स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बोस्टन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को किया संबोधित: कोविड के संबंध में कहा : ‘हम एक मौन युद्ध के दौर में जी रहे हैं’
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को आयोजित स्वास्थ्य और मानव विकास के क्षेत्र में काम करने वाले बोस्टन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।
डॉ. हर्षवर्धन ने योग और आयुर्वेद के बारे में कहा ‘अब समय आ गया है जब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को साथ मिलकर एक समग्र दृष्टिकोण के साथ हमारे जीवन को प्रभावित करने और भविष्य में आने वाली बीमारियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए काम करना होगा
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड के संबंध में कहा :
डॉ. हर्षवर्धन ने मौजूदा महामारी की तुलना हमारी सभ्यता के अस्थायी दौर से की। उन्होंने कहा, ‘हमने स्पेनिश फ्लू, पहला विश्व युद्ध और दूसरा विश्व युद्ध नहीं देखा लेकिन हम इस समय एक मौन युद्ध के दौर में जी रहे हैं। इससे अब तक 10 करोड़ लोग मारे जा चुके हैं और कई मामलों में बहुत से लोगों के अंतिम समय में उनके करीबी रिश्तेदार भी उनके पास नहीं थे। उनके अंतिम संस्कार में भी उनके परिजन उपस्थित नहीं रह सके और ऐसे लाखों लोग जो ठीक हो गए उन्हें बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं और वित्तीय संकट से भी गुजरना पड़ रहा है।’
अपनी जान जोखिम में डालकर पूरी बहादुरी के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी को अंजाम देने वाले अग्रिम पंक्ति के लाखों कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों, नर्सों, ईएमटी, एम्बुलेंस डॉक्टरों आदि को स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था के मजबूत स्तंभ बताते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने उन्हें सलाम किया और कोविड पर नियंत्रण करने की भारत की रणनीति के बारे में बताया।
इस संबंध में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘यह कोई पहली बार नहीं है और न ही अंतिम बार है। लेकिन यह कोविड-19 महामारी जल्दी ही 21वीं सदी का भूला बिसरा अध्याय हो जाएगी। कोविड रोगियों के उपचार का हमारा प्रोटोकॉल अब पूरी तरह स्पष्ट है। इससे संक्रमित होने वाले रोगियों की मृत्युदर धीरे-धीरे कम होती जा रही है। जल्दी ही हमें इसकी वैक्सिन मिल जाएगी और अगले कुछ महीनों में मामलों की संख्या में भारी गिरावट आ जाएगी।’
इस बात का ब्यौरा देते हुए कि भारत ने एंटी बायोटिक्स से लेकर आपातकालीन देखभाल, सर्जरी, प्रतिरक्षा और वैक्सिन तक आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के सभी विषयों पर श्रेष्ठता हासिल कर ली है, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अब हमारा मुख्य ध्यान इस व्यवस्था पर आने वाली लागत, गुणवत्ता और वहनीयता पर है। क्योंकि यह क्रमश: और जटिल होती जा रही है। उन्होंने बताया कि भारत ने टेलीमेडिसन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की बीमारी का पता लगाने और उसका उपचार करने का काम शुरू कर दिया है तथा इस समय दूरदराज के करीब 7 लाख गांवों में इसके माध्यम से उपचार किया जा रहा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी ने लाखों लोगों, व्यवसायों और व्यापार पर बहुत ही प्रतिकूल असर डाला है लेकिन भारत ने इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिन्हें अंधेरे में आशा की किरण माना जा सकता है:-
- लोगों ने पाया है कि फैक्टरियों के बंद रहने और परिवहन के साधनों में बहुत ज्यादा कटौती किए जाने से प्रदूषण में बहुत कमी आई है और भविष्य में इन अच्छे नतीजों को बनाए रखने के लिए लोगों के व्यवहार में भी पर्याप्त बदलाव आया है। आम जनता मां प्रकृति के संरक्षण के बारे में भी सोचने लगी है।
- कार्यालय का काम और स्कूल तथा कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए कक्षा में उपस्थित होने और किसी इमारत में कैद होने की जरूरत नहीं है। वैश्विक समुदाय ने अपनी दूरसंचार क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए इन सीमाओं से परे वचुर्अल ऑफिस और क्लास रूम को सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया है।
- जिस तेजी से हम इस महामारी के लिए वैक्सिन बनाने में जुट गए है इसका नई प्रौद्योगिकी पर बहुत ही गंभीर असर पड़ेगा और हम निकट भविष्य में दवाओं की खोज, उसकी कीमत को घटाने और इसे आबादी के गरीब तबके के लिए वहन योग्य बनाने पर तेजी से काम करेंगे। जिस वैक्सिन की खोज की प्रक्रिया में अभी तक 10 साल का समय लगता था वह अब सिर्फ 10 महीने में पूरा हो रहा है – इसमें वैक्सिन के विकास, परीक्षण तथा उसके बाद उसे बाजार में लाने की प्रक्रिया-सभी शामिल है।
- दवा की खोज के बारे में जानकारी हमें ऐसी बहुत सी गंभीर बीमारियों का निदान तलाशने के नए से नए क्षेत्रों में काम करने में मदद करेगी जिनका इलाज एंटी बॉयोटिक्स से नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि इस संबंध में जारी अनुसंधान सुपर बग्स के उपचार में भी मददगार होगा।
योग और आयुर्वेद के संबंध में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये ‘विश्व को भारत की भेंट हैं।’ उन्होंने कहा, “प्राचीन ज्ञान और स्वास्थ्य प्रबंधन व्यवस्था सदियों से इन प्राकृतिक उपचारों का प्रयोग करती आ रही है। समय आ गया है जब आधुनिक चिकित्सा पद्धति और भारत की परंपरागत चिकित्सा प्रणाली को मिलकर एक समग्र दृष्टिकोण के साथ मानव मात्र के जीवन को प्रभावित करना और उनके रोगों का बेहतर तरीके से निदान करना होगा।”
डॉ. हर्षवर्धन ने चिकित्सा शास्त्र और प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों तथा अनुसंधानकर्ताओं को भारत के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करने तथा विश्वभर के लोगों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए एक विशाल सहयोगात्मक मंच बनाने के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया।
[To Get latest Study Notes & NEWS UPDATE Join Us on Telegram- Link Given Below]
For Latest Update Please join Our Social media Handle
Follow Facebook – Click Here |
Join us on Telegram – Click Here |
Follow us on Twitter – Click Here |