Social Science SCERT Notes For UPTET Exam
इस पोस्ट में हम आपके साथ SCERT Based SST (Social Science SCERT Notes For UPTET) के नोट्स शेयर कर रहे हैं। इससे संबंधित प्रश्न यूपीटेट (UPTET) परीक्षा में पूछे जाते हैं। इस पोस्ट में आप जानेंगे कक्षा 6 का प्रथम अध्याय जिसमें इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं जो की परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
Class-6 (History) Chapter-1
Social Science SCERT Notes:-
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points)
- इतिहास, बीते हुए समय और उस समय के लोगों को समझने और जानने का एक साधन है।
- प्राचीन काल में मानव द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं, निर्मित मंदिरों एवं इमारत आदि के अवशेषों का अध्ययन पुरातत्व कहलाता है। इनका अध्ययन करने वाले पुरातत्ववेत्ता कहलाते हैं।
- अतीत में एक ऐसा भी युग था, जब लो लिखना नहीं जानते थे। उन लोगों के जीवन के विषय में जानकारी उनके द्वारा छोड़ी गई वस्तुओं जैसे की मिट्टी के बर्तन, खिलौने, हथियार तथा औजार द्वारा मिलती है।
- इन वस्तुओं को पुरातत्ववेत्ता जमीन से खोदकर प्राप्त करते हैं। उपलब्ध सामग्री के आधार पर इतिहासकारों ने अतीत को तीन भागों में बांटा है।
1. वह समय जिसके लिए कोई भी लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है:- पूर्व (प्राक्र) ऐतिहासिक काल कहलाता है।
2. वह समय जिससे संबंधित लिखित साक्ष्य प्राप्त हैं। किंतु उसे पढ़ा नहीं जा सकता है उससे आघ ऐतिहासिक काल कहते हैं।
3. जिस काल के विषय में लिखित सामग्री से जानकारी मिलती है, एवं उसे पढ़ा भी जा सकता है। उस काल को ऐतिहासिक काल कहते हैं।
- मानव ने जब देखना शुरू किया तब उसे कागज का ज्ञान नहीं था।
- वह अपने लेखों को ताड़ पत्रों, भोज पत्रों और ताम्रपत्र पर लिखता था। कभी-कभी लेख बड़ी खिलाओ, स्तंभों, पत्थरों की दीवारों, मिट्टी या पत्थर के छोटे-छोटे फलको ( टुकड़ों) पर भी लिखे जाते थे।
- भोजपत्र अर्थात- भूर्ज नामक पेड़ की छाल , ताम्रपत्र- तांबे के पतले एवं चपटे टुकड़े
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इतिहास को जानने के स्त्रोत निम्न इस प्रकार है:-
1. पुरातात्विक स्त्रोत
(अ) अभिलेख- यह अशोक रूम्मिदेई अभिलेख का अंश है। जो लुम्बिनी( नेपाल) से प्राप्त हुआ है। अशोक ने यह घोषणा की है कि लुम्बिनी में उपज का आठवां भाग कर के रूप में लिया जाएगा। अशोक के अभिलेख पत्थर पर उतरी न होने के कारण महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्त्रोत हैं। यह ब्राह्मी लिपि में लिखा गया था।
अभिलेखों से क्या-क्या जाना जा सकता है?
(ब) सिक्के एवं मुहरे – सिक्कों से तत्कालीन शासक का नाम, उसका समय, बनावट से उस समय की कला तथा धातु से आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है। इस प्रकार सिक्के इतिहास लेखन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- हड़प्पा कालीन मुहरे मेसोपोटामिया से मिली है। इससे ज्ञात होता है कि हड़प्पा वासियों का व्यापार मेसोपोटामिया से होता था।
(स) धौलावीरा : हड़प्पा सभ्यता का यह पूरा स्थल गुजरात में स्थित है। यहां से हड़प्पा कालीन नगर, निर्माण योजना, जल निकास, प्रबंधन आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
(द) सारनाथ स्तूप : सारनाथ (UP) में स्थित है। इस स्तूप ( धमेख स्तूप) का निर्माण मौर्य वंश के शासक अशोक ने कराया था। महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम सारनाथ में अपना उपदेश दिया था।
2. साहित्यक स्त्रोत
ताडपत्रों, भोजपत्रों, ताम्रपत्रो, चमड़े एवं लकड़ी के पट्टो पर लिखित लेखों के साथ-साथ साहित्य ग्रंथों से भी हमें जानकारी प्राप्त होती है। जैसे-
पुस्तक
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लेखक
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काल
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धार्मिक साहित्य |
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1. वेद |
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आर्यों के संबंध में |
2. रामायण एवं महाभारत |
बाल्मीकि एवं वेदव्यास |
महाकाव्य कालीन समाज के विषय में |
3. जैन एवं बौद्ध साहित्य, जातक कथा |
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छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व की राजनीतिक सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति |
धर्मेंत्तर साहित्य |
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4. अर्थशास्त्र |
कोटिल्या ( चाणक्य) |
मौर्यकालीन समाज की राजनीतिक,सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थिति |
5. राज तरंगिणी |
कल्हण |
कश्मीर के ( 11वीं- 12 वीं शताब्दी) इतिहास के विषय में |
विदेशी यात्रियों की वृतांत |
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6. इंडिका |
मेगस्थनीज ( यूनानी राजदूत |
चंद्रगुप्त मौर्य कालीन समाज की झलक |
7. यात्रा विवरण |
फाह्यान (चीनी यात्री) |
गुप्त काल संबंधित |
8. यात्रा विवरण |
श्वैन-त्साग (हेनसांग) चीनी यात्री |
हर्षवर्धन के शासनकाल का विवरण |
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- इतिहासकार इन्हें स्त्रोतों से अतीत की कृषि, पशुपालन, कामगार\ शिल्प, काम धंधे, नापतोल, लेन देन, कर आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का वर्णन करते हैं। इस प्रकार पुरातात्विक एवं साहित्यिक दोनों स्त्रोतों से हमें इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है । विदेशी यात्रियों के विवरणों से हमें तात्कालिक इतिहास की जानकारी मिलती है।
- घर परिवार, स्त्रियों की स्थिति, शिक्षा, रहन सहन, खानपान, वेशभूषा, मनोरंजन, त्योहार आदि के आधार पर सामाजिक स्थिति का तथा राजा, प्रजा, प्रशासक ,सुरक्षा बाद सैन्य व्यवस्था के आधार पर राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्रदान करते हैं।
- इसी प्रकार कला, आचार विचार, ज्ञान विज्ञान, धार्मिक विश्वास, देवी देवता, पूजा पाठ एवं परंपराओं के आधार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का वर्णन करते हैं।
- जब पुरातत्वविद् किसी स्थान की खुदाई करते हैं, तुबे कैसे समझते हैं कि कौन से स्तर पहले के हैं और कौन से बाद के?
- किसी भी पुरास्थल में कई बस्तियों के अवशेष मिल सकते हैं। लोग जहां रहते हैं, घर टूटने पर पुनः घर वही बना लेते हैं। इस कारण बस्ती की जमीन धीरे-धीरे ऊंची होती जाती है। सैकड़ों साल के बाद वहां एक पीला बन जाता है। जब टीले की खुदाई की जाती है तो उसका सबसे निचला स्तर सबसे पुराना होता है। उसके बाद के स्तर बाद के युगों के होते हैं।
इतिहास में तिथियां:-
- ईसा पूर्व का तात्पर्य ईसा मसीह ( ईसाई धर्म के प्रवर्तक) के जन्म से पहले का समय है। इसे अंग्रेजी में B.C. अर्थात बिफोर क्रिस्ट लिखते हैं।
- ईस्वी को अंग्रेजी में A.D. लिखा जाता है। A.D. लेटिन भाषा के दो शब्द “एनो डॉमिनी” से बना है। A.D. का मतलब है, ईसा मसीह के जन्म का वर्ष अर्थात ईसा मसीह कि जन्म के बाद की तिथियों में हम ईस्वी या A.D. का प्रयोग करते हैं।
- पुरास्थल :- वह स्थान जहां की खुदाई से औजार, बर्तन और इमारतों के अवशेष मिलते हैं।
- स्तूप:- स्तूप का अर्थ है टीला\ स्तूपोर के अंदर महात्मा बुद्ध या उनके अनुयायियों के शरीर के अवशेष (दांत, हड्डियां, राख) या उनके द्वारा प्रयोग में लाई गई सामग्री पत्थर अथवा सिक्के रखे रहते हैं।
- महाभारत विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
- लंदन स्थित ब्रिटिश म्यूजियम विश्व का सबसे बड़ा संग्रहालय है।
- अलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व विभाग का जन्मदाता माना जाता है।
- धर्मेंत्तर साहित्य – धार्मिक साहित्य से धन्य साहित्य ग्रंथ।
- संग्रहालय- ऐतिहासिक वस्तुओं को सुरक्षित रखने का स्थान।
दोस्तों इस पोस्ट में आपने जाना SCERT Based SST (Social Science SCERT Notes For UPTET) से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु यदि आप इससे संबंधित अन्य विषय पर नोट्स प्राप्त करना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। साथ ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को भी लाइक कर सकते हैं। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!!!!
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