[Download PDF] Hindi Varnamala | हिंदी वर्णमाला की संपूर्ण जानकारी

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Hindi Varnamala: हिंदी भाषा और साहित्य के ज्ञान के लिए हिंदी वर्णमाला (hindi varnamala) की पूरी जानकारी होना आवश्यक है। हिंदी वर्णमाला क्या है? हिंदी वर्णमाला (varnamala) में कितने अक्षर (hindi varnamala letters) होते हैं? हिंदी वर्णमाला में स्वर-व्यंजन क्या हैं और इनकी संख्या कितनी है?

इस आर्टिकल में हिंदी वर्णमाला के विस्तृत नोट्स बेहद आसान भाषा में लेकर आये है जिन्हें आप अपना 10 मिनट का समय देकर आसानी से समझ सकते है। यह लेख हिन्दी भाषा ज्ञान के इच्छुक लोगों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।

इस आर्टिल के अंत में हमने हिन्दी वर्ण माला से जुड़े कुछ बेहद ही महत्वपूर्ण सवाल तथा उनके जबाब शेयर किए है जो की स्कूल, कॉलेज तथा विभिन्न अन्य परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आपको हमारे द्वारा शेयर की गई ये जानकारी पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करें-

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hindi varnamala

हिंदी वर्णमाला | Varnamala in Hindi

भाषा –  भावों को अभिव्यक्त करने का माध्यम भाषा है। 

हिंदी भाषा  

हिंदी मूलतः आर्य परिवार की भाषा है।  इसकी लिपि देवनागरी है, जिसका विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। 

हिंदी के विकास में वैदिक संस्कृत, लौकिक संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश एवं विदेशी भाषाओं जैसे अरबी, फारसी आदि का योगदान है। 

वर्ण (अक्षर)क्या है ?

भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है। ध्वनि को लिखित रूप में वर्ण द्वारा प्रकट किया जाता है , वर्ण शब्दों का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि चिन्ह के लिए किया जाता है। इस प्रकार वर्ण भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है , इसे अक्षर भी कहा जाता है।

वर्णमाला (Varnamala kise kahate hain)

Varnamala in Hindi: किसी भाषा के मूल ध्वनियों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। वर्णमाला का विकास अपभ्रंश भाषा से हुआ है। वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।  हिंदी में वर्णमाला में कुल वर्णों की संख्या 52 होती है। 

स्वर

वे वर्ण जिनके  उच्चारण के लिए किसी अन्य वर्ण की आवश्यकता होती है वह स्वर (VOWEL) कहलाते हैं। उच्चारण की दृष्टि से स्वरों की संख्या 11 होती है। जो इस प्रकार है। 

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। 

1.अनुस्वार: – अं (.)

2. विसर्ग –    अ: (:)

  • अग्रस्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्ववा का अग्रभाग सक्रिय होता है उसे अग्रिश्वर कहते हैं। 

जैसे- ई ,ए,ऐ ,अ ,इ 

  • पश्चस्वर –  जिन स्वरों के उच्चारण में  जिह्ववा का पश्च भाग सक्रिय होता है उससे पश्च स्वर कहा जाता है।  

जैसे- आ ,उ ,ऊ ,ओ,औ,ऑ । 

  •  संवृत स्वर –  संवृत का अर्थ होता है” कम खुलना”  अर्थात जिन स्वरों के उच्चारण में मुख कम खुलता है उन्हें संवृत स्वर कहते हैं। 

 जैसे- ई ,ऊ 

ओष्ठाकृति के आधार पर स्वर के भेद

वृत्ताकार स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में  होठों का आधार गोल हो जाता है, उन्हें वृत्ताकार स्वर कहा जाता है। 

 जैसे- उ ,ऊ,ओ,औ। 

अवृत्ताकार स्वर  

जिन स्वरों के उच्चारण में  होठ गोल ना होकर अन्य आकृति में खुले उन्हें अवृत्ताकार स्वर  कहते हैं। 

उच्चारण के आधार पर स्वर  के भेद

हस्व स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय अर्थात कम से कम एक समय लगता है।  उन्हें हस्व स्वर कहते हैं। 

जैसे- अ ,इ ,उ, ऋ। 

दीर्घ स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में 2 मात्राओं का या 1 मात्रा से अधिक का समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।

 जैसे- आ ,ई , ऊ ,ए ,ऐ ,ओ,औ। 

लुप्त स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में  दो मात्राओं से भी अधिक समय लगे लुप्त स्वर कहलाते हैं।  वर्तमान समय में इसका प्रचलन नहीं है। 

 जैसे-  ओ३म्

# स्वर संक्षिप्त

वृत्ताकार स्वरआ,उ ,ऊ,ओ,औ
हस्व  स्वर अ ,इ ,उ, ऋ
दीर्घ स्वरआ ,ई , ऊ ,ए ,ऐ ,ओ,औ
मूल स्वरअ ,इ ,उ , ऋ
आगत स्वर
अग्र  स्वरइ, ई ,ए,ऐ ,
मध्य स्वरअ 
पश्च स्वरआ ,उ ,ऊ ,ओ,औ,ऑ
संवृत स्वरई ,ऊ 
अर्ध संवृत इ ,उ 
विवृतआ,ऐ ,औ
अर्ध विवृत ए ,अ,ओ,औ
प्लुप्त  स्वर ओ३म्

व्यंजन

 स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं।  व्यंजन विवरण है, जिन का उच्चारण स्वयं की सहायता से किया जाता है।  प्रत्येक व्यंजन में एक स्वर मिलता है। यदि व्यंजन में से स्वर को हटा दिया जाए तो वह व्यंजन हलंत युक्त होता है। 

 जैसे – ख् + अ = ख
हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजनो की संख्या 33 है।

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व्यंजन के भेद

 उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन चार प्रकार के होते हैं। 

1  स्पर्श व्यंजन

2  अंतस्थ व्यंजन

3  उष्म व्यंजन

4  संयुक्त व्यंजन

(1)  स्पर्श व्यंजन

 स्पर्श व्यंजन को वर्गीय व्यंजन भी कहते हैं।  इसका उच्चारण कंठ, तालव्य, मुर्धा, दंत तथा ओष्ठ के परस्पर स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। 

स्पर्श व्यंजन

(गले से ) कंठ्य क ,  ख , ग , घ , ड़
(तालु से)  तालव्य च  , छ  , ज , झ  , ञ
(मुर्धा भाग) मुर्धन्य ट  , ठ  , ड ,  ढ , ण
(दांत)  दंतत  , थ  , द , ध ,  न 
(ओठों ) ओष्ठय  प  , फ ,  ब , भ ,  म 

व्यंजन का वर्गीकरण

उच्चारण के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण

  • कंठ्य –   क ,  ख , ग , घ , ड़ ,ह 
  • तालव्य –  च  , छ  , ज , झ  , ञ ,श 
  • मूर्धन्य –   ट  , ठ  , ड ,  ढ , ण , ष
  • दंत्य  –      त  , थ  , द , ध ,  न , स  
  • ओष्ठ्य  –    प  , फ ,  ब , भ ,  म 
  • दंतोष्ठ्य   –  य , र , ल ,  व 

नोट – कंठ्य, तालव्य,मूर्धन्य,दंत्य को उष्म व्यंजन कहलाते हैं। 

 ड़,ञ, ण,न ,म को  पंचमाक्षर या पंचम वर्ण  या अनुनांसिक कहते हैं। 

1.हस्व वर्ण  

 जिन वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है तथा यह (|) मात्रिक होते हैं। 

 जैसे- अ ,इ ,उ ,ऋ ( एक  मात्रिक)

2. दीर्घ  वर्ण

 उच्चारण में हस्व   वर्ण से दुगना समय लगे, उन्हें गुरु (ડ) भी कहते हैं। 

 जैसे- आ ,ई ,ऊ ,ए ,ऐ ,ओ,औ

(2) अंतस्थ व्यंजन

 जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय भीतर से बाहर की ओर एक शक्ति लगती है, उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं। अंतस्थ व्यंजन  को अर्धस्वर भी कहते हैं। 

 जैसे- य ,र ,ल ,व  (अंतस्थ) (अल्पप्राण)

     य , व ( अर्ध स्वर)

 व्यंजन और स्वर के ठीक मध्य स्थित होने के कारण इनका नाम अंतस्थ रखा गया है। 

 (3) उष्म व्यंजन ( संघर्षी)

 इनका उच्चारण घर्षण या रगड़  से उत्पन्न ऊष्म प्राणवायु से होता है। जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा के रगड़ खाने से  ऊष्मा ( गर्मी) निकलती है उसे उष्म व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे- श ,ष, स ,ह,फ ,ज (महाप्राण)

 स्पर्श- संघर्षी –  जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु पहले किसी मुख अवयव से  टकराती है, फिर रगड़ खाते हुए बाहर निकलती है, उसे स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे- च ,छ,ज ,झ,ञ 

(4) संयुक्त व्यंजन

 दो व्यंजनों को संयुक्त ( मिलाकर) करके बनाया गया व्यंजन संयुक्त व्यंजन कहलाता है। 

 जैसे-  क्ष           (क्+ष्)  

          त्र               (त्+र् )

          ज्ञ               (ज्+ञ्) 

           श्र               (श+र् )

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स्वर तंत्री के कंपन के आधार पर

 गले की स्वर तंत्री जब वायु के वेग से  कॉप कर जब बजने लगती है। तब इन स्वर तंत्रिका ओं में होने वाला कंपन, नाद या गूंज के आधार पर  व्यंजनों के दो भेद किए गए हैं। 

1.  सघोष

2.  अघोष

 (1) सघोष 

जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वर तंत्रीयों  मैं कंपन पैदा होता है, उन्हें सघोष व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे – ग ,घ ,ड़ ,ज ,झ,ञ ,ड ,ढ,ण,द ,ध ,न , ब् ,भ ,म 

(2) अघोष 

जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण से स्वर तंत्रीयों में गूंज उत्पन्न नहीं होती है उसे अघोष  व्यंजन कहते हैं। 

जैसे-  क , ख , च  , छ ,ट , ठ,  त  , थ ,प  , फ,श,ष,स 

  • प्रयत्न –  ध्वनियों को उच्चारण में होने वाले  यत्न को प्रयत्न कहा जाता है। 
  • श्वास – वायु की मात्रा- इस मात्रा के आधार पर श्वास को के दो वर्गीकरण किया गया है । 

1 अल्पप्राण

2  महाप्राण

(1)  अल्पप्राण

जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु कम मात्रा में निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे- क ,  ख , ग , घ , ड़,च  , छ , ज , झ , ञ,

(2) महाप्राण   

जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वास्थ्य वायु अधिक मात्रा में लगती है उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे- घ ,छ , झ,ठ,ढ,थ,ध,फ ,भ ,श,ष,ह ,न ,म 

उत्क्षिप्त व्यंजन

 जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीव का लगभग  मूर्धा को स्पर्श करके झटके से वापस आता है उसे उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं। 

 जैसे-  ट,ठ,ढ,ण,ड़ 

शब्द

 वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।  शब्द संरचना के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं।

(1)  रूढ़ शब्द

(2) यौगिक  शब्द

(3)  योगरूढ़ शब्द

1. रूढ़ शब्द-  जिन शब्दों के सार्थक खंड ना हो सके रूढ़ शब्द कहलाते हैं। 

 जैसे-  रात, घर, पुस्तक आदि। 

2 यौगिक शब्द –  वे शब्द जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त एक अन्य रूढ़ शब्द होता है उसे यौगिक शब्द कहते हैं। 

 जैसे-  पुस्तक+ आलय (रूढ़) = पुस्तकालय

3  योगरूढ़ शब्द-  जिन यौगिक शब्दों का प्रयोग रोड का अर्थ में किया जाता है वह शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। 

 जैसे-  पंकज ( पंक+ज)  = कमल। 

व्यंजनों की संख्या  इस प्रकार है।

  •  आगत व्यंजनों की संख्या – 2 
  • संयुक्त व्यंजनों की संख्या –  4 
  • अन्त:स्थ व्यंजन है – य र ल व 
  • अर्ध स्वर है – य व 
  • लुंठित व्यंजन – र 
  •   उष्म संघर्षी व्यंजन – स श ष ह 
  •  उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ ढ
  •  पार्श्विक व्यंजन – ल 
  •  नासिक्य व्यंजन –  ड्,ञ्, ण्,न्,म्
  •  स्वर यंत्रीय व्यंजन – ह्
  • अयोगवाह वर्ण –  अं अ:
  • अल्पप्राण व्यंजन –  प्रत्येक वर्ग में प्रथम, तृतीय, पंचम वर्ण तथा अंतस्थ वर्ण
  •  महाप्राण व्यंजन –  प्रत्येक वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ वर्ण तथा उष्म व्यंजन

उच्चारण के आधार पर स्वर के 6 भेद होते हैं।

  • कंठ्य – अ, आ, 
  • तालव्य – इ, ई
  • मूर्धन्य – ऋ
  • ओष्ठ्य – उ,ऊ
  • कंठतालव्य – ए,ऐ
  • कंठोष्ठ्य – ओ,औ 

Varnamala Hindi FAQs: Varnamala Question and Answer

(1) भाषा की सबसे छोटी इकाई कौन सी है ?

उत्तर-  वर्ण

(2) वर्णमाला किसे कहते हैं ?

उत्तर-वर्णों के व्यवस्थित समूह को

(3) विवृत क्या है  ?

उत्तर- विवृत में अवस्था में स्वरों के उच्चारणों में मुखद्वार पूरा खुलता है। जब हम आ स्वर का उच्चारण करते है। तो वह विवृत में आता है।

(4) अर्ध-विवृत से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- जन स्वरों के उच्चारण में मुख-द्वार आधा खुलता है जैसे- अ,ऐ,औ,ऑ इस अवस्था को अर्ध विवृत कहते है।

(5) अग्र स्वर क्या होता है  ?

उत्तर- इस में जीभ का अग्र भाग द्वारा स्वरों को उच्चारण किया जाता है – जैसे इ,इ,ए,ऐ ।

(6) श,ष.स,ह कौन से व्यंजन कहलाते हैं   ?

उत्तर- संघर्षी

(7) क़,ग़, ज़,फ़ ध्वनियाँ किसकी है  ?

उत्तर- अरबी-फारसी की

(8) मूलत: वर्णों की संख्या हिन्दी भाषा में कितनी है ?

उत्तर- 52 वर्ण

(9) घ वर्ण का उच्चारण  स्थान कौन-सा है ?

उत्तर- कंठ के द्वारा घ का उच्चारण किया जाता है

(10) क्ष वर्ण किसके योग से बना है ?

उत्तर- क्+ष

(11) हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की कुल संख्या कितनी है ?

उत्तर- 11 (ग्यारह)

(12)  जिन शब्दों के अंत में अ आता है, उन्हे क्या कहते हैं ?

उत्तर- उन शब्दों को अकारांत कहते है।

(13) हिन्दी वर्णमाला में व्यजनों की संख्या कितनी है ?

उत्तर- 33

(14) छ ध्वनि का उच्चारण स्थान क्या होता है  ?

उत्तर- तालव्य

(15) य,र,ल,व किस वर्ग के व्यंजन हैं  ?

उत्तर- अन्त:स्थ

(16) विवृत क्या है  ?

उत्तर- विवृत में अवस्था में स्वरों के उच्चारणों में मुखद्वार पूरा खुलता है। जब हम आ स्वर का उच्चारण करते है। तो वह विवृत में आता है।

(17) अर्ध-विवृत से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- जन स्वरों के उच्चारण में मुख-द्वार आधा खुलता है जैसे- अ,ऐ,औ,ऑ इस अवस्था को अर्ध विवृत कहते है।

(18)  हिन्दी वर्णमाला में स्वरों की कुल संख्या कितनी है ?

उत्तर- 11

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