शिक्षण का अर्थ एवं उद्देश्य (Meaning and aims of teaching)
शिक्षण का अर्थ (Meaning of teaching) Shikshan Ka Arth Evam Uddeshya
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक सामाजिक परिवेश में पारस्परिक सहभागीता से अपने छात्रों तक अपने ज्ञान, कौशल, व्यवहार एवं दक्षता ओं को पहुंचाने का कार्य करता है।
शिक्षा एक त्रिध्रुवीय, गत्यात्मक,अंतः क्रियात्मक ( दो या अधिक लोगों के मध्य) वाह सोद्देश्य प्रक्रिया है। जिसकी तीन प्रमुख ध्रुव है।
1. शिक्षक
2. शिक्षार्थी
3. पाठ्यक्रम\ पाठ्यवस्तु
तीनों ध्रुवों के मध्य संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया ही शिक्षण है।
(शिक्षा का सामान्य अर्थ है- ज्ञान प्रदान करना या तथ्यों का बोध कराना।)
शिक्षण का व्यापक अर्थ (Wider Meaning of Teaching)
व्यापक अर्थ में, ‘ शिक्षण’ मनुष्य के जीवन में निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जिसके अंतर्गत सभी व्यक्ति, वस्तुएं, वातावरण, साधन, माध्यम एवं घटनाएं व्यक्ति को जन्म से मृत्यु तक कुछ न कुछ सिखाती हैं, व्यापक शिक्षण में औपचारिक व अनौपचारिक दोनों प्रकार के साधनों से व्यक्ति जीवन भर सीखता रहता है।
शिक्षा का संकुचित अर्थ (Narrower Meaning of Teaching)
संकुचित अर्थ में बालकों का ज्ञान, सूचना, जानकारी एवं परामर्श देना ही शिक्षण है। यह शिक्षण पूर्व नियोजित व नियंत्रित होता है। तथा बालक को कुछ निश्चित वर्षों तक ही दिया जाता है, और इसमें केवल औपचारिक साधनों का प्रयोग होता है।
उदाहरण के लिए – विद्यालय का कक्षा कक्ष में शिक्षार्थियों को प्रदान किया जाने वाला शिक्षण।
योकम व सिम्पसन – “शिक्षण वह साधन है जिसके द्वारा समूह के अनुभवी सदस्य अपरिपक्व छोटे सदस्य का जीवन से अनुकूलन करने में पथ प्रदर्शन करते हैं।”
जेम्स एम. थाइन – “समस्त शिक्षण का अर्थ सीखने में वृद्धि करना है।”
शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य (Main objectives of teaching)
- शिक्षण का मुख्य व महत्वपूर्ण उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया को बालोपयोगी ,रुचि कर, आनंदमयी, प्रभावी, व्यवहारिक एवं बोधगम्य में बनाना है।
- छात्रों की मूल प्रवृत्तियों को सही दिशा देना व उनमें स्वस्थ दृष्टिकोण का विकास करना, जिससे वह समाज, देश एवं विश्व कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें,
- शिक्षार्थियों को जीवन उपयोगी ज्ञान प्रदान करके उनके व्यक्तित्व, क्षमताओं एवं योग्यताओं तथा कुशलताओं का अधिकतम विकास करना है।
- छात्रों में नेतृत्व क्षमता तथा नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों का विकास करना।
- शिक्षार्थियों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना जिससे वे पढ़ें एवं अन्य कार्यों में रुचि ले सकें।
- छात्रों में आत्मविश्वास की भावना जागृत करना।
- छात्रों को स्वास्थ्य स्वच्छता एवं अपने परिवेश के प्रति जागरूक बनाना।
- छात्र छात्राओं को सक्रिय रखना एवं उनमें रचनात्मक दृष्टिकोण का विकास करना।
इस पोस्ट में हमने शिक्षा का अर्थ एवं उसके उद्देश्य (Shikshan Ka Arth Evam Uddeshya)के बारे में जाना, ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी फेसबुक पेज से अवश्य जुड़े।
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