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Community Mathematics For CTET & All TET Exam (सामुदायिक गणित)

Community Mathematics For CTET Exam

Community Mathematics For CTET Exam

Community Mathematics For CTET Exam

इस पोस्ट में हम (Community Mathematics For CTET Exam )सामुदायिक गणित से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु जोकि शिक्षक भर्ती परीक्षा जैसे कि CTET,UPTET, MPTET,CGTET की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, तो आइए जाने सामुदायिक गणित से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो कि परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 

सामुदायिक गणित (Community mathematics)




 सामुदायिक जीवन में गणित का स्थान 

 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।  सामाजिक जीवन यापन करने के लिए गणित की अत्यधिक आवश्यकता होती है क्योंकि समाज में भी लेनदेन व्यापार आदि में  गणित का बहुत बड़ा योगदान है। 

 नेपोलियन ने गणित के सामाजिक महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा है कि – ” गणित की उन्नति तथा वृद्धि देश की संपन्नता से संबंधित है। “

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सामुदायिक जीवन में गणित के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझाया जा सकता है

1. नैतिक मूल्यों का विकास (Development of ethical values)

गणित के नैतिक मूल्यों के महत्व को स्पष्ट करते हुए महान दार्शनिक डटन ने कहां की “गणित तर्क सम्मत विचार, यथार्थ तथा तथा सत्य बोलने की सामर्थ प्रदान करता है।” गणित का ज्ञान बच्चों के चारित्रिक एवं नैतिक विकास मैं सहायक है गणित पढ़ने से बच्चे में स्वच्छता, समय की पाबंदी, इमानदारी, न्याय प्रियता, सच्चाई, आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास, दूसरों की बात को सुनना वह सम्मान देना धैर्य आदि गुणों का विकास होता है।

2. सांस्कृतिक मूल्यों का विकास (Development of cultural values)

प्रसिद्ध गणितज्ञ हॉन्गवेन ने लिखा है “गणित सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है।” प्रत्येक समाज व राष्ट्र की संस्कृति का अनुमान उस राष्ट्रीय समाज के वासियों के रीति रिवाज,खानपान, कलात्मक उन्नति, आर्थिक सामाजिक तथा राजनीतिक आदि पहेलियों के द्वारा हो जाता है।  गणित विषय को सांस्कृतिक तथा सविता का सृजन करता माना जाता है। , छंद अलंकार, संगीत के समान, चित्रकला एवं मूर्तिकला आदि सभी अप्रत्यक्ष रूप से गणित की ज्ञान पर निर्भर होते हैं।

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3. जीविकोपार्जन संबंधी मूल्यों का विकास (Development of living standards)

शिक्षा का एक मुख्य उद्देश्य बालकों को अपनी जीविका कमाने तथा रोजगार प्राप्त करने में समर्थ बनाना भी है।  अन्य देशों की अपेक्षा गणित इस उद्देश्य की प्राप्ति में सर्वाधिक सहायता करता है आज के वैज्ञानिक व तकनीकी समय में विज्ञान के नियमों, सिद्धांतों तथा उपकरणों का प्रयोग सर्वव्यापी है । जिस की आधारशिला गणित है इंजीनियर, तकनीशियन, लघु उद्योग, कुटीर की गणित ही है।

4. मनोवैज्ञानिक मूल्यों का विकास (Development of psychological values)

गणित की शिक्षा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी है। गणित का शिक्षण मनोवैज्ञानिक के विभिन्न नियमों का अनुसरण करता है।  उदाहरण के लिए छात्र करके सीखना, अनु दुबे द्वारा सीखना, समस्या समाधान आदि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर ज्ञान प्राप्त करता है।  गणित के द्वारा छात्र में रचनात्मक प्रवृतियां, तर्कशक्ति, जिज्ञासा आदि गुणों का विकास होता है।

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5. समाज और गणित (Society and Mathematics)

हमारे समाज में प्रत्येक व्यक्ति को जो अपनी जीविका कमाता है । तथा आय व्यय करता है, उसे किसी न किसी रूप में गणित से ज्ञान की आवश्यकता होती है।  केवल इंजीनियर, उद्योगपति, डॉक्टर, गणित अध्यापक तथा व्यवसाय से संबंधित व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि समाज के छोटे से छोटे व्यक्ति जैसे मजदूर, कुली, रिक्शा चालक, सब्जी वाला, बधाई सभी को गणित के ज्ञान की आवश्यकता होती है। इस संबंध में यंग महोदय ने कहा है कि “लोह, वाष्प और विद्युत के इस युग में जिस और भी मुड़ कर देखें, गणित ही सर्वोपरि है यदि रीढ़ की हड्डी निकाल दी जाए तो हमारी भौतिक सभ्यता का ही अंत हो जाएगा। “

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