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Types of Learning Disability In Hindi 

इस पोस्ट में हम अधिगम की कठिनाइयां (Types of Learning Disability In Hindi) जैसे डिस्लेक्सिया, डिसग्राफिया, डिसकैल्कुलिया, अफेज्या,एलेक्सिया ,बुलीमिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहे है, जोकि टीईटी परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में अधिगम से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने Types of Learning Disability

आप सभी के समक्ष प्रस्तुत किए हैं आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होंगी। 

कई बार बालक को में अनेक प्रकार की समस्याएं देखी जाती है, जिसके कारण बालकों को अधिगम की कठिनाइयां उत्पन्न होती हैं।  ऐसी कुछ समस्याएं निम्नलिखित हैं। 

Learning disability (अधिगम संबंधी कठिनाइयां) 

1. डिस्लेक्सिया   पठन संबंधी समस्या
2. डिसग्राफिया   लेखन संबंधी समस्या
3. डिस्कैल्कुलिया  गणना संबंधी समस्या
4. डिस्प्रेक्सिया   गतिक कौशल संबंधी समस्या
5. डिस्मोरफ़िया  स्वयं को ज्यादा सुंदर, लंबा, ताकतवर समझना
6. डिस्थीमिया   गंभीर तनाव की अवस्था
7. अफेज्या    भाषा संप्रेषण संबंधी समस्या
8. प्रोजेरिया    कम आयु में वृद्ध दिखना
9. डिमेंसिया   तर्क ना कर पाना, स्मरण शक्ति कमजोर हो ना
10. बुलीमिया     भोजन ग्रहण प्रवृत्ति संबंधी योग्यता
11. एलेक्सिया   सीखने में अक्षमता
12. ADHD  अवधान (ध्यान) संबंधी समस्या

1. डिस्लेक्सिया (Dyslexia) 

डिस्लेक्सिया से पीड़ित बालक वाचन से घबराते हैं।  इन्हें लिखी हुई सामग्री धुंधली दिखाई देती है। यह एक विशिष्ट अधिगम असमर्थता का उदाहरण है। 

लक्षण
  • अक्षरों की  उल्टे ढंग से प्रस्तुत करने जैसे कि saw को was आदि।  
  •  एक- एक कर व धीमी गति से पढ़ना। 
  •  दृष्टि व स्मृति संबंधी कठिनाई होती है। 
  •  पढ़ते समय किसी शब्द या पूरी पंक्ति को छोड़ देना है। 
  •  वाक्य में आए शब्दों को भी आगे पीछे करके पढ़ना। 

डिस्लेक्सिया के कारण –  यह रोग तंत्रिका तंत्र संबंधी विकृति के कारण होता है।  यह वंशानुक्रम द्वारा भी हो जाता है। 

 निदान – पारिवारिक इतिहास का अध्ययन किया जाए तथा भाषा, वर्तनी, उच्चारण, बौद्धिक योग्यता, स्मृति संबंधी परीक्षण तथा व्यवहार का सूक्ष्म निरीक्षण किया जाए। 

2.  डिसग्राफिया (Dysgraphia) 

डिसग्राफिया भी अधिगम असमर्थता का कारण है.  इसका संबंध लिखने की बांधिता से है। इसमें बाधित बच्चों द्वारा लिखे गए शब्दों को पढ़ने में कठिनाइयां होती हैं।  लेखन धीमी, भद्दा एवं त्रुटि पूर्ण होता है। बालक शीघ्र थक जाता है तथा उंगलियों में दर्द होता है। 

 लक्षण- 

  • लेखन संबंधी कार्यों में कठिनाइयां होना। 
  •  शब्दों, वाक्यों के बीच अंतराल  अनियमित होता है। 
  • कलम पकड़ने का ढंग ठीक नहीं होता है। 
  • अक्षरों का आकार समझने में कठिनाई होती है।
  • वाक्य छोड़कर या पुनरावृति  करते हैं। 

3. डिस्कैल्कुलिया (Dyscalculia) 

इस रोग से बाधित बच्चे शीघ्र नहीं पहचाने जाते हैं.  इन बच्चों में गणितीय योग्यता कम होती है। यह बच्चे जोड़ घटाना गुणा एवं भाग करने में अत्याधिक देरी करते हैं।  माता पिता इन्हें सुस्त, आलसी कहते हैं। गणित के अतिरिक्त अन्य विषयों में इनका कार्य ठीक होता है। 

लक्षण

  •  गणितीय कार्य करने में कठिनाई होना। 
  •  संख्याओं को पहचानने में समस्या। 
  •  आकृति विभेदन की समस्या होना। 
  •  बड़ा छोटा, परिधि, क्षेत्रफल आदि को समझने में कठिनाई होना। 
  •  श्रवण बा दृश्य इंद्रियों में समाजस्य की कमी होना। 
  •  समय, दूरी, गहराई से जुड़ी समस्याएं होना। 
  •  गणित  संप्रत्ययो के स्मरण करने, धारण करने वा पुनः स्मरण करने में कठिनाइयां। 
  •  रुपए पैसे के लेनदेन संबंधी कठिनाइयां। 

 उपचार-  इन बच्चों के लिए गणित का अभ्यास व बहुइंद्रिय प्रयोग कराया जाए। खेल विधि, प्रश्नोत्तर विधि तथा वास्तविक जीवन अनुभव के माध्यम से सिखाया जाए। 

 4. ध्यान अभाव,अति क्रियाशीलता विकृति (Attention Deficit Hyperactivity Disorder\ ADHD)  

इसे सामान्य भाषा में ADHD कहते हैं। इन बच्चों में आवेगो के नियंत्रण की समस्या होती है। इनका ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता। इस कारण कक्षा में अनुशासनहीनता करते हैं, तथा शिक्षण में बाधा उत्पन्न करते हैं। यह स्नायु तंत्र संबंधी विकृति है।  जिसमें असामान्य स्तर का ध्यान, आवेश तथा अति क्रियाशीलता सम्मिलित है। यह बच्चे संवेगात्मकरूप रूप से अस्थिर होते हैं। प्राथमिक स्तर के बच्चों तथा लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में अधिक पाया जाता है। 

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