गणित की शिक्षण विधियां || Maths Teaching Methods For REET

Maths Teaching Methods For REET: इस आर्टिकल में हम गणित शिक्षा शास्त्र (maths pedagogy )के अंतर्गत गणित की शिक्षण  विधियों का अध्ययन करेंगे। जिसके अंतर्गत विश्लेषण विधि, संश्लेषण विधि, आगमन विधि, निगमन विधि, प्रयोगशाला विधि, अनुसंधान विधि समस्या- समाधान विधि ,प्रायोजना विधि ,व्याख्यान विधि एवं खेल विधि  को विस्तार पूर्वक नीचे समझाया गया है जो इस प्रकार है।

Maths Pedagogy Important One-liners «Click Here»

गणित की शिक्षण विधियां (Maths Teaching Methods)

Maths Teaching Methods

1. विश्लेषण विधि (analytics method)

  • इस विधि में हम अज्ञात से ज्ञात की ओर जाते हैं।   Ex- सिद्ध करे कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण ओं के बराबर होता है।
  • इसका प्रयोग रेखा गणित प्रमेय को सिद्ध करने के लिए होता है।

गुण (Advantage):  

  • स्वयं समस्या का समाधान करने, हल खोजने पर बल देती है ,स्थाई ज्ञान उत्पन्न होता है।
  • यह मनोविज्ञान विधि है जो बालक में अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करती है। 
  •  खोज करने की क्षमता( अन्वेषण क्षमता) का विकास होता है। 

दोष (Disadvantage):

  • अधिक समय लगता है। 
  • छोटी कक्षा के बालकों के लिए अनुपयोगी मानी जाती है। 
  • कुशल अध्यापक की आवश्यकता होती है। 
  • तर्कशक्ति की जरूरत होती है। 

2.  संश्लेषण विधि (Synthesis method) 

  • यह विधि विश्लेषण विधि का पूरक है इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर जाते हैं छोटे-छोटे खंडों से प्राप्त जानकारी को जोड़ कर( संश्लेषण) प्रयोग किया जाता है

           Ex-  A = B ( ज्ञात)

                B = C ( ज्ञात)

               अतः A=C     अर्थात ज्ञात बातों का प्रयोग करके अज्ञात की खोज की जाती है। 

ये भी जाने : निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण

गुण ( Advantage)  :

  • यह विधि सरल, सूक्ष्म और क्रम क्रमबद्ध है। 
  • समस्या का हल जल्दी  निकलता है अर्थात कम समय लेती है। 
  • स्मरण शक्ति के विकास में मदद करती है। 
  • मंद बुद्धि वाले छात्रों के लिए यह उपयोगी विधि है। 
  • ज्यादातर गणितीय समस्याएं इस विधि से ही हल की जाती है।  

दोष (Disadvantage):

  • रटने की  प्रव्रति पर बल देती है।
  • अन्वेषण क्षमता( खोज करने) का विकास नहीं हो पाता है।
  • अर्जित ज्ञान आस्थाई होता है।
  • यह विकास में सहयोग नहीं करती है तार्किक क्षमता और चिंतन रहित विधि है। 

3.  आगमन विधि (Inductive method)

  • इस विधि में पहले छात्रों  के सामने उदाहरण रखे जाते हैं फिर उन के आधार पर नियम बनाए जाते हैं। 

    इस विधि में तीन कार्य किए जाते हैं। 

   1. विशिष्ट से सामान्य की ओर। 

   2. ज्ञात से अज्ञात की ओर। 

   3. स्थूल से सूक्ष्म की ओर। 

   गुण( Advantage):

  • यह एक वैज्ञानिक विधि है। 
  • स्वयं से कार्य करने के कारण अधिक स्थाई अधिगम होता है। 
  • व्यावहारिक और जीवन में लाभप्रद विधि है। 
  • इसके द्वारा बालक में स्वयं कार्य करने की क्षमता का विकास होता है बालक सदैव जिज्ञासु रहता है। 
  • यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी विधि है। 
  • इसके द्वारा बालक में गणित के प्रति रुचि बनी रहती है। 

दोष (Disadvantage):

  • यह धीमी विधि है समय अधिक लगता है। 
  • अधिक परिश्रम करना पड़ता है अधिक  सोच की आवश्यकता होती है।
  • परिणाम पूर्णता सत्य नहीं होते हैं कई बार छात्र गलत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं।
  • इस विधि का कक्षा में सदैव प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

Nature of Mathematics Logical Thinking «Click Here»

4.  निगमन विधि (Deductive Method) 

  • यह विधि आगमन विधि के विपरीत है इस विधि में पहले परिभाषा,  सूत्र एवं निर्देश को बता दिया जाता है, फिर उसे सत्य सिद्ध किया जाता है। 
  • इसमें नियम  से उदाहरण की ओर चलते हैं। 
  • सामान्य से विशेष की ओर। 
  • सूक्ष्म से स्थूल की ओर। 

गुण( Advantage):

  • यह विधि गणित शिक्षण कार्य को अत्यंत सरल बना देती है। 
  • इस विधि  से छात्र अत्यंत सरल तावा शीघ्रता से ज्ञान प्राप्त करता है। 
  • अंक गणित एवं बीजगणित शिक्षण में निगमन विधि सहायक सिद्ध होती है। 
  • कम परिश्रम एवं समय की बचत होती है। 
  • स्मरण शक्ति का विकास होता है। 

दोष (Disadvantage):

  • यह  अमोवैज्ञानिक  विधि है क्योंकि इसमें छात्र नियमों व सूत्रों की खोज स्वयं नहीं करते बल्कि उन्हें याद करते हैं। 
  • इसमें मिलने वाला ज्ञान आई स्थाई भाव स्पष्ट होता है। 

5. प्रयोगशाला विधि (laboratory method) 

  • इस विधि में छात्र स्वयं गणित की प्रयोगशाला में यंत्रों, उपकरणों तथा अन्य सामग्री कि मदद से गणित के, तथ्य नियमों बा सिद्धांतों की सत्यता की जांच करते हैं .  इस विधि में करके सीखने के सिद्धांत पर बल दिया जाता है।

 ex . पाइथागोरस प्रमेय को प्रयोगशाला में सिद्ध करना। 

गुण( Advantage):

  • छात्र प्रयोगशाला के उपकरणओं का कुशल  प्रयोग करना सीखते हैं। 
  • प्रयोगशाला में किया गया अधिगम स्थाई होता है। 
  • रुचिकर विधि है। 
  • तर्क क्षमता का विकास होता है। 

दोष (Disadvantage):

  • यह खर्चीली विधि है।
  • यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि बच्चे उपकरण से सीखने की जगह खेलना शुरूकर देते हैं।
  • कम संख्या वाली कक्षाओं के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

6. अनुसंधान विधि(heuristic method)

  • Heuristic  शब्द एक ग्रीक Heurisco शब्द से आया है जिसका अर्थ है ‘मैं खोजता हूं’ आर्मस्ट्रांग ने इस विधि  की खोज की थी।
  • Heuristic शब्द से स्पष्ट है कि यह विधि स्वयं खोज करके या अपने आप सीखने की विधि है । इस विधि का प्रयोग विज्ञान के लिए भी किया जाता है।  इस विधि में शिक्षक किसी विषय वस्तु के बारे में सीधे-सीधे नहीं बताता है, बल्कि प्रश्नों द्वारा छात्रों को स्वयं खोजने को कहता है. इस विधि में छात्र निष्क्रिय रोता मात्र ना रहकर स्वयं अन्वेषण या अविष्कारक बन जाते हैं।

गुण( Advantage):

  • इस विधि द्वारा छात्र में तर्क करने, कल्पना, चिंतन, निरीक्षण, तुलना आदि विकास होता है।
  • गणित शिक्षण में यह विधि बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। 
  • यह विधि छात्र को ज्ञान की खोज करने की स्थिति में रखती है। 
  • यह विधि छात्रों को स्वयं गणित कार्य करने हेतु प्रेरित करती है और स्वाध्याय की आदत का निर्माण कर आती है। 
  • इसमें छात्र स्वयं अन्वेषण बन जाता है। 

दोष (Disadvantage):

  • यदि केवल असाधारण, बुद्धि वाले छात्रों के लिए उपयोगी है, क्योंकि साधारण बुद्धि वाले छात्र स्वयं अन्वेषण नहीं कर पाते। 
  • यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयोगी है। 
  • यह विधि छात्रों को गलत नियम निष्कर्ष अथवा सिद्धांतों पर पहुंचा सकती है क्योंकि उनका मस्तिष्क इतना परिपक्व नहीं होता  की वे अपनी गलती को समझ पाए। 

7. समस्या- समाधान विधि (problem- solving method) (जॉन डीवी)

  • इस विधि में शिक्षक छात्रों के सामने एक समस्या रखता है,और छात्रों को समस्या को हल करने के लिए अपने विचार व सुझाव रखने को बोलता है । छात्र अपने तर्क एवं निर्णय से उस समस्या को सुलझाने का प्रयास करते हैं समस्या बालक के जीवन  से संबंधित होनी चाहिए।  इस विधि में समस्या सरल होती है. यह विधि करके सीखने के सिद्धांत पर कार्य करती है।

गुण( Advantage):

  • यह विधि वैज्ञानिक ढंग से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
  • इस विधि में छात्र सदैव क्रियाशील रहता है। 
  • इस विधि में छात्र स्वतंत्र होकर स्वयं कार्य करने करते हैं छात्रों की तर्क शक्ति का विकास होता है। 
  • छात्रों में समस्या समाधान की योग्यता का विकास होता है। 

दोष (Disadvantage):

  • यदि समस्या कठिन हो तो छात्र में विषय के प्रति रुझान कम हो जाता है
  • यदि समस्या की भाषा सरल ना हो तो छात्रों की सूची में कमी आ जाती है
  • समय अधिक लगता है

8. प्रयोजन विधि (Project method)

  • इस विधि का प्रयोग सर्वप्रथम किलपैट्रिक ने किया इस विधि में संपूर्ण कार्य को योजना बनाकर किया जाता है इसमें किसी भी समस्या के समाधान के लिए छात्र स्वयं अपनी तर्कशक्ति के द्वारा कार्य करता है तथा हल हो जता है

Read Also : Maths Pedagogy Notes on Diagnostic and Remedial Teaching in Hindi

गुण( Advantage):

  • छात्र में क्रियात्मक और सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है
  • छात्रों में निरीक्षण, तर्क तथा निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है

दोष (Disadvantage):

  •  इस  के प्रयोग  से सभी पाठों को नहीं पढ़ाया जा सकता

9. व्याख्यान विधि (lecture method)

  • यह शिक्षण की सबसे प्रचलित विधि है इस विधि में एक शिक्षक किसी विषय या समस्या के बारे में व्याख्यान देता है व्याख्यान तर्क पूर्ण, व्यवस्थित तथा आकर्षित होना चाहिए ताकि छात्र का ध्यान विषय पर केंद्रित रहे इस विधि में प्रश्न उत्तर तथा उदाहरणों का प्रयोग किया जाता है

 गुण( Advantage):

  • यह किसी विषय को पढ़ने की सबसे सरल विधि है. 
  • इसमें छात्रों का ध्यान विषय पर केंद्रित रहता है। 

दोष (Disadvantage):

  • इस विधि में छात्र निष्क्रिय रहता है। 
  • यह विधि करके सीखने पर बल नहीं देती है। 
  • इसमें Individual Differences पर ध्यान नहीं दिया जाताहै। 

10. खेल विधि (Play Way method)

  • इस विधि में शिक्षक छात्रों को  संपूर्ण ज्ञान खेल के माध्यम से देता है इस विधि को फ्रोबेल ने दिया है इसका नाम हेनरी कोल्डवेल कुक ने रखा इस विधि में शिक्षा को पूर्ण रूप से खेल केंद्रित बनाने का प्रयास किया गया है 

गुण( Advantage):

  • छात्रों की खेल में स्वाभाविक रुचि होती है तो बच्चों का मन लगा रहता है।
  • इस विधि द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। 
  • यह विधि करो और शिखा के सिद्धांत पर आधारित है। 

दोष (Disadvantage):  

  • कुछ बच्चों में शारीरिक  शिथिलता के कारण इस विधि में कठिनाई आती है।

 

Science Pedagogy NotesClick Here
Hindi Pedagogy NotesClick Here
EVS Pedagogy NotesClick Here
Maths Pedagogy NotesClick Here

 [To Get latest Study Notes  Join Us on Telegram- Link Given Below]

For Latest Update Please join Our Social media Handle

Follow Facebook – Click Here
Join us on Telegram – Click Here
Follow us on Twitter – Click Here

Leave a Comment