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हिंदी भाषा शिक्षण की विधियाँ नोट्स (Hindi Teaching Methods) For CTET & TET

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हिन्दी भारत की राजभाषा और दुनिया में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है, हिन्दी बहुत समृद्ध भाषा है जिसे सीखने और पढ़ने के लिए अलग-अलग तरीक़े है। यदि आप हिन्दी भाषा के शिक्षक बनने की योजना बना रहे है, तो आपको विभिन्न हिंदी शिक्षण विधियों के बारे में पता होना चाहिए। ये विधियाँ आपको प्रभावी ढंग से हिंदी पढ़ाने में मदद कर सकती हैं।

इस आर्टिकल में हम हिंदी भाषा और इसकी शिक्षण विधियां (Hindi teaching methods) के नोट्स आपके साथ शेयर कर रहे हैं। यहाँ हमने हिंदी की शिक्षण विधियों को बहुत ही विस्तार से समझाया है। जैसे- प्रत्यक्ष विधि,अनुकरण विधि, व्याख्यान विधि, इकाई विधि, आगमन एवं निगमन विधि, प्रोजेक्ट विधि,समस्या समाधान विधि, समवाय विधि, पाठ्यक्रम विधि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

मुझे आशा है कि यह लेख हिंदी भाषा शिक्षण में रुचि रखने वाले सभी शिक्षकों के लिए उपयोगी होगा।

हिंदी भाषा शिक्षण की विधियां से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में जैसे कि CTET, UPTET, REET, MPTET ,HTET,2nd grade hindi teaching method में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इन सभी परीक्षाओं की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय होता है। आशा है, यह पोस्ट आप सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

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हिंदी शिक्षण की महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Important Definition of Hindi Teaching)

“एक अध्यापक,  विद्यार्थियों को पढ़ाने, ज्ञान प्रदान करने हेतु जो भी तरीके काम में लेता है वे सभी शिक्षण की विधियां कहलाती है।”

विभिन्न प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा हिन्दी शिक्षण की परिभाषाएँ दी है, सभी प्रमुख नीचे दी गई है-

प्लूटो के अनुसार- “ विचार आत्मा की मुखिया अध्वआत्मक बातचीत है पर वही जब ध्यानात्मक होकर फोटो पर प्रगट होती है तो इसे भाषा की संज्ञा देते हैं।”

महात्मा गांधी के अनुसार- ” हस्तलिपि का खराब होना अधूरी पढ़ाई की निशानी है।”

पतंजलि के अनुसार- ” भाषा वह व्यापार है जिसमें हम वर्णनात्मक या व्यक्त शब्द द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं।”

कामता प्रसाद गुरु के अनुसार – ” भाषा व साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों तक भली-भांति प्रगट कर सकता है।”

सीताराम चतुर्वेदी के अनुसार- ” भाषा केआविर्भावसे सारा संसार गूंगो की विराट बस्ती बनने से बच गया।”

सुमित्रानंदन पंत के अनुसार –

“भाषा संसार का नादमय में चित्रण है।,”

” ध्वनि में स्वरूप है”,” ह्रदय तंत्र की झंकार है”

किटसन के अनुसार-” किसी भाषा को पढ़ने और लिखने की अपेक्षा बोलना सीखना सबसे छोटी पगडंडी को पार करना है।”

देवेंद्र शर्मा के अनुसार – ” भाषा की न्यूनतम पूर्ण सार्थक इकाई वाक्य ही है।”

महात्मा गांधी के अनुसार – ” सुलेख व्यक्ति की शिक्षा का एक आवश्यक पहलू है।”

चोमस्की के अनुसार – ” बच्चों में भाषा सीखने की जन्मजात योग्यता है।”

वाइगोस्की के अनुसार – ” बच्चे अपने सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश से अर्थ ग्रहण करते हैं।”

पियाजे के अनुसार – ” अहम केंद्रित भाषा की संकल्पना किसके साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी है।”

बैलर्ड के अनुसार – ” पहला और अंतिम वाक्य कंठस्थ कर लेना चाहिए। पहले वाक्य से आत्मविश्वास आता है, और अंतिम से श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।”

विश्वनाथ के अनुसार – ” रसात्मक वाक्य को कविता कहते हैं।”

स्वीट के अनुसार –

“ध्वन्यात्मक शब्द द्वारा विचारों का प्रगति करण भाषा है।”

“व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण है”

कलराज के अनुसार –

” मातृभाषा मनुष्य के हृदय की धड़कन की भाषा है।”

” सब पढ़े सब बढ़े” नारा दिया गया – सर्व शिक्षा अभियान

हिंदी भाषा की शिक्षण विधियां

(1)  अनुकरण विधि (Simulation method)  

1.  लिखित अनुकरण

(a)  रूपरेखा लेखन:   रूपरेखा लेखन में विद्यार्थी अक्षरों की आकृति बनाना सीखते हैं।

(b)  स्वतंत्र लेखन:  इसमें अध्यापक श्यामपट्ट पर पूरा शब्द लिखता है  और विद्यार्थी अपने अध्यापक का अनुकरण करते हैं और स्वयं उसी प्रकार के अक्षर लिखते हैं  यह मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर हेतु उपयोग में लाई जाती है।

2.  उच्चारण अनुकरण   

अध्यापक बोल बोल कर शब्दों का उच्चारण विद्यार्थियों को सिखाता है और बालक उच्चारण का अनुकरण कर उस शब्द को बोलना सीखते हैं।

3.रचना अनुकरण  

रचना अनुकरण द्वारा एक बालक भाषा शैली पर आधारित रचनाओं के बारे में लिखना सीखना है इसमें विद्यार्थियों को अभ्यास करने हेतु कोई कविता लेख लिखने हेतु दिया जाता है यह विधि केवल उच्च कक्षाओं हेतु उपयोगी है।

4.  मारिया मांटेसरी विधि  

यह भी पढ़ें : हिंदी साहित्य से महत्वपूर्ण प्रश्न

1.  कर्मेंद्रीय शिक्षण

2.  ज्ञानेंद्रिय शिक्षण

3.  भाषा

4.  गणित

अनुकरण विधि की कुछ महत्वपूर्ण  बिंदु इस प्रकार है

(2) प्रत्यक्ष विधि (Direct method)

दोष:

यह भी पढ़ें: हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं उनकी रचनाएँ

(3) व्याकरण विधि (Grammar method)

(4) इकाई विधि (Unit method)

इकाई शिक्षण विधि की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं

मॉरीसन के अनुसार:” इकाई शिक्षण विधि की प्रक्रिया वातावरण संगठित कला एवं विज्ञान है।”

अन्य के अनुसार:” इकाई विधि में शिक्षण का स्वरूप”संपूर्णता” ज्ञान खंडों में नहीं।”

इकाई शिक्षण विधि में मुख्य रूप से दो बातों का ध्यान रखा जाता है

(1)  शिक्षण का उद्देश्य

(2)  विषय वस्तु की प्रकृति

विषय वस्तु का विभाजन:  सत्र के अनुसार संपूर्ण पाठ्यक्रम को सत्र अनुसार विभाजन किया जाता है।

# विषय वस्तु : प्रस्तावना:  प्रस्तावना में सबसे पहले विद्यार्थी का पूर्व ज्ञान देखा जाता है पूर्व ज्ञान के अनुसार ही शिक्षण के उद्देश्य बनाए जाते हैं।

# प्रस्तुतीकरण: प्रस्तुतीकरण में यह देखा जाता है कि कौन कौन सी शिक्षण सामग्री के तहत नवीन ज्ञान प्रदान किया जा सकता है।

मूल्यांकन: नवीन ज्ञान प्रदान करने के पश्चात मूल्यांकन में यह देखा जाता है कि विद्यार्थी ने कितना नवीन ज्ञान प्राप्त किया है।

अन्य शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार :अन्य शिक्षा शास्त्रियों ने भी इकाई विधि के तीन चरण बताए है।

1.  प्रस्तावना

2. विकास

3.  पूर्ति

मॉरीसन के अनुसार इकाई शिक्षण विधि के पद

1.  अन्वेषण

2. प्रस्तुतीकर

3. आत्मीय करण

4.  संगठन/  सुव्यवस्थित करण

5. आत्मभिव्यक्ति/ वाचन/ मूल्यांकन

दोष

 (5) आगमन विधि (Arrival method)

आगमन विधि की प्रणाली

प्रयोग  प्रणाली सहयोग  प्रणाली
प्रथम उदाहरण को समझाया जाता है इसके पश्चात नियमों के बारे में बताया जाता है अतः“प्रयोग विधि” कहलाती है इसमें रचना शिक्षण की जानकारी, इसके साथ साथ गद्य शिक्षण एवं व्याकरण के नियमों की जानकारी दी जाती है

आगमन विधि के सोपान

1  उदाहरण

2  विश्लेषण/ निरीक्षण

3  निष्कर्ष/  नियमीकरण

4 Pratice/अभ्यास/ परीक्षण

आगमन विधि के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  (6) निगमन विधि(Deductive Method)

महत्वपूर्ण तथ्य

1. सूत्र प्रणाली
2. पाठ्य पुस्तक

उदाहरण: अव्यय , सर्वनाम

निगमन विधि के सोपान :

1. नियम
2.  विश्लेषण
3.  उदाहरण

निगमन विधि से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

(7) प्रयोजन विधि (Purpose method)

प्रयोजन विधि की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं
किलपैट्रिक के अनुसार- “ प्रोजेक्ट एक वह उद्देश्य कार्य है जिससे लगन के साथ सामाजिक वातावरण में किया जाता है।”

स्टीवेंसन के अनुसार- “योजना एक समस्या मूलक कार्य है जिसे प्राकृतिक स्थिति में पूरा किया जाता है।” बैलार्ड के अनुसार- “ प्रोजेक्ट वास्तविक जीवन का एक छोटा सा अंश है  जिसे विद्यालय में संपादित किया जाता है।”

(8) प्रोजेक्ट विधि (Project method)

1. इस विधि के अनुसार विद्यार्थी अपनी समस्या का हल स्वाभाविक रूप से खोजने की कोशिश करता है और उस समस्या का हल भी करता है।

2. इस विधि में विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से कार्य करता है एवं अपनी समस्याओं का हल अपने स्वयं के विचारों के आधार पर करता है।

3. इस विधि में सर्वप्रथम विद्यार्थियों को उद्देश्य  को स्पष्ट किया जाता है तत्पश्चात उस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करते हैं।

4.  इस विधि के द्वारा विद्यार्थी अपने अनुभवों के आधार पर कार्य करता है क्योंकि अनुभव द्वारा सीखे गए ज्ञान को विद्यार्थी कभी भी भूलता नहीं है।

5.  यह विधि वास्तविकता के सिद्धांत पर कार्य करती है क्योंकि यह विद्यार्थियों को इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करती है जिससे फल स्वरुप वे अपने जीवन की समस्याओं का भी समाधान कर सकें।

6. इस विधि द्वारा सभी विषयों का ज्ञान प्रदान किया जा सकता है।

7. यह एक ”बाल केंद्रित शिक्षा” है ।

8. इस विधि में विद्यार्थी सक्रिय/ क्रियाशील रहते हैं समूह में रहकर कार्य करना सीखते हैं इससे उनमें आत्मविश्वास भी पैदा होता है।

दोष

प्रोजेक्ट विधि के सोपान/Steps

1.कार्यक्रम योजना बनाना

 2. क्रियान्वयन करना

 3. मार्गदर्शन करना

  4. मूल्यांकन करना

  इस प्रकार इस विधि द्वारा बालक व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं, निरंतर क्रियाशील रहते हैं उनमें चिंतन शक्ति का विकास होता है एवं आप से सहयोग करना सीखते हैं साथ ही रुचि के अनुसार कार्य करना भी सीखते हैं।

प्रक्रिया

1.  समस्या का पता लगाना

2.  समस्याओं में से एक का चुनाव करना

3.  रूपरेखा बनाना हल करने हेतु

4. विधि का प्रयोग करना

5. विश्लेषण करना

6.  मूल्यांकन/  निष्कर्ष

(9)  समस्या समाधान विधि (Problem solving method)

वुड के अनुसार : ” समस्या विधि निर्देशन की वह विधि है जिसके द्वारा सीखने की प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है जिसका समाधान करना आवश्यक है।”   

समस्या समाधान विधि के चरण

1.  समस्या विधि का चयन

2.  समस्या का प्रस्तुतीकरण

3.   उसे हल करने हेतु तथ्यों का एकत्रीकरण

4.   विश्लेषण/ सामान्यीकरण   

5. मूल्यांकन/ निष्कर्षण

दोष

(10) समवाय विधि 

इस विधि की कुछ प्रमुख सिद्धांत

1.  फ्रोबेल की जीवन केंद्रित शिक्षा

2.  गांधी जी का समवाय का सिद्धांत

3.  जिल्लर  का केंद्रीकरण का सिद्धांत

दोष:

(11) प्रदर्शन विधि (Display method)

प्रदर्शन विधि के सिद्धांत

1.  सरल से कठिन की ओर

2.  मूर्त से अमूर्त की ओर

3.   प्रदर्शन विधि का सतत मूल्यांकन

4. अधिगम में विद्यार्थियों की सहभागिता

5.  संसाधनों को आयोजित करने का तरीका ज्ञात करना

प्रदर्शन विधि की प्रमुख विशेषताएं

1. प्रदर्शन विधि द्वारा प्रदर्शन को धीमी धीमी गति से धीरे-धीरे दिया जाता है जिससे विद्यार्थियों में स्थाई ज्ञान का विकास होता है।

2. यह एक मनोवैज्ञानिक विधि है।

3.  इस विधि के माध्यम से जो भी विषय वस्तु से संबंधित  ज्ञान प्राप्त किया जाता है उसका अच्छे से स्पष्टीकरण हो जाता है।

4.  प्रदर्शन विधि के माध्यम से कक्षा में रुचि बनी रहती है।

5.  प्रदर्शन विधि के माध्यम से व्याख्यान करने में शिक्षक को कम समय लगता है। इसके साथ ही साथ परिश्रम भी कम लगता है एवं विद्यार्थी स्वयं देख कर सकते हैं।

6.  छात्रों में प्रदर्शन विधि द्वारा समझे गए ज्ञान से चिंतन एवं निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।

7.  यह विधि “Learing By Doing” के सिद्धांत पर कार्य नहीं करती है, क्योंकि अध्यापक विद्यार्थियों के समक्ष केबल प्रयोग/ प्रदर्शन करते हैं। विद्यार्थी सुनकर ही विषय वस्तु को समझते हैं।

8. प्रदर्शन विधि के अंतर्गत प्रदर्शन हमेशा विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्तर के अनुसार बनाया जाता है।

9.  यह विद्यार्थियों को वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्रदान करती है इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है।

10.   अधिक संख्या वाले विद्यार्थियों हेतु यह विधि प्रभावशाली नहीं होती है।

(12) डाल्टन विधि (Dalton Law)

डाल्टन विधि की प्रमुख विशेषताएं

1.  इस विधि द्वारा विद्यार्थी स्वयं की क्रियाओं एवं अनुभवों के माध्यम से सीखता है।

2.  कार्य/असाइनमेंट हेतु हर विद्यार्थियों को निश्चित समय दिया जाता है।

3.  इस विधि द्वारा बालकों में स्वाध्याय/स्वयं कार्य करने की क्षमता का विकास होता है।

4.  बालकों को सूची अनुसार कार्य करने दिया जाता है।

5.  बालकों को पुणे स्वतंत्रता दी जाती है।

(13) व्याख्यान विधि (Lecture method)

दोष

(14) भाषा संसर्ग विधि

(15) पाठ्यपुस्तक विधि

पाठ्यपुस्तक विधि में बच्चों को विषय से संबंधित/ व्याकरण की पुस्तक के दी जाती है इस पुस्तक में व्याकरण से संबंधित टॉपिक्स के नियम एवं उदाहरण दोनों दिए हुए होते हैं। शिक्षक उन नियमों को उदाहरण के माध्यम से समझाता है और अभ्यास करवाता है।

(16) चित्र रचना विधि

चित्र रचना विधि में विद्यार्थियों को कुछ चित्र दिए जाते हैं ।उन क्षेत्रों से संबंधित बाला को को कहानी लिखने को कहा जाता है सभी मित्रों को बालक बारी-बारी से देखता है एवं पूरी कहानी लिखता है यह विधि प्राथमिक स्तर हेतु उचित नहीं मानी जाती है छोटी कक्षाओं में मोक्ष विधि द्वारा कहानी संभव है इस विधि द्वारा विद्यार्थी में लेखन शक्ति का विकास हो।

(17) शब्दार्थ विधि/ अर्थबोध विधि

इस विधि में शिक्षक, विद्यार्थियों को कठिन शब्दों का अर्थ कराते हुए शिक्षण करवाता है यह प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं हेतु उपयोगी है।

(18) व्यास विधि

यह विधि कक्षाओं को भाग प्रधान कविताओं को पढ़ाने हेतु काम में ली जाती है इसमें भाव एवं कला दोनों पक्षों को कथा के माध्यम से समझाया जाता है।शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है । 

इस पोस्ट में हमने हिन्दी भाषा और इसकी शिक्षण विधियाँ pdf (hindi teaching methodsआप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!!

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