ExamBaaz

वाइगोत्सकी का सिद्धांत: Vygotsky ka Sangyanatmak Vikas ka Siddhant

Spread the love

वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

इस पोस्ट में हम वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Vygotsky ka Sangyanatmak Vikas ka Siddhant) का अध्ययन करेंगे।  वाइगोत्सकी के अनुसार संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारकों एवं भाषा का प्रभाव पड़ता है इसीलिए इस सिद्धांत को सामाजिक संस्कृति सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है।

Vygotsky ka Sangyanatmak Vikas ka Siddhant

(1) Inner Speech – विचारों से उत्पन्न Thinking या मस्तिष्क से उत्पन्न विचार यांत्रिक वाणी\ सोच को Inner Speech कहते हैं। 

(2) External Speech – इसे शाब्दिक भाषा भी कहा जाता है। इसने बालक अपने विचारों को ध्वनियों में परिवर्तित कर देता है।दूसरों से बातचीत करता है। तो उसे External Speech कहते हैं

भाषा यंत्र  

यह सामाजिक अंतः क्रिया के द्वारा अपनी ही एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति तक स्थानांतरित करता है।  भाषा के सभी गुण जैसे विचार, भाव, अनुभव, कौशल, ज्ञान, नैतिकता आदि अनुभव वह निम्न प्रकार से प्राप्त करता है। 

(1) अनुकरणीय सीखना(Imitative Learning) – बालक अनुकरण के द्वारा ही भाषा का अधिगम एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं या प्रगट करते हैं। 

ये भी पढे: वंशानुक्रम एवं वातावरण से संबंधित प्रश्न उत्तर

2  निर्देशात्मक सीखना (Instructional Learning) – इसमें बालक किसी प्रौढ़ व्यक्ति जैसे- अध्यापक या अभिभावक के निर्देशों के माध्यम से ही स्वयं को ज्ञान से परिपूर्ण करता है.

 3 सहकारी अधिगम (Collaborative Learning) –  इसमें बालक अपने साथियों के साथ विशिष्ट कौशलों को समूह बनाकर ग्रहण करते हैं.  अर्थात समान उम्र के बालकों के साथ अधिगम करते हैं. 

 कुल मिलाकर इन तीनों में सामाजिक अंतः क्रिया ही होती है अर्थात सामाजिक-सांस्कृतिक शब्द के साथ ही वाइगोत्सकी की थ्योरी बनती है।  

 Download CTET Score Booster E-Books 

For The Latest Activities And News Follow Our Social Media Handles:

Related articles :


Spread the love
Exit mobile version