Rabindranath Tagore Jayanti 2022: देश की संस्कृति, कला और साहित्य पर अपनी छाप छोड़ने वाले रवींद्रनाथ टैगोर का आज जन्मदिन है. आज हम रविंद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातों से रूबरू करा रहे हैं, जिनके बारे में पता होना जरूरी है.
इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि रविंद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी ऐसी कौन सी बातें हैं जो हमें विचार करने पर मजबूर कर देती हैं.
- रविंद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई सन 1861 में कोलकाता में एक धनी परिवार में हुआ था। इनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं जो व्यक्ति को विचार करने पर मजबूर कर देती हैं.
- रवींद्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे. बचपन में उन्हें प्यार से ‘रबी’ बुलाया जाता था. आठ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था.
- उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ तथा माता का नाम शारदा देवी था, इनके दादा द्वारकानाथ ठाकुर बड़े बिजनेसमैन हुआ करते थे.
- दरअसल रविंद्र नाथ का सरनेम ठाकुर हुआ करता था लेकिन अंग्रेज ठाकुर को ठेकूर उच्चारण करते थे और इस तरह रवींद्रनाथ ठाकुर- रविंद्र नाथ टैगोर बन गए.
- रवींद्रनाथ टैगोर को उनके कविता संग्रह गीतांजलि के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। यह न केवल भारत में बल्कि एशिया में भी पहला नोबेल पुरस्कार था।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ की रचना की। उन्होंने ‘अमर सोनार बांग्ला’ गाना भी कंपोज किया था। यह गाना बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। इन रचनाओं को क्रमशः भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया है।
- रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिन्होंने दो राष्ट्रगानों की रचना की है.
- महात्मा गांधी के मन में रवींद्रनाथ टैगोर का बहुत सम्मान था। उन्होंने ही टैगोर को ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी थी.
- रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा 2300 से अधिक पेंटिंग बनाई गई, जिन्हें उस समय पूरे यूरोप के एग्जीबिशन में शामिल किया जाता था.
- रविंद्र नाथ टैगोर ने बचपन से ही वेद पुराण तथा उपनिषदों का अध्ययन कर लिया था इनके द्वारा लिखी गई किताबें चारु लता, चोखेर बाली, काबुलीवाला, अतिथि तथा पोस्ट मास्टर आज भी बेहद प्रसिद्ध हैं.
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