Erikson Psychosocial Theory for REET: राजस्थान में रीट परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए 2 माह का समय शेष है ऐसे में परीक्षा में बेहतर अंको से सफलता हासिल करने के लिए एक रणनीति के तहत पढ़ाई पर फोकस बनाए रखना बेहद आवश्यक है आगामी माह में आयोजित होने वाली इस शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए हम रोजाना विभिन्न विषयों के प्रैक्टिस सेट उपलब्ध करवा रहे हैं उसी क्रम में आज हम आपके लिए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एरिक्सन के द्वारा दिए गए मनोसामाजिक सिद्धांत लेकर आए हैं जिसके साथ ही हमने परीक्षा में पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नों को भी आपके साथ शेयर किया है जिन्हें आप को परीक्षा से पूर्व जरुर पढ़ लेना चाहिए.
आगामी REET परीक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है ‘एरिक्सन’ का मनोसामाजिक सिद्धांत और संभावित प्रश्न—Erikson Sociocultural Theory and MCQ for REE Exam 2022
प्रवर्तक– इरिक इरिक्सन / एरिक्सन (Erik Erickson)
इरिक्सन नव फ्रायडवादी मनोवैज्ञानिक माने जाते हैं
कृति – चाइल्ड हुड एण्ड सोसायटी -1963
वे फ्रायड के सिद्धांत का समर्थन करते हैं लेकिन इन्होंने फ्रायड की तरह कामुकता को महत्वपूर्ण नही माना।
इनके सिद्धांत में व्यक्तिगत (Personal), सांवेगिक (Emotional) तथा सामाजिक विकास (Social Development) को समन्वित किया गया है, इसे मनोसामाजिक सिद्धांत (Psycho social Theory) कहा जा है
एरिक्सन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘childhood and society, 1963 में मनोसामाजिक विकास की 8 अवस्थायें बतायी है।जिनमें भिन्न-भिन्न प्रकार से मानवीय व्यक्तित्व विकसित होता है।
1. शौशवावस्था: विश्वास बनाम अविश्वास
2. प्रारंभिक बाल्यावस्था: स्वतंत्रता बनाम लज्जाशीलता
3. खेल अवस्था: पहल शक्ति बनाम दोषिता
4. स्कूल अवस्था: परिश्रम बनाम हीनता
5. किशोरवस्थाः अहं पहचान बनाम भूमिका संभ्रान्ति
6. तरूण वयस्कावस्था: घनिष्ठ बनाम विलगन
7. मध्यवयस्कावस्था: जननात्मक्ता बनाम स्थिरता
8. परिपक्वता अहं सम्पूर्णता बनाम निराशा
1.विश्वास बनाम् अविश्वास (Trust vs Mistrust)
समय : शैशवावस्था (जन्म से 18 माह)
बच्चों को अपने माता पिता को देखकर उचित स्नेह व प्रेम मिलता है, जो उनमें विश्वास (Trust) का भाव विकसित करता है तथा जब माता-पिता बच्चों को रोते-बिलखते व चल्लाते छोड़ जाते हैं, तो उनमें अविश्वास (Mistrust) की भावना विकसित हो जाती है।
2.स्वतंत्रता बनाम् लज्जाशीलता (Autonomy vs Shame and Doubt)
समय : प्रारम्भिक बाल्यावस्था (17 से 3 वर्ष)
इस अवस्था में बालक अपने आप भोजन करना, कपड़े पहनना इत्यादि पर दूसरों पर निर्भर रहना नही चाहते। स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं। दूसरी तरफ बहुत सख्त माता-पिता बच्चों को साधारण कार्य करने पर भी डाँटते हैं तथा उनकी क्षमता पर शक करते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने अंदर लज्जा अनुभव करते हैं।
• जब बच्चा स्वतंत्रता बनाम लज्जाशीलता के द्वन्द को सफलतापूर्वक दूर कर देता है तो उसमें एक विशिष्ट मनोसामाजिक शक्ति उत्पन्न होती है, जिसे उसने “इच्छाशक्ति (will power) नाम दिया है।
• एरिक्सन के अनुसार इच्छा शक्ति से आशय एक ऐसी शक्ति है, जिसके कारण बच्चा अपनी रूचि के अनुसार स्वतंत्र होकर कार्य करता है तथा साथ ही उसमें आत्मनियंत्रण एवं आत्मसंयम का गुण भी विकसित होता जाता है।
3. खेल अवस्था: पहल शक्ति बनाम दोषिता (play age: Initiative vs Guilt)
• यह स्थिति 4 से 6 साल तक की आयु की होती है। .
• जब बच्चा पहलशक्ति बनाम दोषिता के संघर्ष का सफलतापूर्वक हल खोज लेता है तो उसमें उद्देश्य नामक एक नयी मनोसामाजिक शक्ति विकसित होती है।
• इस शक्ति के बलबूते बच्चे में अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करने की क्षमता तथा साथ ही उसे बिना की सी डर के प्राप्त करने की सामथ्र्य का भी विकास होता है।
4.स्कूल अवस्था: परिश्रम बनाम हीनता (school age: Industry vs. Inferiority)
• यह अवस्था 6 साल से लगभग 12 साल की आयु तक की होती है
• यदि बच्चा परिश्रम बनाम हीनता के संघर्ष से सफलतापूर्वक बाहर निकल जाता है तो उसमें सामर्थ्य नामक मनोसामाजिक शक्ति विकसित होती है।
• सामर्थ्य का अर्थ है किसी कार्य का पूरा करने में शारीरिक एवं – मानसिक क्षमताओं का समुचित उपयोग।
5.किशोरवस्था: पहचान बनाम संभ्रान्ति (Adolescence: identity Vs confusion)
• किशोरावस्था 12 वर्ष से लगभग 20 वर्ष तक होती है
• किशोर अहं पहचान बनाम भूमिका संभान्ति से उत्पन्न होने वाली समस्या का समाधान कर लेता है तो उसमें कर्तव्यनिष्ठता नामक विशिष्ट मनोसामाजिक शक्ति (psychosocial strength) का विकास होता है।
• एरिक्सन के अनुसार किशोरों में कर्तव्यनिष्ठता की भावना का उदय होना उनके व्यक्तित्व विकास को इंगित करता है।
6.तरूण वयस्कावस्था: घनिष्ठ बनाम विलगन (Early adulthood: intimacy versus) isolation)
• यह अवस्था 20 से 30 वर्ष तक की होती है।
• घनिष्ठता बनाम बिलगन से उत्पन्न समस्या का सफलतापूर्वक समाधान होने पर व्यक्ति में स्नेह नामक विशेष मनोसामाजिक शक्ति विकसित होती है।
• एरिक्सन के मतानुसार स्नेह का आशय है- किसी संबंध को कायम रखने के लिये पारस्परिक समर्पित होने की भावना या क्षमता का होना। जब व्यक्ति दूसरों के प्रति उत्तरदायित्व, उत्तम देखभाल या आदरभाव अभिव्यक्त करता है ते इस स्नेह की अभिव्यक्ति होती है।
7.मध्यवयस्कावस्था: जननात्मक्ता बनाम स्थिरता (middle adulthood: Generativity Vs stagnation)
• मनोसामाजिक विकास की यह सातवीं अवस्था है, जो 30 से 65 वर्ष की मानी गई है।
• जब व्यक्ति जननात्मकता एवं स्थिरता से उत्पन्न संघर्ष का सफलतापूर्वक समाधान कर लेता तो इससे व्यक्ति में देखभाल नामक एके विशेष मनोसामाजिक शक्ति का विकास होता है।
• देखभाल का गुण विकसित होने पर व्यक्ति दूसरों की सुख-सुविधाओं एवं कल्याण के बारे में सोचता है।
8.परिपक्वताः सम्पूर्णता बनाम निराशा (maturity: Integrity Vs Despair)
• मनोसामाजिक विकास की यह अंतिम अवस्था है। यह अवस्था 65 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र तक की अवधि अर्थात् मृत्यु तक की अवधि को अपने में शामिल करती है।
• परिपक्वता इस अवस्था की प्रमुख मनोसामाजिक शक्ति है। इस अवस्था में व्यक्ति वास्तविक अर्थों में परिपक्व होता है, किन्तु कुछ व्यक्ति जो अपनी जिन्दगी में असफल रहते है। वे इस अवस्था में चिन्तित रहने के कारण निराशाग्रस्त रहते हैं तथा अपने जीवन को भारस्वरूप समझने लगते हैं।
MCQ Based on Erikson Sociocultural Theory for REET Exam 2022—एरिक्सन के मनोसामाजिक सिद्धांत से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी
प्रश्न. इरिक्सन के अनुसार बाल्यावस्था को किस नाम से जाना जाता है –
(1) परिश्रम बनाम हीनता
(2) स्वतंत्रता सन्देह
(3) विश्वास बनाम अविश्वास
(4) सम्पूर्णता बनाम निराश
उत्तर – 1
प्रश्न. मनोसामाजिक विकास की किस अवस्था को नर्सरी स्कूल एज कहा जाता है।
(1) विश्वास अविश्वास
(2) आत्मबल- अपराध भाव
(3) पहचान- संभ्रान्ति
(4) स्वतंत्रता बनाम सन्देह
उत्तर – 2
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सी एरिक्सन द्वारा प्रदत्त किशोरावस्था की मनोसामाजिक अवस्था है
(1) विश्वास बनाम अविश्वास
(2) स्वायत्तता बनाम शर्म एवं संदेह
(3) पहचान बनाम भूमिका संघर्ष
(4) पहल बनाम अपराधबोध
उत्तर – 3
प्रश्न. एरिक्सन के अनुसार, बच्चों का मनोसामाजिक विकास आठ चरणों में होता हैं। एक कक्षा 3 का छात्र ( 9 साल के आस-पास) विकास के किस चरण से मेल खाता है ?
(1) शर्मिंदगी बनाम संदेह के मुकाबले की स्वायत्तता
(2) परिश्रम बनाम हीनता
(3) नेतृत्व बनाम अपराध
(4) अंतरंगता बनाम अलगाव
उत्तर – 2
प्रश्न. निम्नलिखित में से मनोसामाजिक सिद्धांत किस पर बल देता है ?
(1) उद्दीपन व प्रतिक्रिया
(2) लिंगीय व प्रसुप्ति स्तर
(3) उद्यम के मुकाबले में हीनता स्तर
(4) क्रियाप्रसूत (सक्रिय) अनुबंधन
उत्तर – 3
प्रश्न. प्रारंभिक अधिगमकर्ताओं (6 से 12 वर्ष की आयु समूह) के लिए एरिक्सन की विकास अवस्था है – –
(1) परिश्रम बनाम हीनता
(2) पहल शक्ति बनाम दोषिता
(3) स्वतंत्रता बनाम लज्जाशीलता व संदेह
(4) विश्वास बनाम अविश्वास
उत्तर – 1
प्रश्न. विकास का मनोसामाजिक अवस्था दृष्टिकोण प्रतिपादित किया गया ?
(1) बाण्डूरा
(2) फ्रायड
(3) कोहलबर्ग
(4) एरिक्सन
उत्तर – 4
प्रश्न. एरिक्सन के विकास के सिद्धांत में … अवस्थाएँ हैं ?
(1) 6
(2) 8
(3) 7
(4) 5
उत्तर – 2
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इस आर्टिकल में हमने आगामी राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण (Erikson Psychosocial Theory for REET) एरिक्सन के मनोसामाजिक सिद्धांत से जुड़े संभावित सवालों का अध्ययन किया. अन्य TET परीक्षा से संबंधित जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया चैनल को जरूर फॉलो करें.