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Guidance and Counselling Notes In Hindi (निर्देशन तथा परामर्श)

दोस्तों इस आर्टिकल में हम पेडगॉजी (Pedagogy) के अंतर्गत पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण टॉपिक निर्देशन एवं परामर्श से संबंधित नोट्स (Guidance and Counselling Notes In Hindi) आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। जो कि विभिन्न TET (शिक्षक भर्ती) परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। साथ ही इस पोस्ट में निर्देशन और परामर्श से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी आपको प्राप्त होंगे। आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

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निर्देशन (Guidance) Guidance and Counselling Notes In Hindi

Guidance and Counselling Notes

 निर्देशन का अर्थ है – निर्देशन अंग्रेजी शब्द Guidance  का हिंदी रूपांतरण है। जिसका अर्थ है ‘मार्ग’ दिखाना या मार्गदर्शन  करना। अधिगम में निर्देशन सेवाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। निर्देशन एक ऐसी प्रणाली है, जो शिक्षार्थियों को शिक्षा प्रदान हेतु महत्वपूर्ण है। निर्देशन एक  व्यक्तिगत कार्य है। जिसके द्वारा शिक्षार्थी को उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित किया जाता है। निर्देशक एक समस्याओं का समाधान खुद नहीं करता है। वरन ऐसी विधियां  बताता है, जिनका प्रयोग करके बालक उन समस्याओं को स्वयं सुधार सकता है। 

विभिन्न विद्वानों के द्वारा दी गई  निर्देशन परिभाषाएं

» जॉन्स के अनुसार – ” मार्गदर्शन एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को विकल्प चुनने, समायोजन करने तथा अपनी समस्याओं का समाधान करने में दी गई सहायता है।”

»  इस स्किनर के अनुसार – “नव युवकों को स्वयंअपने प्रति, दूसरों के प्रति तथा परिस्थितियों के प्रति समायोजन करने में सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया मार्गदर्शन है।” 

शर्ले हैमरिन के अनुसार  – “व्यक्ति को अपने आप को पहचानने में मदद करना, जिससे वह अपने जीवन में आगे बढ़ सके, निर्देशन कहलाता है।”

 निर्देशन के प्रकार (Types of Guidance)

(A) कार्य व समस्याओं के क्षेत्र के आधार पर भारत में निर्देशन को मुख्यतः तीन प्रकार में बांटा गया है। 

1. शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance)

2.  व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance)

3.  वैयक्तिक निर्देशन (Personal Guidance)

 थॉमस के अनुसार- ” निर्देशन का उद्देश्य छात्रों को उनकी समस्याओं के समाधान में सहायता देना, समस्या को सुलझाने की क्षमता उत्पन्न करना है। अर्थात निर्देशन करना है।”

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(B) निर्देशन विधि के आधार पर निर्देशन को दो भागों में बांटा गया है।

1. वैयक्तिक निर्देशन

2.  सामूहिक निर्देशन 

(1) वैयक्तिक  निर्देशन – वैयक्तिक  निर्देशन का तात्पर्य उस निर्देशन से है।  जिसमें व्यक्ति से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित कर उसकी समस्याओं  का सूक्ष्म अध्ययन कर आवश्यकतानुसार उपचारात्मक सहायता दी जाती है।  अतः यह निर्देशन सर्वोत्तम एवं प्रभावशाली होता है। 

(2) सामूहिक निर्देशन –  जब किसी समूह या कक्षा में निर्देशन कार्य किया जाता है,  तो उससे सामूहिक निर्देशन कहते हैं। इस प्रकार का निर्देशन तभी दिया जाता है, जबकि  संपूर्ण समूह के सदस्यों की समस्या एक ही प्रकार की हो। 

निर्देशन के उद्देश्य

1.  निर्देशन व्यक्ति पर ध्यान देता है, समस्या पर नहीं। 

2. आवश्यक परामर्श की व्यवस्था करना। 

3.  वर्तमान तथा भविष्य के प्रति आश्वस्त करना।

4.  आत्म निर्देशन तथा आत्मा विकास की ओर अग्रसरित करना। 

5.  व्यवसाय में सफलता प्राप्त करना।

6.  नवीन परिस्थितियों में समायोजन की क्षमता उत्पन्न करना।

7.  योग्यताओं की खोज, व्यक्ति की रुचि, अभिरुचि आवश्यकता,परिसीमा,स्वाभाव तथा आदतों के आधार पर चर्चा की जाती है। 

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परामर्श (Counselling)

परामर्श शब्द दो व्यक्तियों से संबंधित होता है। 

(1) परामर्शदाता (Counsellor)

(2) परामर्शप्रार्थी (Client) 

परामर्श इच्छुक को कुछ विशेष समस्याएं होती हैं। जिनको वह स्वयं पूर्ण नहीं कर सकता। उसके समाधान हेतु वह किसी विशेषज्ञ या वैज्ञानिक की राय की आवश्यकता महसूस करता है। यही विशेषज्ञ अथवा वैज्ञानिक राय परामर्श कहलाती है। 

» मायर्स के अनुसार – ” परामर्श का तात्पर्य दो व्यक्तियों से है, जिसमें एक को किसी प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है।”

»  वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार – ” पूछताछ, पारस्परिक तर्क वितर्क या विचारों का पारस्परिक आदान-प्रदान ही परामर्श है।”

  •  शैक्षिक परामर्श
  •  छात्र परामर्श
  •  व्यक्तित्व परामर्श
  •  नैदानिक परामर्श
  •  व्यवसायिक परामर्श
  •  वैयक्तिक  परामर्श
  •  सामूहिक परामर्श
  •  मनोवैज्ञानिक परामर्श 
  • स्थिति परामर्श 

परामर्श के प्रकार (Types of Counselling)

1.  निर्देशात्मक परामर्श –  यह परामर्श परामर्शदाता केंद्रित होता है।  इसमें व्यक्ति से अधिक समस्या को महत्व दिया जाता है। निर्देशात्मक परामर्श,परामर्शदाता द्वारा पूर्व नियोजित प्रक्रिया है।  जिसके आधार पर वह परामर्शप्रार्थी की समस्या को समझता है, विभिन्न विधियों तथा उपकरणों के माध्यम से परामर्शदाता आंकड़े को संग्रहित कर उनका विश्लेषण करता है।  और स्वयं उसका समाधान करता है। 

2.अनिर्देशात्मक परामर्श – यह परामर्श, परामर्श ग्राही केंद्रित होता है। इसमें परामर्श दाता परामर्श ग्राही से साक्षात्कार करने के लिए पहले से किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं करता है।  और ना ही कोई योजना बनाता है। रोजर्स के अनुसार अनिर्देशात्मक परामर्श मनोवैज्ञानिक तथा प्रभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें समस्या से अधिक व्यक्ति पर केंद्र बिंदु होता है। 

निर्देशात्मक परामर्श और अनिर्देशात्मक परामर्श मे अंतर
निर्देशात्मक परामर्श अनिर्देशात्मक परामर्श 
यह परामर्शदाता केंद्रित होता है।  यह परामर्श प्रार्थी केंद्रित होता है। 
इसमें व्यक्ति से अधिक समस्या को बल दिया जाता है।  इसमें व्यक्ति को बल दिया जाता है। 
यह परामर्श बौद्धिक पहलू पर अधिक बल देता है।  इसमें संवेगात्मक पहलू पर अधिक बल दिया जाता है। 
निर्देशात्मक परामर्श में विश्लेषण को अधिक महत्व दिया जाता है।  अनिर्देशात्मक परामर्श में  संश्लेषण को अधिक महत्व दिया जाता है
इसमें समय कम लगता है।  इसमें समय अधिक लगता है। 

निर्देशन तथा परामर्श के लाभ 

1.  निर्देशन एवं परामर्श के द्वारा शिक्षक बालक\ बालिका के अनुशासनहीनता को नियंत्रित कर सकता है। 

2.  इसके द्वारा शिक्षक को बालक एवं बालिकाओं के योग्यताओं, क्षमताओं तथा सूचियों की जानकारी निरंतर मिलती रहती है। 

3.  इसमें अध्यापक आवश्यकता और समय अनुरूप अपने अध्ययन विधियों में  परिवर्तन कर सकता है। 

4.  शिक्षकों को बालकों की समस्याओं का प्रत्यक्षरूप से अध्ययन कराने का अवसर मिलता है। 

परामर्श की विशेषताएं (Consultation features)

1.  परामर्श सामूहिक रूप की अपेक्षा व्यक्तिगत रूप से करना।

2. कक्षा कक्ष का वातावरण शांतिप्रिय होना चाहिए।

3.  परामर्शदाता तथा परामर्श ग्राही के मध्य विचारों का आदान-प्रदान बिना किसी संकोच एवं भय के होना चाहिए।

4. परामर्श की प्रक्रिया के माध्यम से इस प्रकार की योग्यता व्यक्ति को उत्पन्न करना चाहिए, कि वह समस्या का समाधान स्वयं कर सकें। 

5.परामर्श की प्रक्रिया में परामर्शदाता द्वारा प्राप्त सूचनाओं का मूल्यांकन विश्लेषण अवश्य करना चाहिए, जिससे सूचनाओं का सार तत्व निकल आये। 

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निर्देशन एवं परामर्श से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (Guidance and counselling questions and answers)

 प्रश्न1.  निर्देशन का अर्थ है?

 उत्तर-  विकास में सहायता देने वाला प्रक्रम

 प्रश्न2. निर्देशन आवश्यक होता है?

 उत्तर-   व्यक्ति के निजी गुणों के विकास के लिए, मानव की क्षमता का विकास करने के लिए एवं मानव जीवन की जटिलता को हल करने के लिए

प्रश्न3. निर्देशन के माध्यम से मदद मिलती है?

उत्तर-  व्यक्तिगत विकास को, व्यावसायिक विकास को एवं सामाजिक विकास को

प्रश्न4  समस्याओं से घिरे शिक्षक में निर्देशन एवं उप बोधन द्वारा बढ़ाया जा सकता है?

 उत्तर- आत्मविश्वास

प्रश्न5   परामर्श का उद्देश्य है?

उत्तर-  सामाजिक सामंजस्य,आत्मस्वीकृति हेतु  एवं अभिस्वीकृति हेतु

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