CTET 2022: सीटेट में पूछे जाने वाले ‘वंशानुक्रम और वातावरण’ का अर्थ और प्रभावित करने वाले कारक, यहां पढ़िए

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Heredity and Environment Short Notes for CTET 2022: शिक्षण के क्षेत्र में अपनी रुचि रखने वाले  लाखों अभ्यर्थी प्रतिवर्ष शिक्षक पात्रता परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, उन्हीं में से एक मानी जाने वाली केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा के आयोजन का आने वाले दिसंबर माह में किया जाना है जिसमें आवेदन की प्रक्रिया अभी जारी है आवेदन के योग्य और इच्छुक उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. 

यदि आप भी हर साल आयोजित होने वाली इस परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं तो यहां हम परीक्षा के पैटर्न को ध्यान में रखते हुए नियमित रूप से अलग-अलग विषयों के प्रैक्टिस सेट प्रोवाइड करवा रहे हैं, आज के आर्टिकल में हम ‘वंशानुक्रम और वातावरण’ से संबंधित नोट्स आपके लिए लेकर आए हैं, जिससे आपको इस टॉपिक को अच्छे से समझने में आसानी होगी.

अनुवांशिकता /वंशानुक्रम एवं वातावरण (Heredity and Environment)

अनुवांशिकता –अनुवांशिक गुणों के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचालित होने की प्रक्रिया को, अनुवांशिकता या वंशानुक्रम कहा जाता है।

अनुवांशिक गुण – बालक का रंग-रूप, आकार, शारीरिक गठन, ऊंचाई इत्यादि।

वातावरण – जन्म के बाद बालक जिस परिवेश में रहकर की अधिगम करता है, उसे वातावरण कहते हैं।

अनुवांशिकता की परिभाषाएं

जेम्स ड्राइवर के अनुसार – “शारीरिक तथा मानसिक विशेषताओं का माता-पिता से संतानों में हस्तांतरण होना अनुवांशिकता है”।

अनुवांशिकता को स्थिर सामाजिक संरचना माना जाता है।

बीएन झा के अनुसार– “वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।”

वातावरण की परिभाषाएं

वुडवर्थ के अनुसार – वातावरण में वे समस्त वाह तत्व आ जाते हैं जिन्होंने जीवन प्रारंभ करने के समय से व्यक्ति को प्रभावित किया।

एनास्‌टैसीके अनुसार –पर्यावरण /वातावरण वह हर चीज है जो व्यक्ति के जीवन के अलावा उसे प्रभावित करती है।

अनुवांशिकता के नियम

समानता का नियम –जिस प्रकार के गुण ( रंग-रूप, आकार, शरीर का गठन, ऊंचाई ) माता पिता में है वैसे ही पुत्र का होना।

भिन्नता का नियम –माता पिता की गुरु के साथ-साथ अन्य भिन्न गुण वाली संतान होना।

प्रत्यागमन का सिद्धांत –माता-पिता की गुणों के बिल्कुल विपरीत गुणों वाली संतान का होना।

अनुवांशिकता के सिद्धांत

जनन द्रव्य की निरंतरता का सिद्धांत – बीज मैन

जो कभी नष्ट नहीं होते हैं यह पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते रहते हैं।

उपार्जित गुणों के आसन चरण का सिद्धांत– बीजमैन

माता पिता के अर्जित गुणों का स्थानांतरण बच्चों में नही होता है।

उपार्जित गुणों के संचरण का सिद्धांत- लेमार्क

अर्जित गुणों का स्थानांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है, जैसे- जिराफ की गर्दन

मेंडल का सिद्धांत –एक ही माता-पिता से उत्पन्न संतानों में भिन्नता पाई जाती है।

वातावरण को प्रभावित करने वाले कारक

भौतिक कारक- इसके अंतर्गत प्राकृतिक एवं भौगोलिक परिस्थितियां आती हैं।

जैसे- ठंडे प्रदेशों के व्यक्ति सुंदर और गोरे होते हैं, जबकि गर्म प्रदेश में रहने वाले व्यक्ति काले चिड़चिड़े तथा आक्रमक स्वभाव के होते हैं।

सामाजिक कारक – सामाजिक व्यवस्था रहन-सहन परंपराएं धार्मिक कृत्य रीति रिवाज और संबंध आदि बहुत से तत्व है जो मनुष्य के शारीरिक मानसिक तथा भावात्मक एवं बौद्धिक विकास को किसी ना किसी ढंग से अवश्य प्रभावित करते हैं।

आर्थिक कारक – आर्थिक मतलब धन से केवल सुविधाएं ही नहीं प्राप्त होती, बल्कि से पौष्टिक चीजें भी खरीदी जा सकती हैं जिससे मनुष्य का शरीर विकसित होता है। यह मनुष्य की बौद्धिक क्षमता को भी प्रभावित करता है तथा सामाजिक विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ता।

सांस्कृतिक कारक – धर्म और संस्कृति मनुष्य के विकास को अत्यधिक प्रभावित करती है।

जैसे– खाने का ढंग, रहन-सहन का ढंग, पूजा-पाठ का ढंग, समारोह मनाने का ढंग आदि।

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