Kriyatmak Anusandha for Reet Examक्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ – इसका अर्थ विद्यालय से संबंधित व्यक्तियों द्वारा अपनी और विद्यालय की समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी क्रियाओं और विद्यालय की गतिविधियों में सुधार करना है। कोरे के अनुसार,” क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहारिक कार्यकर्ता वैज्ञानिक ढंग से अपनी समस्याओं का अध्ययन अपने निर्णय और क्रियाओं में निर्देशन, सुधार और मूल्यांकन करते हैं|”
क्रियात्मक अनुसंधान
शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान का विकास सन 1926 से माना जाता है।
अमेरिका को क्रियात्मक अनुसंधान का सूत्रपात करने का श्रेय दिया जाता है।
जॉन कोलियर ने सर्वप्रथम सन 1945 में क्रियात्मक अनुसंधान शब्द का प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में किया था।
कुर्ट लेविन ने 1946 में मानव संबंधों को अच्छा करने के लिए सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान पर जोर दिया।
बकिंघम हम ने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक रिसर्च फॉर टीचर्स में क्रियात्मक अनुसंधान का उल्लेख किया था।
शिक्षा जगत में स्थाई रूप से प्रतिष्ठित सन 1953 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन एम कोरे ने किया।
प्रोफेसर स्टीफन की पुस्तक का नाम “विद्यालय की कार्य पद्धति में सुधार करने के लिए क्रिया अनुसंधान” है।
शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान का जनक प्रोफेसर स्टीफन एम कोरे को माना जाता है।
प्रोफेसर स्टीफन एम कोरे ने अपनी पुस्तक “एक्शन रिसर्च” के अंतर्गत अनुसंधान के दो प्रकार बताएं जो इस प्रकार है। (1) मौलिक अनुसंधान2 क्रियात्मक अनुसंधान1 क्रियात्मक अनुसंधान व्यक्तियों द्वारा विद्यालय से संबंधित अपनी और विद्यालय की समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी क्रियाओं और विद्यालय की गतिविधियों में सुधार करना।
क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएं (kriyatmak anusandhan pdf in Hindi)
क्रियात्मक अनुसंधान के अर्थ को विभिन्न दृष्टिकोण से स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं प्रस्तुत कर रहे हैं।
गुड के अनुसार – “क्रियात्मक अनुसंधान, शिक्षकों, निरीक्षकों और प्रशासकों द्वारा अपने निर्णयों और कार्यों की गुणात्मक उन्नति के लिए प्रयोग किया जाने वाला अनुसंधान है।”
स्टीफन के अनुसार – ” शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला अनुसंधान है, ताकि वे अपने कार्य में सुधार कर सकें।”
कोरे के अनुसार – ” शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान, कार्यकर्ताओं द्वारा दिया किया जाने वाला अनुसंधान है, ताकि वे अपने कार्यों में सुधार कर सकें।”
मैकग्रैथ के अनुसार – ” क्रियात्मक अनुसंधान एक प्रकार की संगठित खोजपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति अथवा समूह की क्रिया में परिवर्तन तथा विकास करने के लिए अध्ययन करना तथा रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत करना है।”
जैन फ्रांसेथ के अनुसार – “क्रियात्मक अनुसंधान व्यक्ति द्वारा या समूह द्वारा अपने कार्य में आई हुई समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए,विधि पूर्वक किया जाने वाला अध्ययन है। इसका उद्देश्य अपने कार्य क्षेत्र की उपलब्धियों में वृद्धि लाना है।”
मौले के अनुसार – ” शिक्षक के समक्ष उपस्थित होने वाली समस्याओं में से अनेक तत्काल ही समाधान चाहती है। मौके पर दिए जाने वाला अनुसंधान, जिसका उद्देश्य तात्कालिक समस्या का समाधान होता है, शिक्षा में साधारणतया क्रियात्मक अनुसंधान के नाम से जाना जाता है।”
उपरोक्त सभी कथन से स्पष्ट हो जाता है कि क्रियात्मक अनुसंधान मे व्यवहार पक्ष पर बल दिया जाता है। इसके द्वारा अध्यापक की अध्यापन प्रक्रिया में, विद्यालय की प्रशासकीय तथा शैक्षणिक प्रक्रियाओं में उपयुक्त परिवर्तन, संशोधन तथा सुधार लाने का प्रयास किया जाता है। क्रियात्मक अनुसंधान में निम्न दो बातें प्रमुख है जो इस प्रकार हैं।
(1) क्रियात्मक अनुसंधान उसी स्थिति में होता है, जब किसी समस्या का समाधान करने के लिए शोध की आवश्यकता पड़ती है। (2) व्यक्ति स्वयं ही अपनी समस्याओं का समाधान एवं निराकरण करता है।
क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान (kriyatmak anusandhan ke sopan)
एंडरसन के अनुसार क्रियात्मक अनुसंधान की प्रणाली में 7 सोपानों का होना अनिवार्य है। क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान(kriyatmak anusandhan ke sopan) इस प्रकार हैं। (1) समस्या का ज्ञान (2) कार्य के प्रति प्रस्तावों पर विचार विमर्श (3) योजना का चयन व उपकल्पना का निर्माण (4) तथ्य- संग्रह करने की विधियों का निर्माण (5) योजना का कार्यान्वयन एवं प्रमाण का संकलन (6) तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष (7) दूसरों को परिणामों की सूचना
kriyatmak anusandhan ke sopan
1. समस्या का ज्ञान
क्रियात्मक अनुसंधान का पहला सोपान- विद्यालय में उपस्थित होने वाली समस्या को अच्छी तरह से समझना। यह तभी संभव हो सकता है। जब विद्यालय के शिक्षक, प्रधानाचार्य इत्यादि उसके संबंध में अपने विचार व्यक्त करें। इस तरह करके ही वास्तविक समस्या को समझ कर अपने कार्य को आगे बढ़ा सकते हैं।
2. कार्य के लिए प्रस्तावों पर विचार विमर्श
क्रियात्मक अनुसंधान का दूसरा सोपान है- समस्या को अच्छी तरह समझने के बाद इस बात पर विचार करना कि उसके कारण क्या है, तथा उसका निराकरण करने के लिए कौन से कार्य किए जा सकते हैं? शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्रबंधक इत्यादि इन कार्यों के संबंध में अपने अपने प्रस्ताव या सुझाव देते हैं। उसके बाद भी अपने विश्वासों, सामाजिक मूल्यों, विद्यालयों के उद्देश्यों इत्यादि को ध्यान में रखकर उन पर विचार विमर्श करते हैं।
यह क्रियात्मक अनुसंधान का तीसरा सोपान कहलाता है इसके अनुसार विचार विमर्श के फल स्वरुप समस्या का निराकरण करने के लिए एक योजना का चुनाव तथा उपकल्पना का निर्माण करना। इसके लिए विचार विमर्श करने वाले सब व्यक्ति संयुक्त रूप से उत्तरदाई होते हैं। उक्त कल्पना में तीन बातों का सविस्तार वर्णन किया गया है।
समस्या का निराकरण करने के लिए अपनाई जाने वाली योजना
योजना का परीक्षण
योजना द्वारा प्राप्त किए जाने वाला उद्देश्य
उदाहरणार्थ, उपकल्पना इस प्रकार की हो सकती है यदि प्रत्येक कक्षा में विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री का प्रयोग किया जाए, तो बालकों को अधिक और अच्छी शिक्षा दी जा सकती है।
4. तथ्य संग्रह करने की विधियों का निर्माण
यह क्रियात्मक अनुसंधान का चौथा सोपान कहलाता है। योजना को कार्यान्वित करने के बाद तथ्यों या परमाणु का संग्रह करने की विधियां निश्चित करना। इन विधियों की सहायता से जो तथ्य संग्रह किए जाते हैं, उनमें यह अनुमान लगाया जाता है कि योजना का क्या प्रभाव पड़ रहा है? उदाहरण के लिए विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री का प्रयोग किए जाने के समय निम्न चार विधियों का प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पढ़ाई पहले से अधिक तथा हो रही है या नहीं-
शिक्षक द्वारा प्रत्येक घंटे में पढ़ाई जाने वाली विषय सामग्री का लेखा रखा जाना।
प्रश्नावली का प्रयोग करके छात्रों से उत्तर प्राप्त करना।
विभिन्न ने छात्रों से साक्षात्कार करना।
विभिन्न कक्षाओं के छात्रों का मत संग्रह करना।
5. योजना का कार्यान्वयन व प्रमाण का संकलन
क्रियात्मक अनुसंधान का पांचवा सोपान कहलाता है। निश्चित की गई योजना को कार्यान्वित करना तथा उसकी सफलता या असफलता के संबंध में परमाणुओं का संकलन करना। योजना से संबंधित व्यक्ति चौथे में निश्चित की गई विधियों की सहायता से तथ्यों का संग्रह करते हैं। वह समय-समय पर एकत्र होकर के विषय में विचार विमर्श करते हैं। इसके आधार पर भी योजना के स्वरूप में परिवर्तन करते हैं, ताकि उद्देश्य की प्राप्ति संभव हो सके। उदाहरण के लिए प्रत्येक कक्षा में प्रयोग की जाने वाली शिक्षण सामग्री को कम, अधिक या परिवर्तित कर सकते हैं।
6. तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष
यह क्रियात्मक अनुसंधान का छठवां सोपान कहलाता है – योजना की समाप्ति के बाद संग्रह किए हुए तथ्यों या प्रमाणों से निष्कर्ष निकालना। उदाहरणार्थ, प्रत्येक कक्षा में विभिन्न प्रकार की शिक्षण सामग्री का प्रयोग करने से बालकों को अधिक तथा अच्छी शिक्षा दी गई या नहीं। इस तरह निकाले जाने वाले निष्कर्ष उसी विद्यालय के होते हैं, जहां क्रियात्मक अनुसंधान किया जाता है। कुछ निष्कर्ष इस तरह से होते हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जाती है। उक्त उदाहरण में एक निष्कर्ष यह भी हो सकता है कि एक विशेष प्रकार की शिक्षण सामग्री अधिक तथा अच्छी शिक्षा देने में विशेष उपयोगी सिद्ध हुई है।
7. दूसरों के परिणामों की सूचना
यह क्रियात्मक अनुसंधान का सातवा एवं अंतिम सोपान कहलाता है। दूसरे व्यक्ति को योजना के परिणामों की सूचना देना। उदाहरणार्थ अगर उक्त योजना, विद्यालय के कुछ भी शिक्षकों द्वारा निर्मित तथा कार्यान्वित की गई है, तो उसके परिणामों की सूचना विद्यालय के शिक्षकों को दी जानी आवश्यक होती है। इन परिणामों से दूसरे विद्यालय के शिक्षकों को भी अवगत कराया जाना चाहिए। इसकी आवश्यकता बताते हुए एंडरसन ने कहा है कि ‘ विद्यालय के लोगों को इस बात में रुचि होती है कि अनुसंधान किस प्रकार किया जाता है और उसके क्या परिणाम है? परिणाम तथा जो व्यक्ति क्रियात्मक अनुसंधान करते हैं, उन पर उसकी सूचना देने का उत्तरदायित्व है।’
12. क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग शिक्षा में करने का श्रेय किसे जाता है?
(A ) रेडमैन को (B) डीवी को (C) स्टीफन एम कोरे को (D) स्किनर Ans: C
13. क्रियात्मक अनुसंधान संबंधित है?
(A) शिक्षक से (B) शिक्षार्थी से (C) विद्यालय से (D) उपरोक्त सभी से Ans: D14. क्रियात्मक अनुसंधान का मूल उद्देश्य क्या है? (A) समस्या का समाधान ढूंढना (B) नवीन शोध करना (C) उपाधि प्राप्त करना (D) पुरस्कार प्राप्त करना Ans: A
16. एंडरसन के अनुसार, क्रियात्मक अनुसंधान के पद ( सोपान) कितने हैं?
(A) 4 (B) 3 (C) 5 (D) 7 Ans: D
17. क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षा जगत में कब प्रतिष्ठित हुआ?
(A) 1948 में (B) 1953 में (C) 1945 में (D) 1955 में Ans: B
18. क्रियात्मक अनुसंधान के लिए क्या आवश्यक है?
(A) प्रख्यात शिक्षक (B) पर्याप्त शिक्षक (C) परिकल्पना निर्माण (D) कक्षा कक्ष Ans: C
19. क्रियात्मक अनुसंधान का द्वितीय सोपान है?
(A) उपकल्पना निर्माण (B) तथ्य संग्रहण विधियां (C) योजना का कार्यान्वयन (D) कार्य के लिए प्रस्तावों पर विचार विमर्श Ans: D
20. क्रियात्मक अनुसंधान के हल की जा सकती है?
(A) पर्यावरण प्रदूषण की समस्या (B) समाज की बुराइयां (C) बालक में झगड़े की समस्या (D) उपरोक्त सभी Ans: C
21. क्रियात्मक अनुसंधान द्वारा निम्न में से कौन सा कार्य नहीं किया जाता है?
(A) समस्याओं का व्यावहारिक अध्ययन का (B) समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकालना (C) कार्यप्रणाली में सुधार लाना (D) ज्ञान के क्षेत्र में नवीन योगदान देना Ans: D
22. क्रियात्मक अनुसंधान का अंतिम सोपान है?
(A) समस्या का चयन (B) तथ्यों का संग्रह (C) दूसरों को परिणामों की सूचना देना (D) योजना का कार्यान्वयन Ans: C
23. क्रियात्मक अनुसंधान का अंतिम चरण है?
(A) पहचानना (B) परिभाषा (C) परिकल्पना (D) निष्कर्ष Ans: D
24. विद्यालय में क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग किया जा सकता है?
(A) शिक्षण विधियों व प्रविधियों में सुधार हेतु (B) विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रुचि विकसित करने हेतु (C) विद्यालय में अनुशासन से संबंधित समस्याओं के सुधार हेतु (D) उपरोक्त सभी Ans: D
25. क्रियात्मक अनुसंधान के विषय में कौन सा कथन गलत है?
(A) इसके परिणामों का प्रयोग शोधकर्ता ही करता है। (B) इसके परिणामों का सामान्यीकरण किया जा सकता है। (C) कार्य करने वाला ही शोध कर्ता होता है। (D) यह दैनिक समस्याओं के समाधान में सहायक है। Ans: B
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