जाने! बिहार के लोक नृत्य एवं लोक नाटक
इस पोस्ट में हम जानेंगे बिहार सामान्य ज्ञान के अंतर्गत बिहार के प्रमुख लोक नृत्य (bihar ke pramukh lok nritya) एवं लोक नाटक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी, जोकि प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बिहार में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में बिहार के लोक नृत्य एवं लोक नाटक से भी प्रश्न पूछे जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने बिहार के प्रमुख लोक नृत्य एवं लोक नाटक के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी आप सभी के साथ शेयर की है। आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
बिहार के लोक नृत्य (Folk dance of biha
(1) छाऊ नृत्य
यह नृत्य मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता है। छाऊ नृत्य युद्ध से संबंधित होता है।
(2) करमा नृत्य
‘करम देवता’ को प्रसन्न करने के लिए बिहार की आदिवासी जनजातियो द्वारा फसलों की कटाई एवं बुवाई के समय यह नृत्य किया जाता है।
(3) कठघोड़वा नृत्य
इस नृत्य को नर्तक के द्वारा अपनी पीठ पर से बांस की खपचयियों से बना घोड़े के आकार का ढांचा बांधकर किया जाता है।
(4) धोबिया नृत्य
धोबिया नृत्य बिहार के धोबी समाज का प्रमुख नृत्य माना जाता है।
(5) पवड़िया नृत्य
पुरुषों के द्वारा स्त्रियों की वेशभूषा में किया जाने वाला नृत्य पवडिया नृत्य कहलाता है ।
(6) जोगिया नृत्य
यह नृत्य होली के अवसर पर पुरुषों एवं महिलाओं के द्वारा किया जाता है।
(7) झिझिया नृत्य
इस नृत्य को दुर्गा पूजा के अवसर पर किया जाता है।
(8) खीलडीन नृत्य
इस नृत्य को विशेष अवसरों पर अतिथियों के मनोरंजन हेतु किया जाता है।
(9) लौंडा नृत्य
यह नृत्य मुख्यतः भोजपुर के क्षेत्र में प्रचलित है। इसमें लड़का लड़की के रूप धारण करता है और पूरी तरह सिंगार करके नृत्य करता है।
(10) झरनी नृत्य
झरनी नृत्य मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम नर्तको के द्वारा शोक गीत गाते हुए किया जाता है। यह एक तरह का लोक नृत्य है।
(11) विद्यापति नृत्य
इस नृत्य में कवि विद्यापति के पदों को गाते हुए सामूहिक रूप से नृत्य किया जाता है। यह नृत्य पूर्णिया क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
(12) कजारी नृत्य
इस नृत्य को मुख्यतः मानसून के समय किया जाता है। इसके माध्यम से बारिश के द्वारा कैसे पृथ्वी पर लोग खुश हुए इसका वर्णन किया जाता है।
(13) करिया झूमर नृत्य
यह नृत्य महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इसमें महिलाएं एक दूसरे के हाथों में हाथ डालकर चारों तरफ गोल-गोल घूमती हैं।
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बिहार के प्रमुख लोक नाटक
1. विदेशिया
- इस नृत्य की शुरुआत बीसवीं सदी से हुई थी। यह नृत्य थिएटर के रूप में भोजपुरी क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
- विदेशिया नृत्य शैली का पिता भिखारी ठाकुर को माना जाता है।
- इस नृत्य में समाज के विरोधी मुद्दे को उठाया जाता है। जैसे गरीबी अमीरी ऊंच-नीच आदि।
- विदेशिया नृत्य में महिला पात्र की भूमिका भी पुरुष कलाकार करते हैं।
- इस नाटक का प्रारंभ मंगलाचरण से होता है।
2. डोमकच
- यह पूर्णता महिलाओं के द्वारा किया जाने वाला लोक नाटक है।
- यह हास परिहास से परिपूर्ण पारिवारिक उत्सव पर किया जाता है।
3. जट जटिन
- यह लोक नाटक सावन से कार्तिक मास की पूर्णिमा तक किया जाता है।
- नाटक जट नाटक केवल अविवाहितो के द्वारा ही किया जाता है।
- यह लोक नाटक जट जटिन के दांपत्य जीवन से संबंधित होता है।
4. सामा चकेवा
- यह लोक नाटक कार्तिक शुक्ल सप्तमी से पूर्णमासी तक अभिनित किया जाता है।
- इस लोक नाटक में जो पात्र होते हैं उनको मिट्टी से बनाया जाता है।
- सामा चकेवा लोकनाट्य में प्रश्न उत्तर के रूप में गीतों को गाया जाता है और इस लोक नाटक के विषय वस्तु को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
- इसे केवल बालिकाओं के द्वारा किया जाता है।
5. कीर्तनीय
- यह लोकनाट्य मे भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन कीर्तन भक्ति गीतों के माध्यम की जाती है।
- इसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी हुई घटनाओं को बहुत ही भावपूर्ण अभिनय के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
6. भकुली बंका
- यह सावन से कार्तिक माह तक चलने वाला लोक नाटक है।
- इस लोक नाटक में जट जटिन के रूप में नृत्य किया जाता है।भकुली बंका जट जटिन के साथ ही मनाया जाता है।
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