1. Current Affairs
  2. Summits
  3. Books & Authors
  4. Awards
  5. Sports
  6. Defence
  7. National
  8. Appointment
  9. International
  10. Obituary etc
  11. Banking Awareness
  12. Indian Financial System
  13. History of Indian Banking Industry
  14. Regulatory Bodies Monetary & Credit Policies
  15. Budget Basics and Current Union Budget
  16. International Organisation / Financial Institutions
  17. Capital Market & Money Market added in NIACL AO Syllabus
  18. Government Schemes Abbreviations and Economic terminologies
  19. Other important concepts
  20. Abbreviations and Economic terminologies
  21. Other important concepts

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MP TET Varg 2 CDP: बाल विकास के चुनिंदा प्रश्न और तैयारी के टिप्स https://exambaaz.com/mp-tet-varg-2-cdp-practice-question/ https://exambaaz.com/mp-tet-varg-2-cdp-practice-question/#respond Wed, 22 Jan 2025 08:18:01 +0000 https://exambaaz.com/?p=40628 MP TET Varg 2 CDP Practice Question: मध्यप्रदेश में माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित होने वाली ...

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MP TET Varg 2 CDP Practice Question: मध्यप्रदेश में माध्यमिक स्तर के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (MP TET Varg 2) का आयोजन किया जाना है। इस परीक्षा के लिए लाखों अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है, जिससे प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी हो गई है। यदि आप भी इस परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, तो आपकी तैयारी को सटीक और प्रभावी बनाना बेहद आवश्यक है।

इस लेख में हम आपके साथ बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy – CDP) के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न साझा कर रहे हैं, जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं। यह प्रश्न न केवल आपकी तैयारी को मजबूत बनाएंगे, बल्कि आपको परीक्षा पैटर्न को समझने में भी मदद करेंगे। साथ ही, हमने कुछ विशेषज्ञ टिप्स भी जोड़े हैं, जो आपकी तैयारी को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।

अगर आप परीक्षा में सफलता पाना चाहते हैं, तो इन प्रश्नों और टिप्स को अच्छे से पढ़ें और अपनी तैयारी को सही दिशा में लेकर जाएं। MP TET Varg 2 CDP Practice Question के साथ अपने अध्ययन को और मजबूत बनाएं और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें।

मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 2 की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है CDP के यह सवाल—CDP Practice Question For MP TET Varg 2 Exam

1. In a school based on progressive principles, school holidays coincide with tribal festivals and the weekly holiday is in tune with the local weekly bazaar. This illustrates

प्रगतिशील सिद्धांतों पर आधारित एक विद्यालय में विद्यालय की छुट्टियाँ और जनजातीय त्यौहार एक ही समय पड़ते हैं तथा साप्ताहिक अवकाश भी साप्ताहिक बाज़ार वाले दिन यह क्या दर्शाता है?

1. पिछड़ी विद्यालय प्रथाएँ

2. विद्यालय व्यवस्था में लचीलापन

3. घर और विद्यालय में सांस्कृतिक असतता

4. विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रति अनभिज्ञता

Ans- 2 

2. As per Howard Gardner’s theory of multiple intelligences, ‘the ability to be aware of one’s own emotional state, feeling and motivations’ is called:

हावर्ड गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धांत के अनुसार अपनी भावनात्मक अवस्था, संवेगों और अभिप्रेरणाओं के बारे में जागरूक रहने की योग्यता को क्या कहा जाता है?

1. भाषायी बुद्धि

2. तार्किक गणितीय बुद्धि

3. अंतरा वैयक्तिक बुद्धि

4. अंतः वैयक्तिक बुद्धि

Ans- 4

3. Gender schema theory explains

जेंडर स्कीमा सिद्धांत निम्न में से किसकी व्याख्या करता है?

1. बच्चे जेंडर भूमिकाएँ कैसे सीखते हैं-

2. विकास के मनोलैंगिक चरण

3. बड़े समाज में विषमता परतंत्रता

4. बच्चों का विपरीत जेंडर अभिभावक के प्रति आकर्षण

Ans- 1 

4. To support a ‘first generation’ school goer student, a teacher should:

अपनी पीढ़ी में पहली बार विद्यालय जा कर पढ़ने वाले विद्यार्थी का समर्थन करने के लिए एक अध्यापिका को क्या करना चाहिए? 

Options:

1. विद्यार्थी को अध्यापिका से वैतनिक निजी शिक्षण लेने को कहना चाहिए।

2. उसे बारम्बार विद्यालयी अवधि के दौरान अपने आप पढ़ने के लिए घर भेज देना चाहिए।

3. उसके सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश को सम्मानजनक महत्त्व देते हुए क्रियाकलाप तैयार करने चाहिए।

4. उसे एक विशिष्ट विद्यालय में दाखिले के लिए भेज देना चाहिए।

Ans- 3 

5. Which of the following statement regarding assessment in the context of National Education Policy (NEP) 2020 is correct ?

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के संदर्भ में आकलन के बारे में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?

1. NEP (2020) योगात्मक आकलन के प्रयोग को प्रोत्साहित करती है।

2. NEP (2020) मानक परीक्षाओं द्वारा विद्यार्थियों का वस्तुनिष्ठ आकलन प्रस्तावित करती है।

3. NEP (2020) विद्यार्थियों का समग्र आकलन प्रस्तावित करती है जिसमें विभिन्न प्रकार की विधियों जैसे कि पत्राधान एवं भूमिका निर्वहन को सम्मिलित किया गया हो।

4. NEP (2020) शिक्षकों को प्रोत्साहित करती है कि वे विद्यार्थियों के ऐसे प्रगति पत्र बनाएँ जिसमें उनकी अन्य विधियों से तुलना की हो।

Ans- 3 

6. Which of the following pedagogical strategy promotes critical thinking?

निम्न में से कौन-सी शिक्षाशास्त्रीय योजना सलोचनात्मक चिंतन में वृद्धि करती है?

1. ब्लैकबोर्ड से शिक्षक द्वारा लिखे गए उत्तरों की नकल करना।

2. मानस मंथन करना।

3. पाठ्य-पुस्तक से अनुच्छेदों को कई बार लिखना ।

4. परोक्ष/प्रत्यक्ष निर्देश देना।

Ans- 2 

7. Which of the following is not a characteristics of a student with ‘giftedness’?

निम्न में से कौन-सा लक्षण प्रतिभाशाली विद्यार्थी में नहीं होता है?

1. परिशुद्धि की इच्छा।

2. जानकारी का धीमा अवशोषण। 

3. विषयवस्तु की तीव्र समझ

4. तीक्ष्ण उत्सुकता

Ans- 2 

8. Which of the following principles is advocated by Right of Persons with Disabilities Act, 20162

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (2016), निम्न में से किस सिद्धांत को पक्षपोषित करता है?

1. पृथकीकरण

2. नामीकरण

3. समावेशन

4. एकीकरण

Ans- 3 

9. Inclusive Education proposes that we should modify the ——— the to include the ———-. 

समावेशी शिक्षा यह प्रतिपादित करती है कि हमें ———– दुरुस्त करने के लिए ———— को बदलना चाहिए?

1. तंत्रप्रणाली, अधिगमकर्ता

2. समाज, विद्यालयी पाठ्यचर्या

3. तंत्रप्रणाली , अधिगमकर्ता 

4. विद्यालयी पाठ्यचर्या, प्रतिस्पर्द्धा

Ans- 3 

10. A condition characterized by ‘difficulty in memorizing number sequence, comparing any two or more numbers and connecting number concept to symbolic form’, is referred as ————-

वह अवस्था ‘जिसमें संख्या क्रम को याद करने, किन्हीं दो संख्याओं की तुलना करने और संख्या संप्रत्ययों का उनके सांकेतिक रूप से संबंध स्थापित करने में कठिनाई हो; क्या कहलाती है ?

1. उत्साह वैकल्प

3. वाचन वैकल्प

2. गुणज वैकल्य

4. गतिसमन्वय वैकल्य

Ans- 2

11. Which of the following factors hinders successful inclusion of students with locomotor disabilities? 

Options:

निम्न में से कौन-सा कारक चलन (क्रियात्मक) दिव्यांगता वाले विद्यार्थियों के समावेशन में बाधक है?

1. लचीला पाठ्यक्रम

2. अगम्य आधारभूत संरचना

3. समानुभूति पूर्ण अभिवृत्ति

4. व्यापक मूल्याँकन

Ans- 2 

12. When classroom climate is positive, then learners know that they are valued ———. 

जब कक्षा का वातावरण सकारात्मक होता है, तब अधिगमकर्त्ताओं को ज्ञात होता है कि ————–. 

1. वे अपनी दिखावट, व्यक्तित्त्व या सफलता से परे होकर एक व्यक्ति के तौर पर समाहत हैं।

2. उन्हें केवल तभी समादृत समझा जाएगा जब वे कक्षा मानकों को साबित करते हैं।

3. सिर्फ़ तभी समादृत समझा जाएगा जब वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें। 

4. उन्हें सिर्फ तभी समादृत समझा जाएगा जब वे अपनी जगह पर बैठें और सिर्फ तभी बोलें जब पूछा जाए।

Ans- 1 

13. Students prior knowledge and understanding

विद्यार्थियों का पूर्व ज्ञान और समझ

1. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में बाधा डालते हैं। 

2. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सहज बनाते हैं।

3. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के लिए अप्रासंगिक हैं।

4. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सूक्ष्म भूमिका निभाते हैं।

Ans- 2 

14. How should a teacher encourage active engagement of learners?

एक अध्यापक को अधिगमकर्ताओं की सक्रिय संलग्नता को बढ़ावा देने के लिए क्या करना चाहिए?

1. अन्वेषण और पूछताछ को बढ़ावा देना।

2. प्रत्यास्मरण और पुनरावृत्ति पर बल देना।

3. प्रत्यक्ष निर्देशन का तरीका इस्तेमाल करना ।

4. बारम्बार पुरस्कार और सज़ा देना।

Ans- 1 

15. Assertion (A): A constructivist teacher would encourage children to explore multiple sources of knowledge and not rely on textbooks alone.

Reason (R): Learning is sought actively by learners and thereby constructed collaboratively by the student and the teacher.

Choose the correct option.

अभिकथन (A) : एक संरचनात्मक अध्यापिका बच्चों को ज्ञान के लिए विविध स्रोतों को खोजने और सिर्फ पाठ्य-पुस्तक पर निर्भर न रहने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

कारण (R) : अधिगमकर्ता सक्रिय रूप से अधिगम के लिए इच्छुक होते हैं और फलस्वरूप अध्यापिका और विद्यार्थी परस्पर सहयोग से अधिगम की संरचना करते हैं। 

सही विकल्प बनें।

1. (A) और (R) दोनों सही हैं और (R) सही व्याख्या करता है (A) की ।

2. (A) और (R) दोनों सही है लेकिन (R) सही व्याख्या नहीं है (A) की। 2.

3. (A) सही है लेकिन (R) गलत है।

4. (A) और (R) दोनों गलत है।

Ans- 1 

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MP TET 2023: मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षक वर्ग 2 पात्रता परीक्षा में पेडगॉजी से पूछे जाने वाले संभावित सवाल, यहां पढ़िए

MP TET Varg 2 Exam 2023: अप्रैल में आयोजित होगी मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 2,पूछे जाएंगे पेडगॉजी से जुड़े ये सवाल, अभी पढ़ें

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MP TET Varg 2 Exam 2025: बाल विकास और शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण प्रश्न जो परीक्षा में पूछे जा सकते हैं, अभी तैयारी करें https://exambaaz.com/child-development-and-pedagogy-important-question-answer-for-mp-tet-varg-2-exam-solve-these-for-score-more/ https://exambaaz.com/child-development-and-pedagogy-important-question-answer-for-mp-tet-varg-2-exam-solve-these-for-score-more/#respond Wed, 22 Jan 2025 07:57:26 +0000 https://exambaaz.com/?p=40673 Child Development and Pedagogy Question Answer: मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (MP TET) में Child Development and Pedagogy (बाल विकास ...

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Child Development and Pedagogy Question Answer: मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (MP TET) में Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र) एक ऐसा विषय है जो उम्मीदवारों की शिक्षण क्षमता और छात्रों की मनोवैज्ञानिक समझ का मूल्यांकन करता है। यह सेक्शन न केवल छात्रों के संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को समझने पर जोर देता है, बल्कि यह भी परखता है कि शिक्षक विभिन्न शिक्षण पद्धतियों और कक्षा प्रबंधन तकनीकों को कैसे लागू कर सकते हैं।

MP TET में बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र सेक्शन से जुड़े प्रश्न शिक्षण सिद्धांतों (Teaching Theories), मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं (Psychological Concepts), अधिगम सिद्धांतों (Learning Theories), और शैक्षणिक प्रक्रियाओं (Educational Practices) पर आधारित होते हैं। पियाजे, वायगोत्स्की, कोहलबर्ग और गार्डनर जैसे मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांतों से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा, कक्षा में विविधता प्रबंधन, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा, और शिक्षण में तकनीक का उपयोग जैसे विषयों पर भी सवाल शामिल होते हैं।

इस आर्टिकल में, हम आपको MP TET परीक्षा के लिए Child Development and Pedagogy से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर प्रदान करेंगे। ये प्रश्न न केवल आपकी तैयारी को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि परीक्षा में आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन करने में भी मदद करेंगे।

एग्जाम पैटर्न पर आधारित बाल विकास से जुड़े बेहद रोचक सवाल, जिनका अभ्यास परीक्षा से पूर्व जरूर करें—MP TET varg 2 exam child development and pedagogy important question answer

1) All learning is by-and-large successful when it is———- ?

 सभी अधिगम सामान्यतः कुल मिलाकर सफल होते हैं जब किया जाता है।

1. Resource rich / संसाधन संपन्न

2. Self-directed by the learners / शिक्षार्थियों द्वारा स्व-निर्देशित

3. Technology led / प्रौद्योगिकी का नेतृत्व

4. Teacher led / शिक्षक का नेतृत्व

Ans- 2 

2) Which of the following is the technique of classroom management where a student displaying negative behavior is separated from the rest of the class? 

निम्नलिखित में से कौन-सी कक्षा प्रबंधन की तकनीक है जहां नकारात्मक व्यवहार प्रदर्शित करने वाला एक छात्र शेष कक्षा से अलग हो जाता है?

1. Satiation technique / तुष्टि तकनीक

2. Extinction technique / परिसमाप्ति तकनीक

3. Corporal punishment / शारीरिक दंड

4. Time out technique / समय समाप्त तकनीक

Ans- 4 

3) which of the following is not true about the demonstration method of teaching? निम्नलिखित में से कौन शिक्षण के अभिव्यक्ति विधि के बारे में सत्य नहीं है?

1. The focus is on the demonstration of concepts through experiments / activities / अवधारणाओं का प्रदर्शन प्रयोगों / क्रियाकलापों पर केंद्रित होता है।

2. It can be used for a multicultural classroom / इसका उपयोग बहुसांस्कृतिक कक्षा के लिए किया जा सकता है।

3. The learners gets an opportunity to participate / शिक्षार्थियों को सम्मिलित होने का एक अवसर मिलता है।

4. All the topics can be covered by this method / इस विधि द्वारा सभी विषयों को कवर किया जा सकता है।

Ans- 4 

4) A 20 year old girl’s mental age is 12 years. Find her IQ. 

एक 20 साल की लड़की की मानसिक उम्र 12 साल है। उसकी बुद्धिलब्धि निकालिए ।

1. 100

2. 125

3. 60

4. 75

Ans- 4 

5) The father of Intelligence tests is 

बुद्धि परीक्षणों के जनक हैं।

1. Francis Galton / फ्रांसिस गाल्टन

2. James Cattell / जेम्स कैटेल

3. Alfred Binet / अल्फ्रेड बिने

4. Karl Pearson / कार्ल पियर्सन

Ans- 3 

6) GDD is a developmental disability recognized in children who are ———-. 

जीडीडी एक विकास संबंधी अक्षमता है जो ————-  देखने को मिलती है।

1. below 5 yrs. / 5 वर्ष से छोटे बच्चों में

2. age 12-14 yrs. / 12-14 वर्ष की आयु में

3. above 5 yrs. / 5 वर्ष से अधिक के बच्चों में

4. above 18 yrs. / 18 वर्ष से ऊपर

Ans- 1 

7) If the chronological age and the mental age of the child is 15 years. He will be classified into which category ?

 यदि बच्चे की कालानुक्रमिक आयु और मानसिक आयु 15 वर्ष है। तो उसे किस श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा?

1. Superior / उच्च

2. Normal intelligence / सामान्य बुद्धि

3. Genius / प्रतिभाशाली

4. Below normal intelligence / सामान्य बुद्धि से नीचे

Ans- 2 

8) According to Jean Piaget, cognitive development starts at ———– stage.

जीन पियाजे के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास ————- अवस्था पर शुरू होता है।

1. Concrete Operational/मूर्त-संक्रियात्मक

2. Preoperational / पूर्व-संक्रियात्मक

3. Formal Operational / औपचारिक संक्रियात्मक

4. Sensorimotor / संवेदी पेशीय (सेंसरीमोटर)

Ans- 4 

9)  According to Jean Piaget, preoperational children are 

जीन पियाजे के अनुसार, पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था के बच्चे कैसे होते हैं?

1. Egocentric/ आत्मकेंद्रित (इगोसेन्ट्रिक)

2. Flexible/ नम्य (फ्लेक्सिबल)

3. Complex/ जटिल

4. Social / सामाजिक

Ans- 1 

10) What concept takes into account an individual’s mental and chronological ages?

किसी व्यक्ति की मानसिक और कालानुक्रमिक आयु कौन-सी अवधारणा ध्यान में रखती है?

1. Cognitive quotient / संज्ञानात्मक भागफल

2. Intelligence quotient / बुद्धिलब्धि

3. Intellectual quotient / बौद्धिक भागफल

4. Functionality quotient / कार्यात्मकता भागफल

Ans- 2 

11) What is the term used to denote an unfavorable attitude towards members of a particular ethnic or religious group? 

किसी विशेष जातीय या धार्मिक समूह के सदस्यों के प्रति प्रतिकूल रवैये को दर्शाने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है?

1. Prejudice / पक्षपात

2. Racism / नस्लवाद

3. Enmity / दुश्मनी

4. Fanaticism / कट्टरता

Ans- 1 

12) What type of memory may be involved in carrying out complex mathematical problems? 

जटिल गणितीय समस्याओं को पूरा करने में किस प्रकार की स्मृति सम्मिलित हो सकती है?

1. Iconic memory / प्रतिभा सम्बन्धित स्मृति (आइकॉनिक मेमोरी)

2. Echoic memory / प्रतिध्वनि स्मृति (एकोइक मेमोरी)

3. Working memory चलन स्मृति (वर्किंग मेमोरी)

4. Sensory memory / संवेदी स्मृति ( सेंसरी मेमोरी)

Ans- 3 

13) In which stage of Piaget’s theory of cognitive development do children develop the concept of conservation?

प्याज़े के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत के किस चरण में बच्चों में संरक्षण का सिद्धांत विकसित होता है?

1. Concrete operational stage / मूर्त संक्रियात्मक अवस्था

2. Post-formal stage / पोस्ट – औपचारिक अवस्था

3. Pre-operational stage / पूर्व – संक्रियात्मक अवस्था

4. Formal operational stage / औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था

Ans- 1 

14) Thorndike’s Law of Readiness is also known as : 

थार्नडाइक के तत्परता के नियम को इस नाम से भी जाना जाता है:

1. Law of Exercise / अभ्यास का नियम

2. Law of Effect / प्रभाव का नियम

3. Law of Action Tendency / कार्य प्रवृत्ति का नियम

4. Law of Set or Attitude / सेट या मनोवृत्ति का नियम

Ans- 3 

15) Which of these includes unhappiness when defining abnormality?

 असामान्यता को परिभाषित करते समय इनमें से किसमें नाखुशी शामिल है?

1. Danger to self / others / स्वयं / अन्य के लिए घातक

2. Deviance / विचलन

3. Dysfunction / विकार

4. Distress / पीड़ा

Ans- 4 

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UPTET Exam Hindi Literature MCQs: हिंदी साहित्य के इन महत्वपूर्ण सवालों से करें तैयारी और जांचें अपना स्कोर https://exambaaz.com/uptet-exam-hindi-literature-mcq-for-level-1-and-2-these-questions-may-be-asked-for-the-upcoming-uptet-exam/ https://exambaaz.com/uptet-exam-hindi-literature-mcq-for-level-1-and-2-these-questions-may-be-asked-for-the-upcoming-uptet-exam/#respond Tue, 21 Jan 2025 09:08:35 +0000 https://exambaaz.com/?p=20078 UPTET Exam Hindi literature Questions: उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) में हिंदी साहित्य का सेक्शन विशेष रूप से उन ...

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UPTET Exam Hindi literature Questions: उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) में हिंदी साहित्य का सेक्शन विशेष रूप से उन उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर हिंदी पढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इस सेक्शन में हिंदी भाषा की गहराई और विविधता को परखने के साथ-साथ शिक्षण पद्धति से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। इसमें हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, लेखक, काव्य शैलियां, गद्य विधाएं, साहित्यिक युग, और भाषा की विशेषताओं पर आधारित प्रश्न शामिल होते हैं।

UPTET में हिंदी साहित्य से जुड़े सवाल न केवल साहित्यिक ज्ञान को जांचते हैं, बल्कि यह भी समझते हैं कि उम्मीदवार छात्रों को हिंदी साहित्य और भाषा के प्रति कैसे रुचि उत्पन्न कर सकते हैं। पिछले वर्षों के पेपर में देखा गया है कि यहां से स्मृति आधारित प्रश्न (memory-based questions) और अवधारणा आधारित प्रश्न (concept-based questions) दोनों का संतुलन होता है।

इस आर्टिकल में हम आपको UPTET परीक्षा के लिए हिंदी साहित्य से जुड़े संभावित और महत्वपूर्ण सवालों की सूची प्रदान करेंगे। यह सवाल आपको परीक्षा पैटर्न समझने और हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को गहराई से जानने में मदद करेंगे।

यूपीटीईटी परीक्षा में बार-बार पूछे जाते हैं हिंदी साहित्य के यह सवाल — Hindi literature Based MCQ for UPTET level 1 and 2

प्रश्न 1. ध्रुवस्वामिनी के रचयिता कौन है ?

(क) मैथिलीशरण गुप्त

(ख) महादेवी वर्मा

(ग) निराला

(घ) जयशंकर प्रसाद

उत्तर-(घ)

प्रश्न 2. रामधारी सिंह दिनकर का अंतिम काव्य- संकलन क्या है ?

(क) नीम के पत्ते

(ख) हारे को हरिनाम

(ग)  अंधा युग

(घ) आत्मा की आंखें

उत्तर-(ख)

प्रश्न 3. नीचे दिए गए “के रचयिता के नाम का चयन कीजिए –

जाकी रही भावना जैसी।

प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ॥

(क) सूरदास

(ख) मीराबाई

(ग) तुलसीदास

(घ) गिरिधर

उत्तर-(ग)

प्रश्न 4. चित्रलेखा किसकी रचना है ?

(क) यशपाल

(ख) भगवती चरण वर्मा

(ग) सुमित्रा नंदन पंत

(घ) अमृतलाल नागर

उत्तर-(ख)

प्रश्न 5. कुरुक्षेत्र किसकी रचना है?

(क) रामधारी सिंह दिनकर

(ख) भारतेंदु हरिश्चंद्र

(ग) गांधी

(घ) केशवदास

उत्तर-(क)

प्रश्न 6. कोकिल कवि विद्यापति की पदावली कौन सी भाषा में रचित है ?

(क) मैथिली

(ख) अवधि

(ग) ब्रजभाषा

(घ) बघेली

उत्तर-(क)

प्रश्न 7. काव्य क्षेत्र में प्रबंध शिरोमणि की उपाधि किसे दी गई है ?

(क)सू र्यकांत त्रिपाठी

(ख) हरिवंश राय बच्चन

(ग) हरिऔध

(घ) मैथिलीशरण गुप्त

उत्तर -(घ)

प्रश्न 8. यामा किसकी रचना है ?

(क) मीराबाई

(ख) महादेवी वर्मा

(ग) सुभद्रा कुमारी चौहान

(घ) सुमित्रानंदन पंत

उत्तर-(ख)

प्रश्न 9. मुंशी प्रेमचंद्र का निधन किस वर्ष में हुआ था ?

(क) 1908

(ख) 1927

(ग) 1930

(घ) 1936

उत्तर-(घ)

प्रश्न 10.मृगनयनी के रचनाकार कौन है

(क) सेठ गोविंद दास

(ख) वृंदावन लाल वर्मा

(ग) यशपाल

(घ) धनानंद

उत्तर-(ख)

प्रश्न 11. लिखित में से कौन सा संत कभी अनपढ़ नहीं है ?

(क) कबीर दास

(ख) रैदास

(ग) सुंदर दास

(घ) दादू दयाल

उत्तर-(ग)

प्रश्न 12.  हरिवंशराय बच्चन जी ने प्रथम बार जीवन भर मान्यता के प्रति अपने प्रौढ़ भावों की वाणी किस कृति में दी है –

(क) प्रणय पत्रिका

(ख) आरती और अंगारे

(ग) मधुशाला

(घ) धार के इधर-उधर

उत्तर-(क)

प्रश्न 13. दिनकर किसका उपनाम है ?

(क) प्रताप नारायण मिश्र

(ख) अयोध्या सिंह उपाध्याय

(ग) रामधारी सिंह

(घ) महाकवि भूषण

उत्तर-(ग)

प्रश्न 14. कृष्ण गीतावली किसकी रचना है ?

(क) सूरदास

(ख) मीराबाई

(ग) तुलसीदास

(घ) नंददास

उत्तर- (ग)

प्रश्न 15. मैथिलीशरण गुप्त किस काल के कवि थे ?

(क) आदिकाल

(ख)भक्तिकाल

(ग) रीतिकाल

(घ) आधुनिक काल

उत्तर-(घ)

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