राजस्थान में OBC आरक्षण में विसंगति को लेकर सड़कों पर उतरे युवा, आरक्षण से संबन्धित है मामला, जानें क्या है पूरी बात 

Rajasthan OBC Reservation: राजस्थान राज्य से अक्सर ही शासकीय परीक्षाओं से जुड़े विवादास्पद मामले सुनने में आते हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में काफी सुर्खियां बटोर रहा है। राजस्थान राज्य में हजारों की संख्या में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी सड़कों पर उतार आए हैं। इन अभ्यर्थियों समेत कई नेता तथा नागरिकजन भी अभ्यर्थियों  द्वारा किए जा रहे इस प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। आइए जानते हैं, आखिर क्या है पूरा मामला। 

सबसे पहले जानें राजस्थान राज्य की आरक्षण व्यवस्था 

राजस्थान राज्य में शासकीय विभागों की कुल 100% सीटों में से 64% सीटें आरक्षण की श्रेणी के अंतर्गत आती हैं। इन 100% में 21% सीटें ओबीसी वर्ग के लिए, 49% सीटें एससी तथा एसटी वर्ग के लिए, 5% एमबीसी तथा 10% सीटें ईडबल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित हैं। यह आरक्षण का वर्टिकल विभाजन है। 

आरक्षण के हॉरिजॉन्टल विभाजन के अनुरूप प्रत्येक वर्ग के लिए आरक्षित कुल सीटों में से कुछ सीटें महिला, भूतपूर्व सैनिक तथा दिव्याङ्ग उपवर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होती हैं। भूतपूर्व सैनिकों के लिए 12.5% सीटें आरक्षित होती हैं। इस व्यवस्था में भूतपूर्व सैनिक के लिए 12.5% सीटें संबन्धित वर्ग की कुल आरक्षित सीटों के अंतर्गत ही आरक्षित होती थीं, जिससे अधिकांश सीटें उपवर्ग के आरक्षण के अंतर्गत आ जाती हैं। 

यहाँ जानें पूरा मामला 

राजस्थान में हजारों अभ्यर्थी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण में हो रही विसंगति के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन अभ्यर्थियों को मिल रहे 21% आरक्षण की कुल सीटों में से 7% सीटें महिला उपवर्ग के अभ्यर्थियों के लिए, कुछ सीटें दिव्याङ्ग उपवर्ग के तथा 12.5% प्रतिशत सीटें भूतपूर्व सैनिक उपवर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रहती हैं। 

आपको बता दें, राजस्थान में कुल आबादी में से 44% नागरिक ओबीसी वर्ग से हैं। अधिकांशतः इस राज्य से सेना में भी ओबीसी वर्ग के युवा ही सम्मिलित होते हैं। अतः सेना से सेवानिवृत्ति के बाद ये सैनिक राज्य की अन्य शासकीय नियुक्तियों के लिए आवेदन करते हैं, जिससे ओबीसी वर्ग की अधिकांशतः सीटें ओबीसी वर्ग की आरक्षित सीटों के अंदर हो रहे उपवर्ग के आरक्षण में ही चली जाती हैं। इस कारण कई ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी सरकारी नौकरियों से वंचित रह जाते हैं। 

इसके अतिरिक्त राज्य में चल रही रोस्टर व्यवस्था के कारण भी अभ्यर्थियों को अत्यंत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस व्यवस्था के अनुसार यदि कोई आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग से बिना किसी आरक्षण के चयनित होता है, तो उन पदों को अगली नियुक्ति में संबन्धित वर्ग की आरक्षित सीटों में से घटा दिया जाता है। इस कारण यदि कोई अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग से भी चयनित होता है, तो इसका असर आगामी वर्ष की आरक्षित सीटों पर पड़ेगा। इन्हीं परेशानियों को लेकर हजारों ओबीसी के अभ्यर्थी, नेता तथा नागरिकजन प्रदर्शन कर रहे हैं। 

जानें क्या है इन अभ्यर्थियों की मांग 

ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी उपवर्ग के आरक्षण की व्यवस्था को पूर्वरुपेण करने की मांग कर रहे हैं। जिससे उपवर्ग आरक्षण के कारण ओबीसी के सामान्य अभ्यर्थियों की सीटों पर कोई प्रभाव न पड़े। इसके साथ ही अभ्यर्थी रोस्टर व्यवस्था से हो रही परेशानी को रोकने के लिए पदों की संख्या बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं। इस विषय में राज्य सरकार द्वारा क्या फैसला लिया जाता है, यह देखने लायक होगा।

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