अधिगम का स्थानांतरण: Transfer of Learning In Hindi For CTET,UPTET,Bihar STET & TET Exams

Spread the love

Transfer of Learning (अधिगम का स्थानांतरण) 

इस आर्टिकल में हम  जानेंगे अधिगम का स्थानांतरण (Transfer of Learning In Hindi) किसे कहते है।  साथ ही विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं, अधिगम स्थानांतरण के प्रकार (Types of transfer of learning) ) एवं अधिगम स्थानांतरण का सिद्धांत (principle of transfer of learning) इन सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी आपको इस आर्टिकल में प्राप्त होगी जो कि आगामी शिक्षक भर्ती (CTET,UPTET,Bihar STET & TET Exams)

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण है तो आइए जाने अधिगम का स्थानांतरण जो इस प्रकार है।

Transfer of Learning In Hindi

अर्थ- “सीजीवी क्रिया या विषय का अन्य परिस्थितियों में उपयोग करना।”

 कॉलसनिक (Calsnic) -”शिक्षा के स्थानांतरण से आशय एक परिस्थिति में प्राप्त ज्ञान,आदत, निपुणता, अभियोग्यता का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना है।”

प्रो.सोरेन्सन – “स्थानांतरण एक परिस्थिति मे प्राप्त किया हुआ ज्ञान,प्रशिक्षण और आदतों कोदूसरी परिस्थिति में स्थानांतरित किए जाने की चर्चा करता है।”

Transfer of Learning In Hindi

 अधिगम स्थानांतरण के अर्थ को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है। 

(1) स्थायी सिखाना (Permanent learning) 

(2) स्थिति का चयन (Selection of of position)

(3) प्रभाव (effect)

अधिगम स्थानांतरण के प्रकार (Types of transfer of learning) 

अधिगम स्थानांतरण के प्रकार इस प्रकार है। 

(1) सकारात्मक स्थानांतरण 

जब एक विषय का अधिगम दूसरे विषय के अधिगम में सहायक सिद्ध होता है, तो उसे सकारात्मक स्थानांतरण कहते हैं। 

 उदाहरण-  जो व्यक्ति अंग्रेजी के टाइपराइटर पर टाइप करना सीख लेता है।  वह हिंदी के टाइपराइटर पर टाइप करना सरलता से सीख लेता है अर्थात टाइप राइटिंग हिंदी टाइप राइटिंग अधिगम हेतु सहायक सिद्ध होती है। 

ये भी जाने : बुद्धि के सिद्धांत (Theory of intelligence Notes in Hindi)



(2)  नकारात्मक स्थानांतरण 

जब एक विषय या कौशल का अधिगम दूसरे विषय या कौशल के अधिगम में बाधक होता है तब उसे नकारात्मक स्थानांतरण कहते है। 

 नकारात्मक स्थानांतरण की प्रकृति निम्न दो प्रकार की होती है। 

(अ) पूर्वलक्षी नकारात्मक स्थानांतरण –  जब पहले प्रकार से सीखी गई कोई चीज दूसरी प्रकार की सीखी जाने वाली किसी चीज से दुष्ट प्रभावित होने लगे या बोलने लगे तो इस स्थिति को पूर्वलक्षी नकारात्मक स्थानांतरण कहते हैं। 

उदाहरण- दूसरी कविता को याद कर लेने के बाद, पहले याद की गई कविता भूलने लगे या उसकी स्मृति कमजोर पड़ जाए। 

(ब) प्रतिलक्षी नकारात्मक स्थानांतरण –  जब पहले प्रकार की सीखी गई कोई चीज दूसरी प्रकार की थी कि जाने वाली किसी चीज पर बुरा प्रभाव डालने लगे या बाधा उत्पन्न करने लगे तो इस स्थिति को प्रतिलक्षी नकारात्मक स्थानांतरण कहते हैं। 

 उदाहरण-  पहली याद की गई कविता के बाद यदि दूसरी कविता याद करने में बाधा उत्पन्न हो अथवा स्मृति में पहली कविता की पंक्ति आ जाए। 

यह भी जाने : हिंदी साहित्य से महत्वपूर्ण प्रश्न


(3)  क्षैतिजीय स्थानांतरण   

यह सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार का होता है। जब भिन्न प्रकार की योग्यता अथवा ज्ञान अन्य सी की जाने वाली योग्यता अथवा ज्ञान में  सहायक होता है, तो इसे क्षैतिजीय स्थानांतरण कहते हैं। 

 उदाहरण –  कक्षा 10 ये एक विद्यार्थी का गणित संबंधी ज्ञान का भौतिक विज्ञान के अध्ययन में सहायक होना( सकारात्मक क्षैतिजीय  स्थानांतरण) इसके विपरीत जब एक विषय या कौशल अन्य विषय या कौशल सीखने की स्थिति में अवरोध उत्पन्न करता है, तो इसे नकारात्मक क्षैतिजीय स्थानांतरण कहते हैं। 

 उदाहरण –  कक्षा 10 का एक विद्यार्थी गणित में ज्ञान अर्जित करें और यह ज्ञान अर्जन हिंदी साहित्य के ज्ञानार्जन में बाधा उत्पन्न करें। 

(4) अनुलम्बीय स्थानांतरण 

यह भी इस सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार का होता है। 

 जब एक स्थिति में अर्जित किया गया ज्ञान अथवा कौशल, संबंधी ज्ञान एवं अन्य कौशल अर्जित करने में आगे चलकर सहायक सिद्ध हो तो इस स्थिति को अनुलम्बीय सकारात्मक स्थानांतरण कहते हैं। 

 उदाहरण-  एक विद्यार्थी द्वारा कक्षा 8 में गणित में अर्जित किया हुआ ज्ञान, कक्षा 10 में गणित का ज्ञान अर्जित करने में सहायक सिद्ध हो। 

 इसके विपरीत जब एक ही स्थिति से संबंधित ज्ञान एवं कौशल आगे चलकर उसी स्थिति से संबंधित ज्ञान एवं कौशल अर्जित करने में बाधा उत्पन्न करें तो इस प्रकार के स्थानांतरण को अनुलम्बीय  नकारात्मक स्थानांतरण कहते हैं। 

उदाहरण –  कक्षा आठ के एक विद्यार्थी का साहित्य ज्ञान अगली कक्षा के साहित्य ज्ञान अर्जित करने में अवरोध उत्पन्न करें। 

(5) पार्श्विक स्थानांतरण   

जब शरीर के एक अंग द्वारा अर्जित  कार्यकुशलता उसी अंक की दूसरी संबंधी कार्य कुशलता को आगे प्रभावित करें तो इसे पार्श्विक या एकपक्षीय स्थानांतरण कहेंगे। 

 उदाहरण – दाएं हाथ से हिंदी लिखने की कुशलता का संस्कृत लिखने की कुशलता को प्रभावित करना

(6)  द्वि-पार्श्विक स्थानांतरण 

जब शरीर के एक अंग द्वारा अर्जित कार्यकुशलता दूसरे अंग की कार्यकुशलता को प्रभावित करें तो इसे द्वी पार्श्विक स्थानांतरण कहेंगे। 

 उदाहरण-  एक व्यक्ति दाएं हाथ से बैटिंग करता है, किंतु यदि आवश्यकता पड़ जाए तो वह बाएं हाथ से भी बैटिंग कर सकता है, भले ही उसे बाएं हाथ से बैटिंग करने का अभ्यास नहीं किया हो इस स्थिति में हम देखते हैं की दाएं हाथ का कौशल बाएं हाथ में स्थानांतरित हो गया। 

अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत (principle of transfer of learning)

Transfer of Learning In Hindi

(1)  स्थानांतरण के प्राचीन सिद्धांत

 सीखने के स्थानांतरण के प्राचीन सिद्धांत में ‘ मानसिक शक्तियों के सिद्धांत और औपचारिक मानसिक परीक्षण’  के सिद्धांत संबंधित है। जिनमें मानसिक शक्तियां निम्न है। अबधान, स्मृति, कल्पना, तर्क, इच्छा, स्वाभाव, कभी-कभी चरित्र एवं अन्य गुण।

 ये भी जाने : Teaching Aptitude Online Mock Test In Hindi

(2) स्थानांतरण का आधुनिक सिद्धांत

(A)  थार्नडाइक का सिद्धांत\ समरूप तत्वों का सिद्धांत   

थार्नडाइक ने सीखने के प्रयोगों में पाया कि जब व्यक्ति संचित अनुभवों में से नवीन सीखने के लिए समूह तत्वों को  छाट लेता है, और उनका प्रयोग करके शीघ्र सीख लेता है, तो इसे समरूप तत्वों का सिद्धांत कहा जाता है। 

(B) C.H.JUDD का सिद्धांत\  समान्यीकरण का सिद्धांत 

आपने सीखने में स्थानांतरण पर प्रयोग किए और नवीन सिद्धांत को प्रतिपादित किया इसको सामान्य करण का सिद्धांत कहते हैं। अपने विकास के साथ-साथ विभिन्न अनुभव अर्जित करता है। यह अनुभव मिलकर एक निष्कर्ष निकालते हैं। जिसे सिद्धांत कहते हैं भविष्य में बालक इन्हीं सिद्धांतों का प्रयोग जीवन की  समस्या सुलझाने में करता है। 

(C) बाग्ले का सिद्धांत \आदर्श एवं मूल्यों का सिद्धांत   

सीखने में स्थानांतरण को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सामान्यीकरण एवं समान तत्वों के पीछे आदर्श एवं मूल्य माने जाते हैं।  जिनमें बालक के विकास के साथ-साथ उनके आदर्श एवं मूल्यों का भी गठन होता है। 

सकारात्मक अधिगम स्थानांतरण का शिक्षण

    •  सीखने वाले की तैयारी
    •  उपयुक्त विधियों का प्रयोग
    •  सामान्यीकरण का प्रशिक्षण
    •  विषय का पूर्ण ज्ञान
    •  समान तत्वों का चयन
    •  स्थानांतरण का अभ्यास 




Related Articles :


Spread the love

Leave a Comment