Definition of Educational Psychology In Hindi
इस आर्टिकल हम शिक्षा मनोविज्ञान से संबंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्य जैसे कि शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा (Definition of Educational Psychology In Hindi) एवं शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्र का अध्ययन करेंगे जोकि सभी TET परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning of educational psychology)
वास्तव में शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान का व्यवहारिक पक्ष है। क्योंकि मनोवैज्ञानिक के सिद्धांतों का जिस क्षेत्र में उपयोग होने लगता है, उसी के नाम से उसकी अलग शाखा में उपयोग होने लगता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की अभिनय शाखा है। शिक्षा मनोविज्ञान का आरंभ अरस्तु के समय हुआ है। और इसकी उत्पत्ति यूरोप के पेस्ट्रोलॉजी हरबर्ट और फ्रोबेल के कार्यों से हुई है। आज इसे मनोविज्ञान का व्यवहारिक रूप माना जा रहा है, क्योंकि यह शिक्षकों और छात्रों को अच्छे शिक्षण में सहायता प्रदान करता है। शिक्षा मनोविज्ञान को निम्न परिभाषा ओं के आधार पर भली-भांति समझा जा सकता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं (Definitions of educational psychology)
सी.ई.स्किनर के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान ऊन अनुसंधान ओं का शैक्षणिक परिस्थितियों में प्रयोग करता है, जो शैक्षिक परिस्थितियों में मानव तथा प्राणियों से संबंधित है।”
कॉलसनिक के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों और उपलब्धियों का शिक्षा में प्रयोग है।”
जेम्स ड्रावर के अनुसार – “व्यावहारिक मनोविज्ञान की वह शाखा जो शिक्षा समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन के साथ मनोवैज्ञानिक खोजो तथा सिद्धांतों का शिक्षा में प्रयोग करने से संबंधित है-शिक्षा मनोविज्ञान कहलाती है।”
स्टाउट के अनुसार – “मनोविज्ञान द्वारा शिक्षा सिद्धांतों को दिया जाने वाला मुख्य सिद्धांत यह है कि नवीन ज्ञान का विकास पूर्व ज्ञान के आधार पर किया जाना चाहिए।”
क्रो एंड क्रो के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्ध अवस्था तक अधिगम का वर्णन व व्यवस्था करता है।”
स्टीफन के अनुसार – ” शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।”
ट्रो के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों के मनोवैज्ञानिक तत्वों का अध्ययन करता है।”
सी एच गुड के अनुसार – ” शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर परिपक्व अवस्था तक विभिन्न परिस्थितियों में गुजरते हुए व्यक्तियों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या है।”
शिक्षा मनोविज्ञान की उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यवहारिक विज्ञान है, जो शिक्षा संबंधी समस्याओं के हल के लिए मनोविज्ञान से सहायता लेता है। इसे निम्नलिखित रुप में कहा जा सकता है।
1. शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है, जो व्यक्ति के व्यवहारों का व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में अध्ययन करता है।
2. यह अनुसंधान ओं का शैक्षिक परिस्थितियों में प्रयोग करता है, जो मानव तथा प्राणियों से संबंधित है।
3. शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों का शिक्षा में प्रयोग है।
4. शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए आवश्यक रूप से जानने योग्य है।
5. शिक्षा मनोविज्ञान जीवन के वास्तविक आदर्शों की प्राप्ति में सहायक होता है।
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र
क्रो एंड क्रो ने शिक्षा मनोविज्ञान के निम्नलिखित क्षेत्र बताए हैं, और कहा है कि ” शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाले निम्न निर्धारकों से संबंधित है।”
1. वंश और सामाजिक विरासत
2. शारीरिक विकास
3. मानसिक विकास
4. संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताएं
5. शिक्षा के व्यक्तिगत और सामाजिक परिणाम
6. शिक्षक तथा शिक्षार्थी का मानसिक स्वास्थ्य
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शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है, जो जीवन के वास्तविक आदर्शों की प्राप्ति में सहायक होता है। यह एक विधायक विज्ञान है। जिसने मनोविज्ञान के सिद्धांतों को अपनाकर शिक्षा में उनका अनुप्रयोग किया है। क्रो एंड क्रो इसके स्वरूप को इस रूप में परिभाषित किया है।
“शिक्षा मनोविज्ञान को व्यावहारिक मनोविज्ञान माना जा सकता है, क्योंकि यह मानव व्यवहार के संबंध में वैज्ञानिक विधियों से जटिल सिद्धांत और तथ्यों के अनुसार सीखने की व्यवस्था करता है।” शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में अधिक उपयोगी है, क्योंकि यह मनुष्य के व्यवहारों का बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक अध्ययन करता है।
1945 में अमेरिकी वैज्ञानिक परिषद के ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ ने शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र निर्धारण के उद्देश्य से एक समिति की स्थापना की। सर्वेक्षण उपरांत शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र का निर्धारण समिति के द्वारा किया गया जो इस प्रकार है।
(1) मानव विकास ( human development)
मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करना इसका क्षेत्र है। जिसमें विकास की अवस्थाएं, व्यक्ति का सामाजिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास, व्यक्तिगत भेद तथा इसके आधार पर मार्ग प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत आता है।
(2) अधिगम (Learning)
इसके अंतर्गत सीखने की क्रियाएं आती है। सीखने के सिद्धांत, अधिगम अंतरण, अधिगम के घटक आदतें लिए गए हैं।
(3) व्यक्तित्व और समायोजन (Personality and adjustment)
इस क्षेत्र के अंतर्गत छात्रों द्वारा अध्यापकों के व्यक्तित्व और उनसे संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व मापन जैसी समस्याओं का अध्ययन भी शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र है।
(4) मापन एवं मूल्यांकन (Measurement and evaluation)
इसके अंतर्गत मापन एवं मूल्यांकन के सिद्धांत, बुद्धि और उसका मापन, अधिगम और मापन तथा मूल्यांकन से होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
(5) अध्ययन विधियां (Methods of study)
शिक्षा मनोविज्ञान अभी विकास की प्रक्रिया में ही है। अनेक विधियों का विकास करना एवं उन को मान्यता प्रदान करना इसका विषय है।
इसके अतिरिक्त डग्लस तथा हॉलैंड ने भी शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला है। उपरोक्त वर्णित क्षेत्रों को एक साथ एक क्रम में इस रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
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शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्र: (Main scope of educational psychology)
1. वंशानुक्रम और वातावरण
2. सहसा अवस्था में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास
3. अधिगम सिद्धांत, अधिगम अंतरण
4. बुद्धि और उसका मापन
5. व्यक्तिगत विभिन्नताएं
6. मानसिक स्वास्थ्य
7. व्यक्तित्व और उसका मापन तथा समायोजन
8. सृजनशीलता और उसका मापन
9. विशिष्ट बालकों की शिक्षा
10. चिंतन तर्क एवं समस्या समाधान
11. मापन और मूल्यांकन
12. अध्ययन विधियां
13. समाज मनोविज्ञान
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