NCF 2005 Science In Hindi
छात्रों में विज्ञान की समझ (Understanding of science in students)
समझ एक प्रकार की संज्ञानात्मक प्रक्रिया है, जो बच्चे की स्मृति एवं प्रत्यक्षीकरण पर निर्भर करती है।
विज्ञान की पाठ्यचर्या (Curriculum of science) NCF 2005
- विज्ञान की शिक्षा बच्चों के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। शिक्षक को बच्चों को विज्ञान उन्हें केंद्र मानकर पढ़ाना चाहिए।
- विज्ञान पढ़ाने की भाषा, विषय वस्तु एवं प्रक्रिया उनकी आयु एवं स्तर के अनुकूल होनी चाहिए।
- विज्ञान की शिक्षा केवल पढ़ाने मात्र से नहीं दी जा सकती। अतः शिक्षक को छात्रों को सिखाने के अनुभव प्रदान करना चाहिए।
- विज्ञान शिक्षा छात्रों को उन तरीकों का ज्ञान कराने में सक्षम होनी चाहिए, जो उनकी रचनात्मक और जिज्ञासा को संपोषित करने वाली हो। सीखना धैर्य पूर्वक तरीके से हो।
- शिक्षक को सबसे पहले छात्र को सीखने में जोड़ने पर कार्य करना चाहिए। ताकि छात्र आने वाली परी कल्पनाओं को अच्छे से समझें।
- विज्ञान पाठ्यचर्या छात्रों में तार्किक चिंतन, वस्तुनिष्ठता वह तथा पूर्वाग्रह से मुक्त को विकसित करने वाली हो।
- विज्ञान शिक्षा उनके परिवेश से जुड़ी कथा उसके अनुकूल होनी चाहिए, ताकि वे अपने ज्ञान को अपने परिवेश से जोड़कर सीख सकें, तथा अपने ज्ञान का प्रयोग करने का कौशल विकसित कर सकें।
- प्रदर्शनी, प्रयोगों, कार्यकलापों, माड्यूल्स और रचनात्मकता से पाठ्यचर्या सहभागी को बढ़ावा देना चाहिए। यह विज्ञान समझ को विकसित करती हैं।
- बच्चों में विज्ञान विषय की समझ पैदा होने से अनेक स्वभाव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ साथ उनके कार्य करने के तरीकों में भी स्पष्ट बदलाव आता है।
- शिक्षार्थियों को ऐसी प्रक्रियाओं में व्यस्त रखा जाना चाहिए, जो वैज्ञानिक सोच को पैदा करने की दिशा में ले जाती है।
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पाठ्यक्रम(Syllabus)
‘अच्छी विज्ञान शिक्षा’ को कुछ आधारभूत वैधता को पूरा करना चाहिए। ncf-2005 के अनुसार पाठ्यक्रम बनाने के लिए विभिन्न विधाओं को आधार माना गया है।
1. संज्ञानात्मक वैधता (Cognitive Validity)
- आयु के अनुसार विज्ञान पाठ्यक्रम इस प्रकार का होना चाहिए जो बच्चों को आसानी से समझ आ जाए।
- बच्चों के लिए विज्ञान अर्थपूर्ण एवं प्रश्नोंचित ढंग से सीखने की प्रक्रिया होना चाहिए।
- विज्ञान की समाज उनके दैनिक जीवन से जुड़ी होनी चाहिए, ताकि वे उस समझ से संबंधित कार्य कर सकें।
2 प्रक्रियात्मक वैधता (Procedural Validity)
- कक्षा में विज्ञान शिक्षण प्रक्रिया इस प्रकार होनी चाहिए कि छात्र प्राप्त ज्ञान एवं जानकारी को प्रमाणित कर सकें। प्रयोगों द्वारा समझ को विकसित कर सके।
- ज्ञान को प्रमाणित करने के लिए छात्रों को प्रक्रियाओं, प्रयोगो, प्रोजेक्ट कार्य में व्यस्त रखना चाहिए ताकि वे स्वयं करना सीखें।
- प्रक्रियाएं छात्रों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा तथा रचनात्मकता को बढ़ावा देती है।
3 विषय वस्तु वैधता (Subject-matter Validity)
- विज्ञान की विषय वस्तु ऐसी होनी चाहिए जो साधारण शब्दों में सही एवं सटीक वैज्ञानिक जानकारी दें। स्पष्ट, गलत एवं अपूर्ण निर्देश देने वाले पाठ्यक्रम को हटा देना चाहिए।
- विषय वस्तु छात्रों की आयु के अनुसार होनी चाहिए तथा उसकी समझ उनके दैनिक जीवन की समस्याओं से भी संबंधित होने चाहिए।
- कठिन विषय वस्तु को सरल भाषा में देना चाहिए जिससे कि यह आसानी से समझ आ सके।
4 नैतिक वैधता (Moral Validity)
- विज्ञान का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो छात्रों में ईमानदारी, अखंडता, सहयोग के साथ कार्य करना आदि मूल्यों का विकास कर सके।
- समाज में व्याप्त भय , बुराई, पूर्वाग्रह तथा अंधविश्वास जैसी बुराइयों से मुक्त रखने वाली है।
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5 ऐतिहासिक वैधता (Historical Validity)
- इससे यह जानने में सहायता मिलती है कि विज्ञान की अवधारणाओं का विकास किस तरह से हुआ।
- विद्यार्थी को यह ज्ञान होता है कि किसी तथ्य को जानने के लिए कहां से आरंभ करना है, तथा कितनी दूर तक हम पहुंच गए हैं।
- इससे यह पता चलता है कि विज्ञान के विकास में सामाजिक कारक तथा सामाजिक न्याय सहायक है।
- विज्ञान को एक सामाजिक उधम के रूप में देखने के लिए, विज्ञान पाठ्यक्रम में ऐतिहासिक वैधता आवश्यक है।
6 पर्यावरणीय वैधता (Environmental Validity)
- विद्यार्थियों को विज्ञान, तकनीकी तथा समाज से संबंधित समस्याओं के बारे में जानने योग्य होना चाहिए
- उन्हें इतनी समझ होनी चाहिए कि वे पर्यावरण से संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए सक्षम हो सके।
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