CTET EXAM 2022: कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धान्त, जहां से सीटेट में कई सवाल पूछे जाते हैं, यहां पढ़िए!

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Lawrence Kohlberg Moral Development Theory: केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) देश की बड़ी शिक्षक पात्रता परीक्षा में से एक है जिसका आयोजन दिसंबर 2022 में किया जाना है फिलहाल परीक्षा के आवेदन की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है परंतु सीबीएसई के द्वारा परीक्षा प्रारंभ होने की तिथि जारी होना अभी बाकी है  जो कि जल्द ही जारी कर दी जाएगी ऐसे में  परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को अपनी तैयारियों पर को प्रारंभ कर देना चाहिए, ताकि परीक्षा में बेहतर अंक हासिल किए जा सके इस आर्टिकल में हम मनोवैज्ञानिक कोहल वर्ग का ‘नैतिक विकास का सिद्धांत’ आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं, जहां से परीक्षा में कई सवाल पूछे जाते हैं, इस सिद्धांत के ध्यान पूर्वक अध्ययन से आप परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों को आसानी से हल कर सकेंगे. इसलिए इसे एक बार जरूर पढ़ें.

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लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिकता का सिद्धांत (Lawrence Kohlberg Theory of Moral Developement)

नैतिकता (Morality )

यह वह गुण है जिससे हमें सही और गलत की पहचान होती है। बच्चा अपने  सामाजिक परिवेश से ही नैतिकता और अनैतिकता को जानता है। 

कोहलबर्ग अमेरिका के एक मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने नैतिकता का सिद्धांत या नैतिक विकास का सिद्धांत दिया।

कोहलबर्ग अपने प्रयोगों में छोटी कथाओं को उपस्थित कर उससे सम्बन्धित नैतिक समस्याओं के सम्बन्ध में प्रश्न पूछते थे। उनके द्वारा पूछे जाने वाली लघु कथाओं में से एक लघु कथा निम्न है –

“यूरोप में एक महिला मौत के कगार पर थी। डॉक्टरों ने कहा कि एक दवाई है जिससे शायद उसकी जान बच जाए। वो एक तरह का रेडियम था जिसकी खोज उस शहर के एक फॉर्मासिस्ट ने तभी की थी। दवाई बनाने का खर्चा बहुत था और दवाई वाला दवाई बनाने के खर्च से दस गुना ज्यादा पैसे माँग रहा था। उस औरत का इलाज करवाने के लिए उसका पति हिज उन सबके पास गया जिसे जानता था। उसे केवल कुछ पैसे ही उधार मिले जोकि दवाई के दाम से आधे ही थे। उसने दवाई वाले से कहा कि उसकी पत्नी मरने वाली है वो उस दवाई को सस्ते में दे। वह उसके बाकी पैसे बाद में दे देगा। फिर भी दवाई वाले ने मना कर दिया। दवाई वाले ने कहा कि मैंने यह दवाई खोजी है, मैं इसे बेच कर पैसा कमाऊँगा । तब हिज ने मजबूर होकर उसकी दुकान तोड़ कर वो दवाई अपनी पत्नी के लिए चुरा ली।”

इस कहानी के आधार पर कोहलबर्ग ने दो बातों पर बल दिया ।

(i) नैतिक दुविधा (Moral Dilemma) :- सही और गलत के बारे decision लेने में शामिल प्रक्रिया को नैतिक दुविधा कहते है ।

Ex: हिंज अगर चोरी करेगा तो पुलिस पकड़ लेगी और नहीं करेगा तो उसकी बीवी मर जाएगी।

(ii) नैतिक तर्कणा (Moral Reasoning ) :- सही और गलत में से किसी एक को चुनना जैसे हिंज ने चोरी को चुना 

                                  कोहलबर्ग ने नैतिकता के 3 Level बताए है

(1) प्राक रूढ़िगत नैतिकता का स्तर / Pre Conventional Stage (4 – 10 – वर्ष) :- इस अवस्था में नैतिकता शून्य होती है यानि बच्चो को सही गलत के बारे में पता नहीं इस अवस्था में नैतिक तर्कणा दूसरे लोगो के मानकों के अनुसार होती है। इस अवस्था को दो भागो में बांटा है

(i) दंड एवं आज्ञा – पालन उन्मुखता (Punishment & Obedience ) :- इसमें बच्चे की नैतिकता सजा और आज्ञा पालन पर आधारित होती है। जब हिंज ने चोरी की तो बच्चो ने सोचा की अगर वह चोरी करेगा तो उसे सजा मिलेगी

(ii) साधनात्मक सापेक्षता तथा उन्मुखता (Instrumental Relativists individualism) :- इस अवस्था को ” जैसे को तैसे” भी कहा जाता है क्योकि इसमें जैसा व्यवहार कोई उसके साथ करे वैसा ही वह खुद भी करेगा। 

Ex: एक बच्चे ने दूसरे बच्चे की पेंसिल तोड़ी तो दूसरे बच्चे ने भी उस पेन तोड़ दिया।

(2) रूढ़िगत नैतिकता का स्तर (Conventional Stage) [10-13 वर्ष] :- इस अवस्था में बच्चा दूसरे लोगो के मानकों को अपने अंदर समावेशित कर लेता है तथा उसी के according सही / गलत का निर्णय करता है।

इस अवस्था को भी दो भागो में बांटा है

(i) अच्छा लड़का / लड़की बनने की उन्मुखता (Good boy and Good girl)

(ii) कानून एवं व्यवस्था उन्मुखता (Law and Order Orientation ) :- इसमें बच्चा कानून तथा सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने की भावना विकसित करता है। क्योकि उसके पापा का accident हो गया था, Red Light पार करते हुए इसलिए वह ऐसा नहीं करेगा।

(3) उत्तर रूढिगत नैतिकता (Post Conventional Stage) [13 वर्ष से ऊपर] :- इसमें decision खुद से लिए जाते है ना की समाज के जरिये, की क्या सही है और क्या गलत। इसकी दो अवस्थाएं है।

(i) सामाजिक अनुबंध उन्मुखता (Social Contract Orientation) :- इसमें किशोर यह मानते है कि नियम लोगो कि भले के लिए है, अगर किसी नियम से किसी का नुकसान होता है तो ऐसे नियमो को तोड़ देना चाहिए। अगर red Light तोड़कर उसके पापा कि जान बच सकती है तो उसे तोड़ दो।

(ii) सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत उन्मुखता (Universal Ethical Principles Orientation) :- इसमें किशोर दुसरो के विचारो से नहीं बल्कि अपने खुद के मानकों के अनुसार  व्यवहार करता है। इसमें किशोर दुसरो के फायदों के लिए अपनी जान पर भी खेल जाते है।

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यहा हमने CTET परीक्षा के लिए लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिकता सिद्धांत का (Lawrence Kohlberg Moral Development Theory) अध्ययन किया है। सभी TET परीक्षाओ की नवीनतम जानकारी के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल के सदस्य जरूर बने Join Link नीचे दी गई है।

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