मध्य प्रदेश, जिसे भारत का “हृदय प्रदेश” कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां के लोक नृत्य राज्य की विविध सांस्कृतिक झलक को प्रस्तुत करते हैं। ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि इनमें स्थानीय जनजातियों और समुदायों के रीति-रिवाज, परंपराएं, और जीवनशैली भी झलकती है। मध्य प्रदेश के लोक नृत्य राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान और उत्सवों का अभिन्न हिस्सा हैं।
मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्यों में तेरहताली, राय, मातकी, फाग, भवाई, ग्रिदा, और नौरता जैसे नृत्य शामिल हैं। ये नृत्य न केवल त्योहारों और उत्सवों पर प्रस्तुत किए जाते हैं, बल्कि इनमें स्थानीय संगीत और वाद्ययंत्रों का भी अद्भुत समन्वय होता है। आदिवासी नृत्य जैसे भील जनजाति का भगोरिया नृत्य और गोंड जनजाति का सैलाना नृत्य, क्षेत्र की जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर मध्य प्रदेश के लोक नृत्यों से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे कि किस क्षेत्र में कौन सा नृत्य प्रचलित है, उस नृत्य का ऐतिहासिक महत्व, और नृत्य में उपयोग किए जाने वाले वाद्ययंत्र। इसके अलावा, ये नृत्य पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को देश-विदेश में मजबूत करते हैं।
इस आर्टिकल में, हम आपको मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्यों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिसमें उनके प्रकार, विशेषताएं, और ऐतिहासिक महत्व शामिल है। यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं या राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को समझना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
लोक नृत्य क्या है और क्यों यह महत्वपूर्ण है (What is Folk Dance and why it is important)
लोक नृत्य किसी विशेष समुदाय या क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है। यह नृत्य की एक पारंपरिक शैली है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता है। लोक नृत्य किसी क्षेत्र के लोगों के जीवन, उनकी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। ये नृत्य विभिन्न अवसरों पर जैसे त्योहारों, विवाहों और अन्य समारोहों में किए जाते हैं।
लोक नृत्य कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले, ये नृत्य किसी क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करते हैं। दूसरे, ये नृत्य लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने में मदद करते हैं। तीसरे, लोक नृत्य लोगों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने और समाज में सामंजस्य बनाए रखने में मदद करते हैं। चौथे, लोक नृत्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं।
Madhya Pradesh ke Lok Nritya
(1) बधाई नृत्य – यह नृत्य बुंदेलखंड में खुशी के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है।
(2) सैला नृत्य – यह नृत्य गणगौर के उत्सव पर किया जाता है जो कि गुजरात में होने वाले डांडिया नृत्य से मिलता-जुलता है।
(3) कांगड़ा नृत्य –यह नृत्य बुंदेलखंड में धोबी जाति के द्वारा किया जाता है।
(4) परधोनी नृत्य- यह बैगा आदिवासियों द्वारा विवाह के अवसर पर बरात के आगमन पर किया जाने वाला नृत्य है।
(5) लहंगी नृत्य- यह सहारिया एवं कंजर बंजारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
(6) बार नृत्य- यह नृत्य कवर आदिवासियों द्वारा खुशी के अफसरों पर किया जाता है।
(7) गोचो नृत्य- मध्य प्रदेश के गोंड आदिवासियों द्वारा यह नृत्य किया जाता है।
(8) मटकी नृत्य- महिलाओं द्वारा विभिन्न अवसरों पर ‘मटकी’ नृत्य प्रस्तुत किया जाता है। यह ‘मालवा’ का एक सामुदायिक नृत्य है। नर्तक एक ड्रम की धड़कन को संगीतमय रूप से स्थानांतरित करते हैं जिसे स्थानीय रूप से ‘मटकी’ कहा जाता है।
(9) भगोरिया नृत्य- यह नृत्य भील आदिवासियों द्वारा किया जाता है यह नृत्य मुख्य रूप से दूल्हे की पार्टी का स्वागत और मनोरंजन करने के लिए करते हैं। इसके द्वारा खुशी और शुभ अवसर की भावना व्यक्त होती है।
(10) बिलमा नृत्य – बैगा आदिवासियों द्वारा किया जाने वाला विल्मा नृत्य प्रेम प्रसंग पर आधारित है।
(11) रीना नृत्य- यह नृत्य दीपावली के बाद बैगा एवं गोंड आदिवासी महिलाओं द्वारा किया जाता है।
(12) चटकारा नृत्य- यह कोरबा आदिवासियों के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
(13) बदेरी नृत्य- यह नृत्य ग्वाला एवं गुर्जर जाति के लोगों द्वारा किया जाता है ।
(14) सुवा नृत्य- मध्य प्रदेश की बैगा जनजाति के द्वारा सुवा नाच किया जाता है ।
(15) नौराता- मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में अविवाहित लड़कियों के लिए इस नृत्य का विशेष महत्त्व है। नौराता नृत्य के जरीये, बिनब्याही लडकियां एक अच्छा पति और वैवाहिक आनंद की मांग करते हुए भगवान का आह्वान करती है।
(16) अहिराई- भरम, सेटम, सैला और अहिराई, मध्यप्रदेश की ‘भारीयां’ जनजाति के प्रमुख पारंपरिक नृत्य हैं। भारीयां जनजाति का सबसे लोकप्रिय नृत्य, विवाह के अवसर पर किया जाता है।
(17) तृतीली नृत्य –तृतीली नृत्य मध्य प्रदेश में ‘कमर’ जनजाति का एक लोक नृत्य है।
(18) जवारा नृत्य – यह नृत्य ‘बुंदेलखंड’ क्षेत्र के लोग धन का जश्न मनाने के लिए इस नृत्य को करते हैं। पुरुष और महिलाएं, रंगीन वेशभूषा में नृत्य करते हैं महिलाएं अपने सिर पर ‘जवारा’ से भरी टोकरियाँ भी रखती हैं।
(19) फूल पाटी नृत्य – यह नृत्य होली के त्योहार के समय किया जाता है।
(20) ग्रिडा नृत्य – ग्रिडा नृत्य मध्य प्रदेश के लोगों द्वारा किया जाता है जब क्षेत्र में रबी की फसल बोई जाती है।
मध्य प्रदेश के लोक नृत्य से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न. मटकी नृत्य का प्रचलन किस क्षेत्र में है?
उत्तर- मालवा
प्रश्न. खजुराहो नृत्य समारोह कब शुरू किया गया?
उत्तर- वर्ष 1976 में
प्रश्न. बधाई नृत्य किस क्षेत्र का नृत्य है?
उत्तर- बुंदेलखंड
प्रश्न. लहंगी नदी किन लोगों का नृत्य है?
उत्तर- कंजर, बंजारों एवं सहारिया लोगों का
प्रश्न. गौचो नदी किन के द्वारा किया जाता है?
उत्तर- गोंडों के द्वारा
प्रश्न. रीना नृत्य को किस अन्य नाम से जाना जाता है?
उत्तर- तपाडी
प्रश्न. विवाह के समय पर बैग आदिवासियों द्वारा बारात की अगवानी के समय कौन सा नृत्य किया जाता है?
उत्तर- परधोनी नृत्य
प्रश्न. वेगा तथा गोंड स्त्रियों द्वारा दीपावली के बाद किया जाने वाला नृत्य है?
उत्तर- रीना नृत्य
प्रश्न. कोरकू को आदिवासियों का नृत्य है?
उत्तर- चटकोरा नृत्य
प्रश्न. भीलो द्वारा किया जाने वाला नृत्य है?
उत्तर- भगोरिया हॉट
प्रश्न. गोंड जनजाति का मुख्य नृत्य है?
उत्तर- करमा
प्रश्न. मटका नृत्य संबंधित है?
उत्तर- मालवा से
प्रश्न. कानरा नृत्य किस जनजाति द्वारा मनाया जाता है?
उत्तर- धोबी
प्रश्न. किस नृत्य का जन्म स्थान उज्जैन है?
उत्तर- माचा
प्रश्न. मध्यप्रदेश में ढिमराई कहां का लोक नृत्य है?
उत्तर- बुंदेलखंड का लोक नृत्य
दोस्तों, हमने मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख लोक नृत्य (Madhya Pradesh ke Lok Nritya ) के बारे में जानकारी आपके साथ साझा की है जोकि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते रहने के लिए आप हमारी वेबसाइट को बुकमार्क अवश्य कीजिए साथी आप हमारे फेसबुक पेज के साथ भी जुड़ सकते हैं जहां आप सभी सरकारी नौकरियों से संबंधित नवीनतम जानकारी एवं अध्ययन नोट्स प्राप्त कर पाएंगे।
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