CTET 2022: 28 दिसंबर से प्रारंभ हुई सीटेट परीक्षा में नई शिक्षा नीति (NEP 2020) से कई सवाल पूछे जा रहे हैं, यहां जाने! महत्वपूर्ण बिंदु

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CTET 2022 New Education Policy Important Points: सीबीएसई की ओर से एक लंबे इंतजार के बाद केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा देने सीटेट 2022 का आगाज 28 दिसंबर से शुरू हो चुका है जिसमें शामिल हुए अभ्यर्थियों के फीडबैक के अनुसार परीक्षा का लेबल इजी to मॉडरेट लेवल का रहा.  यदि आपका एग्जाम भी आने वाले दिनों में होने वाला है तो यहां दी गई जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है इस आर्टिकल में हम परीक्षा में पूछे जा रहे नई शिक्षा नीति 2020 पर आधारित महत्वपूर्ण बिंदुओं को (CTET 2022 New Education Policy Important Points

) आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं, जिन्हें आपको एग्जाम हॉल में जाने से पूर्व एक नजर जरूर पढ़ लेना चाहिए.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (New Education Policy 2020 Important Point)

केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (National Education Policy- 2020)’ को मंज़ूरी दे दी है नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 1986 को प्रतिस्थापित करेगी के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व ISRO प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी भारत की पहली शिक्षा नीति 1968 में आई थी इंदिरा गांधी की सरकार में और भारत की दूसरा शिक्षा नीति 1986 में राजीव गांधी की सरकार मेंआई थी जिसे 1992 में पीवी नरसिम्हा राव ने संशोधित किया था।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • 34 साल बाद आई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं
  • बच्चों पर से बोर्ड परीक्षा का भार कम किया जाएगा तो उच्च शिक्षा के लिए भी अब सिर्फ एक नियामक होगा
  • पढ़ाई बीच में छूटने पर पहले की पढ़ाई बेकार नहीं होगी
  • अब एक साल की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट देने जा प्रावधान किया गया है
  • शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43 फीसदी से बढ़ाकर GDP का 6 फीसदी तक करने का लक्ष्य कर दिया गया है

Important Point

1. स्कूलों में 10+2 खत्म

> अब शुरू होगा 5+3+3+4 फॉर्मेट – अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे 

> इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा

> अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का होगा

> इसकी बाद 3 साल का मिडिल स्कूल जाएगा यानी 6 से 8 तक का स्टेज

> अब छठी कक्षा से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी ताकि बच्चों को अच्छे रोजगार के अवसर मिल सके

> चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा इसमें छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी

> साइंस या गणित के अन्य विषय भी पढ़ने की आजादी होगी पहले कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी सिर्फ कक्षा 11 से विषय ‘चुन सकते थे.

2.सरकारी स्कूलों में बदलाव

> अभी तक सरकारी स्कूल पहली कक्षा से शुरू होते हैं

> लेकिन नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद पहले बच्चे को पांच साल के फाउंडेशन स्टेज से गुजरना होगा

> फाउंडेशन स्टेज के आखिरी दो साल पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के होंगे पांच साल के फाउंडेशन स्टेज के बाद बच्चा तीसरी कक्षा में जाएगा

> 5+3+3+4 के नए स्कूल एजुकेशन सिस्टम में पहले पांच साल 3 से 8 साल के बच्चों के लिए होगा

> उसके बाद के तीन साल 8 से 11 साल के बच्चों के लिए

>उसके बाद के तीन साल 11 से 14 साल के बच्चों के लिए और स्कूल में सबसे आखिर के 4 साल 14 से 18 साल के बच्चों के लिए निर्धारित किए गए हैं

3.छठी कक्षा से रोजगारपरक शिक्षा

>नई शिक्षा नीति में अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी तथा स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी

> व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा

4. 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आसान होगी

> दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए जाएंगे जैसे साल में दो बार परीक्षाएं कराना, दो हिस्सों वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) और व्याख्त्मक श्रेणियों में इन्हें विभाजित करना आदि.

> बोर्ड परीक्षा में मुख्य जोर ज्ञान के परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म हो सके

> बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र हमेशा दबाव में रहते हैं और ज्यादा अंक लाने के चक्कर में कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं. लेकिन भविष्य में उन्हें इससे मुक्ति मिल सकती है. शिक्षा नीति में कहा गया है कि विभिन्न बोर्डआने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे जैसे वार्षिक सेमेस्टर और मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं

5. स्कूलों में ऐसे होगा बच्चों की परफॉर्मेंस का आकलन

> बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा. उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएग

>एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक.

6. ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम

> नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है

आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता था, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के , बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद 9 डिग्री मिल जाएगी। यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है

7. नई नीति में MPhil खत्म

देश की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्रों को एमफिल नहीं करना होगा. एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करे पाएंगे.

8. खत्म होंगे UGC, NCTE और AICTE, बनेगी एक रेगुलेटरी बॉडी

9. कॉलेजों को कॉमन एग्जाम का ऑफर

>नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा..

10. स्कूल में प्री-प्राइमरी लेवल पर स्पेशल सिलेबस तैयार होगा

>प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। इसके तहत तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चे आएंगे.

11. स्कूल कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण के लिए तंत्र बनेगा

12. नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की तैयारी

> सभी तरह के वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधानों को नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाकर नियंत्रित किया जाएगा. उच्च शिक्षण संस्थानों को बहु विषयक संस्थानों में बदला जाएगा. 2030 तक हर जिले में या उसके आसपास एक उच्च शिक्षण संस्थान होगा. शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है. इनमें आनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को डिजिट संसाधनों से लैस कराने जैसी योजनाएं शामिल हैं.

13. स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षा भी नई शिक्षा नीति के दायरे में होगा.

14. कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा।

15.ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर

> नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है. कंप्यूटर, लैपटॉप और फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है।

16. हर जिले में कला, करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ स्थापित किया जाएगा

17. अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।

18. HMRD का नाम बदला गया

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HMRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है.

19. त्रि-भाषा फॉर्मूला

> विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। त्रि-भाषा फॉर्मूला में भी यह विकल्प शामिल होगा. इसके मुताबिक, किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी

20. विदेशी यूनिवर्सिटी को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति और स्कॉलरशिप पोर्टल का विस्तार

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