Communication Definition and Types In Hindi
इस पोस्ट में हम संप्रेषण का अर्थ, विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई संप्रेषण की परिभाषाएं तथा संप्रेषण की विशेषताएं, प्रकार (Communication Definition and Types In Hindi), कारक एवं घटक का अध्ययन करेंगे।
संप्रेषण का अर्थ
‘एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को सूचनाओं एवं संदेशों को भेजना तथा प्राप्तकर्ता द्वारा उन्हें ठीक और सही अर्थ में समझाना, जिस रूप और अर्थ में संप्रेषण चाहता है।’
संप्रेषण को आंग्ल भाषा मे कम्युनिकेशन कहा जाता है। इस आंग्ल भाषा शब्द का निर्माण लैटिन शब्द ‘कम्युनी’ से हुआ है। इसका आशा सामान्य विचारों, भावनाओं, सूचनाओं के आदान-प्रदान से होता है।
सम (भली प्रकार) + प्रेषण (भेजना) = संप्रेषण
संप्रेषण की परिभाषाएं (Communication definitions)
पॉललीगंस के अनुसार – “संचार (संप्रेषण) वह क्रिया है, जिसके द्वारा दो या अधिक लोग विचारों, तथ्यों, भावनाओं एवं प्रभावों आदि का इस प्रकार विनिमय करते हैं कि संचार प्राप्त करने वाला व्यक्ति संदेश के अर्थ, उद्देश्य तथा उपयोग को भलीभांति समझ लेता है।”
डॉ. आई . पी. तिवारी के अनुसार – “संप्रेषण जीवन की एक क्रिया है। इसके अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। संप्रेषण जीवन के साथ शुरू होता है, और जीवन के अंत के साथ खत्म हो जाता है। सामाजिक व्यवस्था में संप्रेषण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।”
अच्छे संप्रेषण की विशेषताएं (Characteristics of good communication)
- छात्रों की पूर्व अनुभवों का ध्यान
- उचित पथ प्रदर्शन
- अच्छी योजना
- निर्देशात्मक
- बालकों की कठिनाइयों का निदान
- अधिगम से संप्रेषण का संबंध
संप्रेषण के घटक या कारक
- प्रेषक
- संदेश
- माध्यम
- प्रतिपुष्टि
- प्रापक
- प्रतिक्रिया
(1) प्रेषक (Communicator) – प्रेषक एक माध्यम की सफलता का मूल आधार संदेश होता है। प्रेषक को अपना संदेश प्रेषित करते समय निम्न बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए।
- छात्रों का बौद्धिक स्तर
- उद्देश्य की जानकारी
- स्वयं का व्यक्तित्व
- अभिप्रेरणा
- कक्षा का वातावरण
- पाठ योजना का निर्माण
- विषय वस्तु का चयन
- वैयक्तिक विभिन्नताओं का ध्यान
- निष्पक्ष भाव
- बालक का मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य
- विषयों के सह संबंध पर आधारित शिक्षण संप्रेषण
(2) संदेश (message) – संदेश से आशय पाठ्य पुस्तक से हैं। प्रेषक ग्राही को जो कुछ भी सिखाना चाहता है। इस कार्य हेतु अपना जो अनुभव व ज्ञान व शिक्षण के माध्यम से प्रेषित करता है। उसे संदेश कहते हैं।
यदि एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को सूचना या जानकारी दी जाती है,और दूसरा व्यक्ति समझ लेता है, तो वह संप्रेषण कहलाता है।
संप्रेषण पूरा होने के लिए संप्राप्ति की आवश्यकता है, अथवा किसी के द्वारा कही गई बात को उसी तरह समझ लेना संप्रेषण कहलाता है।
(3) माध्यम (Media)- माध्यम प्रेषक और प्रापक के बीच मेल कराते हैं। जैसे – रेडियो, टेलीविजन, ओवरहेड, प्रोजेक्टर, टेलीफोन, बी.सी.आर. आदि।
(4) ग्राही (Receiver) – ग्राही अर्थात ग्रहण करने वाले प्राप्त करने वाला सीखने वाला, संप्रेषण के द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान को ग्रहण करने वाला ग्राही कहलाता है। संप्रेषण के तीन प्रमुख घटक है। संप्रेषण, संदेश एवं ग्राही
ग्राही को अन्य नामों जैसे- प्रापक, प्राप्तकर्ता, ग्राहीकर्ता, विषयी इत्यादि नामों से संबोधित किया जाता है।
(5) प्रतिपुष्टि (Feed Back) – सीखने की प्रक्रिया में समय पर प्रतिपुष्टि देना आवश्यक होता है। जिससे वह संदेश की प्रति जागरूक रहता है।
संप्रेषण के प्रकार (Types of communication)
संप्रेषण के दो प्रकार होते हैं।
1. शाब्दिक संप्रेषण – शाब्दिक संप्रेषण को दो भागों में बांटा गया है।
- मौखिक (वार्ता, व्याख्या, कहानी, प्रश्नोत्तर, मौखिक बोलकर संप्रेषण)
- लिखित (विभिन्न तथ्यों का लिखित रूप से संप्रेषण)
2. अशाब्दिक संप्रेषण – अशाब्दिक संप्रेषण को तीन भागों में बांटा गया है।
- वाणी या आवाज
- आंख एवं मुख मुद्रा संप्रेषण
- स्पर्श या छूकर विभिन्न तथ्यों का संप्रेषण
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वैयक्तिक संप्रेषण (individual communication)
जब शिक्षा प्रत्येक बालक को अलग-अलग शिक्षण देता है तो इसे वैयक्तिक संप्रेषण कहा जाता है।
ए.जी. मेलबिन के अनुसार – “विचारों का आदान-प्रदान अथवा व्यक्तिगत वार्तालाप द्वारा बालकों को अध्ययन में सहायता, आदेश तथा निर्देश प्रदान करने के लिए शिक्षक का प्रतीक बालक से प्रथक प्रथक साक्षात्कार करना।”
वैयक्तिक संप्रेषण के उद्देश्य
छात्रों की रुचियो, अभिरुचियो, आवश्यकताएं तथा मानसिक योग्यताओं के अनुसार शिक्षण देना।
- साधारण बालक ओं को उनके पसंदीदा क्षेत्र में आगे बढ़ाना।
- बाला को की विशिष्ट योग्यता और व्यक्तित्व का विकास करना।
- क्रियाशीलता का अवसर देना।
सामूहिक संप्रेषण (Collective communication)
सामूहिक संप्रेषण का अर्थ कक्षा शिक्षण है। विद्यालय में एक की मानसिक योग्यता वाले छात्रों की अनेक उप समूह बना लिए जाते हैं। साधारणतया इनको कक्षा कहते हैं। यह कक्षाएं सामूहिक इकाइयां होती है। शिक्षक इन कक्षाओं में जाकर सभी छात्रों को एक साथ शिक्षा देते हैं। इस विधि में एक कक्षा के सभी छात्रों के लिए सामूहिक शिक्षण विधि का प्रयोग किया जाता है।
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प्रभावी संप्रेषण के तरीके (Effective communication methods)
- उद्देश्य पूर्ण
- अध्यापन आदेश आत्मक ना होकर निर्देश आत्मक होना चाहिए।
- प्रेरणास्पद
- बाल केंद्रित
- सुनियोजित
- प्रजातांत्रिक पद्धति पर आधारित
- सक्रियअध्यापन
- विषय से क्रमबद्ध ता
- सहयोग की भावना का विकास
- पूर्व ज्ञान से संबंधित
- स्वतंत्र वातावरण
- आत्मविश्वास की जागृति
- अध्यापन उपचार पूर्ण होना चाहिए
- क्रियाशीलता एवं छात्रों की अपनी बात कहने के अवसर
- सहायक सामग्री का समुचित प्रयोग।
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