Kohlberg theory of moral development in hindi
प्रिया ,अभ्यार्थियों आज की इस आर्टिकल में हम आपके साथ कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत (kohlberg theory of moral development) शेयर कर रहे हैं कोहल बर्ग के इस नैतिक विकास सिद्धांत के अंतर्गत Moral development theory,Stages of moral development एवं साथी कोहल बर्ग के नैतिक सिद्धांत (Kohlerg ka Naitik Vikas ka Siddhant) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी इस आर्टिकल में आपको प्राप्त होंगे इस आर्टिकल में (kohlberg theory)कोहल बर्ग के नैतिक सिद्धांत को विस्तार पूर्वक बताया गया है जो कि आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा
कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत 1958 (kohlberg theory of moral development)
नैतिकता (morality)
यह वह गुण है। जिससे हमें सही और गलत की पहचान होती है। इसे सामाजिक परिवेश से सीखा जाता है। जब बालक का जन्म होता है, तो वह ना तो नैतिक होता है और ना ही अनैतिक होता है। वह अच्छा या बुरा समाज से ही सीखता है।
Moral development theory
- कोहल बर्ग ने नैतिक विकास सिद्धांत को अवस्था सिद्धांत( stage theory) भी कहा है। उन्होंने नैतिक विकास सिद्धांत को 6 अवस्थाओं में विभाजित किया है एवं उन्हें सार्वभौमिक(Universal) माना है।
- सार्वभौमिक का तात्पर्य है कि कोई भी बच्चा हो वह इन अवस्थाओं से होकर अवश्य गुजरता है।
- नैतिक विकास की अवस्थाएं एक निश्चित क्रम में आती है। इस क्रम को बदला नहीं जा सकता है।
- नैतिक अवस्था की अंतिम अवस्था में पहुंचने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम होती है। नैतिक तर्क शक्ति के आधार पर बालक को में व्यक्तिगत विभिन्नता होती है।
Kohlberg’s theory six Stages of moral development
कोहल बर्ग ने नैतिक विकास की कुल 6 अवस्थाओं का वर्णन किया है लेकिन उन्होंने दोनों अवस्थाओं को एक साथ रखकर इनको तीन स्तर पर रखा है एवं इसकी व्याख्या की है जो कि इस प्रकार है।
1. पूर्व परंपरागत अवस्था (Pre-conventional stage)
(a) आज्ञा एवं दंड की अवस्था ( stage of order punishment)
(b) अहंकार की अवस्था (Stage of ego)
2. परंपरागत अवस्था (Conventional stage)
(a) प्रशंसा की अवस्था ( stage of appreciation)
(b) सामाजिक व्यवस्था के प्रति सम्मान की अवस्था ( stage of respect for social system)
3 उत्तर परंपरागत स्तर ( post- conventional stage)
(a) सामाजिक समझौते की अवस्था ( stage of social contract)
(b) सार्वभौमिक सिद्धांत की अवस्था ( Universal principles\Interaction stage)
कोहलबर्ग के वर्गीकरण को नीचे दिये गए टेबल के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है
Level स्तर | Stage चरण | Social Orientation सामाजिक अभिविन्यास |
Pre-conventional पूर्व-पारंपरिक |
1 | Obedience and Punishment Orientation आज्ञाकारिता और दंड अभिविन्यास |
2 | Individualism, Instrumentalism and Exchange/ Instrumental Orientation व्यक्तिवाद, उपकरणवाद और विनिमय / नैमिति अभिविन्यास |
|
Conventional पारंपरिक |
3 | Good boy/girl/ Nice Girl, Good Boy Orientation अच्छा लड़का / लड़की / अच्छी लड़की, अच्छा लड़का अभिविन्यास |
4 | Law and Order Orientation/ Authority and Social Order कानून और व्यवस्था अभिविन्यास / प्राधिकरण और सामाजिक व्यवस्था |
|
Post-conventional उत्तर-पारंपरिक |
5 | Social Contract Orientation सामाजिक अनुबंध अभिविन्यास |
6 | Principled Conscience/ Universal-Ethical-Principal Orientation सैद्धांतिक अन्तश्चेतना/ सार्वभौमिक नैतिक प्रमुख अभिविन्यास |
1. पूर्व परंपरागत अवस्था (Pre- conventional stage)
जब बालक बाहरी तत्व या घटना के आधार पर किसी व्यवहार को नैतिक या अनैतिक मानता है, तो उसकी नैतिक तर्क शक्ति Pre- conventional स्तर की कही जाती है । इसमें दो अवस्थाएं होती है जोकि इस प्रकार है ।
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(a) आज्ञा एवं दंड की अवस्था ( stage of order punishment)
- इस अवस्था में बालक का व्यवहार बंद के व्यय पर आधारित होता है, और इसी डर से वह अच्छा व्यवहार करता है।
- इस प्रकार नैतिक विकास की शुरू की अवस्था में दंड को ही बच्चों की नैतिकता का मुख्य आधार मानते हैं।
- बच्चा सोचता है कि बंद से बचने के लिए आदेश का पालन करना चाहिए।
- सही गलत का निर्णय दिए गए दंडवा पुरस्कार से करता है।
(b) अहंकार की अवस्था (Stage of ego)
- इस अवस्था में बालक का व्यवहार स्वयं की इच्छा को पूरा करने वाला होता है।
- उसे लगता है कि वही बात सही है। जिसमें बराबरी का लेन-देन हो अर्थात हम दूसरी की कोई इच्छा पूरी कर दे तो वह भी हमारी इच्छा पूरी करेगा।
- इस अवस्था में बालक में अहंकार होता है, यदि उसका कोई उद्देश्य झूठ बोलने से क्या चोरी करने से होता है तो वह वह काम करता है ऐसे अनैतिक नहीं समझता है।
2. परंपरागत अवस्था (Conventional stage)
इस अवस्था में बच्चों का व्यवहार उनकी मां बाप या किसी बड़े व्यक्ति द्वारा बनाए गए नियमों पर आधारित होता है। इसमें दो अवस्थाएं होती है जो इस प्रकार है।
(a) प्रशंसा की अवस्था ( stage of appreciation)
- इस अवस्था में बच्चा जो भी करता है वह प्रशंसा पाने के लिए करता है।
- इसमें बालक समाज को अच्छा लगने वाला व्यवहार करता है जिससे कि वह प्रशंसा प्राप्त कर सके।
- उस व्यवहार को ही वह अनैतिक मानता है जिससे प्रशंसा मिलती है।
- इस अवस्था में बच्चे के चिंतन का स्वरूप समाज और उसके परिवेश से निर्धारित किया जाता है।
(b) सामाजिक व्यवस्था के प्रति सम्मान की अवस्था ( stage of respect for social system)
- उत्पादकता में बच्चों के नैतिक विकास की अवस्था सामाजिक, आदेश, कानून, न्याय और कर्तव्यों पर आधारित होती है।
- यह अवस्था अत्यंत महत्वपूर्ण अवस्था मानी जाती है, इस अवस्था में प्रवेश से पहले बालक समाज को केवल प्रशंसा के लिए महत्व देता है।
- इस अवस्था में पहुंच कर वह समझने लगता है, कि सामाजिक नियमों के विरुद्ध प्रत्येक कार्य को अनैतिक कहते हैं।
3 उत्तर परंपरागत स्तर ( post- conventional stage)
उत्तर परंपरागत स्तर को 2 उप-अवस्थाओं में बांटा गया है।
(a) सामाजिक समझौते की अवस्था ( stage of social contract)
- इस अवस्था तक आते आते वह समझने लगता है कि व्यक्ति व समाज के बीच एक समझौता होता है।
- व्यक्ति यह मानने लगता है, कि हमारा दायित्व है कि हम समाज के नियमों का पालन करें क्योंकि समाज हमारे हितों की रक्षा करता है।
- अगर नियमों का पालन नहीं करते हैं तो व्यक्ति व समाज के बीच का समझौता टूट जाता है।
- परंतु यह इस अवस्था में यह समझा जाता है कि समाज की सहमति से सामाजिक नियमों को भी बदला जा सकता है।
(b) सार्वभौमिक सिद्धांत की अवस्था ( Universal principles\Interaction stage)
- इसे विवेक की अवस्था भी कहा जाता है इस अवस्था तक व्यक्ति के अच्छे बुरे, उचित अनुचित आदि विषयों पर स्वयं के व्यक्तिगत विचार विकसित हो जाते हैं, एवं अपने बनाए गए नियमों पर चलता है।
- इस अवस्था में बालक अपने विवेक का प्रयोग करने लगता है।
कोहल बर्ग सिद्धांत से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर – Questions on kohlberg’s theory of moral development
1. कोहलबर्ग के नैतिक तर्क के चरणों के संदर्भ में, किस चरण के तहत किसी बच्चे के गिरने की विशिष्ट प्रतिक्रिया होगी? “यदि आप ईमानदार हैं तो आपके माता-पिता को आप पर गर्व होगा। इसलिए आपको ईमानदार होना चाहिए। ”
(a) सामाजिक अनुबंध अभिविन्यास
(b) सजा-आज्ञापालन अभिविन्यास
(c) गुड गर्ल-गुड बॉय ओरिएंटेशन
(d) लॉ एंड ऑर्डर ओरिएंटेशन
Answer: c
2. कोहलबर्ग के सिद्धांत के पूर्व-पारंपरिक स्तर के अनुसार, नैतिक निर्णय लेते समय निम्नलिखित में से किसके लिए एक व्यक्तिगत मोड़ होगा?
(a) व्यक्तिगत ज़रूरतें और इच्छाएँ
(b) व्यक्तिगत मूल्य
(c) पारिवारिक अपेक्षाएँ
(d) संभावित सजा शामिल है
Answer: (d)
3. लॉरेंस कोह्लबर्ग के सिद्धांत में, कौन सा स्तर सही अर्थों में नैतिकता की अनुपस्थिति को दर्शाता है?
(a) स्तर III
(b) स्तर IV
(c) स्तर I
(d) स्तर II
Answer: c
4. कोहलबर्ग के अनुसार, एक शिक्षक बच्चों में नैतिक मूल्यों को जन्म दे सकता है?
(क) ‘व्यवहार कैसे करें’ पर सख्त निर्देश देना
(b) नैतिक मुद्दों पर चर्चा में उन्हें शामिल करना
(c) व्यवहार के स्पष्ट नियम रखना
(d) धार्मिक शिक्षाओं को महत्व देना
Answer: (b)
5. कोहलबर्ग के सिद्धांत की एक प्रमुख आलोचना क्या है?
(a) कोहलबर्ग ने नैतिक विकास के स्पष्ट चरण नहीं दिए।
(b) कोह्लबर्ग ने बिना किसी अनुभवजन्य आधार के एक सिद्धांत का प्रस्ताव रखा।
(c) कोहलबर्ग ने प्रस्ताव दिया कि नैतिक तर्क विकासात्मक है।
(d) कोहलबर्ग ने पुरुषों और महिलाओं के नैतिक तर्क में सांस्कृतिक अंतर का हिसाब नहीं दिया।
Ans- d
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दोस्तों इस आर्टिकल में हमने जाना कोहलबर्ग का नैतिकता का सिद्धांत(Kohlerg ka Naitik Vikas ka Siddhant )एवं इससे संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर अगर आप इससे संबंधित अन्य टॉपिक पर आर्टिकल प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अवश्य बताएं आशा है यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!!!
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