Jean Piaget Theory of Convenient Development: यदि आप CTET, यूपीटीईटी या किसी भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की तैयारी कर रहे है तो “Jean Piaget Theory of Convenient Development (जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत) टॉपिक को आपको अच्छे से पढ़ लेना चाहिए। इस टॉपिक से परीक्षाओ मे हमेशा प्रश्न पूछे जाते है इसीलिए इस आर्टिकल मे हम Jean Piaget Theory Notes शेअर कर रहे है, जिसमे हमने— जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत क्या है? जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं उपयोगिता सहित परीक्षा मे पूछे जाने वाले संज्ञानात्मक विकास से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न आदि कवर किया है। परीक्षा में इस सिद्धांत से संबंधित एक से दो प्रश्न मुख्य रूप से पूछे ही जाते है ये जानकारी आपको आगामी परीक्षा मे सहायता करेंगी।
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जीन पियाजे (Jean Piaget) कौन थे?
जीन पियाजे का जन्म 1896 ईसवी में स्विजरलैंड में हुआ पियाजे ने सर्वप्रथम ‘द लैंग्वेज ऑफ थॉट ऑफ द चाइल्ड’ पुस्तक 1923 में लिखी, जीन पियाजे ने 1923 से 1932 के बीच पाँच पुस्तकों को प्रकाशित कराया, जिनमें संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया।इसलिए जीन प्याजे को ‘विकासात्मक मनोविज्ञान’ का जनक कहा जाता है
Jean Piaget Theory of Convenient Development Notes
क्या है संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत– What is Jean piaget theory of convenient development
संज्ञानात्मक विकास के सम्बन्ध में जीन पियाजे का योगदान सर्वोपरि है। जीन पियाजे (1896-1980) स्विट्जरलैण्ड के एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने प्राणि-विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की थी, इनकी रुचि यह जानने की थी कि बालकों में बुद्धि का विकास किस ढंग से होता है। इसके लिए उन्होंने अपने स्वयं के बच्चों को अपनी खोज का विषय बनाया। इन्होंने कहा कि जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती हैं वैसे-वैसे उनकी बुद्धि का विकास भी होते रहता हैं।
पहले बच्चा सरल चीजों को सीखता हैं फिर जैसे-जैसे उसकी उम्र और अनुभव बढ़ते जाता हैं फिर वह कठिन चीजों को सीखने लगता हैं। इस अध्ययन के परिणामस्वरूप उन्होंने जिन विचारों का प्रतिपादन किया उन्हें पियाजे के मानसिक या ‘संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त’ के नाम से जाना जाता है। संज्ञानात्मक विकास को परिभाषित करने से पहले इन्होंने यह परिक्षण सर्वप्रथम अपने बच्चों पर किया और उनकी अवस्थाओ में हुए परिवर्तनों को समझा इसलिये इसे अवस्था का सिद्धांत भी कहा जाता हैं।
जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की संकल्पाएँ-
1. स्कीमा (Schema)
2. आत्मसात्करण (Assimilation)
3. समायोजन (Accommodation)
4. साम्यधारण (Equilibrium)
1. स्कीमा (Schema)- स्कीमा से तात्पर्य एक ऐसी मानसिक संरचना से है जो व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क में सूचनाओं को संगठित तथा व्याख्या करने हेतु विद्यमान होती है। यह स्कीमा दो प्रकार की होती हैं- साधारण तथा जटिल। पियाजे के अनुसार स्कीमा को संशोधित व समायोजित करने में दो प्रक्रियाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है- आत्मसात्करण तथा समायोजन।
I. आत्मसात्करण (Assimilation)- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बालक समस्या के समाधान के लिए पूर्व सीखी गई मानसिक प्रक्रियाओं का सहारा लेता है।
II. समायोजन (Accommodation)- इस प्रक्रिया के अन्तर्गत बालक अपनी योजना, सम्प्रत्यय, व्यवहार आदि में परिवर्तन लाकर नये वातावरण के साथ अनुकूलन करता है।
जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत को 4 अवस्थाओं में बांटा गया है–
1.इंद्रिय जनित गामक अवस्था / संवेदी पेशीय (0- 2 वर्ष)
2.पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2 से 7)
3.मूर्त संक्रियात्मक (7 से 11)
4.औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (12 वर्ष के बाद)
- संवेदी पेशी अवस्था / इंद्रिय जनित अवस्था ( 0 से 2 वर्ष)
- जन्म के समय शिशु वाह जगत के प्रति अनभिज्ञ होता है धीरे-धीरे में आयु के साथ अपनी संवेदनाएं वह शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से बाहर जगत का ज्ञान ग्रहण करता है। .वह वस्तु को देखकर सुनकर स्पर्श करके गंध के द्वारा तथा स्वाद के माध्यम से ज्ञान ग्रहण करता है।
- छोटे-छोटे शब्दों को बोलने लगता है।
- परिचितों का मुस्कान के साथ स्वागत करता है तथा आपरिचितों को देखकर वह का प्रदर्शन करता है।
2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2 से 7 वर्ष)
- इस अवस्था में दूसरों के संपर्क में खिलौने से अनुकरण के माध्यम से सीखता है।
- खिलौनों की आयुषी अवस्था को कहा जाता है।
- शिशु गिनती गिनना रंगों को पहचानना वस्तुओं को क्रम से रखना हल्के भारी का ज्ञान करना सीखता है।
- माता पिता की आज्ञा मानना पूछने पर नाम बताना घर के छोटे छोटे कार्यों में मदद करना भी सीख जाता है।
3. स्थूल मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (7 से 12 वर्ष)
- इस अवस्था में तार्किक चिंतन प्रारंभ हो जाता है लेकिन बालक का चिंतन केवल मूर्त प्रत्यक्ष वस्तु तक ही सीमित रहता है।
- मैं अपने सामने उपस्थित दो वस्तुओं के बीच तुलना करना अंतर करना समानता व असमानता करना सीख जाता है।
- इसलिए इसे मूर्त चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
- बालक दिन तारीख समय महीना वर्ष आदि बताने योग्य हो जाता है।
- उत्क्रमणीय शीलता पाई जाती है इसलिए से पला व टी अवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 से 15 वर्ष)
- यह 11 से 14 वर्ष के आगे की अवस्था है।
- इस अवस्था में किशोर मूर्त के साथ-साथ अमूर्त चिंतन करने योग्य भी हो जाता है।
- सारे को करना समझता है और कार्य में अंतर करना भी समझता है अर्थात उसमें तार्किक ज्ञान की समझ आ जाती है इसीलिए इसे तार्किक चिंतन की अवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
जीन पियाजे ने आत्मीयकरण, समंजन, संतुलन व स्कीमा ऐसे नवीन शब्दों का प्रयोग कर शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत की शिक्षा में उपयोगिता
- प्याजे ने अपने सिद्धांत का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में करते हुए अनुकरण वकील की क्रिया को महत्व दिया है शिक्षकों को अनुकरण व खेल विधि से शिक्षण कार्य करना चाहिए
- क्या जी कहते हैं कि बच्चे सीखने मे धीमी होते हैं उन्हें दंड नहीं देना चाहिए
- प्याजे के सिद्धांत के अनुसार अभिप्रेरणा और बालक दोनों ही अधिगम का विकास के लिए आवश्यक है इन दोनों को शिक्षा में प्रयोगकरना उचित होगा
- शिक्षकों व अन्य व्यक्तियों को बच्चों की वृद्धि का मापन उसकी व्यवहारिक क्रियाओं की योग के आधार पर करना चाहिए
TET परीक्षा मे पियाजे के सिद्धांत पर आधारित ये सवाल पूछे जाएंगे – Important Questions on Theories of Piaget
Q.1 जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास के अपने सिद्धांतों को विकसित और प्रस्तावित किया?
(a) उत्तरकालीन 1700
(b) प्रारंभिक-मध्य- 1800
(c) उत्तरकालीन 1800
(d) मध्यकालीन 1900
Ans.(d)
Q.2 पियाजेट के अनुसार, पहले ज्ञानेन्द्रिय उप-चरण के दौरान शिशुओं का व्यवहार होता है?
(a) कर्मकर्त्ता
(b कु-अनुकूलित
(c) अपरिवर्तनीय
(d) प्रबलित
Ans.(a)
Q.3 पियाजे के अनुसार, मौजूदा योजनाओं में नई जानकारी को शामिल करने को कहा जाता है?
(a) संक्रियात्मक चिंतन
(b) संतुलन
(c) समायोजन
(d) अनुकूलन
Ans.(d)
Q.4 निम्नलिखित में से कौन एक संज्ञानात्मक स्कीमा का उदाहरण है?
(a) रंग से छाँटना
(b) खड़खड़ाहट करना
(c) किसी वस्तु को देखना
(d) शामक को चूसना
Ans.(a)
Q.5 सीता ने हाथ से दाल चावल खाना सीख लिया है जब से दाल और चावल दिए जाते हैं तो मैं दाल चावल मिलाकर खाने लगती है उसने चीजों को करने के लिए अपने स्कीमा में दाल और चावल खाने …. कर लिया है ।
A) अंगीकार
B) समायोजित
C) अनुकूलित
D) समुचिता
Ans- C
Q.6 पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की द्वितीय अवस्था है ?
A) ज्ञानेन्द्रिय अवस्था
B) औपचारिक संक्रियता की अवस्था
C) पूर्व संक्रिया की अवस्था
D) मूर्त संक्रिया की अवस्था
Ans- C
Q.7 जीन पियाजे के अनुसार प्रस्तुत संरक्षण के प्रत्यय से तात्पर्य है कि –
A) दूसरों के परिदृश्य को ध्यान में रखना एक महत्वपूर्ण संज्ञानात्मक क्षमता है ।
B) वन्य जीव और वनों का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है ।
C) कुछ भौतिक गुणधर्म वहीं रहते हैं चाहे बाहरी आकृतियां बदल जाए ।
D) परिकल्पना पर विधिवत परीक्षण से सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है ।
Ans- C
Q.8 पियाजे के अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है ……कहलाती है ?
A) प्रत्यक्षण
B) समायोजन
C) समावेशन
D) स्कीमा
Ans- B
Q.9 एक 12 साल का बच्चा यह समझता है कि एक मेज का वजन वही रहता है चाहे वह दाएं और हो या उल्टी हो उसमें किस सिद्धांत को समझाए ?
A) संरक्षण
B) आगमनात्मक तर्क
C) वस्तु स्थायित्व
D) परिकल्पित तर्क
Ans- A
Q.10 जीन पियाजे के अनुसार अनुकूलन – – – -द्वारा होता है ?
A) आत्मसात्करण
B) व्यवस्थापन
C) अनुभव
D) आत्मसात्करण एवं व्यवस्थापन
Ans- D
Q.11 रूही 11 महीने की बच्ची हैऔर वह प्रतीक सफेद तरल वस्तु को दूध पिलाती है रूही द्वारा अवधारणा विकास प्रक्रिया का कौन सा प्राकृतिक स्वभाव दिखाया गया है ?
A) विश्लेषण
B) अमूर्तिकरण
C) सामान्यीकरण
D) अनुभव
Ans- C
Q.12 ………..की दृष्टिकोण के अनुसार,स्कीमा में ज्ञान की एक श्रेणी और उस ज्ञान को प्राप्त करने की प्रक्रिया दोनों शामिल हैं ?
A) जीन पियाजे
B) एरिक इरिक्सन
C) जेरोम ब्रूनर
D) सिगमंड फ्रायड
Ans-a
Q.13 पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत से निहितार्थ निकालते हुए एक ग्रेड 6-8 के शिक्षक को अपनी कक्षा में क्या करना चाहिए ?
A) ऐसी समस्या प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें तड़का धर समाधान की आवश्यकता होती है ।
B) एक अवधारणा को पढ़ाने के लिए केवल मूर्त सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए ।
C) केवल निर्धारित पाठ्यक्रम पर निर्भर रहना चाहिए ।
D) तार्किक बहस के प्रयोग को हतोत्साहित करना चाहिए ।
Ans- A
Q.14 जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत की “पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ” का आयु समूह है ?
A) 0 से 2 वर्ष
B) 2 से 7 वर्ष
C) 4 से 11 वर्ष
D) 7 से 12 वर्ष
Ans -b
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बहुत अच्छा रहा है
thanks… Very helpful notes
Thank u so much