हिंदी साहित्य का आदिकाल (8वीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक) वह कालखंड है जिसमें साहित्य के प्रारंभिक विकास के महत्वपूर्ण पड़ाव सामने आए। इस युग में वीरगाथा काव्य और भक्ति परक साहित्य का उभार देखने को मिला, जिसमें वीरता, शृंगार, और धार्मिकता के तत्व शामिल थे। डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार, आदिकाल का साहित्य परंपरा के विकास को दर्शाता है और इस युग में कवियों ने समाज, संस्कृति और धर्म की विभिन्न धाराओं को साहित्यिक रूप में प्रस्तुत किया।
आदिकाल की साहित्यिक विशेषताएं
आदिकाल में रचित साहित्य वीरगाथा, भक्ति, और समाजिक-सांस्कृतिक परिवेश से प्रेरित था। इस काल में मुख्य रूप से राजाओं और वीर योद्धाओं के शौर्य को काव्य में पिरोया गया। इसके अलावा, जैन और बौद्ध धर्म से प्रभावित रचनाओं में धर्म और साधना के सिद्धांतों का भी वर्णन मिलता है।
Aadikal Ke Kavi Aur Unki Rachnayen | आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं
1. विद्यापति (1352 – 1448)
विद्यापति मैथिली भाषा के महान कवि थे। उन्हें ‘अभिनव जयदेव’ भी कहा जाता है। उनकी कविताओं में प्रेम और भक्ति का अनूठा संगम है।
- प्रमुख रचनाएं:
- कीर्तिलता
- कीर्तिपताका
- पदावली (मैथिली)
2. चंदबरदाई (12वीं शताब्दी)
चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के दरबार के राजकवि थे। उनके द्वारा रचित “पृथ्वीराज रासो” हिंदी का पहला महाकाव्य माना जाता है। इसमें वीर रस का मुख्य रूप से वर्णन है।
- प्रमुख रचना:
- पृथ्वीराज रासो (डिंगल भाषा में)
3. नरपति नाल्ह (12वीं शताब्दी)
नरपति नाल्ह ने वीर रस पर आधारित काव्य रचे, जिसमें “बीसलदेव रासो” प्रमुख है। यह राजस्थान के बीसलदेव के वीरता की गाथा है।
- प्रमुख रचना:
- बीसलदेव रासो (अपभ्रंश हिंदी)
4. अमीर खुसरो (1253 – 1325)
अमीर खुसरो एक बहुभाषी कवि थे, जिन्होंने हिंदी, फारसी और उर्दू में कविताएं लिखी। उनकी रचनाएं लोकगीतों, ग़ज़लों और सूफी संगीत का हिस्सा बनीं।
- प्रमुख रचनाएं:
- खालिक बारी
- तुहफत-उस-सिगार
- प्यार का नगमा (लोकगीत)
5. दलपति विजय
दलपति विजय ने खुमान रासो की रचना की, जिसमें राजस्थान के वीर योद्धाओं की गाथा है। इसमें मुख्य रूप से राजस्थान के खुमान राजा की वीरता का वर्णन है।
- प्रमुख रचना:
- खुमान रासो (राजस्थानी हिंदी)
6. शार्गंधर
शार्गंधर ने हम्मीर रासो की रचना की, जो हम्मीर देव के वीरता और संघर्ष को दर्शाती है। यह काव्य वीर रस से भरा हुआ है और हम्मीर के राज्य की स्थिति का वर्णन करता है।
- प्रमुख रचना:
- हम्मीर रासो
7. गोरखनाथ (नाथ पंथ के प्रवर्तक)
गोरखनाथ ने हठयोग और साधना के मार्ग का नेतृत्व किया। उन्होंने अपने दोहों और सबदों के माध्यम से योग और साधना पर आधारित साहित्य रचा।
- प्रमुख रचनाएं:
- सबद
- पद
- सिष्या दासन
ये भी पढ़ें: हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं उनकी रचनाएँ
8. जैन कवि (धर्म और भक्ति साहित्य)
जैन धर्म के अनुयायियों ने इस युग में अद्वितीय साहित्य रचा, जिसमें मुख्य रूप से चरित काव्य का समावेश है। इनमें जैन धर्म के प्रचार-प्रसार और धार्मिक प्रवृत्तियों का वर्णन मिलता है।
- प्रमुख रचनाएं:
- भवियत्त कहा (धनपाल)
- नेमिनाथ रास (सुमतिगणि)
- सिद्ध हेमचन्द्र शब्दानुशासन (हेमचंद्र)
9. सरहपा और शबरपा
सरहपा और शबरपा ने बौद्ध धर्म के महायान शाखा के सिद्धांतों को अपने साहित्य में सम्मिलित किया। उन्होंने दोहाकोष की रचना की, जिसमें बौद्ध विचारधारा का प्रभाव देखने को मिलता है।
- प्रमुख रचनाएं:
- दोहाकोष
- चर्यापद
10. अभ्यागत कवि (मुंज रासो)
अज्ञात कवियों ने “मुंज रासो” जैसी काव्य रचनाओं से वीरगाथा शैली को समृद्ध किया। इसमें तत्कालीन शासकों के जीवन और वीरता का वर्णन है।
- प्रमुख रचना:
- मुंज रासो
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आदिकाल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1: आदिकाल के प्रथम कवि कौन हैं?
उत्तर: महर्षि वाल्मीकि।
प्रश्न 2: हिंदी साहित्य के आदिकाल के आरंभिक काल को किसने परिभाषित किया?
उत्तर: मिश्र बंधु।
प्रश्न 3: आचार्य रामचंद्र शुक्ल कृत “हिंदी साहित्य का इतिहास” का प्रकाशन किस वर्ष हुआ?
उत्तर: 1929 में।
प्रश्न 4: आदिकाल में चरित काव्य सर्वाधिक किस साहित्य में रचे गए?
उत्तर: जैन साहित्य में।
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