Mathematics Pedagogy Notes
इस पोस्ट में हम आपके साथ गणित पेडगॉजी से संबंधित महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री (CTET, UPTET और सभी शिक्षक परीक्षा के लिए) साझा कर रहे हैं। इस पोस्ट में हम गणित की प्रकृति (Nature of Mathematics), NCF – 2005 के अनुसार गणित शिक्षण के उद्देश्य, गणित का पाठ्यक्रम में स्थान (Place of Mathematics in Curriculum), ब्रेनस्टॉर्मिंग (बुद्धिशीलता), और सामुदायिक गणित (Community Mathematics) के नोट्स विस्तार से शेयर कर रहे हैं।
हमने इस पोस्ट में गणित पेडगॉजी (गणित शिक्षण शास्त्र 2) के पूर्ण नोट्स शामिल किए हैं, जिन्हें पढ़कर आप गणित शिक्षण से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, Sikshak Bharti, CTET, UPTET, TGT, और अन्य शिक्षक परीक्षाओं में इन विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए यह पोस्ट आपकी परीक्षा की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हमें आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी और उपयोगी साबित होगी।
Complete Notes for Math PEDAGOGY FOR CTET, UPTET and other TETs. इस बुक में उन सभी टॉपिक को समझाया गया है जो आपके CTET, UPTET and other TETs की परीक्षा में पूछे जाते है | यह नोट्स आपके लिए बहुत ही उपयोगी होगा |
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गणित की प्रकृति (Nature of mathematics)
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गणित एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। अतः गणित की शिक्षा देने से पहले यह जानना आवश्यक है, कि गणित क्या है। इसकी शिक्षा क्यों दी जाए? तथा इसकी प्रकृति कैसी है? गणित की बहुत सारी परिभाषाएं बताई गई है। जैसे- गणित संगणनाओं का विज्ञान है। गणित मापन, दिशा एवं परिमाण का विज्ञान है, वास्तव में गणित का अर्थ उसके नाम में ही है। गणित- गणना करना अर्थात गणित गणनाओं का विज्ञान है । गणित विषय का आरंभ गिनती से हुआ है।
♦ परिभाषाएं (definition)♦लॉक के अनुसार – “ गणित वह मार्ग है जिसके द्वारा बच्चों के मन या मस्तिष्क में तर्क करने की आदत का विकास होता है।” मार्शल के अनुसार – “ गणित ऐसी अमूर्त व्यवस्था का अध्ययन है, जो की अमूर्त तत्वों से मिलकर बना है इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है।” |
गणित की प्रकृति(Nature of mathematics)
गणित की प्रकृति को निम्न बिंदुओं द्वारा समझाया जा सकता है, जो कि इस प्रकार है।
(1) गणित की ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं ।
(2) गणित में अमूर्त प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है साथ ही उनकी व्याख्या भी की जाती है।
(3) गणित की अपनी भाषा(Language) है भाषा का अर्थ गणितीय पद( mathematical terms), गणितीय प्रत्यय( mathematical concepts), सूत्र( formulae), सिद्धांत तथा संकेतों से है जो कि विशेष प्रकार के होते हैं।
(4) गणित में सब कुछ तर्क पूर्ण है यह तार्किक विचारों का विज्ञान है।
(5) गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।
(6) गणित ज्ञान का आधार निश्चित होता है जिस पर विश्वास किया जा सकता है।
(7) गणित के नियम, सिद्धांत व सूत्र सभी स्थानों पर एक समान होते हैं जिससे उनकी सत्यता की जांच किसी भी समय तथा स्थान पर की जा सकती है ।
(8) गणित का ज्ञान क्रमबद्ध, यथार्थ तथा अधिक स्पष्ट होता है जिससे उसके एक बार ग्रहण करके आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है।
(9) गणित की ज्ञान से बालकों में प्रश्न सात्मक दृष्टिकोण का विश्वास होता है।
(10) बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है ।
(11) इसकी विभिन्न नियमों, सिद्धांतों, सूत्रों से संभावित उत्तर निश्चित होते हैं इनमें संदेह की संभावना नहीं रहती है।
(12) इसमें बालक को में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता विकसित होती है।
(13) गणित के ज्ञान का उपयोग विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में किया जाता है।
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गणित का पाठ्यक्रम में स्थान (Place of mathematics in in curriculum)
किसी भी विषय का शिक्षा में स्थान इस बात पर निर्भर करता है, कि वह विषय शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में कितना सहायक है। प्राचीन काल से ही गणित विषय शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति करने में सहायक रहा है। स्कूल में कोठारी आयोग ने उच्च माध्यमिक याद दसवीं कक्षा तक के गणित को एक अनिवार्य विषय के रूप में रखने को कहा है। सामान्य शिक्षा के रूप में गणित को कक्षा 1 से 10 वी कक्षा के छात्रों के लिए अनिवार्य विषय बना दिया जाना चाहिए ।
लेकिन कुछ लोग गणित को आठवीं कक्षा के बाद वैकल्पिक विषय बनाने पर जोर देते हैं, इसके खिलाफ विभिन्न कारण दिए गए।
(1) यह बहुत मुश्किल विषय है, इसे सीखने के लिए तेज वस्तु की आवश्यकता है. सभी बच्चे एक समान नहीं होते हैं।
(2)हाई स्कूल में गणित में असफलताओं की संख्या अन्य विषयों की तुलना में अधिक है।
(3) प्रति छात्र एक इंजीनियर या तकनीशियन नहीं बन सकता है, तो सभी के लिए गणित की जरूरत नहीं है।
अनिवार्य विषय बनाने के लिए बिंदु
- गणित सभी विज्ञानों का आधार है विज्ञान की विभिन्न शाखाएं- भौतिकी,रसायन, भूगोल विज्ञान, भूज्ञान, जीव विज्ञान ज्योतिष आदि महत्वपूर्ण विषय है जो गणित पर आधारित है।
- गणित एक सटीक विज्ञान है गणित के अध्ययन से बालक में गणित के विज्ञान को सटीक रूप से स्वीकार करने का दृष्टिकोण विकसित होता है जैसे- 4 + 4 = 8 जो 7 या 3 नहीं हो सकता है।
- बच्चों में गणित अनुशासन संबंधी गुण या विशेषता का विकास करता है।
- गणित तार्किक दृष्टिकोण उत्पन्न करता है। गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए एक बच्चे को तर्कसंगत सोचना पड़ता है। जिससे बच्चे के बौद्धिक विकास पर प्रभाव पड़ता है, एवं उसकी मानसिक क्षमताओं का भी विकास होता है ।
- बच्चे गणित के अध्ययन से व्यवस्थित रूप से नियमित रूप से और सही तरीके से काम करना सीखते हैं।
- गणित का ज्ञान चरित्र निर्माण एवं नैतिकता के विकास में सहायक होता है। गणित की भाषा सार्वभौमिक है।
- गणित मानव जीवन से संबंधित दिनचर्या के कामों में, खरीद के लिए, बजट के लिए एवं प्रत्येक पहलू में गणित का उपयोग शामिल होता है।
- स्कूल में अन्य विषयों के लिए भी गणित का ज्ञान उपयोगी है अर्थात आधुनिक युग में गणित का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।
- गणित मानसिक शक्तियों को विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।
NCF – 2005 के अनुसार गणित शिक्षण के उद्देश्य (According to NCF-2005, the objectives of math teaching)
National curriculum framework 2005 maths
1. गणित को बच्चे एक ऐसा विषय मां ने जिस पर भी बात कर सके आपस में जिस पर चर्चा कर सकते हैं, जिस पर साथ साथ काम कर सकते हैं।
2. बच्चे गणित से डरने के बजाय उसका आनंद उठाएं गणित की बेहतर शिक्षा का हक हर बच्चे को है।
3. बच्चों महत्वपूर्ण गणित सीखें गणित में सूत्र युवा यांत्रिक प्रक्रियाओं से आगे भी बहुत कुछ है।
4. बच्चे सार्थक समस्या उठाएं और उन्हें हल करें।
5. गणित की शिक्षा से बच्चों में तर्क करने, सोचने की, अमूर्त चिंतन की तथा समस्या समाधान की क्षमता का विकास होता है।
6. बच्चे गणित की मूल संरचना को समझें- अंकगणित, बीजगणित, रेखा गणित, त्रिकोणमिति
7. बच्चे गणित को आवश्यक दैनिक गणित के जोड़ सकें।
8. NCF 2005 गणित ऐसीपाठ्यचर्या की मांग करता है जो महत्वाकांक्षी ,सुसंगत और महत्वपूर्ण गणित सिखा सके।
9. महत्वाकांक्षी इस अर्थ में की उपरोक्त उच्च लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करें ना कि केवल सीमित लक्ष्य की प्राप्ति का।
10. सुसंगत होना चाहिए ताकि टुकड़े टुकड़े में उपलब्ध विभिन्न प्रणालियों व शिक्षा( अंकगणित, बीजगणित, रेखा गणित) ऐसी क्षमता में ढल सके जो अन्य विषयों जैसे- विज्ञान व सामाजिक अध्ययन के क्षेत्र में भी मदद कर सके।
11. महत्वपूर्ण होना चाहिए ताकि विद्यार्थी ऐसी समस्याओं को हल करने की आवश्यकता को महसूस करे और शिक्षक व विद्यार्थी दोनों ऐसी समस्याओं को हल करने में जो समय व ऊर्जा लगाए उसे सदुपयोग माने।
12. गणित शिक्षण का मुख्य लक्ष्य गणितीय करण अर्थात तार्किक व अमूर्त चिंतन तथा संख्यात्मक कौशल का विकास होना चाहिए।
13. बच्चों को अधिक से अधिक गतिविधियों द्वारा गणित के सिद्धांतों की शिक्षा प्रदान की जाए।
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Brainstorming ब्रेनस्टॉर्मिंग (बुद्धिशीलता)
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कक्षा में ब्रेनस्टॉर्मिंग(Brainstorming) एक उपयोगी शिक्षण रणनीति है। यह शक्तिशाली रणनीति है जो विचार उत्पन्न करती है एवं समस्याओं के समाधान खोजने में मदद करती है वह किसी दिए गए विषय पर विचार उत्पन्न करने के लिए एक उत्कृष्ट शिक्षण विधि है।
ब्रेनस्टॉर्मिंग(Brainstorming) सोच कौशल को बढ़ावा देने में मदद करती है । जब छात्रों को अवधारणा से संबंधित सभी चीजों के बारे में सोचने के लिए कहा जाता है, अतः उनकी सोच कौशल का विकास किया जा रहा है। यह तकनीक बच्चों में रचनात्मक एवं संगठनात्मक घोड़ों को प्रोत्साहित करती है। तथा सभी बच्चों को स्वतंत्र रूप से दिए गए प्रश्न( विषय) पर विचार करने को बोला जाता है। वाद-विवाद आयोजित किया जाता है जरूरी नहीं है जो विचार या समीक्षा बच्चे दे रहे हो वह सार्थक हो अध्यापक विचारों को ब्लैक बोर्ड पर लिखते हैं। इस प्रकार से प्रश्न- विचार विस के माध्यम से हल हो जाते हैं।
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ब्रेनस्टॉर्मिंग एक उत्कृष्ट रणनीति है।(Brainstorming is an excellent strategy.)
- विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए सफलता को बढ़ावा देती है।
- समावेशी कक्षा के लिए उपयोगी
- विफलताओं के डर को खत्म करती है।
- सभी छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने का मौका देती है।
- पूर्व ज्ञान को Recoll करने का मौका देती है।
- बिना डरे कोशिश करने का मौका देती है।
- छात्रों के मानसिक विकास में सहायता करती है।
ब्रेनस्टॉर्मिंग के समय याद रखने वाली बातें (Things to remember at the time of brainstorming)
- सभी बच्चों को ज्यादा से ज्यादा विचार व्यक्त करने का मौका दें।
- सभी विचारों को रिकॉर्ड करें।
- प्रस्तुत किए गए किसी भी विचार पर अपना मूल्यांकन व्यक्त ना करें।
- कोई गलत जवाब नहीं है।
- इसमें छात्र किसी विषय के बारे में कितनी जानकारी रखते हैं इसका पता लग जाता है इस रणनीति को छात्रों के माता-पिता को प्रयोग करने के लिए भी बोला जाए ।
सामुदायिक गणित (Community mathematics)
- गणित महान सामाजिक महत्व का विषय है। यह हमारी सामाजिक संरचना की उचित संगठन और रखरखाव में मदद करता है।
- सामाजिक जीवन यापन करने के लिए गणित के ज्ञान की अत्याधिक आवश्यकता होती है । क्योंकि समाज में भी लेनदेन व्यापार, उद्योग आदि व्यवसाय गणित पर ही निर्भर है।
- गणित के अभाव में संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था एवं संरचना का स्वरूप ही बिगड़ जाएगा अर्थात मानव का सामाजिक जीवन गणित पर निर्भर करता है।
- नेपोलियन ने गणित के सामाजिक महत्व को स्वीकार करते हुए कहा था” गणित की प्रगति और सुधार राज्य की समृद्धि से जुड़ा हुआ है। ”
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सामुदायिक जीवन में गणित के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझाया जा सकता है.
1. नैतिक मूल्यों का विकास (Development of ethical values)
गणित के नैतिक मूल्यों के महत्व को स्पष्ट करते हुए महान दार्शनिक डटन ने कहां की “गणित तर्क सम्मत विचार, यथार्थ तथा तथा सत्य बोलने की सामर्थ प्रदान करता है।” गणित का ज्ञान बच्चों के चारित्रिक एवं नैतिक विकास मैं सहायक है गणित पढ़ने से बच्चे में स्वच्छता, समय की पाबंदी, इमानदारी, न्याय प्रियता, सच्चाई, आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास, दूसरों की बात को सुनना वह सम्मान देना धैर्य आदि गुणों का विकास होता है।
2. सांस्कृतिक मूल्यों का विकास (Development of cultural values)
प्रसिद्ध गणितज्ञ हॉन्गवेन ने लिखा है “गणित सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है।” प्रत्येक समाज व राष्ट्र की संस्कृति का अनुमान उस राष्ट्रीय समाज के वासियों के रीति रिवाज,खानपान, कलात्मक उन्नति, आर्थिक सामाजिक तथा राजनीतिक आदि पहेलियों के द्वारा हो जाता है। गणित विषय को सांस्कृतिक तथा सविता का सृजन करता माना जाता है। , छंद अलंकार, संगीत के समान, चित्रकला एवं मूर्तिकला आदि सभी अप्रत्यक्ष रूप से गणित की ज्ञान पर निर्भर होते हैं।
3. जीविकोपार्जन संबंधी मूल्यों का विकास (Development of living standards)
शिक्षा का एक मुख्य उद्देश्य बालकों को अपनी जीविका कमाने तथा रोजगार प्राप्त करने में समर्थ बनाना भी है। अन्य देशों की अपेक्षा गणित इस उद्देश्य की प्राप्ति में सर्वाधिक सहायता करता है आज के वैज्ञानिक व तकनीकी समय में विज्ञान के नियमों, सिद्धांतों तथा उपकरणों का प्रयोग सर्वव्यापी है । जिस की आधारशिला गणित है इंजीनियर, तकनीशियन, लघु उद्योग, कुटीर की गणित ही है।
4. मनोवैज्ञानिक मूल्यों का विकास (Development of psychological values)
गणित की शिक्षा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी है। गणित का शिक्षण मनोवैज्ञानिक के विभिन्न नियमों का अनुसरण करता है। उदाहरण के लिए छात्र करके सीखना, अनु दुबे द्वारा सीखना, समस्या समाधान आदि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर ज्ञान प्राप्त करता है। गणित के द्वारा छात्र में रचनात्मक प्रवृतियां, तर्कशक्ति, जिज्ञासा आदि गुणों का विकास होता है।
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5. समाज और गणित (Society and Mathematics)
हमारे समाज में प्रत्येक व्यक्ति को जो अपनी जीविका कमाता है । तथा आय व्यय करता है, उसे किसी न किसी रूप में गणित से ज्ञान की आवश्यकता होती है। केवल इंजीनियर, उद्योगपति, डॉक्टर, गणित अध्यापक तथा व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि समाज के छोटे से छोटे व्यक्ति जैसे मजदूर, कुली, रिक्शा चालक, सब्जी वाला, बधाई सभी को गणित के ज्ञान की आवश्यकता होती है। इस संबंध में यंग महोदय ने कहा है कि “लोह, वाष्प और विद्युत के इस युग में जिस और भी मुड़ कर देखें, गणित ही सर्वोपरि है यदि रीढ़ की हड्डी निकाल दी जाए तो हमारी भौतिक सभ्यता का ही अंत हो जाएगा। “
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आप के साथ Maths Pedagogy Study material For CTET,UPTET & All Teachers Exam के important notes आपके साथ शेयर किए हैं। अगर आप शिक्षक भर्ती से संबंधित अन्य नोट्स या Study material प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अवश्य बताएं आशा है यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!!
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