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lang="en-US"> एनसीटीई नियमन की अनदेखी? बिना टीईटी प्रमोशन से शिक्षक नाराज, हाईकोर्ट में डाली याचिका, क्या मिलेगा इंसाफ?

एनसीटीई नियमन की अनदेखी? बिना टीईटी प्रमोशन से शिक्षक नाराज, हाईकोर्ट में डाली याचिका, क्या मिलेगा इंसाफ?

लखनऊ, 4 जनवरी 2024: परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत सहायक अध्यापकों के प्रमोशन के मुद्दे पर हाईकोर्ट में हंगामा मचा हुआ है। कुछ शिक्षकों ने बगैर टीईटी प्रमोशन को लेकर लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की है, जिसका मामला अब अदालत में जाने को है।

शिक्षकों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना के अनुसार सहायक अध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रमोशन के लिए प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) देना आवश्यक है। मद्रास हाईकोर्ट ने दो जून 2023 के आदेश में इस व्यवस्था को मान्यता प्रदान करते हुए पदोन्नति में यह व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए हैं।

हालांकि, प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीईटी अनिवार्यता की अनदेखी की जा रही है, बेसिक शिक्षा परिषद के अफसरों ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि प्रमोशन में समय-समय पर जारी एनसीटीई गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है।

986 शिक्षकों का होना है प्रमोशन

प्रयागराज में भी 986 शिक्षकों का होने जा रहा है प्रमोशन। जिले में ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद पर 958 और नगर क्षेत्र में प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के 28 पदों पर प्रमोशन होना है। पदोन्नति के लिए पदस्थापन की काउंसिलिंग छह जनवरी को होगी।

जिले में 2009 में नियुक्त शिक्षकों को 14 साल बीतने के बावजूद पदोन्नति का इंतजार है, जबकि नियमानुसार पांच साल बाद ही प्रमोशन मिलना चाहिए था।

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