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जाने!! पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी का अद्भुत जीवन परिचय | Pranab Mukherjee Biography

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प्रणब मुखर्जी जी का परिचय

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु प्रणव मुखर्जी जीवन परिचय
1. पूरा नाम प्रणव मुखर्जी
2. अन्य नाम पोल्टू, प्रणब डा
3. धर्म बंगाली
4. जाति बंगाली
5. जन्म 11 दिसंबर, 1935
6. जन्म स्थान मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत
7. उम्र 83 वर्ष
8. राष्ट्रीयता भारतीय
9. गृहनगर मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत
10. राजनैतिक पार्टी कांग्रेस
11. वैवाहिक स्थिति विवाहित
12. नेट वर्थ 3 करोड़ भारतीय रूपये

भारत में अब तक बने सभी राष्ट्रपतियो की सूची आप यहाँ देख सकते हैं.

प्रणब मुखर्जी का परिवारिक जीवन

1. माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी
2. पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी
3. बहन का नाम अन्नपूर्णा बनर्जी एवं अन्नानापूर्णा बंदापधाय
4. पत्नी का नाम सुरवा मुखर्जी
5. विवाह सन 1957
6. बच्चे 1. अभिजित (बेटा)
2. शर्मिष्ठ (बेटी)
3. इन्द्रजीत (बेटा)

प्रणब मुखर्जी जी का जन्म बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में एक बंगाली कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता संग्रामी थे और 1952-64 तक बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे. इनकी माता गृहणी एवं भारतीय स्वतंत्रता सैनानी थी. घर में राजनैतिक माहोल होने की वजह से बचपन से ही प्रणब मुखर्जी जी का मन राजनीति में आने का था.

प्रणब मुखर्जी जी की शिक्षा

प्रणब मुखर्जी जी ने शुरूआती पढ़ाई तो अपने गृहनगर के स्थानीय स्कूल में ही पूरी की, लेकिन आगे की पढ़ाई उन्होंने सूरी (वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज से राजनीति शास्त्र एवं इतिहास में स्नातक करते हुए पूरी की थी. फिर प्रणब जी ने कानून की पढाई के लिए कलकत्ता में एंट्री की और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया.

प्रणव मुखर्जी करियर व् राजनैतिक सफ़र –

अपने करियर की शुरुवात प्रणब मुखर्जीजी ने पोस्ट एंड टेलेग्राफ़ ऑफिस से की थी जहां वे एक क्लर्क थे. सन 1963 में विद्यानगर कॉलेज में वे राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर बन गए और साथ ही साथ देशेर डाक में पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे.

प्रणब मुखर्जी जी ने राजनैतिक सफ़र की शुरुवात 1969 में की. वे कांग्रेस का टिकट प्राप्त कर राज्यसभा के सदस्य बन गए, 4 बार वे इस पद के लिए चयनित हुए. वे थोड़े ही समय में इंदिरा जी के चहेते बन गए थे. सन 1973 में इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान वे औद्योगिक विकास मंत्रालय में उप-मंत्री बन गए. सन 1975-77 में आपातकालीन स्थिति के दौरान प्रणब मुखर्जीजी पर बहुत से आरोप भी लगाये गए. लेकिन इंदिरा जी की सत्ता आने के बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गया. इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रणब जी सन 1982से 1984 तक वित्त मंत्री के पड़ पर विराजमान रहे थे.

इंदिरा जी की मौत के पश्चात् राजीव गाँधी से प्रणब जी के संबंध कुछ ठीक नहीं रहे और राजीव गाँधी ने अपने कैबिनेट मंत्रालय में प्रणब जी को वित्त मंत्री बनाया था. लेकिन राजीव गाँधी से मतभेद के चलते प्रणब दा ने अपनी एक अलग “राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस” पार्टी गठित कर दी. सन 1985 में प्रणब जी पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे. थोड़े समय के बाद 1989 में राजीव गाँधी के साथ सुलह हो गई और वे एक बार फिर कांग्रेस से जुड़ गए. कुछ लोग इसके पीछे की वजह ये बोलते थे कि इंदिरा गाँधी की मौत के बाद प्रणब जी खुद को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद राजीव गाँधी से सब उम्मीद करने लगे. पी वी नरसिम्हा राव का प्रणब मुखर्जीजी के राजनैतिक जीवन को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान है. पी वी नरसिम्हा रावजी जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने प्रणब मुखर्जीजी को योजना आयोग का प्रमुख बना दिया. थोड़े समय बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विदेश मंत्रालय का कार्य भी सौंपा गया.


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