List of Tatsam Tadbhav Words In Hindi: हिंदी व्याकरण में तत्सम और तद्भव शब्दों का अध्ययन करना न केवल हमारी भाषा की जड़ों को समझने के लिए आवश्यक है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। संस्कृत से उत्पन्न इन शब्दों ने हिंदी भाषा को समृद्ध बनाया है।
इस आर्टिकल में हम आपको तत्सम और तद्भव शब्दों की परिभाषा, उनके उदाहरण, पहचानने के नियम, और परीक्षा में बार-बार पूछे जाने वाले सभी महत्वपूर्ण शब्दों की सूची प्रदान करेंगे। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाना चाहते हैं या हिंदी भाषा की गहराई को समझना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए एक उपयोगी मार्गदर्शक साबित होगा। आइए, विस्तार से जानते हैं इन शब्दों की पूरी जानकारी।
(1) तत्सम शब्द की परिभाषा उदाहरण सहित
“तत्सम” शब्द संस्कृत के दो शब्दों, तत् और सम्, से मिलकर बना है। इसमें तत् का अर्थ है “उसके” और सम् का अर्थ है “समान”। यानी “ज्यों का त्यों।” संस्कृत भाषा से ऐसे शब्द, जिनमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया हो और जिन्हें मूल रूप में ही स्वीकार किया गया हो, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
इन शब्दों में ध्वनि या संरचना का कोई बदलाव नहीं होता। यही कारण है कि तत्सम शब्द अपनी प्राचीनता और शुद्धता को बनाए रखते हैं। हिंदी के साथ-साथ बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और सिंहली जैसी कई भाषाओं ने संस्कृत से ऐसे शब्द सीधे अपनाए हैं। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि इनमें से अधिकांश भाषाएँ संस्कृत से प्रभावित हैं या उससे विकसित हुई हैं।
उदाहरण:
- अग्नि (संस्कृत) – हिंदी में “अग्नि”
- सूर्य (संस्कृत) – हिंदी में “सूर्य”
- विद्या (संस्कृत) – हिंदी में “विद्या”
- गगन (संस्कृत) – हिंदी में “गगन”
इस प्रकार, तत्सम शब्द हमारी भाषाई धरोहर का हिस्सा हैं, जो संस्कृत के गौरवशाली इतिहास को सजीव रखते हैं।
(2) तद्भव शब्द की परिभाषा उदाहरण सहित
तद्भव शब्द उन शब्दों को कहते हैं, जो संस्कृत भाषा से उत्पन्न होकर समय और परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित हो गए हैं। इन शब्दों का मूल संस्कृत होता है, लेकिन इनकी ध्वनि, उच्चारण और रूप बदल चुका होता है। “तद्भव” शब्द का शाब्दिक अर्थ है – “उससे उत्पन्न” (तत् + भव = उससे बना)। यहां तत् संस्कृत भाषा की ओर संकेत करता है, यानी ये शब्द संस्कृत से ही जन्मे हैं।
तद्भव शब्दों की यात्रा संस्कृत से शुरू होती है और यह पालि, प्राकृत, और अपभ्रंश जैसी भाषाओं से गुजरती हुई आधुनिक भाषाओं तक पहुँचती है। इन शब्दों में संस्कृत के शब्दों की सरलता और आम बोलचाल में प्रयोग के अनुसार बदलाव देखा जा सकता है।
उदाहरण:
- मुख से मुँह
- ग्राम से गाँव
- दुग्ध से दूध
- नवीन से नया
- शत्रु से सत्रु
तद्भव शब्द हमारी भाषाई विकास यात्रा का प्रमाण हैं, जो यह दर्शाते हैं कि समय के साथ भाषा कैसे सरल और व्यवहारिक रूप धारण करती है। ये शब्द न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि दैनिक जीवन में हमारी बातचीत को भी सहज और प्रभावी बनाते हैं।
»तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के नियम :-
- तत्सम शब्दों के पीछे ‘क्ष’ वर्ण का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों के पीछे ‘ख’ या ‘छ’ शब्द का प्रयोग होता है। जैसे – पक्षी = पंछी
- तत्सम शब्दों में ‘श्र’का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में ‘स’ का प्रयोग हो जाता है। जैसे – धन्नश्रेष्ठी = धन्नासेठी
- तद्भव शब्दों में ‘ब’ का प्रयोग होता है और तत्सम शब्दों में ‘व’ का प्रयोग होता है ।
- तद्भव शब्दों में ‘स’ का प्रयोग हो जाता है और तत्सम शब्दों में ‘श’ का प्रयोग होता है ।
- तत्सम शब्दों में ‘ष’ वर्ण का प्रयोग होता है।
- तत्सम शब्दों में ‘ऋ’ की मात्रा का प्रयोग होता है।
- तत्सम शब्दों में ‘र’ की मात्रा का प्रयोग होता है।
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List of Tatsam Tadbhav Words In Hindi PDF
यहाँ शब्दों की सूचि में हम तत्सम शब्द = तद्भव शब्द दे रहे हैं। जिससे आपको ज्ञात हो की कौन-सा शब्द वैदिक समय में किस तरह उच्चारित किया जाता था और आज वह तद्भव शब्द के रूप में किस तरह प्रचलित हो गया है।
तत्सम – तद्भव |
अंतःकथा – अंतर्कथाअँगुली – उँगली अंतःराष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय अक्षि – आँख अक्षर – आखर अग्नि – आग आश्र्चय – अचरच उलूक – उल्लू अंबा – अम्मा अस्थि – हड्डी आश्रय – आसरा आम्र – आम आशिष – आशीष ओष्ठ – ओठ उपर्युक्त – उपरोक्त कज्जल – काजल कपाट – किवाड़ कंकण – कंगन कच्छप – कछुआ कार्य (कर्म) – काम (काज) कर्ण – कान कपोत – कबूतर कातर – कायर अज्ञान – अनजान अष्ट – आठ पृष्ठ – पीठ छिद्र – छेद छत्र – छतरी जिह्वा – जीभ जंघा – जाँघ ज्येष्ठ – जेठ इक्षु – ईख गर्दभ – गधा गृध – गीध गौर – गोरा गोधूम – गेहूं ग्राम – गाँव गणना – गिनती गृह – घर घट – घड़ा घृत – घी चंद्र – चाँद चंद्रिका – चाँदनी चर्म – चाम चैर – चोर चर्मकार – चमार चूर्ण – चूरण चैत्र – चैत चंचु – चोंच काष्ठ – काठ कुठार – कुल्हाड़ा कुंभकार – कुम्हार आर्द्रक – अदरक अग्र – आगे अहिफेन – अफीम अट्टालिका – अटारी अमृत – अमी अद्य – आज नासिका – नाक नाथ – नाह नृत्य – नाच निद्रा – नींद पक्ष – पंख पंच – पाँच अर्ध – आधा कुमार – कुँवर / कुँवारा कुष्ठ – कोढ़ कटु – कड़ुवा कर्पूर – कपूर कूप – कुआँ कृष्ण – किशन कृपा – किरपा कोकिल – कोयल कपर्दिका – कौड़ी परीक्षा – परीच्छा पत्र – पता पानीय – पानी पाद – पाँव पुत्र – पूत पितृ – पिता काक – कौआ कर्म – करम उज्जवल – उजला उष्ट्र – ऊँट इष्टिका – ईंट नग्न – नंगा प्रतिवासी – पड़ोसी पौत्र – पोता प्रस्तर – पत्थर भक्त – भगत भ्राता – भाई भातृज – भतीजा भगिनी – बहन भिक्षा – भीख भ्रमर – भौंरा मार्ग – मग मिरच – मिर्च धैर्य – धीरज धूम्र – धुआँ मिष्ट – मीठा मित्र – मीत मस्तक – माथा मूल्य – मोल मृत – मरा मुख्य – मुखिया मातृष्वसा – मौसी मुष्टि – मुट्ठी यमुना – जमुना योगी – जोगी रत्न – रतन राष्ट्रिय – राष्ट्रीय लज्जा – लाज लवंग – लैंग त्वरित – तुरंत तैल – तेल दश – दस दुग्ध – दूध दधि – दही दीप-दीपक – दिया द्वि – दो विवाह – ब्याह शय्या – सेज शाक – साग शुष्क – सूखा श्वसुर – ससुर श्वश्रू – सास स्फूर्ति – फुर्ती (फुरती) पण – प्रण पक्षिवर्ग – पक्षीवर्ग वायु – बयार वधू – बहू बिंदु – बूँद मुख – मुँह मूषक – मूसा मेघ – मेह मृत्तिका – मिट्टी मंत्रिगण – मंत्रीगण मनुष्य – मनुज यशोगान – यशगान यम – जम यज्ञ – जज्ञ राजा – राय रात्रि – रात लोक – लोग वधू – बहू वर्षा – बरखा शर्करा – शक्कर शिर – सिर श्यामल – साँवला श्वास – साँस सत्य – सच सपत्नी – सौत सिंचन – सेचन श्रृग – सींग स्वामी – साई स्वप्न – सपना सौभाग्य – सुहाग श्रेष्ठी – सेठ सायम् – शाम स्तन – थन सूचिका – सुई हास – हँसी हस्ती – हाथी क्षीर – खीर क्षमा – छमा क्षत्रिय – खतरी सर्प – साँप श्राप – शाप सर्षप – सरसों श्रृंखला – साँकल सप्त – सात शीर्ष – सीस शिक्षा – सीख स्थल – थल स्नेह – नेह ससर्प – सरसों सपत्नी – सौत स्वर्णकार – सुनार शूकर – सूअर सूर्य – सूरज हस्त – हाथ हरिद्रा – हल्दी क्षेत्र – खेत क्षण – छिन त्रिणी – तीन त्रयोदष – तेरह सर्प – साँप श्रंगार – सिंगर शत – सौ सप्त – सात शर्कर – शक्कर |
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