(EVS) Paryavaran Pedagogy Notes
EVS Pedagogy Important Notes: आज के इस आर्टिकल में हम EVS Pedagogy (पर्यावरण पेडागोजी) के महत्वपूर्ण नोट्स आपके साथ साझा कर रहे हैं। इस आर्टिकल में पर्यावरण अध्ययन (Environmental Pedagogy) से जुड़ी अहम जानकारी दी गई है, जो शिक्षण से संबंधित मुद्दों पर आधारित है। पर्यावरण पेडागोजी से संबंधित प्रश्न कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे CTET, TET, UPTET, MPTET, RTET में पूछे जाते हैं, जो इसे आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।
यदि आप इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो पर्यावरण अध्ययन के इन सभी टॉपिक्स का गहन अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल आपको परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी, बल्कि पर्यावरण पेडागोजी के मूल सिद्धांतों और शिक्षण दृष्टिकोणों को भी समझने का अवसर मिलेगा। इस लेख में, हम आपको इन टॉपिक्स के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, ताकि आने वाली सभी परीक्षाओं में आपको पर्यावरण से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
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पर्यावरण पेडागोजी (Environmental pedagogy in Hindi)
“ राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2005 के अनुसार प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य अवलोकन मापन और भविष्यवाणी करने के कौशलों का विकास करना है।” प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा बच्चों की बहुत सारी खोज करने की प्रवृत्ति, कौशल एवं अवधारणाओं को विकसित करने के लिए आवश्यक है।
- पर्यावरण अध्ययन अपने परिवेश के सामाजिक और बौद्धिक घटकों की अंतः क्रियाओं का अध्ययन है।
- इसके सामाजिक घटक : संस्कृति, भाषा, मूल्य, दर्शन।
- भौतिक घटक : हवा, पानी, जंगल, खनिज इत्यादि।
- पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकों में अभ्यास एवं गतिविधियों को इकाई के अंत में उपलब्ध कराना चाहिए ।
- बच्चे अपने आसपास के परिवेश, माहौल आदि की चर्चा करते हैं एक पर्यावरण शिक्षक के रूप में आपको उनके दृष्टिकोण को स्वीकार करना चाहिए एवं उन्हें सम्मान देना चाहिए।
- पर्यावरण अध्ययन की कक्षा में छात्रों के वास्तविक जीवन को पाठ्य पुस्तक से जोड़कर शिक्षा प्रदान करना ही सबसे प्रभावशाली शिक्षा है उदाहरण के लिए- EVS के पुस्तक में रेल टिकट की तस्वीर शामिल करके उसका वास्तविक सूचना देना।
- पाठ्य पुस्तक के माध्यम से प्राप्त ज्ञान बच्चों के अवलोकन से प्राप्त ज्ञान से उत्तम नहीं होना चाहिए।
- पर्यावरण अध्ययन की पाठ्य पुस्तकों में वर्ग पहेली को भी शामिल किया जाना चाहिए इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में तर्ककात्मक क्षमता, रचनात्मक क्षमता एवं जिज्ञासु पन को विकसित करना है।
- पाठ्य पुस्तक में समझाया गया सबक या विषय छात्र द्वारा सर्वोत्तम आत्मसात तब किया जा सकता है ।
- पर्यावरण अध्ययन की कक्षा बारहवीं संसार से छात्रों को जोड़ने हेतु अनुभव को साझा करता है।
- जब भी अपने व्यक्तिगत अवलोकन के साथ इस प्रक्रिया से जुड़े हुए हो क्योंकि NCF-2005 मैं भी करके सीखने पर बल दिया गया है।
- पर्यावरण अध्ययन की शिक्षा शास्त्र के अच्छे ज्ञान से शिक्षक बच्चों को पर्यावरण शिक्षा को वास्तविक जीवन से जोड़कर शिक्षा दे सकता है जो कि प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।
- एक शिक्षक के रूप में छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रों के अनुभवों को स्वीकार करने के साथ उनकी गलतियों को सुधारना चाहिए ।
- पर्यावरण अध्ययन का एक शिक्षक विषय शुरू करने से पहले छात्रों से एक सवाल पूछता है- जो की शिक्षा नीति से संबंधित होता है जैसे ज्ञात- अज्ञात की ओर उस सवाल के माध्यम से शिक्षक को छात्रों की पूर्व ज्ञान का पता चल जाता है और इससे विषय वस्तु के प्रति छात्रों में दिलचस्पी भी बह जाती है।
- प्राथमिक स्तर के पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक में निम्न बातें शामिल की जानी चाहिए।
- कुछ ऐसी शिक्षण विधियां हैं जिन्हें प्राथमिक स्तर पर शामिल किया जाना चाहिए जैसे समग्र से आंशिक की ओर, सरल से जटिल तक, ज्ञात- अज्ञात की और आदि।
- पर्यावरण ऐसा विषय है, जो कि ऐसी अवधारणाओं से भरा हुआ है जो व्यावहारिक ज्ञान से ही बेहतर समझा जा सकता है। पर्यावरण अध्ययन की शिक्षा के दौरान छात्रों के क्रियाशील रहने की आवश्यकता होती है।
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EVS Pedagogy Notes (*Topic Wise*) Notes
लेकिन पर्यावरण के पाठ्य पुस्तक में प्राथमिक स्तर पर अमूर्त अवधारणाओं की परिभाषा और स्पष्टीकरण पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए यह एक तरह की उच्च शिक्षण नीति है।
इस पोस्ट में हमने पर्यावरण अध्ययन Environmental Pedagogy Important Studies Notes (EVS Pedagogy Important Notes) के महत्वपूर्ण वन लाइनर्स Environmental Pedagogy Notes आप सभी के साथ शेयर किए हैं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी!!!