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क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएं

Kriyatmak Anusndha Ki Parebhasha

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Kriyatmak Anusndha Ki Parebhasha

इस पोस्ट में हम क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ एवं विभिन्न विद्वानों के द्वारा दी गई क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाओं का अध्ययन करेंगे

क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ –   इसका अर्थ विद्यालय से संबंधित व्यक्तियों द्वारा अपनी और विद्यालय की समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी क्रियाओं और विद्यालय की गतिविधियों में सुधार करना है। 

कोरे के अनुसार,” क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहारिक कार्यकर्ता वैज्ञानिक ढंग से अपनी समस्याओं का अध्ययन अपने निर्णय और क्रियाओं में निर्देशन, सुधार और मूल्यांकन करते हैं|”

क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएं (kriyatmak anusandhan pdf in hindi)

 क्रियात्मक अनुसंधान के अर्थ को विभिन्न दृष्टिकोण से स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं प्रस्तुत कर रहे हैं।

गुड के अनुसार – “क्रियात्मक अनुसंधान, शिक्षकों, निरीक्षकों और प्रशासकों द्वारा अपने निर्णयों और कार्यों की गुणात्मक उन्नति के लिए प्रयोग किया जाने वाला अनुसंधान है।” 

स्टीफन के अनुसार – ” शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला अनुसंधान है, ताकि वे अपने कार्य में सुधार कर सकें।”

 कोरे के अनुसार – ” शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान, कार्यकर्ताओं द्वारा दिया  किया जाने वाला अनुसंधान है, ताकि वे अपने कार्यों में सुधार कर सकें।”

 मैकग्रैथ के अनुसार – ” क्रियात्मक अनुसंधान एक प्रकार की संगठित खोजपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति अथवा समूह की क्रिया में परिवर्तन तथा विकास करने के लिए अध्ययन करना तथा रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत करना है।”

 जैन फ्रांसेथ के अनुसार – “क्रियात्मक अनुसंधान व्यक्ति द्वारा या समूह द्वारा अपने कार्य में आई हुई समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए,विधि पूर्वक किया जाने वाला अध्ययन है। इसका उद्देश्य अपने कार्य क्षेत्र की उपलब्धियों में वृद्धि लाना है।”

  मौले के अनुसार – ” शिक्षक के समक्ष उपस्थित होने वाली समस्याओं में से अनेक तत्काल ही समाधान चाहती है।  मौके पर दिए जाने वाला अनुसंधान, जिसका उद्देश्य तात्कालिक समस्या का समाधान होता है, शिक्षा में  साधारणतया क्रियात्मक अनुसंधान के नाम से जाना जाता है।”

ये भी जाने: क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान 

 उपरोक्त सभी कथन से स्पष्ट हो जाता है कि क्रियात्मक अनुसंधान मे  व्यवहार पक्ष पर बल दिया जाता है। इसके द्वारा अध्यापक की अध्यापन प्रक्रिया में, विद्यालय की प्रशासकीय तथा शैक्षणिक  प्रक्रियाओं में उपयुक्त परिवर्तन, संशोधन तथा सुधार लाने का प्रयास किया जाता है।  क्रियात्मक अनुसंधान में निम्न दो बातें प्रमुख है जो इस प्रकार हैं। 

(1)  क्रियात्मक अनुसंधान उसी स्थिति में होता है, जब किसी समस्या का समाधान करने के लिए शोध की आवश्यकता पड़ती है। 

(2)  व्यक्ति स्वयं ही अपनी समस्याओं का समाधान एवं निराकरण करता है। 

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