मम प्रियं पुस्तकम् (Mam Priya Pustak Essay In Sanskrit)
श्रीमद्भगवद्गीता मम् अत्यन्त प्रियम् पुस्तकम् अस्ति। श्रीमद्भगवद्गीता महर्षिणा वेदव्यासेन विरचिता। गीतायां सर्वत्र भगवानेनव प्रतिपाद्यः अर्जुनस्य दशाम् विलोक्य श्रीकृष्णः अर्जुनस्य प्रबोधपितुम् तस्य अज्ञान अन्धकारम् ज्ञानाञ्जनशलाकया दूरी कर्तुम् गीता ज्ञानामृतं उद्गीर्णवान्। अष्टादश अध्यायेषु विभक्ता श्रीमद्भगवद्गीता अध्यात्म कर्म ज्ञान भक्ति ध्यान संन्यास आदि मार्ग उपदेशिका। गीतायां सरल पथ दर्शनने सहैव पद्यस्य उत्कृष्टा स्वरूपम् दृश्यते। श्रीमद्भगवते संस्कृत साहित्ये प्रचलित विषयवस्तु विवेचनम् अत्यन्तम् विशद्रूपेण विद्यते। श्रीमद्भगवद्गीतायाः विश्वस्य सर्वासु भाषासु अनवादो जातः। |