पाणिनी के महेश्वर सूत्र पर आधारित प्रश्न उत्तर |Maheshwar Sutra Important Questions

संस्कृत व्याकरण का आधार माने जाने वाले पाणिनी के महेश्वर सूत्र न केवल भाषा को व्यवस्थित करने का माध्यम हैं, बल्कि भारतीय भाषाओं के अध्ययन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस पोस्ट में, हम आपके लिए महेश्वर सूत्र पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर (Maheshwar Sutra Important Questions) प्रस्तुत कर रहे हैं, जो CTET, UPTET, REET, KV, Bihar TET, MPTET जैसी सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

महेश्वर सूत्र पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी का मूल आधार है, जो संस्कृत के स्वर और व्यंजनों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करता है। इन प्रश्नों का अध्ययन न केवल आपकी परीक्षा की तैयारी को मजबूत करेगा, बल्कि आपको संस्कृत व्याकरण की गहराई को भी समझने में मदद करेगा।

यदि आप शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इन महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को अवश्य पढ़ें। यह आपके रीट, टेट या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित होगा।

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Maheshwar Sutra Important Questions (महेश्वर सूत्र पर आधारित प्रश्न उत्तर)

व्याख्या- पाणिनि द्वारा दिए गए 14 माहेश्वर सूत्रों के आधार पर प्रत्याहार बने हैं
यह 14 माहेश्वर सूत्र हैं- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम् ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।

पाणिनि के सूत्रों से हल प्रत्याहार के अंतर्गत व्यंजनों की गणना की है जिसमें 10 महेश्वर सूत्र आते हैं जोकि निम्नलिखित हैं- व्यंजनों के लिए ५ से १४ यह माहेश्वर सूत्र होते है
५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।

प्रश्न- निम्नलिखित में से अंतिम प्रत्याहार सूत्र है
A.अइउण्।
B. हयवरट्।
C. हल्।
D. कपय्।
उत्तर- C. हल्।

प्रश्न- स्वरो के लिए महेश्वर सूत्रों की संख्या कितनी होती है
A. 4
B. 6
C. 8
D. 10
उत्तर- 4
व्याख्या-
इन पाणिनि के सूत्रों से ‘अच्’ प्रत्याहार के अन्तर्गत स्वरों की गणना की है। जिसके अन्तर्गत चार माहेश्वर सूत्र आते हैं-

  1. अइउण्,
  2. ऋलृक्,
  3. एओङ्,
  4. ऐऔच्।

प्रश्न- चौथा प्रत्याहार सूत्र होता है
A. ऐऔच्।
B. एओङ्।
C. अइउण्।
D. ऋऌक्।
उत्तर- A. ऐऔच्।

प्रश्न- महेश्वर सूत्रों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(A) वर्णों को याद रखना
(B) व्याकरणिक नियमों का निर्माण
(C) पाठ्यक्रम को सरल बनाना
(D) भाषा का प्रचार करना

उत्तर: (B) व्याकरणिक नियमों का निर्माण

व्याख्या:
महेश्वर सूत्रों का मुख्य उद्देश्य संस्कृत व्याकरण के नियमों को व्यवस्थित करना है। पाणिनी ने अपने ग्रंथ अष्टाध्यायी में इन सूत्रों का उपयोग करके धातु, प्रत्यय, संधि, समास आदि के नियम बनाए। इन सूत्रों के बिना व्याकरण को व्यवस्थित करना कठिन होता।

प्रश्न- महेश्वर सूत्रों में “अइउण्” का क्या अर्थ है?
(A) स्वर वर्ण
(B) व्यंजन वर्ण
(C) संयुक्त वर्ण
(D) अनुस्वार वर्ण

उत्तर: (A) स्वर वर्ण

व्याख्या:
महेश्वर सूत्रों में “अइउण्” स्वर वर्णों का समूह है। इसमें संस्कृत के मूल स्वर ‘अ, इ, उ’ और उनके विभिन्न रूप शामिल हैं। ‘ण्’ का उपयोग इन वर्णों को सूत्र के रूप में समाप्त करने के लिए किया गया है। यह व्याकरण में संधि और धातु परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न- “हल्” महेश्वर सूत्र में किन वर्णों का समूह है?
(A) स्वर वर्ण
(B) व्यंजन वर्ण
(C) अयोगवाह वर्ण
(D) केवल अनुस्वार

उत्तर: (B) व्यंजन वर्ण

व्याख्या:
महेश्वर सूत्रों में “हल्” व्यंजन वर्णों का समूह है। इसमें क, ख, ग, घ, ङ से लेकर ह तक के सभी व्यंजन शामिल हैं। पाणिनी ने व्याकरण में धातु और प्रत्यय के नियमों को व्यंजन वर्णों के आधार पर व्यवस्थित किया है।

प्रश्न- पाणिनी के अनुसार महेश्वर सूत्र किससे उत्पन्न हुए?
(A) वेदों से
(B) शिव के डमरू से
(C) ब्रह्मा के मुख से
(D) नारद मुनि से

उत्तर: (B) शिव के डमरू से

व्याख्या:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने तांडव नृत्य करते समय अपने डमरू से 14 ध्वनियों का उच्चारण किया, जिन्हें महेश्वर सूत्र कहा गया। इन ध्वनियों को पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण के नियमों के आधार के रूप में अपनाया।

प्रश्न- महेश्वर सूत्रों का पहला और अंतिम सूत्र कौन-सा है?
(A) “अइउण्” और “हल्”
(B) “अइउण्” और “ऋलृक्”
(C) “हल्” और “अइउण्”
(D) “ऋलृक्” और “हल्”

उत्तर: (A) “अइउण्” और “हल्”

व्याख्या:
महेश्वर सूत्रों में पहला सूत्र “अइउण्” है, जिसमें स्वर वर्ण शामिल हैं, और अंतिम सूत्र “हल्” है, जिसमें व्यंजन वर्ण आते हैं। ये दोनों सूत्र व्याकरण के संपूर्ण वर्णमाला को व्यवस्थित करते हैं।

प्रश्न- महेश्वर सूत्रों में कितने स्वर और कितने व्यंजन वर्ण हैं?
(A) 10 स्वर, 30 व्यंजन
(B) 13 स्वर, 33 व्यंजन
(C) 5 स्वर, 35 व्यंजन
(D) 20 स्वर, 28 व्यंजन

उत्तर: (B) 13 स्वर, 33 व्यंजन

व्याख्या:
महेश्वर सूत्रों में 13 स्वर वर्ण और 33 व्यंजन वर्ण शामिल हैं। इनके अलावा अयोगवाह वर्ण (अं, अः) भी शामिल होते हैं। पाणिनी ने इन वर्णों को विभिन्न सूत्रों में विभाजित किया।

प्रश्न- “अइउण्” और “ऋलृक्” में अंतर क्या है?
(A) स्वर और व्यंजन का
(B) दीर्घ और ह्रस्व स्वर का
(C) मूल स्वर और ऋकार स्वर का
(D) इनमें कोई अंतर नहीं है

उत्तर: (C) मूल स्वर और ऋकार स्वर का

व्याख्या:
“अइउण्” में मूल स्वर (अ, इ, उ) आते हैं, जबकि “ऋलृक्” में ऋकार स्वर (ऋ, लृ) आते हैं। दोनों महेश्वर सूत्र स्वर वर्णों के विभिन्न वर्गों को दर्शाते हैं।

महेश्वर सूत्र केवल व्याकरण का आधार नहीं हैं, बल्कि संस्कृत भाषा की संरचना और नियमों को समझने का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं। इन प्रश्नों का अभ्यास करना आपकी परीक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।

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